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अलीबाबा - Starup Success Stories

खुल जा सिम सिम

जहान्वी सुमन

आज बहुत कुछ हमारी मुठी में है, अर्थात जो मोबाइल फ़ोन हम अपनी मुट्ठी में दबाये घूमते हैं उससे हम क्या कुछ नहीं कर सकते ?

घर बैठे शोपिन कर सकते हैं, मन पसंद खाना घर मंगवा सकते हैं। बस, रेल, हवाई यात्रा के लिए घर बैठे टिकिट मंगवा सकते हैं। पैसा यहाँ वहाँ ट्रांसफर कर सकते हैं, परीक्षा के नतीजे जान सकते हैं, दूर बैठे परिजनों से वीडियो चैट कर सकतें हैं और भी बहुत कुछ है जो सुविधापूर्वक हम घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं।

लेकिन क्या हमने कभी सोचा है, इन सुख सुविधओं को हम तक पहुँचाने के पीछे किसकी की सोच व लगन निहित है। आख़िर कब और कैसे किसी व्यक्ति विशेष के मस्तिष्क में ये विचार कौंधा और हम तक इसे पहुँचाने के लिए उसने कितने पापड़ बेले।

ऐसे ही अनेक दिलचस्प ऐप और उनकी संस्थापना से जुड़े दिलचस्प किस्से हैं।

अलीबाबा ऐप की संस्थापना की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं। अलीबाबा डॉट कॉम आज दुनिया भर में B2B व्यवसाय के लिए मशहूर है। आज की तारीख में इसके संस्थापक 'जैक मा' की निजी सम्पत्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि होंग कोंग में हाल ही मैं जो उन्होंने घर खरीदा है, वो संसार के सबसे महंगे घरों में दूसरे स्थान पर आता है। आज उनकी सम्पत्ति लगभग ४२. ७ बिलियन डॉलर है। चीन के वे सबसे अमीर व्यक्ति हैं। एशिआ के सबसे अमीर व्यक्तिओं में वह दूसरे नम्बर पर हैं. आज उन्हें दुनिया भर में व्यवसाय का शहंशाह, निवेशक और लोकोपकारक कहा जाता है।

आज प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से ३० मिलियन कर्मी अलीबाबा ग्रुप में कार्यरत हैं।

लेकिन यह सफ़लता उन्हें रातों रात बैठे बैठाये नहीं मिली और न ही विरासत में ही मिली।

असफ़लताओं के एक लम्बे दौर से गुज़रे थे, जैक मा। ऐसी असफलताएँ जो व्यक्ति को तोड़ कर रख दें, लेकिन जैक मा ने भी हार मान न लेने की ठानी थी। शायद इरादे बुलंद हों, तो आसमां को भी झुकना पड़ जाता है।

चलिए सबसे पहले हम अलीबाबा के संस्थापक जैक मा के ज़िन्दगी के उस सफ़र पर चलते हैं, जो उन्होंने इस उच्चतम मक़ाम तक पहुँचने तक तय किया।

जैक मा उर्फ़ मा यून

जैक मा का जन्म १० सितम्बर १९६४ को दक्षिण पूर्व चीन के 'हंग जाऊ जहेजिआंग ' प्रान्त में एक मध्यम परिवार में हुआ। माता पिता ने उनका नाम 'मा यून' रखा था। वह स्कूल में मेधावी छात्रों में से एक नहीं थे। वह कक्षा द्वितीय व चतुर्थ में कई बार फेल हुए। उनका सहपाठियों के साथ झगड़ा भी होता था। वह आम बच्चों की तरह खेलते थे।

वह झींगुर पकड़ते थे तथा उनसे खेलते थे। वो झींगुर की आवाज़ सुनकर बता देते थे कि वह किस आकर प्रकार का है..

