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एहसास

किशोरावस्था शायद होती ही ऐसी है कि दिल नित नए सपने देखने लगता है ! बचपन से किताबों से दिल लगाने वाली सुमि भी इस नए एहसास से अछूती ना रही ! बाहरवीं के पेपर हो चुके थे और रिजल्ट आने में कुछ दिन बाकी थे ! शाम के वक़्त जब वह अपने दोस्तों से मिलने गयी तो उन्होंने उसका परिचय राजीव से करवाया द्वितीय में पढ़ने वाले हैंडसम राजीव में कुछ तो था जो उसे बाकी लड़कों से जुदा करता था ! उसकी बातें, उसके बालों का स्टाइल, उसके मुस्कुराने का ढंग और ना जाने क्या क्या... उसकी सुमि तो बस उसकी आँखों में ही खो गयी थी !

पढ़ाई - खेलकूद में अव्वल सुमि को अब हर वक़्त शाम होने का इंतजार रहने लगा ! ऊपर से तो सब सामान्य था, पर सुमि के दिल में हलचल मच चुकी थी और यही हाल शायद उसके ग्रुप की बाकी लड़कियों का भी था ! कम्पटीशन अगर बाहर से होता तो दोस्तों की मदद लेती, पर यहां तो खुद बचपन की सखियाँ ही कॉम्पिटिटर बने बैठीं थीं !

हरफनमौला सुमि को जिंदगी में पहली बार अपनी सामान्य शक्ल-सूरत पर दुःख हुआ ! गेहुँए रंग को साफ करने के लिए रोज़ चेहरे की लिपाई होने लगी ! पर वो अपनी गोरी सखियों का क्या करती? वो भी तो अपनी तरफ से राजीव को रिझाने की कोई कसर नहीं छोड़ रहीं थीं ! आजकल नेहा राजीव के कुछ ज्यादा ही करीब रहने लगी थी, सोनिया भी कुछ ज्यादा ही मॉडर्न कपड़े पहनने लगी थी ! सुमन का व्यवहार कुछ ज्यादा ही बेबाक हो गया था ! ग्रुप के तीन लड़कों- आशीष, विक्की और जाकिर - से कुछ भी कहना ही बेकार था ! उनको तो फालतू की खुराफ़तों से ही छुट्टी नहीं मिलती थी !

सुमि को उम्मीद की कोई किरण नज़र ना आ रही थी ! अपने दुःख को कम करने के लिए उसने अपने मन के अल्फाजों को पन्नों पर उकेरना शुरू कर दिया! इसी बीच बाहरवीं का रिजल्ट भी आ गया ! सुमि लड़कियों के कॉलेज में दाखिला लेना चाहती थी पर राजीव और दूसरे दोस्तों के समझाने पर उसने राजीव वाले कॉलेज में ही दाखिला ले लिया !

रैगिंग के समय राजीव ने सुमि को कोई शेर सुनाने को कहा गया, तो वह यकायक बोली -

अंदाज़ अलग हैं,
अल्फाज़ अलग हैं !
क्या बात करूं मैं उनकी..
उनकी तो हर बात अलग है !!

पल भर को उसकी नजरें राजीव से मिलीं और फिर नजरें झुका कर सुमि चुप सी हो गयी ! घबरायी सी सावली सलोनी सुमि हद से ज्यादा प्यारी लग रही थी ! अब कुछ सीनियर सुमि से गाने और डांस की फरमाइश भी करने लगे ! राजीव ने सुमि से उठने का इशारा किया ! इस पर तंज कसते हुए उसका दोस्त बोला -"बहन लगती है क्या तेरी?"

बड़े हक से सुमि का हाथ पकड़ कर राजीव बोला - "बहन होगी तेरी, मेरी तो..... "
इतना सुनते ही सब मुस्कुराने लगे ! अविश्वास से सुमि ने राजीव को देखा ! विश्वास तो राजीव खुद पर भी नहीं कर पर रहा था कि जो बात वो इतने दिनों से महसूस कर रहा था, कितनी सरलता से वो आज जुबां पर आ गयी थी !

सुमि की कलाई पर मजबूत पकड़ और चेहरे पर मंद मुस्कान, राजीव के दिल का हाल बयां कर रही थी !

अंजु गुप्ता