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अन्तःस्फुरणा

अन्तःस्फुरणा

Dr. Ravi J. Jain

Dedicated to

My Parents,

Shruti,

And to all those who believed me andmade me believe myself!

अनुक्रमणिका

१. मुस्कान

२. कल्पना के पंखो पर होकर सवार

३. आज कुछ तूफानी करते हैं

४. तुझ में वो बात है

५. बस...प्यार ही प्यार हो

६. बड़ी शिद्‌दत से

७. आज के नेताजी

८. नौजवान

९. तू यहीं है... हर कहीं है...

१०. दिल तो सच्चा है जी...

११. राही.... तू राह पर तो निकल

१२. फौजी

१३. अब तो हम भी दबंग हैं

१४. तेरे संग जिंदडी बितावा

१५. जिंदगी

१६. रास्तें टेढ़े मेढ़े होते हैं

१७. फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी

१८. मेरा सपना

१९. बस... फिर क्या बात हो!

२०. सर्दी की सुबह..

मुस्कान

नजरों से नजरें

जब टकरार्इं,

देख कर हमें

जब वो मुस्कुराई,

बालों की एक लट

जब चेहरे पर झूल आई,

लगा मानो जैसे

गुलशन में बहार आई!

उसका वो शर्माना

उसका वो इठलाना

दबे पाँव यूं चलना

और फिर तिरछी नजरो से इतराना

कभी खामोश नजरों से कुछ तो जताना

और फिर अपने ही आप पल में घबरा जाना।

फूल नहीं

खुद बगिया है वोह

गुल नहीं

है वो गुलिस्तान

मेहसूस हर लम्हा

कर सकता हूँ

उसकी मेहकी बेहकी

चेह्की हुई मुस्कान।

कल्पना के पंखो पर होकर सवार

कल्पना के पंखो पर होकर सवार,

चलो हम करें इस जग का विहार।

बंद आँखों से आओ देखें,

इस जग का श्रृंगार।

छुकछुक करती रेल गाड़ी,

बढ़ती हुई मंज़िल की ओर,

रात के सन्नाटे को चीरती हुई,

बेसब्र है मिलने को भोर।

एक एक करके गाँव जाते,

नदियाँ पहाड़ और झरने आते,

कुछ मजे से ले रहे हैं खर्राटें,

और कुछ दूसरों को अपने किस्से कहानियाँ सुनाते।

सामने रजाई में लिपटी हुई

एक हसीन परी है,

योवन की शरदपूर्णिमा है,

या तारों से जड़ी है?

कभी लेती है करवट,

तो कभी जाग जाती है।

नजरे मिला ए हसीना मुझसे,

मुझे तू बड़ा लुभाती है।

नजरे हम दोनों की मिलती हैं,

पर पलकें उसकी झुक जाती हैं।

वो जो यूँ शर्माती है,

सांसे मेरी पलभर को रुक जाती हैं।

आखिर करके गुस्ताखी थोड़ी सी,

मैं ही करता हूँ आगाज,

उससे थोड़ी सी बात करके,

छेड़ देता हूँ दोस्ती का साज।

थोड़ा सा घबराकर,

थोड़ा सा शर्माकर,

मुस्कराकर वो

जवाब देती है।

उसकी बातों में

उसके इशारों में,

एक गहराई सी

जान पड़ती है।

फिर तो बातों का सिलसिला

यूँ ही चलता रहता है,

पागल दिल एक कोने में

यूँ ही मचलता रहता है।

उसकी बातें बड़ी भाती हैं,

उसकी शरारत बड़ा सताती है,

उसकी नजाकत उसकी हर अदा,

मुझे बड़ा तरसाती हैं।

फिर वो कहती है कि बड़ी रात हो गई है,

कल सुबह मिलते हैं।

फिर ढक लेती है अपना आँचल जैसे

चाँद को कभी कभी बादल निगल लेते हैं।

सुबह का मुझे भी

बेसब्री से इंतजार है,

दिल उससे पूछने को

बड़ा बेकरार है,

कि बोलो ना तुम्हें भी

मुझसे प्यार है,

उसकी हाँ सुनने को

जिया बेकरार है,

अगली ही सुबह अपने

पिया का दीदार है।

तभी अचानक कहीं बज जाती है

अलार्म की घंटी,

कहाँ गया वो रेल का सुहाना सफर;

कहाँ गई वो सुन्दर परी?