चीन में उस समय अंग्रेजी भाषा का प्रचलन कदापि नहीं था। चीन कम्यूनिस्ट पार्टी चीन में अमरीका की दख़ल अंदाजी भी पसंद नहीं करती थी। अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने १९७२ में चीन का दौरा किया और चीन के प्रति अपने संबंध सुधारने की इच्छा दिखाई। पर्यटन के क्षेत्र में विकास हुआऔर बड़ी संख्या में पर्यटक चीन आने लगे।

जैक मा को अंग्रेजी सीखने का शौक था। १३ वर्ष की उम्र में वह टूरिस्ट गाइड बन गए। वह अपने घर से ७० मील दूर साईकिल चलाकर जाते और 'हांगझाओ इंटरनेशनल होटल' से पर्यटकों को अपने क्षेत्र का दौरा कराते। पर्यटकों से बात चीत करते- करते उन्होंने अंग्रेज़ी भाषा व पश्चिमी तौर तरीके सीख लिए थे। एक टूरिस्ट के साथ उनकी मित्रता ऐसी हुई कि उनकी कलम से मित्रता चलती रही अर्थात पत्र व्यवहार चलता रहा। उस दोस्त ने ही उन्हें 'जैक' नाम का सम्बोधन दिया क्योंकि 'मा यून' का उच्चारण उन्हें कठिन लगता था। बस तभी से वह 'मा यून' से 'जैक मा' बन गए।

(असफलताओं का दौर )

युनिवेर्सिटी में प्रवेश प्राप्त करने के लिए उन्हें ख़ासी मशकत करनी पड़ी।

यूनिवर्सिटी प्रवेश परीक्षा वह में दो बार फेल हुए लेकिन पढ़ने की लगन नहीं छोड़ी। वह हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रवेश पाने के इच्छुक थे लेकिन वहाँ भी वो 10 बार प्रवेश परीक्षा में असफल रहे। लेकिन असफ़लता से उन्होंने हर बार कुछ नया सीखा।

'हांग्जू हाउ टीचर्स इंस्टिट्यूट' में उन्हें दो बार असफ़लता देखनी पड़ी। तीसरी बार उन्हें सफलता मिली। उन्होंने अंग्रेजी में स्नातक की डिग्री हासिल की।

नौकरी पाना भी उनके लिए टेडी खीर साबित हुआ।

नौकरी की तलाश में यहाँ वहाँ भटके। ३० भिन्न भिन्न स्थानों पर इंटरव्यू देकर सभी में रिजेक्ट हुए।

KFC ने चीन में अपने कदम ही रखे थे और वहाँ नौकरी की भरपूर उम्मीद थी। २४ उम्मीदवारों ने वहाँ अपना भाग्य आज़माया २३ उम्मीदवार चुन लिए गए, जो एक उम्मीदवार नौकरी पाने से वंचित रह गया, वह और कोई नहीं स्वयं 'जैक मा' ही थे।

इसके बाद उन्हें अंग्रेजी भाषा का अध्यापक नियुक्त किया गया। तब उन्हें मात्र १२ डॉलर वेतन मिलता था। वह अपने छात्रों के साथ बहुत सहज रहते थे ।छात्र उनसे संतुष्ट थे। लेकिन जैक मा कुछ और ही मकाम हासिल करना चाहते थे।

उन्होंने पुलिस की नौकरी के लिए भी आवेदन दिया, लेकिन उन्हें यह कहकर कि आप पुलिस की नौकरी के लिया सक्षम नहीं है, आपकी शारिरिक क्षमता पुलिस नौकरी के अनुरूप नहीं है। असफ़ल घोषित कर दिया।

इसके बाद अध्यापन के साथ -साथ उन्होंने ट्रांसलेटर का कार्य करने की योजना तैयार की

बतौर ट्रांसलेटर १९९५ में उन्हें पहली बार अमरीका जाने का मौका मिला। यहाँ उन्हें लेनदेन का हिसाब निपटाने के लिए एक चीनी कम्पनी की मदद करनी थी।

जैक मा ने इंटरनेट के विषय में सुना हुआ था। अमरीका में उन्हें पहली बार इंटरनेट प्रयोग करने का मौका मिला।

उन्होंने इससे पहले कंप्यूटर भी नहीं देखा था। उनके अमरीकी दोस्त ने कंप्यूटर और इंटरनेट के प्रयोग के लिए उन्हें उत्साहित किया, जैक मा कंप्यूटर छेड़ने से भी डर रहे थे। उनके दोस्त ने हँसते हुए कहा, "कम ऑन इट्स नॉट अ बम्ब"(इसको छूने से कोई धमाका नहीं होगा, यह बम्ब नहीं है। )

