Dastane Ashq - 25 books and stories free download online pdf in Hindi

दास्तान-ए-अश्क - 25

श्याम ढल रही थी!
एक बेजान श्याम..! जो सुब्हा का उजाला लेकर आने का वादा करके जाती है..! मगर किसको सुब्हा की पहली किरन नसिब थी ये कोई नही जानता था..!
जिंदगी अपने रंग बदल रही थी! कहीं कुछ टूटा था..!
बस उस घर में कोहराम मच गया था..!
सडक पर गुजरने वाला एक मस्त मौला मुसाफिर अपनी घुन मे गाये जा रहा था..!
" जो हमने दास्ता अपनी सूनाई..
आप क्यु रोये..!
तबाही तो हमारे दिल पे है छाई
आप क्यु रोये..!
*****
लेकिन उसकी दास्ता कोई सून ने वाला नही था..!
क्योंकि अभी तो बहुत कुछ बाकी था! अगर किसी को इस जहां में सुख नहीं मिलता तो अगले जहां का दरवाजा भी उसके लिए जल्दी नहीं खुलता..!
उस रात भी ऐसा ही हुआ..! वह जैसे ही बेसुध हुई..!ना जाने क्यों नन्ना जोर-जोर से चिल्लाया!
वो बेतहाशा रोए जा रहा था!
सासू मां से संभाले भी नहीं संभालता था! थक कर उसकी सास नन्हे को उसके कमरे में ले आई..!
जब उसे वहां ना देखा तो इधर-उधर देखने लगी!
बाथरूम की लाइट जल रही थी!
यह क्या नन्हा रोने की आवाज भी इस पर असर क्यों नहीं कर रही..?
उसकी सास ने जोर-जोर से दरवाजा खटखटाया ! अंदर से कोई आवाज नहीं आई!
उनका मन किसी आशंका से भर गया!
वो भाग कर उसके जेठ का दरवाजा ठोकने लगी!
जहां पर उनकी बहू और बेटी सो रही थी ! मां के चिल्लाने पर वो भागकर बाहर आते हैं !
जैसे ही उसका जेठ बाथरूम का दरवाजा तोड़ता है उसको सामने बेसुध पड़े पाया! उसके मुंह से झाग निकल रहे थे!
बहु की हालत देखकर सबके हाथ पांव फूल गए
"ये क्या कर दिया इस पागल लड़की ने..? सबको मरवाएगी ये..!
उसके जेठ के मुंह से ऐसी बात सुनकर मम्मी जी गहरी नजरों से उसे देखती है! आज पहली बार मम्मी जी उन्हें डांटते हुए कहा!
"ज्यादा बातें मत करो! इसे उठाओ और डॉक्टर के पास ले चलो !"
"मम्मी कैसी बातें करती हो तूम..? डॉक्टर के पास जाएंगे तो पुलिस केस होगा..! बदनामी होगी सो अलग..!
" तो क्या यही छोड़ दूं इसे मरने के लिए..? कुछ करो..! अगर इसे कुछ हो गया मैं कभी तुम लोगों को माफ नहीं करूंगी..!" काश यही ममता मां ने उसके साथ पहले दिखाई होती!
कैसी विडंबना थी.? आज वह मौत की कगार पर खड़ी थी! पर उसका भाग्य विधाता उसका पति आज भी उसके साथ नहीं था! बाकी परिवार वाले सोच रहे थे कि कहीं इसका जिंदा रहना सबके लिए मुसीबत का कारण न बन जाए..!
शायद सब की इंसानियत मर चुकी थी!
कहते हैं कि भगवान जिस को जीवन दान देना चाहता है उसके लिए कोई ना कोई रास्ता निकाल ही देता है !
पता नहीं कैसे पड़ोस में रहने वाली उसकी मौसी के पेट में अचानक दर्द हुआ..!और वह कोई दवा पूछने अपनी बहन के घर दरवाजा खटखटाती है !
"ये कौन आ गया इस समय मम्मी..?
"अरे वही होगा नालायक इसका पति..! जा कर दरवाजा खोल..!"
मां का आदेश सुन उसकी ननद दरवाजा खोलती है !
सामने मौसी को देख कर ठिठक गई!
"अरे बिटिया रास्ता छोड़..! क्यों खंभे की तरह दरवाजे के आगे खड़ी है..? तेरी मां कहां है..? कोई दर्द की दवा है तो मुझे दे मेरे पेट में बहुत दर्द हो रहा है..!
"नहीं नहीं मौसी घर में कोई दवा नहीं है! मां सो रही है..!"
पर अचानक से मम्मी जी आवाज़ देती है!
" कौन है..? किस से बातें कर रही है..?" "छोरी तू तो कह रही थी तेरी मां सो रही है.?
उसके सामने आंखे तरेरती हुई मांसी अंदर चली आती है!
अपनी बहन को सामने देख मम्मी जी बहुत जोंरो से रोने लगी!
"दीदी ये देखो इस पागल लड़की ने क्या किया..? अपने छोटे-छोटे बच्चों के बारे में कुछ भी कुछ नहीं सोचा..! अरे लड़ाई झगड़ा किस घर में नहीं होता..? मियां बीवी में थोड़ी सी तकरार हुई! और वो रात को घर से चला गया! इस नें पीछे से पता नहीं क्या खा लिया? यह देखो कैसे बेशुद्ध पड़ी है ?
दीदी बतोओ मै अब क्या करू मेरी तो मति मारी गई थी जो छोरे के लिए ईसे ब्याह कर ले आई!
मौसी जी अपना दर्द भूल कर भाग कर अंदर आते हैं! उसकी हालत देख कर वह उसके जेठ से कहते हैं कि चलो इसे किसी डॉक्टर के पास लेकर चले! फिर पता नहीं कुछ सोचकर बोली!
