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अम्मा

अम्मा

" माँ कितने बर्तन पड़े हैं धोने के लिए और घर भी कितना गंदा हो रहा है, क्या अम्मा रोज ही इतनी देर से आती है "हॉस्टल से छुट्टियों में आयी भावना ने कुछ चिढ़ते हुए माँ से कहा |

"अरे क्या बताऊँ, पिछले एक हफ्ते से खांसी और बुखार होरहा है अम्मा को, सुबह कल्लू आया था बताने की नानी नहीं आएगी एक हफ्ते तक| भावना तू परेशान न हो, ये तो रोज का ही काम है,मैं करलूँगी ", माँ ने सुबह सुबह माहौल को खराब होने से बचाने के लिए बड़े ही संयत स्वर में जवाब दिया |

भावना ने झटपट झाड़ू उठाया और वो समझ गयी की माँ के आगे अम्मा के बारे में कुछ भी कहना ठीक नही | झाड़ू लगाते लगाते उसको याद आया कैसे पिछली छुटियों में भी अम्मा काफी दिन बीमार रही थी| और जब लौटी थीं अस्पताल से तो सीधे बहू जी बहू जी करती हमारे घर ही आगयी थीं | उनके मुंह से बहू जी सुनकर ऐसा लगता भावना को जैसे दादी बुला रही हों | माँ को अम्मा से विशेष लगाव था, और हो भी क्यों न | भावना और उसकी दीदी के हॉस्टल चले जाने के बाद, पिताजी जब भी लम्बे टूर पर विदेश जाते तो उस बड़े से नए घर में माँ का सहारा अम्मा ही तो होती |

"माँ, ये कल्लू कौन सा नया आ गया अम्मा के घर में जो अम्मा की बीमारी की खबर दे गया आपको "पोछा लगाते लगाते भावना ने पूछा.

"अम्मा की बड़ी बेटी जो गुड़गांव में रहती थी उसके पति के गुज़र जाने के बाद अम्मा उसे अपने साथ यहाँ लायी.कमाई का साधन नही था और गोद में कल्लू था. पिछले पांच साल से अम्मा के साथ ही रह रहे हैं अम्मा की बेटी शीला और कल्लू."

"फिर शीला ही कर जाती हमारे यहाँ काम, अम्मा के बदले, "भावना ने तुनक कर कहा.

"अम्मा के घर में तीन बेटे हैं, बहुए हैं, अभी एक कच्चा सा घर बनाया है, जिसमे एक कमरा और रसोई अम्मा की भी है | पिछले पांच साल से अम्मा ही शीला का खर्चा उठा रही है और शीला घर का सारा काम करती है, भाभियों की मदद करती है| शाम को घूमते हुए तुझे ले चलूँगी अम्मा के घर ",माँ ने बड़े शांत भाव से कहा|

शाम को माँ ने अम्मा का घर दिखाया| अंदर से बहुत सारे बच्चों की हंसने बोलने की आवाज़ें आ रही थी|

गोबर से सफाई से लिपे आँगन में एक कोने में चूल्हे पर एक सांवली सी २५-२६ साल की युवती रोटियां बना रही थी,उसकी गोद में एक अधिक सांवला सा कमज़ोर बालक था| भावना को समझते देर न लगी की यही कल्लू और अम्मा की विधवा बेटी हैं |

उसके बाद कब एक हफ्ता बीत गया, पता नही लगा| माँ भावना को अक्सर अम्मा के घर फल, सब्जी लेकर भेज देती| अब तो भावना का भी अच्छा परिचय होगया था कल्लू और उसकी माँ शीला के साथ| बहुएं कुछ अलग अलग सी रहती शीला से और शीला की सूनी आँखें भावना को देखकर आशा से चमक उठती|

अगली सुबह छह बजे ही घंटी लग गयी और बहू जी बहू जी की आवाज़ से सबकी आँख खुल गयी|

कैसी हो अम्मा, माँ ने बड़े प्रेम से पूछा और झटपट अम्मा के लिए चाय बना दी और अम्मा ने भी अपने आशीषों से माँ की झोली जो हफ्ते भर से खाली थी, भर दी|

दुबली पतली बूढी, बहुत बदबू वाले मैले पुराने कपडे पहने हुए थी | एक बार को भावना का मन हुआ की पूछ ले की अस्पताल से लौट कर एक हफ्ते बाद भी नहाया क्यों नहीं. उसका मन करा की एक साफ़ सा सूट लाकर अम्मा को दे और अपने घर में ही नहला दे.पर ऐसा माँ से कहने और करने की हिम्मत नही जुटा पायी | उसने ध्यानसे देखा अम्मा की आँखों में एक विशेष चमक थी प्यार की, पर उनके नाखून बहुत काले और हाथ मैले, खुरदुरे से थे, वही हाथ उन्होंने भावना के सर पर बड़े प्यार से रखा.