डरते- डरते उन्होंने कंप्यूटर छेड़ा। इंटरनेट को समझा।

उन्होंने इंटरनेट पर सबसे पहला शब्द जो टाईप किया था, वो था, BEER (भालू )

उन्हें दुनिया भर के भालुओं के विषय में जानकारी मिल गई। लेकिन उन्हें यह देखकर बड़ी निराशा हुए कि चीन के भालू विषय में इंटरनेट पर कोई जानकारी नहीं थी, उन्होंने चीन टाइप किया तथा अलग -अलग विषय पर चीन की जानकारी इकट्ठा करना चाहा, न ही चीन के विषय अधिक जानकारी उपलब्ध थीऔर न ही इंटरनेट पर कोई भी कम्पनी चीन से सम्बन्धित जानकारी प्रस्तुत कर पा रही थी. उन्होंने निर्णय लिया, कि चीन जाकर इंटरनेट के लिए कुछ करेगें।

जैक मा को इंटरनेट पर भविष्य में काफ़ी संभावनाएं दिखाई दे रहीं थीं.

जैक मा ने चीन लौटकर एक वेबसाइट तैयार की 'ऊगली' जिसमें चीन का होम पेज बनाया।

जैक मा ने एक पत्रकार से बात चीत के दौरान बताया कि, जब वह चीन का होम पेज तैयार कर रहे थे। तब डायल अप कनेक्शन बहुत धीमा था, अमेरिका के साथ फ़ोन कनेक्ट करके यह किया जा रहा था। जिस कारण आधा वेब पेज डाउनलोड करने मे साढ़े तीन घण्टे का समय लग गया। बोरियत दूर करने के लिए उन्होंने दोस्तों के साथ ताश खेलें टेलेविज़न देखा तथा पेय पदार्थ लिए।

आखिर कार वेबपेज तैयार हो ही गया, चीन टेलेविज़न केंद्र का कैमरा भी वहाँ मौजूद था।

सवा नौ बजे वेबसाइट रिलीज़ की गई और बारह बजे तक जैक को बेशुमार ई मेल प्राप्त हुए।

लोग जैक के बारे में जानना चाहते थे। लेकिन चीन में लोगों को इंटरनेट की अधिक जानकारी नहीं थी, इसलिए जैक को एक बार फिर असफलता का मुँह देखना पड़ा। ऊगली पेज बंद हो गया।

अप्रैल १९९५ में जैक ने अपने अमेरिकी दोस्तों और पत्नी के साथ मिलकर २० हज़ार डॉलर जोड़े जिसमें उनकी बहन से लिया हुआ उधार भी शामिल था। उन्होंने "चाइना पेजेस "नाम से कम्पनी खोली जो छोटे बड़े व्यवसायिओं के लिए वेबसाइट बनाती थी। बहुत अधिक संख्या में कारोबारी यहाँ जुड़ने लगे।

ये कम्पनी घाटे में जा रही थी, जिसे सरकार ने आर्थिक सहायता देकर अपने नियंत्रण में ले लिया, जैक मा सरकार के साथ उस कम्पनी के साझेदार बन गए, लेकिन तानाशाही के चलते जैक मा को कड़वा अनुभव हुआ। उनकी क़ाबलियत का यहाँ कोई कद्रदान नहीं था और ना हीं कम्पनी के अहम निर्णय उनकी इच्छा अनुसार हो रहे थे, जैक मा ने स्वयं को इससे पृथक कर लिया।

1998 व 1999 के मध्य जैक ने चीन अंतरराष्ट्रीय बिजली व्यवसाय केंद्र जोकि विदेशी व्यापार एवम अर्थव्यवस्था मंत्रालय के अधीन था, वहाँ भी कार्य किया। यह नौकरी भी उन्हें रास न आई।

उन्होंने अपनी अगली योजना दोस्तों के सामने रखते हुए कहा, "हम सरकार से प्रेम करेगें लेकिन सरकार से शादी नहीं करेगें।