घबरा कर इधर उधर

करता हूँ नजर,

तो मालू पड़ता है

यह तो है अपना ही घर,

वो तो मैं चल पड़ा था यूँ ही

कल्पना की डगर,

और अनजाने में पहुंच गया था

प्रेम नगर।

कल्पना के पंखो पर होकर सवार,

क्या अदभूत था वो रात का सफर!

आज कुछ तूफानी करते हैं...

जिंदगी में कभी

अफसोस ना कर,

हौंसलों से अपनी

उडान भर।

चला जा अपनी मस्ती में

बिंदास बेफिक्र,

काँटे चूभे,

चाहे लगे कंकर।

चाह है तो

राह है,

मुश्किलो की, ए बंदे

क्यों तुझे परवाह है?

कोशिशें हैं तो

कशिश है,

ख्वाब हैं तो,

रंजिश है।

जुनून पर

हो जा सवार,

मौजों से

ले ले ललकार।

दिल में अपने,

बस ले तू ठान,

कि

आज कुछ तूफानी करते हैं...

आज कुछ तूफानी करते हैं...

तुझ में वो बात है...

एक नई ऊर्जा हो

एक नई चेतना हो

नई आसक्ति और

नई भावना हो।

बैर नहीं

द्वैष नहीं

भय नहीं

किसी से क्लेश नहीं।

आत्मविश्वास हो

बल और साहस हो

प्रेरणा की ज्योत हो

अंतर मन में ओतप्रोत हो।

निश्चल निर्भय व्‌ अडिग

चट्टानों से जा टकरा,

तुझ में वो बात है

तुझ में वो जज्बात है

बस अर्जुन सी रख दृष्टि

हर चुनौती को तू देगा हरा!

बस...प्यार ही प्यार हो

जन्नत सा जहाँ हों

खुशियाँ ही खुशियाँ हों।

उम्मीदों की ऊँचाइयाँ हों

आशीर्व़ादों की परछाइयाँ हों।

मस्ती की अंगड़ाइयाँ हों

ख्वाबों और ख्वाहिशों की आजादियाँ हों।

प्यार मोहब्बत

और वफा,

आप पर बरसती

रहे सदा।

प्राची हो या हो

कोई दिशा,

उसे समेटने अपने अंदर

सागर हो हर जगह।

बस बेवजह बेइंतहा,

प्यार ही प्यार हो हर लम्हा,

सुभानअल्लाह माशाल्लाह!!!

बड़ी शिद्दत से

बड़ी शिद्दत से आज

किसी से मोहब्बत की है,

तारीफ करूँ क्या उस खुदा की

ज़िसने मुझ पर यह रेहमत की है,

कायनात ने मुझ पर यह बरकत की है,

सच्चे दिल से किसी को चाहने की हिम्मत दी है।

मंज़िल नहीं

तू हमसफर है

आसान संग

हर डगर है

थामे हाथ

हर भँवर है

ज़िन्दगी मानो

खेलती कूदती लहर है।

ना रंग से

ना रूप से

ना सूरत से

ना सेहत से

ना दूरियों से

ना परछाइयों से

प्यार करते हैं हम

दिल की गहराइयों से।

परछाई नहीं

साथ हैं हम।

थामे एक दूजे का

हाथों में हाथ हैं हम।

बरखा बहार

साज व श्रृंगार

सोने में सुगंध मानो

एक दूजे का पर्याय हैं हम!

आज के नेताजी

हाथ में मोबाइल,

चेहरे पर गजब की स्माइल।

साथ में लम्बी चौड़ी फाइल,

क्या खूब है नेताजी का स्टाइल!

श्रम करना क्या जानते,

मिथ्या भ्रम में हैं नाचते।

पसीने की कीमत कहाँ?

अपने जेब भरने से इन्हें फुरसत कहाँ?

अभेद्य सुरक्षा कवच है,

चार पहियों पर सजा आलिशान रथ है।

नित् नये नारे हैं,

दिन में दिखाते ये तारे हैं!

सिर पर पहने गांधी टोपी,

रोज खाए मैदे की रोटी।

संसद में करें धमाल,

प्रजा के पैसों से उड़ायें गुलाल।

शिखर वार्ता में करें शांति का जाप,

मृतकों के लिए करें विलाप।

देश की सुरक्षा जाये खड्डे में,

इनकी रूचि तो सिर्फ इम्पोर्ट किये हुए लड्डू में।

कहते स्वयं को प्रजा के प्रतिनिधि,

देश के ये अनमोल सेवक।

खाखी कुरता और लाल बत्ती,

ये रक्षक हैं या भक्षक?

