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ज़िंदगी खूबसूरत है

जिंदगी खूबसूरत है

आशीष कुमार त्रिवेदी

उतार चढ़ाव जीवन का हिस्सा हैं. कभी अच्छा वक्त होता है तो कभी आपको कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. किंतु अक्सर ऐसा होता है कि जब हम पर कठिनाइयां आती हैं तो हम परेशान हो जाते हैं और शिकायत करने लगते हैं कि 'मैं ही क्यों'. लेकिन कुछ लोग परिस्थितियों को स्वीकार कर आगे बढ़ने के बारे में सोंचते हैं. ऐसे लोग जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोंण रखते हैं. ऐसे लोग कठिनाइयों के बावजूद भी जीवन को पूर्णता से जीते हैं. उसके हर एक पल का आनंद उठाते हैं.

जीवन की कठिनाइयों से हार ना मानने वाले ऐसे ही व्यक्ति हैं जस्टिन विजय येसुदास. हार ना मानने के अपने जज़्बे के कारण ही शारीरिक चुनौतियों के बावजूद वह जीवन को पूरी जिंदादिल के साथ जीते हैं. जस्टिन Cognizant Technology Solutions में Deputy General Manager के पद पर कार्यरत हैं.

जीवन में कठिनाइयां अचानक ही आती हैं. जस्टिन के साथ भी ऐसा ही हुआ. वह एक सामान्य जीवन जी रहे थे जब 2009 में अचानक एक दुर्घटना के शिकार हो गए. जिसमें जस्टिन गंभीर रूप से घायल हो गए. गर्दन के नीचे से उनका पूरा शरीर Paralyzed हो गया. केवल उनके कंधों तथा कोहनियों मे कुछ गतिविधि थी. बाकी सारा शरीर सुन्न हो गया था. अपने रोज़मर्रा के काम करने में भी उन्हें तकलीफ होती थी. यह स्थिति किसी को भी मानसिक रूप से तोड़ सकती है। लेकिन इतने पर भी जस्टिन ने कोई शिकायत नही की बल्कि बड़े धैर्य के साथ अपनी स्थिति को स्वीकार किया. वह जानते थे कि अपने हालात पर दुखी होने से कोई लाभ नहीं होगा. जो है उसे स्वीकार कर आगे बढ़ने में ही समझदारी है.

जीवन में आगे बढ़ने के लिए उनका आत्मनिर्भर बने रहना बहुत ज़रूरी था. स्वयं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जस्टिन ने कड़ा परिश्रम करना आरंभ किया. सबसे पहले स्वयं को लंबे समय तक बैठने का अभ्यस्त बनाया. ताकि उनके काम में कोई बाघा ना आए. अपने सभी काम स्वयं कर सकें इसका अभ्यास किया. Wheelchair पर अपने दम पर बैठने तथा उससे उतर कर कार या बिस्तर पर बैठने का अभ्यास किया. इस प्रकार वह शीघ्र ही अपने काम पर वापस आ गए.

Wheelchair पर बैठ कर ही वहअपना पसंदीदा खेल Basketball खेलने लगे. किंतु उन्हें महसूस होने लगा कि उनकी शारीरिक क्षमता पहले से कम हो गई है. अतः इन्होंने तैराकी की तरफ रुख किया. प्रारंभ में Swimming pool पर तैनात Gaurds को इस बात का डर रहता था कि कहीं जस्टिन को कोई नुकसान ना पहुँचे. अतः वह उन्हें Float के सहारे ही Pool में उतरने देते थे. लेकिन अपनी मेहनत से जस्टिन जल्दी ही तैरने में अभ्यस्त हो गए. जस्टिन का कहना है "मैंने YouTube को अपना गुरू बना लिया. यहाँ मौजूद Videos देख कर मैं तैराकी की सही तकनीकि का अभ्यास किया." एक वर्ष के अभ्यास के बाद इन्होंने प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया.

अब तक तैराकी में जस्टिन 14 Gold Medal जीत चुके हैं.

3 golds in Canam championships, Toronto, Canada 2015 March.

4 golds in 15th national championship, Belgaum.

3 golds in 14th national championship, indore.. 4 Golds in state championship, Chennai 2014.