" रूको मैं डॉक्टर को यही बुलाती हूं ..!
ये कहकर वह भाग कर अपने किसी पहचान वाले डॉक्टर को बुलाने चली गई! तब तक घरवाले उसे उठाकर कमरे में ले आए!
वो उसकी ननद को कहती है कि जा बेटी तू बच्चों को दूसरे रूम में ले जा !
अभी ये छोटे हैं ! मासूम है ! उनके मन पर कोई भी असर नहीं होना चाहिए!
मौसी डॉक्टर को लेकर आई !काफी जद्दोजहद के बाद डॉक्टर उसे उल्टियां करवाई..! उसकी जान बचाई!
मौसी की पहेचान की वजह से डॉक्टर कोई भी सवाल नहीं करता!
बात दब गई!
पर उसका जेठ बहुत काईया स्वभाव का था! शायद उसका कुकर्म ही उसे डराने लगा था! उसके होश में आने से पहले ही उसने उसके मायके में संदेश भिजवा दिया! उसकी हालत के बारे में सुनकर उसकी मम्मी और भाई भाग कर आये!
लेकिन जेठ ने उसके होश में आने से पहले ही उनके कान भरे!
एक लंबी नींद के बाद जब वह जागी तो मनोरमा देवी उसके सिरहाने बैठी उसका सिर सहला रही थी!
अपनी मां को देखकर वह फूट फूट कर रोने लगी!
लेकिन मम्मी की आंखों में प्यार कम गुस्सा ज्यादा था!
मम्मी की आंखों को देखकर वो सेहम गई!
"ये क्या पागलपन किया तूने..? जब से पैदा हुई है मुझे दुख देने के अलावा कभी कुछ किया नही तूने..? क्या बिगाडा है हम लोगे ने तेरा..? तुझे अच्छा पढ़ाया लिखाया! अच्छी जगह शादी करवाई! पर तू तो ये भी नहीं सोचती कि तेरा बाप बिस्तर में है ! तेरी ऐसी हरकतो से क्या वो ज्यादा जी पाएंगे ..? एक-एक दिन हम भगवान से प्रार्थना करके निकालते हैं कि बस उनका जीवन बढे! और मेरे सिर पर उनका साया बना रहे!
पर तू तो दुश्मन बनी है अपने बाप की शुरू से ही..? जब से तेरी शादी हुई तब से ही तू ऐसी हरकतें करती है !
क्या ईस दुनिया मैं तू अनोखी लड़की है या पहली लड़की है जिसकी शादी हुई ? बच्चों की मां बन गई लेकिन तुझे अक्ल नहीं आई ! बोल क्या चाहती है ? अपने दो बच्चों को छोड़कर आज तुझे अपना पति पसंद नहीं है..? किसी और जगह जाना चाहती है ? खुद जहर खाने की बजाए अपने मां बाप को जहर दे देती..! बच्चों के लिए मां-बाप क्या नहीं करते..! हमने तेरे लिए क्या क्या नहीं किया..? क्या तेरा अपने बच्चों के लिए कोई फर्ज नहीं है..?"
उसकी मा उसपर बरस रही थी
- क्या कमी है तुझे इस घर में ..? मां जैसी सास..! बड़े भाई समान जेठ..! इतना अच्छा परिवार मिला है तुझे..! इतना अच्छा पति है..! किसी चीज के लिए कोई रोक-टोक नहीं..! फिर क्यों ऐसा कदम उठाया तूने..? सिर्फ एक नौकरी के लिए..? चार पैसे कमाकर तू कहां की रानी बन जाएगी..? अच्छे घर की लड़कियां अपने ससुराल के दायरे में रहती हैं ! ना कि अपनी मनमानी करती हैं ! अगर तो कोई मजबूरी है तो इंसान समझे भी, लेकिन सब कुछ होते हुए भी तू क्यों बाहर धक्के खाना चाहती है..? किस चीज की कमी है तुझे..? अगर कोई चीज चाहिए तो मुझे बता..! मैं सब कुछ भेज देती हूं तेरे पास..! पर मेरी हाथ जोड़कर विनती है अपने पापा की जान की दुश्मन मत बन..!
ना ही इन भले ईन्सानो को तंग कर..!
ये लोग चाहते तो फिर किसी डॉक्टर को ना बुलाते..!और चुपचाप तुझे मरने देते..! तेरे जेठ ने अपनी इज्जत की परवाह ना करते हुए भी तेरी जान बचाई !
बेटी औरत का एक गलत कदम दो खानदानों को बर्बाद कर देता है..!सब तुझे अच्छा भला पता है कि तेरे पापा जी बीमार रहते हैं ! तेरे ससुर जी अभी ही दुनिया से गए हैं..! ऐसे में तुम सब का फर्ज बनता है अपना घर परिवार और अपनी सासू मां को संभालना..! तू क्यों सब बर्बाद करने पर तुली है..? देख मैं तुझे आखरी वार्निंग दे रही हूं अगर फिर से तूने ऐसा कुछ किया तो जिंदगी भर तू मेरा और अपने पापा जी का मुंह नहीं देखेगी..!
क्या मैं सारी उमर तेरे पीछे पीछे युं ही भागती रहूंगी..? तेरे दूसरे भाई बहनों को भी देखना है ! उनकी भी शादी करनी है! तेरा ऐसा गलत कदम क्या तेरे भाई बहनों की शादी होने देगा..?
जरा दिमाग पर जोर देना..!
थक गई हो बोल कर ऐसे उसकी मां का बदन होंफने लगा..!
(क्रमश:)
अब तक की कहानी आपको कैसी लगी बताइएगा क्योंकि आप के प्रति भाव कहानी के बदलाव की नीव है!