प्रजा भी इनके गुण गाए,

समय बीतते ही सबकुछ भूल जाये।

क्यों ना इन्हें हम चपत लगायें?

क्यों इन्हें हम अपने नेता बनाएं?

मित्रों स्वार्थ छोड़ों परमार्थ अपनाओ,

देश के गौरव के लिए मर मिट जाओ।

भ्रष्टाचार नहीं बेरोजगारी नहीं,

अपने सपनों का नया भारत स्वयं बनाओ!

नौजवान

तन में है जान

मन में तू ठान

तेरे हाथों में है कमान

तू है नौजवान!

नया जोश है

नई हैं उमंगें

नई हैं राहें

नई हैं मंज़िलें।

असंभव को कर दे संभव

बुजुर्गों से ले अनुभव

नए कीर्तिमान तू स्थापित कर

क्षितिज तक तू उड़ान भर।

चल, उठ, खड़ा हो

समय दे रहा तुझे दस्तक

चल,उठ, खड़ा हो

स्वाभिमान से उठा अपना मस्तक।

जय जवान

जय किसान

जय विज्ञान

तेरे कंधों पे है नया भारत

तेरा मेरा सबका

अपना भारत महान !!!

तू यहीं है... हर कहीं है...

बेसबर हो गई धड़कने यूँ मेरी

जब इन पर तु छा गई दिलरुबा

ना खबर लगी ना कुछ लगा पता

ऐसा क्या कर गई तु जानेजाना?

साँसों में छाई हो

ख्वाबों में समाई हो।

जानेजाना तु

ज़िन्दगी बन कर आई हो।

आँखों के सामने रहे

तेरा ही चेहरा।

ओजल इस मन में

उम्म्मीद नई ले आई हो।

फूलों की खुशबु जैसे

पतंगे की चाहत है।

तू ही मौला

तू ही इबादत है।

ज़िन्दगी में अब

कोई नहीं कमी है।

हर पल जब एहसास हो कि

तू यहीं है... हर कहीं है...

दिल तो सच्चा है जी...

सच्चाई जज्बा है, जहान है,

सच्चाई इबादत है, ईमान है!

सच्चाई इजहार है,

सच्चाई प्यार है।

सच्चाई हार में भी,

जीत की झनकार है।

सच्चाई आँखों से चल जाये

ऐसी तलवार है.

सच्चाई को रोक सके,

ऐसी ना कोई दीवार है।

सच्चाई दिलों को छू जाये,

ऐसी दरकार है।

सच्चाई खुदा को पिघला दे,

ऐसी पुकार है।

सच्चाई का ना कोई रूप

ना कोई आकार है।

खुद की नजरों में उठ सको,

बस इतनी सी ललकार है!

राही.... तू अपनी राह पर तो निकल!

कल क्या होगा

किसे पता?

कल की क्यों

इतनी फिकर?

आज जो है

बढ़िया है!

कल इससे भी

होगा बेहतर!

हँसी खुशी से

जी ले ये पल,

ये मोके ये चौके

नहीं मिलेंगे कल।

रास्ते अपने आप

हो जायेंगे आसान,

राही.... तू अपनी राह पर तो निकल!

फौजी

चलना है, बढ़ना है,

फौजी... अब तुझे नहीं रुकना है!

सहना है, मरना है,

फौजी... मरकर भी तुझे जीना है!

दुश्मन खड़ा तेरे द्वार,

भेजना है उसे सरहद के पार,

लड़ना है, अब नहीं थकना है,

होनी है उस जालिम की हार।

हिम्मत को बना ले अपना हpथयार,

देशभक्ति को कर ले शुमार,

अपनी माँ की सुन पुकार,

लूट ना पाए कोई उसका श्रृंगार!

बढ़ते चल,

लड़ते चल,

दुश्मन के हर पैंतरे को

कर दे नाकाम!

तेरी माँ का कोई

छू सके ना आँचल,

फौजी अपनी मिट्टी के लिए

तुझे अब लड़ना है,

फौजी... अब नहीं तुझे रुकना है,

फौजी अब नहीं तुझे झुकना है।

फौजी मर कर भी अमर रहेगा तू,

जीते जी नहीं यूँ मरना है!

फौजी... अब तुझे नहीं रुकना है!

अब तो हम भी दबंग हैं

एक दीदार को

आँखें तरस गई,

एक छोटी सी मुलाकात

दिल में बस गई,

हम तो रोज

वही याद करते हैं,

जब एक बदली

हम पर बरस गई!