अलीबाबा की स्थापना

चार साल बाद १९९९ एक बार फिर 'जैक' ने इंटरनेट के क्षेत्र में कार्य करने का फैसला लिया।

उन्होंने अंग्रेजी लेखक 'मरथा एवेरी' द्वारा लिखी 'वन थाउसंड वन नाइट्स ' औऱ चीनी लेखक द्वारा अनुवादित पुस्तक में कहानी 'अलीबाबा व चालीस चोर' पढ़ी हुई थी। उन्हें लगता था कि, उनकी किसमत का खजाना भी एक दिन ज़रूर खुलेगा।

उनको भी गुप्त खजाने का पासवर्ड मिलेगा और वह भी अलीबाबा की तरह अमीर हो जायेगे। लेकिन उस के लिए दिमाग़ का प्रयोग करना होगा।

सन फ्रांसिस्को की कॉफी शॉप में बैठे -बैठे उनके मन में यह विचार आया कि

A L I B A B A नाम उनकी नई वेबसाइट के लिए सही होगा। वह जानना चाहते थे कि क्या लोग अलीबाबा को जानते हैं? उन्होंने एक महिला वेटर से पूछा क्या उन्हें अलीबाबा के विषय में ज्ञात है? महिला वेटर ने तुरंत कहा "खुल जा सिमसिम। " जैक मा यह सुनकर ख़ुशी से झूम उठे। उन्होंने युवाओं से लेकर बुज़ुर्गों तक पूछा । उन्हें इस बात की बड़ी हैरत हुई की अलीबाबा को सब जानते है। उन्होंने ३० लोगों से बात की जो विभिन्न देश के थे। भारतीय, जापानी, जर्मनी, चीन। यानी अलीबाबा विश्वभर के लोगों तक पहुँचने वाला उपयुक्त नाम था, जिसका नाम से अर्थ भी स्पष्ट हो रहा था, कि यह विश्व के लोगों के लिए ऐसा दरवाज़ा खोलने जा रहा है, जहाँ सबकुछ जादुई अनुभव जैसा होगा।

जैक मा ने ALIMAMA नाम भी रजिस्टर करवा लिया था, यदि कोई उनके साथ विलय करना चाहे तो।

वह अपने कस्बे "हैंगस हाउ' वापिस आ गए। उन्होंने अपने अपार्टमेंट को ऑफिस में तब्दील कर दिया।

प्राम्भ में उनके वहाँ २४ दोस्त इकठ्ठा हुए थे, जैक मा ने कहा, "जो केवल अपना धन लगा सकते हैं और कम्पनी के दिवालिया हो जाने पर भी मुझ में विश्वास रख सकते हैं वो ही साथ चलें।" ६ दोस्त वापिस मुड़ गए।

उन्होंने 18 दोस्तों और पत्नी के साथ टीम तैयार की जिसमें कुछ विदेशी दोस्त, जिन्हें इंटरनेट की जानकारी थी तथा अन्य चीनी दोस्त, जो फण्ड देने में समर्थ थे और परिश्रम करने के इच्छुक भी थे ।

अलीबाबा डॉट कॉम ' B2B' के स्वरूप से संगठित की गई।

'B2B' यानी बिज़नेस टू बिज़नेस।

जैक मा जानते थे कि, चीन के उत्पादकों पर उपभोक्ता बहुत कम भरोसा करते है। उपभोक्ताओं को विश्वास में लेना बहुत ज़रूरी था इसलिए उन्होंने निर्णय लिया कि, संचालन का कार्य वह स्वयं संभालेंगे और कंप्यूटर पर काम करने के लिए वेतन पर कर्मी बाहर से लाएंगे। उन्होंने युवाओं को कार्य करने के लिए चुना क्यूंकि वह मानते हैं कि युवाओं में कार्य क्षमता अधिक होती है।

युवाओं के अतिरिक्त वे महिलाओ की कार्य क्षमता पर भी बहुत भरोसा करते हैं और वह कहते हैं, कि महिलाओं में अदबुद्ध ताकत होती है।

अलीबाबा डॉट कॉम के जरिये उन्होंने छोटे और मध्यम वर्ग के व्यपारियों को एक स्थान पर संगठित व सूचि बद्ध किया। उन्होंने छोटे व्यपारियों को ई कॉमर्स की सुविधा उपलब्ध करवाई ।

जैक मा का मानना था के छोटे व्यवसायिओं के पास बेशुमार सपने होते हैं लेकिन धन नहीं होता इसलिए उन्हें इंटरनेट के साथ जोड़ कर उन के सपने, हक़ीक़त में तब्दील किये सकते हैं..