"बहू, बर्तन कर के झाड़ू लगा दूंगी ",जब अम्मा ने ऐसा कहा तो भावना ने तुरंत ही कह दिया, "नही नही अम्मा बर्तन में कर देती हूँ, आप झाड़ू लगा लो "| अम्मा ने फिर से सौ आशीर्वाद की वर्षा भावना पर कर दी और झाड़ू लगाने लगी | उनके मैले हाथ और बड़े बड़े टेढ़े मेढ़े नाखून से भावना के मन में इन्फेक्शन का जो डर आया था, उससे अनभिज्ञ अम्मा झाड़ू लगा रही थी और भावना बर्तन धोकर इन्फेक्शन के डर से निश्चिन्त हो रही थी.

अम्मा के जाने के बाद भावना ने देखा घर उतना ही गंदा है | मेज कुर्सी सब पर धूल जमी हुई है, छत से जले लटके हुए हैं ;अत्यधिक सफाई पसंद माँ न जाने कैसे सेह पाती होंगी ऐसी सफाई, अभी भावना यह सब सोच ही रही थी की माँ ने कहा "ज्यादा चिंता मत कर सफाई की, शाम को एक लड़के को बुलाया है,वो सब जाले भी साफ़ कर देगा और तू उससे अपनी लाइब्रेरी की किताबें भी ठीक से लगवा लेना| पिछले महीने एक दो अलमारियां नवनीत,कादम्बिनी, और सर्वोत्तम वाली तो मैंने ठीक करवा ली थी | इस बार तू अपनी रसायन विज्ञान और पेड़ पौधों वाली अपने पापा की अलमारी ठीक करवा लेना|

लड़का पढ़ा लिखा है, अच्छे से मदद कर देगा| अब जाकर नहा ले, तेरे पापा के नाश्ते और दवाई का टाइम होरहा है | "

माँ जानती थी की छुट्टियों में भावना यदि सुबह सुबह लाइब्रेरी वाले कमरे में सफाई करती करती चली गयी तो फिर शाम तक वहीं बैठी रहेगी| हालांकि ये आदत उसको माँ से ही विरासत में मिली थी .माँ की बचपन की नंदन, पराग,को तो अब भी भावना उतने ही शौक से पढ़ती थी और माँ को भी ५० साल पुरानी उन सर्वोत्तम, नवनीत, रीडर्स डाइजेस्ट को पढ़ने में खूब आनंद आता था|

भावना नहाने तो चली गयी पर उसके दिमाग में एक ही विचार आता रहा की लड़के को अलग से पैसे देकर सफाई करवाने का क्या मतलब है जब अम्मा को इसी काम के लिए लगाया गया है और पापा भी इस विषय में ज्यादा दखल नही देते. माँ इतनी मेहनत से रोज़ बस में सफर करके ड्यूटी जाती हैं और फिर वो कमाई अम्मा जैसे काम न करने वाले लोगों को कैसे दे सकती हैं|

शाम को अम्मा ने आकर कुछ बर्तन धोये और फिर कुछ शीला और कल्लू की बातें करने लगी| भावना इतना ही समझ पायी की अम्मा को अब शीला के भविष्य की चिंता हो रही है.

"बहू जी सोच रही हूँ शीला को कोई नौकरी पर लगवा देती तो मेरे मरने के बाद इसको अपने भाई भाभी के आसरे न रहना पड़ता और कल्लू भी कुछ पढ़लिख लेता | अभी तो जिस स्कूल में पास में मैं सफाई का काम करती हूँ, वहीँ कल्लू को दाखिला दिला दिया है| "

"हाँ अम्मा तुम ठीक सोच रही हो, अभी शीला जवान है कहीं भी काम पर लग सकती है, पूरा दिन घर पर अकेले रहकर भी भाभियों की बातें होई सुनेगी, चलो अम्मा चिंता न करो, मैं भी आसपास किसी दफ्तर में पूछती रहूँगी शीला के लायक कोई काम होगा तो बताउंगी तुमको "

भावना इन दोनों के संवादों समझ गयी की माँ चाहे अम्मा सी अनपढ़ ही क्यों न हो पर अपने बच्चे के लिए वो दूरदर्शिता से निर्णय लेती है..

भावना को लगा जैसे उसकी माँ दीदी और उसके लिए चिंतित रहती हैं,वैसे ही अम्मा की चिंता भी शीला के लिए है और अपने स्टार पर हर माँ अपनी हैसियत से ज्यादा अपने बच्चों के लिए प्रयास करती है.

"भावना तुम्हारा लाइब्रेरी की सफाई का काम होगया हो तो विजय और अम्मा केलिए चाय बना दो, और दोनों को खाने के लिए पकोड़ियां देदेना "माँ ने भावना के दिमाग में चल रहे विचारों में खलल डालते हुए कहा |

भावना लाइब्रेरी छोड़ जल्दी से रसोई की ओरे भागी. आज तो अम्मा ने अगली रसोई के बर्तन धोये ही नहीं थे.बस पिछली रसोई के बर्तन करके अम्मा उत्सुकता पूर्वक चाय पीने के लिए छोटे से मूढ़े पर बैठ गयी थे. "अम्मा चटनी लोगी", भावना ने थोड़ा परेशान सा होकर पूछा.