इंदौर में आयोजित National championship में इन्होंने 50m backstroke में 1.22 मिनट का रिकार्ड बनाया. जस्टिन 1.27 मिनट के लिए अभ्यास कर रहे थे. अपनी इस उपलब्धि पर उन्हें बहुत खुशी हुई.

जस्टिन को विश्व में विकलांग तैराकों में 20 स्थान मिला है. गंभीर रूप से अक्षम लोगों की श्रेणि में वह भारत के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें पिछले वर्ष Glasgow में World championship के लिए चुना गया.

जस्टिन को Ability Award से भी सम्मानित किया गया है.

2016 में जस्टिन ने अपने Shooting के पुराने शौक को दोबारा आरंभ किया. पुणे में आयोजित 60 National Shooting Championship में स्वर्ण पदक जीता. 619.4 का Score बना कर वह World Championship के लिए Qualify कर गए.

जस्टिन का कहना है "जो भी पदक व पुरुस्कार मैंने जीते हैं वह मेरे लिए बहुत महत्व रखते हैं. लेकिन मुझे वास्तविक प्रसन्नता तब होगी जब मैं अपने जैसे अन्य लोगों को उनके घरों से बाहर निकाल कर एक भरपूर ज़िंदगी जीने के गुण सिखा सकूँ."

जस्टिन की दिनचर्या बहुत व्यस्त है. अपने काम के अलावा वह रोज़ तैराकी का अभ्यास करते हैं. इसके अतिरिक अपनी मांसपेशियों को मज़बूत बनाने के लिए उन्हें भार उठाने का भी अभ्यास करना पड़ता है. इस कठिन दिनचर्या को वह बिना किसी शिकायत के पूरा करते हैं. क्योंकी इस परिश्रम के कारण ही वह स्वावलंबी रह सकते हैं.

जब वह दूसरों को चलते फिरते और एक सामान्य जीवन जीते हुए देखते हैं तो कभी भी दुखी नहीं होते. उनका मानना है कि जो हम नहीं कर सकते उसका अफसोस करते रहने से अच्छा है वह किया जाए जो हम कर सकते हैं।

जस्टिन हर संभव कोशिश करते हैं कि एक सामान्य व्यक्ति की तरह भरपूर ज़िंदगी जिएं. वह अपने परिवार तथा मित्रों के साथ समय बिताना बहुत पसंद करते हैं. फिल्म देखने जाना तथा रेस्त्रां में शाम बिताना भी उन्हें अच्छा लगता है. लेकिन एक बात की शिकायत उन्हें है. हमारे देश में अधिकांश स्थान Wheelchair प्रयोग करने वालों के लिए सुगम नही हैं. वह चाहते हैं कि इन्हें विकलांग जनों के लिए सुगम बनाया जाए. इस दिशा में भी वह प्रयासरत हैं.

जस्टिन अपनी जिंदगी को पूर्ण रूप से जीते हैं. उन्होंने कभी भी खुद को दूसरों से कम नहीं समझा. वह चाहते हैं कि शारीरिक चुनौतियों का सामना करने वाले लोग जीवन से निऱाश होने की बजाय उसे खुश होकर जीने का प्रयास करें. वह कहते हैं "मैं समझ नहीं पाता कि क्यों वह लोग भी जो पूरी तरह से स्वस्थ हैं बुझे हुए से रहते हैं. जीवन इस प्रकार मायूस होने के लिए नहीं है. आप जो नही कर सकते उसके बारे में सोचने की बजाय वह करें जिसमें आप सक्षम हैं. निराश मत हों. जीवन को पूरी तरह जिएं. क्योंकी चाहे जो स्थिति हो हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. हर हाल में जिंदगी खूबसूरत है. उसे खुल कर जिएं.

जस्टिन का सकारात्मक दृष्टिकोंण अनुकरणीय है. उतार चढ़ाव तो जीवन का हिस्सा हैं. हर किसी के जीवन में परेशानियां आती हैं. लेकिन उनसे घबरा कर हार मान लेना सही नहीं है. धैर्य और संयम के साथ हमें परेशानियों से बाहर निकलने की कोशिश करनी चाहिए. किसी भी सूरत में उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए.

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