चीन में बने सामान के लिए उन्होंने विदेशी बाज़ार के द्वार खोल दिए।

उन्होंने उपभोक्ता को भी सीधा उत्पादकों के साथ जोड़ा।अलीबाबा डॉट कॉम के साथ व्यापारी और उपभोक्ता बड़ी संख्या में जुड़ने लगे। निर्यातकों को भी यहाँ भारी स्कोप दिखाई पड़ रहा था.

बड़ी संख्या में उत्पादक, उपभोक्ता व व्यापारी अलीबाबा डॉट कॉम से जुड़ने लगे।

अलीबाबा डॉट कॉम शुरुवाती दिनों में, लाभ कमाने में तो असफल रही किन्तु लोकप्रियता हासिल करने में सफल हो गई। इस वेबसाइट ने ग्रहाकों का विश्वास जीत लिया था।

जैक मा कहते है., कि जहाँ लोग दिन में ४ घंटे और सप्ताह में ५ दिन काम कर रहे थे, वहां हमने दिन में १६ घंटे और सप्ताह में ६ दिन काम किया।

एक रेस्तराँ के मालिक ने जैक मा से कहा कि, वह उनके रेस्तरां में कुछ भी खाएं, बिल का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं क्यूँकि अलीबाबा डॉट कॉम में रेस्तरां के सूचीबद्ध होने के बाद रेस्तरां ने बहुत कमाया है, और जैक माँ के कुछ नहीं कमाया।

सफ़लता की ओर उड़ान

अक्टूबर १९९९ में गोल्डमैन सचेस ने ५ मिलियन डॉलर और सॉफ्ट बैंक ने २० मिलियन डॉलर का निवेश अलीबाबा में किया जिसके बाद अलीबाबा की सफलता ने आसमान की ओर रुख कर लिया।

जपनेस टेलीकॉम कम्पनी के निवेश से उड़ान का एक और पँख अलीबाबा के हैट में जुड़ गया।

अलीबाबा डॉट कॉम के ऑफिस में जश्न

यह समय था अलीबाबा डॉट कॉम के ऑफिस में जश्न मनाने का। जैक माँ ने अपने कर्मियों के लिए फन स्टिक मँगवाई और कहा ख़ुशी से जश्न मनाये नाचे गाँये और आप पागलपन की हद तक जा सकते हैं. जैक मा ने पहली बार सफलता को देखा था, वह भी ख़ुशी में डूब गए उन्होंने अपने कर्मियों को सम्बोधित करते हुए कहा, "आज धूप है तो कल और कड़कड़ाती धूप होगी लेकिन यदि आप हार न मानों, तो परसों अवश्य छाँव मिलेगी।

अलीबाबा डॉट कॉम ऐसी जगह बन चुका था, जहाँ पर विश्वव्यापी व्यापार होता है.

२००० के शुरू वाति वर्षों में उन्होंने taobao कम्पनी की स्थापना की जो ebay को कड़ी टक्कर दे रही थी।

२००५ Yahoo ग्रुप भी अलीबाबा के साथ जुड़ गया।

1 बिलियन डॉलर का निवेश YAhoo ने अलीबाबा में किया । अलीबाबा से जुड़ने के कारण अकेले याहू का आई पी 10 बिलियन हो गया था। ebay को चीन का बाज़ार छोड़ना पड़ा।

२ ०१२ में अलीबाबा ग्रुप का ऑनलाइन कारोबार १थ्रीलिओन यान हो गया था

जैक को पेकिंग युनिवेर्सिटी में लेक्चर देने के लिए यदा कदा बुलाया जाने लगा ।

सितम्बर २०१४ में जैक मा ने अलीबाबा ग्रुप को पब्लिक कम्पनी घोषित कर दिया। उन्होंने ने अमरीका के स्टॉक एक्सचेंज में जब अपने शेयर पहली बार उतारे तो। मार्किट में उनके शेयरों के प्रति बहुत अधिक उत्साह दिखाई दिया।

