Atithi devo bhav in Hindi Short Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | अतिथि देवो भव

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अतिथि देवो भव

अतिथि देवो भव

आशीष कुमार त्रिवेदी

आज कल हॉलीवुड से आई एक जोड़ी चर्चा में थी। अभिनेत्री जेसिका ब्राउन और उनके निर्माता निर्देशक पति स्टीव हेमिल्टन। दोनों कुछ ही दिन पहले विवाह बंधन में बंधे थे और लंबी छुट्टी पर भारत भ्रमण के लिए आये थे। अपने भारत प्रेम के कारण मीडिया में उन्हें बहुत कवरेज़ मिल रही थी। जहाँ भी जाते लोग उन्हें देखने के लिए उमड़ पड़ते।

कई शहरों का भ्रमण करने के बाद वो दोनों अपनी अनोखी तहज़ीब के लिए मशहूर नवाबों के इस शहर में आये थे। यहाँ बहुत कुछ हैं जो हमें उस पुराने इतिहास की याद दिलाता है। शहर की ऐतिहासिक इमारतें आज भी आकर्षण का केंद्र हैं। अतः इतिहास में दिलचस्पी रखने वाले इस शहर में अवश्य आते थे।

शहर अपने नवाबी इतिहास के लिए मशहूर था। नवाबों ने यहाँ कई बाग व महल बनवाए थे। इमारतों के अतरिक्त यह शहर अपनी गंगा जमुनी तहज़ीब के लिए जाना जाता था। शहर की अपनी अलग तबीयत थी। इसे नज़ाकत व नफ़ासत का शहर माना जाता था इसे। हलांकि महानगरों की आपाधापी तथा जल्दबाज़ी ने यहाँ भी दस्तक देनी शुरू कर दी थी। लेकिन फिर भी अभी बहुत कुछ बचा हुआ था।

इसका उदाहरण शहर में आज भी चलने वाले तांगे थे जो उस दौर की याद दिलाते थे। वह दौर जो अब इतिहास का हिस्सा बन चुका था। तांगे कभी यातायात का प्रमुख साधन थे। तांगेवाले अपने तथा घोड़े के खाने लायक ठीक ठाक कमा लेते थे। मोटर के आने पर भी बहुत से लोग तांगे की सवारी बहुत पसंद करते थे। सड़क पर दौड़ते तांगे पर बैठ शहर का अच्छा जायज़ा लिया जा सकता था।

लेकिन अब इस शहर का मिज़ाज बहुत बदल गया है। फुर्सत तो जैसे शब्कोष में दफ़न एक लफ्ज़ बन गया है। सभी एक अजीब सी भागम भाग में मशगूल हैं। ऐसे में तांगे की सवारी उन्हें बहुत बोरिंग जान पड़ती है। इसी कारण अब इस धंधे में आमदनी घटती जा रही थी। अब बहुत कम तांगेवाले इस काम में रह गए थे। अधिकतर ने वक्त की नब्ज़ पहचान कर दूसरे धंधे अपना लिए थे।

लेकिन अभी भी कुछ लोग अपने इस पुश्तैनी धंधे से जुड़े हुए थे। अब्दुल उन चंद बचे हुए तांगेवालों में से एक था। कल रात फिर उसका अपनी बीवी फातिमा से झगड़ा हुआ। फातिमा चाहती थी कि वह औरों की तरह यह क़ाम छोड़कर कुछ और करे। इस काम में अधिक कमाई नही थी। परिवार का पालन तो दूर घोड़े का चारा जुटाना भी मुश्किल था। अब तो इतने मैदान भी नही थे कि धोड़े को चरने के लिए छोड़ दिया जाए।

अब्दुल इस स्थिति से बखूबी वाकिफ था। लेकिन जब भी इस विषय में सोचता था तो उसे अपने वफ़ादार घोड़े जंगी का खयाल आता था। वह जानता था कि यदि उसने यह काम छोड़ा तो उसे जंगी को भी छोडना पड़ेगा। ना जाने फिर जंगी का क्या होगा। उसे छोड़ने के ख़याल से ही वह डर जाता था।