"नहीं छुटकी, इसी नाम से बुलाती थी अम्मा भावना को,रहने दे, तू ये पकोड़े और चटनी एक लिफ़ाफ़े में रख दे, कल्लू को बहुत पसंद है,उसके लिए ले जाऊंगी "

भावना को गुस्सा तो बहुत आया कल्लू पर, शीला पर जो बूढी अम्मा के सारे सोच को दबोच कर बैठ गए थे ...पर फिर माँ का ख़याल आया और उसने चुपचाप अम्मा का थैला बाँध दिया| इतना में माँ आगयीं "

"अरे अम्मा ने पकोड़ी नहीं खायी, भावना चाय बना दी?विजय ने काम पूरा कर लिया ?बर्तन धूल गए

सारे| शाम को मेहमान आने वाले हाँ | भावना ड्राइंग रूम ठीक कर दो थोड़ा ?"माँ ने आते प्रश्नों की झड़ी लगा दी|

भावना, कल्पना से कह दो शाम को लड़के वाले आ रहे हैं, अच्छे से तैयार हो जाये, और भावना तुम भी ढंग का सूट पहन लेना|

"कल्पना दीदी, जल्दी से तैयार होजाओ,"भावना ने खुशी से चहकते हुए कहा| उसके बाद कब शाम आयी और लड़के वाले रिश्ता पक्का करके चले गए, पता ही नही चला| रात को देर तक माँ बेटियों के बीच बातचीत चली| सारी बातों के बीच भावना को एक बात की बड़ी चिंता होरही थी | अगले महीने शादी है और घर की साफ़ सफाई के लिए, मेहमानों को देखने केलिए, इतने बर्तन सफाई से धोने केलिए, उन्हें एक अच्छी, साफ़ सुथरी, समझदार लेडी चाहिए होगी| अम्मा से तो यह नही होपायेगा | कुछ दिन के लिए भावना को हॉस्टल जाना होगा | ऐसे में माँ पर काम का अतिरिक्त बोझ आजायेगा | बीच में कुछ दिन शॉपिंग, पैकिंग पर भी समय लगाना होगा, तब कोई ऎसी लेडी चाहिए जो सफाई से रोटी सब्ज़ी बना कर खिला सके, चाय पिला दे |

माँ से भावना ने डर कर अपने मन की उहापोह जब बांटी तब जाना माँ और दीदी भी ऐसे ही सोच रही थीं.| अब तो जब भी अम्मा आती सुबह या शांम, माँ भावना, कल्पना दीदी सब यही सोचते की कैसे अम्मा से कहें की अब तुम से काम नही होता हमारा और शादी के घर में काम भी ज्यादा है| अम्मा अब तुम रहने दो | सारी शक्ती जुटाकर,कठोर मन करके भी तीनों में से कोई अम्मा को यह न बोल पाता |

आँखों के सामने अम्मा की शीला और मासूम कल्लू का चेहरा घूम जाता |

ऐसे ही दस दिन बीत गए, भावना हॉस्टल चली गयी |

"अभी शादी की बहुत सी तैयारियां करनी हाँ,भावना ५ दिन में सारे काम करके, फिर १५ दिन की छुट्टी लेकर आजाना.और फिर लेडी भी ढूंढनी है" .रुआंसी होती भावना को माँ ने हंसा ही दिया|

५ दिन बाद जब भावना लौटी तो देखा अम्मा ही काम कर रही है धीरे धीरे |

"माँ तुमने बताया नहीं अम्मा को दीदी की शादी और कल से जो मेहमान आने वाले हैं, उनके बारे में| "

कल से कितना काम बढ़ जाएगा, भावना मन मन में बुदबुदाई|

"कैसी हो अम्मा ? शीला को कोई काम मिला "?भावना ने प्रश्नों की झड़ी सी लगा दी

"सब ठीक है छुटकी, सामने जो बैंक है, वहां डेली वेज पर चपरासी का काम मिल गया है शीला को "

बाद में माँ ने बताया की अम्मा बैंक के मैनेजर के यहाँ बर्तन का काम करती है,उनसे कहसुनकर शीला की नौकरी लगी है. भावना ने चैन की सांस ली |

उस शाम जब अम्मा काम के लिए आयी तो उसके साथ एक बहुत सलोनी साधारण से कपड़ों में साफ़ सुथरी यही कोई ३० -३५ वर्ष की लेडी थी|

"बहू कल से तेरे घरमें शादी के मेहमान आने वाले हैं और काम भी है| ये कविता है, मेरे घर के साथ वाले घर में पिछले महीने ही आयी है, इसको अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी करने के लिए काम चाहिए| सारा काम जानती है, दिन भर तेरे घर में रहेगी और रसोई भी संभाल लेगी | बहूजी तुम इसको रख लो “, अम्मा ने बड़ी सरलता से कहा |

भावना अवाक सी खड़ी अम्मा की समझदारी को निहारती रही|

भावना को लगा अम्मा का सोच कितना ऊँचा है और प्यार कितना गहरा | भावना ने झट से आगे बढ़कर अम्मा के पाँव छुए और अम्मा भावना पर आशीषों की वर्षा करके चली गयी |

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