Wajood - 13 in Hindi Fiction Stories by prashant sharma ashk books and stories PDF | वजूद - 13

Featured Books
Categories
Share

वजूद - 13

भाग 13

हां भाई क्या हुआ ? उस सिपाही ने शंकर से पूछा।

साहब... वो... वो... साहब....। शंकर अब भी डरा हुआ था, क्योंकि वो पहली बार पुलिस के सामने आया था। पुलिस चौकी तक आना ही उसके लिए एक नया अनुभव था। परंतु उसकी मजबूरी उसके कदमों को यहां तक ले आई थी।

शंकर को डरा सहता देखकर सिपाही ने उसे कंधे पर हाथ रखा, फिर कहा- घबराओ नहीं बताओ क्या बात है ? किसी के साथ झगड़ा हुआ है ?

सिपाही ने यह सवाल इसलिए किया था क्योंकि शंकर के कपड़े बहुत गंदे थे। उन पर मिट्टी लगी थी। शंकर के बाल बिखरे थे और दाड़ी भी हल्की बढ़ी हुई थी। शंकर की हालत को देखते हुए सिपाही ने अंदाजा लगाया था कि उसके साथ किसी ने मारपीट की है।

सिपाही बात सुनने के बाद शंकर के मुंह से सिर्फ नहीं निकला।

सिपाही ने फिर कहा तो फिर बताओ क्या बात है ? किसी के खिलाफ शिकायत देना है ?

इस बार शंकर ने सिर्फ ना में सिर हिला दिया।

तो फिर क्या है बताओ ? शंकर अब भी सिपाही की बात का कोई जवाब नहीं दे पाया था। इसी बीच पुलिस चौकी के केबिन में बैठा इंस्पेक्टर बाहर आ गया और उसने सिपाही से पूछा क्या बात है, कौन है यह ?

सिपाही ने कहा- पता नहीं साहब कुछ बोल ही नहीं रहा है, लगता है काफी डरा हुआ है। डर के कारण ही कुछ बोल नहीं पा रहा है। इंस्पेक्टर अच्छा इंसान था उसने सिपाही से कहा कि इसे मेरे केबिन में लेकर आओ। पानी भी लेकर आना।

सिपाही शंकर को इंस्पेक्टर के केबिन में बैठाकर उसके लिए पानी लेने चला गया। सिपाही पानी लेकर आया और गिलास उसके सामने रख दिया। इंस्पेक्टर ने गिलास उठाया और शंकर की ओर बढ़ाते हुए कहा- लो पानी पी लो। शंकर ने इंस्पेक्टर को देखा और उसके हाथ से गिलास लेकर एक ही बार में पानी पी गया। इंस्पेक्टर को लगा कि शंकर बहुत प्यासा है, उसने उससे पूछा और पानी चाहिए ? शंकर ने सिर्फ गर्दन हां में हिला दी। इंस्पेक्टर ने सिपाही की ओर देखा और सिपाही शंकर के लिए और पानी ले आया। शंकर दो-तीन गिलास पानी पी गया। क्योंकि एक तो उसे भूख भी लगी थी और प्यास भी। कुछ देर बाद इंस्पेक्टर ने शंकर से कहा- अब बताओ क्या बात है ? तुम्हारा किसी के साथ कोई झगड़ा हुआ है ? शंकर ने इस बार भी गर्दन ना में हिला दी। फिर क्या बात है यहां क्यों आए हो ? शंकर अब भी डर रहा था। इंस्पेटर उठकर शंकर के पास आया, उसके कंधे पर हाथ रखते हुए उससे बोला डरो नहीं मुझे बताओ मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकता हूं ? इस बार शंकर का डर कुछ कम हुआ था। हालांकि फिर भी उसने डरते हुए कहा- साहब हमको वो एफआईआर चाहिए, जिसमें हमारा, हमारे बाबूजी का नाम हो और हमारा पता भी हो।

शंकर की बात सुनकर इंस्पेक्टर चौंक गया था। एफआईआर ? उसने शंकर से पूछा।

हां साहब एफआईआर।

इंस्पेक्टर समझ गया था कि शंकर एफआईआर के मामले में कुछ नहीं जानता है। संभवतः वो पुलिस चौकी भी पहली बार ही आया है। इंस्पेक्टर ने शंकर से पूछा- तुम क्या करोगे एफआईआर का ?

वो उन साहब को दूंगा जो बाढ़ में अपना घर खो चुके लोगों को रूपए दे रहे थे। उनका कहना था कि यदि मैं एफआईआर ले आउं तो वो मुझे भी रूपए दे देंगे।

एफआईआर लेकर रूपए देंगे, मतलब ? मुझे पूरी बात बताओ क्या बता है, हो सकता है मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकूं। इंस्पेक्टर ने शंकर से कहा।

साहब उन साहब का कहना था कि मैं अपनी पहचान का कोई भी कागज उन्हें दे दूंगा तो वो मुझे रूपए देंगे। अभी आई बाढ़ में मेरा पूरा घर बह गया है, मेरे पास मेरी पहचान का कोई कागज नहीं है। उनका कहना था कि अगर कोई एफआईआर भी होगी, जिसमें मेरा, मेरे बाबूजी का नाम हो और मेरा पता हो तो वो मुझे पैसा दें देंगे। शंकर की बात सुनने के बाद इंस्पेक्टर पूरा मामला समझ गया था। हालांकि उसे शंकर पर दया भी आ रही थी और वो यह भी समझ गया था कि शंकर बहुत सीधा व्यक्ति है। उसे सरकारी नियमों और पुलिस की कार्यप्रणाली के बारे में कुछ भी पता नहीं है, इसलिए वो पुलिस चौकी में एफआईआर लेने के लिए आ गया है।

अच्छा तुम्हारा नाम क्या है ?

शंकर शंकर नाम है हमारा। हमारे भैया हरी और भाभी कुसुम। यहीं नदी के पास वाले गांव में रहते थे। साहब उस दिन मैं शहर गया था और मेरे भैया और भाभी... इतना कहते हुए शंकर रोने लग जाता है। इंस्पेक्टर ने उसे दिलासा दिया। फिर उसे चुप कराया। फिर पूछा तुमने कुछ खाया है ? शंकर ने ना में गर्दन हिला दी। इंस्पेटर ने सिपाही को भेजकर बाहर से खाने के लिए कुछ मंगवाया और शंकर को खाने के लिए दिया। शंकर ने कहा साहब हमें यह नहीं चाहिए हमें बस एफआईआर दे दो। हमें रूपए मिल जाएंगे तो हम अपना घर भी तैयार कर लेंगे और राशन भी ले आएंगे।

----------------------