मैं रात का सन्नाटा हूँ,

वो खुशनुमा चाँदनी है।

मैं बाती हूँ,

वो रोशनी है।

मैं भँवरा हूँ,

वो फूलों की मेह्कशी है।

क्या कहूँ यारों?

वो मेरी ज़िन्दगी है!

ख्वाबों में रंग है

जब मंज़िल अपने संग है।

प्यार से डर नहीं लगता साहब,

क्यूँकि अब तो हम भी दबंग हैं...

तेरे संग जिंदडी बितावा...

मन मेरा यूँ कहे,

तेरे संग जिन्दडी बितावा,

तेरे लिए फिर जीऊँ,

तेरे बिन मर जावाँ!

तेरे लिए लाऊँ

हसी चू के।

फूलों से भँवरों से

हवाओं से झू के;

ठंडी पुरवाइयों में

सेकू हाथ तेरे संग।

तेरे रंग में घुल जाऊं

बन जा तू एक मलंग;

तू लहर बने

बनूँ मैं तेरा किनारा,

तेरी ही ख्वाहिश करूँ

देख टूटता तारा;

तेरी परछाई बनूँ,

बनूँ तेरा इशारा,

तेरी ही नजर बनूँ,

बनूँ तेरी पलकों का नजराना;

तेरी धड़कन बनूँ,

बनूँ तेरा हर बहाना,

तेरी साँसे बनूँ,

तेरी बाहों में मैनू जिन्दडी बिताना;

टूटे ना टूटे अब

ख्वाब यह सुहाना,

भाए मैनू

तेरा यूँ शर्माना;

जिन्दडी तेरे नाम

लिख दी मैंने,

हूँ मैं मस्त मौला

तेरा ही परवाना;

तेरा ही नाम लिखा

हाथों की लकीरों पे,

तू मिल जाये तो हो,

गिनती अपनी अमीरों में;

तू खिलता गुलाब है,

शायर दे अलफाज है,

तू ढलती शाम,

तू अजान की आवाज है;

तू जब भी मेरे

आस पास है,

बजे ऐसे बाँसुरी जैसे

कान्हा संग गोपियाँ खेलती रास है;

तेरे संग मैनू

जिन्दडी बितावा

तू मिल जाये तो

मैनू सब भूल जावा;

मैनू डूबना नहीं

इशक दी गेहराईयां,

उड़ना है छूना है

इशक दी ऊँचाइयाँ!!!

ज़िंदगी

जिंदगी थोड़ी मीठी, थोड़ी नमकीन है,

थोड़ी खुशनुमा, थोड़ी गमगीन है।

थोड़ी सीधी और थोड़ी सी संगीन है,

थोडा सा शक और थोडा सा यकीन है।

कुछ मौसम बहार के,

कुछ राग मल्हार के।

कुछ लम्हे इंतजार के,

और कुछ पल इजहार के।

सोचो कम और

एहसास करो ज्यादा।

जिंदगी का गम

हो जायेगा आधा।

याद करो लम्हे

हसी फुहार के,

फिर देख जिंदगी कैसे मरती है

तुझ पे वार के!

रास्तें टेढ़े मेढ़े होते हैं

रास्तों से ना डरो,

रास्तें टेढ़े मेढ़े होते हैं....

कभी काँटें,

कभी कंकड़,

कभी कड़कडाती धूप,

तो कभी घने अँधेरे होते हैं.

कभी सुबह

कभी शाम।

कभी ढलान

तो कभी चढ़ान।

तो कभी हमराही

साथ छोड़ देते हैं।

मरना है कुबूल

डरना नहीं है साहब।

डर के आगे

जीत उसीकी है,

जो अपनी ज़िन्दगी को,

पूरी तरह जीते हैं!

रास्ते टेढ़े मेढ़े होतें हैं,

मगर कुछ राही भी अनेरे होते हैं...

फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी

वाह! आज का नया फैशन,

चारों तरफ फ्यूजन ही फ्यूजन।

नीचे पहने जीन्स,

और ऊपर पहने कुर्ता।

खाए हम बर्गर,

और चटारें आलू पराठे।

खेलें हम कबड्डी,

खेलें हम बेसबोल।

घूमें हम ताजमहल,

घूमें हम ध ग्रेट चाइना वोल।

नाचे हम डीस्को,

नाचे हम डांडीया।

जायें हम मैकडॉनाल्ड्स,

जायें हम सरदारजी का ढाबा।

पिये हम पेप्सी,

या पिये कोकाकोला।

साथ ही खूब भाए

बरफ का गोला।

है मधुर आज भी लता,

है दिलों की धडकन आज सुन।

है हसीन बहुत यूरोप,

है खुबसूरत बहुत कुल्लूमनाली।

मनायें हम वेलेन्तन,

मनायें हम दीपावली।

पहने हम ग्लेर्स,

और कानो में बाली।

घूमे चाहे लन्दन

चाहे घूमे जापान।

मिस करें सदा,

अपना प्यारा हिन्दुस्तान!