जंगी अब्दुल के लिए एक जानवर नही बल्कि परिवार का सदस्य था। वह कहता था कि तांगा चलाने का काम वह अकेले नही करता बल्कि जंगी की मेहनत उससे बहुत अधिक है। जैसे दो भाई मिल कर काम करते हैं वैसे ही वह और जंगी काम करते हैं। जब कभी कमाई नही होती थी तब वह स्वयं भूखा रह लेता था किंतु जंगी को अवश्य चारा देता था।

कल रात से अब्दुल बहुत परेशान था। अब कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा। फातिमा की फिक्र भी जायज है। कब तक बच्चों को आधा पेट खिलाएगी। बच्चों का भविष्य क्या होगा। आज के वक्त में तालीम भी जरूरी है। पर बिना पैसों के कुछ भी नही हो सकता।

यदि किसी और काम के बारे में सोचे भी तो करेगा क्या। तांगा हांकने के अलावा उसे आता ही क्या है। कुछ भी नया करने के लिए भी पूंजी चाहिए। वह कहाँ से लाएगा। अब तो बस खुदा का ही आसरा है। वही अब कोई राह दिखाएगा।

सुबह उठ कर अब्दुल ने रोज़ की तरह जंगी को खिलाया उसे साफ़ किया और फिर तांगे में जोत दिया। चलने से पहले उसने हमेशा की तरह दुआ की कि आज उसकी कमाई अच्छी हो। तांगा लेकर वह उसी जगह पहुंचा जहां रोज़ सवारी के लिऐ खड़ा होता था। किंतु आज तो वहां मेले जैसा माहौल था। भीड़ लगी थी और सभी एक तरफ ही देख रहे थे। सभी एक ही बात बोल रहे थे "अरे ये तो वही हैं।" "हाँ वही हैं।"

इस भीड़ भाड़ को देख अब्दुल को कौतुहल हुआ। क्या कोई बड़ा मंत्री आया है। उसने अपने साथी तांगेवाले से पूँछा "क्या बात है भाई ये इतनी भीड़ क्यों है?"

उसके साथी ने भी अनिश्चितता से कहा ।

"अरे भाई हम तो पहचानते नही। सब कह रहे हैं कि दोनों अंग्रेजी सिनेमा में काम करने वाले लोग हैं। उन्हें देखने के लिए ही यह भीड़ जमा हुईं है।"

अब्दुल भी भौचक सा विदेशी सैलानियों को देखने लगा। दोनों पति पत्नी बड़ी दिलचस्पी के साथ आसपास की चीज़ों को देख रहे थे। तभी जेसिका की नजर अब्दुल के तांगे पर पड़ी।

"वॉव सो ब्यूटीफुल हनी, आइ वाना राइड।"

स्टीव को भी तांगा बड़ा आकर्षक लगा। उसने टूटीफूटी हिंदी में कहा "हमें अपने तांगे में घुमाएगा। "

अब्दुल अचानक मिले इस प्रस्ताव से सकपका गया। आज का दिन तो बहुत अच्छा था। बोनी के समय ही अच्छी कमाई का अवसर मिल गया। उसने दोनों को तांगे पर बैठने के लिए कहा।

जेसिका और स्टीव अब्दुल के तांगे पर सवार होकर पूरे शहर में घूमे । पूरे शहर में इस बात की चर्चा हुई। मीडिया ने भी इस बात को खूब उछाला। दिन भर न्यूजं चैनलों पर जेसिका तथा स्टीव की तांगे की सवारी करते हुए फुटेज चलती रही। साथ में स्टीव का बयान कि तांगे में अपनी पत्नी के साथ घूमना उनके लिए एक बहुत ही रोमांटिक अनुभव रहा। उन दोनों के साथ साथ अब्दुल का भी नाम दिन भर चर्चा में रहा।

कहते हैं मेहमान भगवान समान होते हैं। जेसिका और स्टीव के संबंध में यह बात सही साबित हुई। वे दोनों तो चले गए किंतु शहर के युवाओं को तांगे की सवारी को लेकर एक क्रेज़ उत्पन्न हो गया। उन्हें तांगे की सवारी बहुत रोमांटिक लगने लगी। अपनी प्रेमिका के साथ तांगे की सवारी करने का एक चलन बन गया।

अब्दुल और उसके जैसे तांगेवालों के दिन बदल गए।

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