न्यू यॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के सभी रिकॉड टूट गए कम्पनी ने २५ बिलियन डॉलर के शेयर बेचे। ।

न्यू यॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में नया इतिहास रचा जा चुका था।

जैक मा अब अलीबाबा के कार्यकारी अध्यक्षक बन गए थे।

अब अलीबाबा ग्रुप के अधिकार में नौ सहायक कंपनियां आ चुकी थी

१ अलीबाबा डॉट कॉम

२ तायो बायो मार्किट प्लेस

३ टी मॉल

४ इ ताओ

५ अलीबाबा क्लॉउड कंप्यूटिंग

६ जुहुआसुऑन

७ १६८८ डॉट कॉम

८ अली एक्सप्रेस डॉट

९ अली पे

जैक मा ने घोषित किया कि, वह अलीबाबा ग्रुप की आय का .०३ प्रतिशत देश का पर्यावरण सुधारने की योजनाओं पर खर्च करेंगे।

इसी वर्ष 'सिंगल डे ' जो कि ११ नवम्बर को मनाया जाता है, अलीबाबा डॉट कॉम पर सेल के सभी रिकॉर्ड टूट गए।

अलीबाबा के स्थपना दिवस पर हर वर्ष रंगारंग कार्यक्रम रखा जाता है। जिसमें जैक मा भी बढ़ - चढ़ कर हिस्सा लेते है।

9जनवरी 2017 को जैक अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करने ट्रंप टॉवर गए। वहाँ उन्होंने अमरीकी राष्ट्रपति के साथ अमरीका में एक मिलियन नौकरी की संभावनाओं को पाँच वर्ष में कैसे पूरा किया जाये, इस विषय पर लंबी चर्चा की।

अपनी उम्र के ३५ वर्षों तक असफलताओं का मुख देखने वाले जैक मा को अपने विश्वास और सच्ची लगन और कड़ी मेहनत के कारण उम्र के ४० वें वर्ष से सम्मान और पुरस्कारों का ऐसा दौर शुरू हुआ जो ईश्वर करे ता उम्र चलता रहे।

१) २००४ में चीन के केंद्रीय टेलेविज़न ने उन्हें १० आर्थिक रूप से प्रभावशाली व्यक्तियों में चुना।

२) सितम्बर २००५ में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने उन्हें "यंग ग्लोबल लीडर "

क़रार दिया।

३) फॉर्चून मैगज़ीन ने एशिआ के २५ प्रभावशाली व्यवसाय व्यक्ति में उन्हें चुना।

४) २००७\में बिज़नेस वीक मैगज़ीन ने उन्हें "बिज़नेस पर्सन ऑफ दी ईयर " घोषित किया।

५) २००८ में अमरीका के साप्ताहिक समाचार पत्र ने उन्हें विश्व का सबसे बेहतर "मुख्य निष्पादन अधिकारी "

बताया।

६) २००९ में "टाइम मैगज़ीन ने उन्हें व्हीशव के १०० प्रभावशाली व्यक्तियों में रखा।

७) २००९ में फोर्ब चाइना ने उन्हें १० आदरणीय उद्धयमी में रखा।

८) २०१० में फ़ोर्ब्स एशिया ने उन्हें जनकल्याण करने वाला हीरो बताया।

२०१३ हॉन्ग कॉन्ग यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी उन्हें डॉक्टरल डिग्री प्रदान की।

१०) २०१७ में फिलीपींस की दे ला सालय यूनिवर्सिटी ने वाणिज्य में डॉक्टर ी डिग्री से नवाजा

११) २०१८ में हॉन्ग कॉन्ग यूनिवर्सिटी ने एक बार फिर सोशल साइंस में डॉक्टर की डिग्री से सम्मानित किया।