पहने हम कोई भी चोला,

चाल कितनी भी हो मस्तानी!

फ्यूजन हो या कोई भी फैशन हो,

फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी!!!

मेरा सपना

सपना देखा है मैंने

एक नए भारत का,

ख्वाब देखा है मैंने

एक पुख्त इमारत का,

दर्शन किये हैं मैंने

एक सुखी संसार के,

प्रार्थना की है मैंने

कि मेरा सपना आकार ले!

एक ऐसे जहाँ में हम जाएँ,

जहाँ पर हर कोई कर सके गुजारा,

एक ऐसे वक्त में हम जाएँ,

जहाँ हो सुखपूर्वक सबका बसेरा,

एक ऐसे वक्त में हम जायें,

मिटा कर आज का यह अँधेरा,

जहाँ पर कुछ भी ना हो तेरा मेरा

जहाँ पर सर्वत्र हो हमारा।

धर्म के नाम पर ना हो विभाजन,

रक्तपात से न रंज़ित हो यह आनन,

भगवान तो हैं राम, फिर भक्त बने क्यों रावण के?

धरती का यारों तु लूटो ना यूँ लावण!

हैं हम सभी पंछी एक डाल के,

साथ मिलकर हमें रहना है,

फिर क्या मिलना है हमें लड के,

इस गगन में संग ही तो उड़ना है!

कंटकाकीर्ण यह मार्ग दुर्गम ,

जोली में है हमारे बहुत सारे गम।

किन्तु जीवन का यारों

यही तो है क्रम,

कि छोड़कर पुरानी राह,

चूमना है नया पथ हरदम!

बस... फिर क्या बात हो!

ख्वाबों में यह किसकी

तस्वीर बन जाती है?

हाथों की लकीरों में यह

किसकी तकदीर लिख जाती है?

राह में भटके हुए किसी मुसाफिर को

जैसे उसकी मंज़िल मिल जाती है!

अरमान है आसमान को छूने का,

हँसने का सबको हँसाने का,

ख्वाबों में सदा जीने का,

और ख्वाबों को सच कर दिखाने का!

हंसी हो ख़ुशी हो,

खिलखिलाता हुआ आँगन,

आस हो अटूट वेशास हो,

कभी ना टूटे यह बंधन!

दिल की तु हो धड़कन,

तु महक मैं पवन।

एक दूजे में खो जायें,

जब मिल जायें दोनों के नयन।

एक दूजे का साथ हो,

जμज्बा हो जज्बात हो।

मोहब्बत से झोंपड़ी

अपनी आबाद हो।

दो वक्त की रोटी और

बहुत सारा प्यार मिले,

बस... फिर क्या बात हो!

सर्दी की सुबह

शीतल सन्नाटा रास्तों पर

है छाया हुआ,

ओस की बूंदों से

तरबतर नहाया हुआ;

नींद के गरम कम्बल

में दुबका हुआ,

सपनों की अनजान नगरी

में समाया हुआ;

कहीं सुनाइ देती है

अजान की आवाज,

कहीं छेडता हुआ

कोई साधक मधुर राग;

ठण्डे पवन की

सरसराहट जैसे,

कानो में बयान करती

हो कोई राज;

बुझती हुई बिजलियाँ

उड़ती हुई तितलियाँ,

अंगड़ाई जैसे ले रही हों

खिलती हुई कलियाँ;

दूधवाले की घंटी द्वार पर,

समाचारपत्र वाला घूमता घर घर;

सुस्ती की रजाई में

बदलती हुई करवटें,

आलस और सुस्ती

हर तरफ आती है नजर;

गरमागरम चाय से

उठती हुई भाँप,

थरथराते बच्चे स्कूल जाते

रहे हों काँप;

शिवालय में गूंजती

मंगल आरती,

थोड़ी सी कसरत से

आ जाये गजब की फूर्ती;

छाई है जबरदस्त

शीत लहर,

नीरवता और नजा

मानो हर पहर;

सर्दी की सुबह है मानो...

जैसे खुदा की बरसी हो मेहर!