१२) २०१८ में तेल अवीव यूनिवर्सिटी इसराइल ने डॉक्टर की उपाधि प्रदान की।

१३) जुलाई २०१८ एशिआ के सबसे अमीर व्यक्तियों में दूसरा स्थान प्राप्त किया।

अलीबाबा ग्रुप के सफऱ के कुछ रोचक पल

१) जैक मा ने जब चाइना पेज बनानी की सोची, तब उन्हें कम्प्यूटर और इंटरनेट की जानकारी नहीं थी, ना ही उन्हें कोडिंग आती थी। कुछ दोस्तों ने सलाह दी कि वह इसमें कभी क़ामयाब नहीं हो सकते अतः उन्हें यह विचार छोड़ देना चाहिए।

२ ) वह अपनी सबसे पहली वेब कम्पनी को रजिस्टर करना चाहते थे। उसके नाम के साथ उन्होंने इंटरनेट शब्द जोड़ दिया। चीन में इंटरनेट की जानकारी न के बराबर थी।

वह रजिस्ट्रार को इंटरनेट का अर्थ समझाते -समझाते थक गए।

रजिस्ट्रार ने चीनी-अंग्रेजी शब्दकोष में इंटरनेट का अर्थ खोजना चाहा, लेकिन शब्दकोष में 'इंटरनेट' शब्द ही नहीं था। उनकी कंपनी का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका ।

३ ) taobao (ताओ बाओ ] की उन्होंने स्थापना की, इस वेबसाइट पर पुराना सामान ख़रीदा व बेचा जाता था। पाँच दिन तक किसी ग्राहक ने इसका प्रयोग नहीं किया, तब जैक मा के सात दोस्तों ने आपस में ही सामान ख़रीदा और बेचा। इसके बाद तो यह वेबसाइट इतनी अधिक लोकप्रिय हो गई कि, ebay (ई बय )ने इसे खरीदने की पेशकश की।

जैक मा के अलीबाबा ग्रुप की सफ़लता का रहस्य

१) जैक कहते हैं जीवन में असफ़ल होना बहुत ज़रूरी है, इससे आपके इरादे और बुलंद हो जाते हैं । आप के ऊपर दुनिया को कुछ कर दिखाने का जुनून सवार हो जाता है।

२ ) अपना लक्ष्य सामने रखिये और उसी दिशा में आगे बढिये। अपने लक्ष्य को पाने के लिए पागल पन की हद तक जाना ज़रूरी है।

३ ) विश्वास अपने पर कीजिए। विश्वास बहुत ज़रूरी है। लोग आप पर भरोसा नहीं करेंगे।

जैक मा की पत्नी 'केथी ज़हाँग' ने भी यही कहा कि, जैक हैंडसम नहीं थे लेकिन मुझे उनकी क़ाबलियत पर गहरा विशवास था। यही कारण था, जैक को जीवन साथी चुनने का।

४ ) दूरदर्शिता बहुत ज़रूरी है, आने वाले समय में क्या कुछ होने की संभावना है। उन्होंने कहा आने वाले समय में अधिकतर लोग ई कॉमर्स का उपयोग करेंगे।

५ ) युवाओं और महिलाओं को काम के अवसर प्रदान कीजिये।

६ ) अपने दिमाग का उपयोग करके असीमित उपलब्धियां प्राप्त की जा सकती हैं '

७ ) धन कमाना एकमात्र उद्देश्य नहीं होना चाहिए, लोक कल्याण भी ध्यान में रख कर चलें।

आज अलीबाबा विश्व भर में जाना पहचाना नाम बन गया है। अलीबाबा ऐप के ज़रिये चीन के उत्पाद विदेशी बाज़ार में ख़रीदे जाते हैं और विश्वभर के उत्पाद चीन में बिकने जाते हैं। उपभोक्ताओं को बेशुमार उत्पादकों में से अपनी पसंद का उत्पाद चुनने के लिए बहुत से विकल्प मिल गए हैं।

लेनदेन पर अलीपे (alipay)ने उपभोक्ताओं का विश्वास जीत लिया है।

जैक मा के पास शायद अब असफलताओं को मुड़कर देखने का समय भी नहीं है।

उज़्ज़वल भविष्य बाहें फैलाये उनके सामने खड़ा है।

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