Afsar ka Abhinandan - 11 in Hindi Comedy stories by Yashvant Kothari books and stories PDF | अफसर का अभिनन्दन - 11

अफसर का अभिनन्दन - 11

व्यंग्य

सफल और स्वादिष्ट श्रद्धांजली

यशवंत कोठारी

साहित्य के भंडारे चालू आहे.कविता वाले कविता का भंडारा कर रहे हैं,कहानी वाले कहानी के भंडारे में व्यस्त है. नाटक वाले नाटकों के भंडारे कर रहें हैं.सर्वत्र भंडारे है,आपका मन करे वहां जीमे. इस महीने सरकारों ने अपनी थैली के मुहं खोल दिए हैं,माता के दरबार में हाजरी दे या भोले बाबा के राज में भंडारे में आपका स्वागत है.सरकार से नहीं बनती है तो ट्रस्ट ,फाउंडेशन ,समिति,विदेशी संस्थाओं से माल खीचों और भंडारे लगा दो.आप भी खाओ और दूसरों को भी खिलाओ.

लेकिन पिछले दिनों एक अलग किस्म के भंडारे से साबका पड़ा.एक श्रद्धांजलि सभा में जाना हुआ,एक पांच सितारा होटल में थी सभा.मृतक के घर की महिलाएं सीधी ब्यूटी पार्लर से आयीं थी.शानदार तामजाम .सफ़ेद बुर्राक चांदनी बिछी हुयी थी.करुण संगीत बज़ रहा था. घर वाले सब के सब कलफ लगे सफ़ेद कुरते पायजामे में शोभाय मान थे.मिनरल वाटर ,चाय पानी आदि की माकूल व्यवस्था थी.जो लोग जमीन पर बैठने में असमर्थ थे उनके लिए चेयर्स थी .घाव तकिये थे .बाद में पता लगा कि भोजन की भी समुचित व्यवस्था थी .पंखे,कूलर थे.मृतात्मा के लिए शोक सन्देश थे.लोग अपने अपने मोबइल को साइलेंट मोड़ पर रख कर उसमे फेस बुक व्हात्ट्स एप में व्यस्त थे.

किसी बड़े आदमी की शोक सभा थी मंत्रीजी के आने का इंतजार था,लेकिन वे तो नहीं आये उनका शोक सन्देश आया.उसे बहुत शानदार तरीके से गाकर सुनाया गया.सर्व धर्म प्रार्थना हुईं .पंडितजी ने भागवत कथा,गरुड़ पुराण व् संसार की नश्वरता का उपदेश दिया ,पुष्पांजली के साथ साथ दक्षिणा के लिए भी लोगों को आदेश दिया पैसे की नश्वरता वही ख़तम हो गयी.

सुबह के अखबार शोक समाचारों ,बड़े बड़े फोटो से भरे रहते हैं,लोग बाग बीस –तीस साल पहले मरे अपने परिजनों के बड़े बड़े फोटो के विज्ञापन छपवाते हैं क्योकि पैसा अब आया है जब वे मरे थे तो दाग भी चंदे से हुआ था.श्राद्ध पर भी भयंकर खर्चे होने लगे हैं.दान पुन्य के नाम पर दिखावा और स्टैट्स का सवाल.कभी कभी भाईयों में नहीं बनती तो अलग अलग सभाएं -श्राद्ध .दादी की सभा के बाद बहु बच्चों को पिज़्ज़ा खिला ला ती है ताकि बच्चों का मूड ठीक हो,वे पढ़ सके,कल ही तो बेचारे के परीक्षा है और आज ये दादी का क्रिया कर्म ,क्या करती घर में सबसे बड़ी हूँ सब को निभाया.लोगों का क्या है बकते रहते है?संवेदन -शून्य व् संवाद-हीन समाज में यहीं सब चल रहा है.गरीब आम आदमी मरता है तो कोई शोक सभा नहीं बड़ा आदमी मरता है तो कई लोग शोक मानाने के लिए आ जाते हैं अचानक शोक ,दुःख,दर्द व् भावनाओं का दौरा पड़ने लग जाता है.गरीब कवि भिखारी की तरह फुट पाथ पर अनजान की तरह मर जाता है और अमीर कवि कई दिन तक मीडिया में छाया रहता है, सोशल मीडिया अलग से राग अलापना शुरू कर देता है,नए नए फेस बुकि मित्र प्रकट हो जाते हैं.साहित्य के भंडारे शुरू हो जाते हैं.समोसे और बर्फी के साथ सभा स्वादिष्ट व सफल घोषित की जाती है.

कई प्रकाशक कवि के दाह संस्कार व शोक सभा का भी कोपी -राईट खरीद लेते हैं.संस्था वाले और भी तेज़ पड़ते हैं ,वे अपने अपने बेनर तले शोक सभाएं करते हैं ,ये अलग बात है की श्रोताओं की संख्या दहाई तक भी नहीं पहुँचती.कई बार तो शोक सभा एक संस्था की हो ती है तो दूसरी संस्था वाले कहते है पहली वाली सभा सब के लिए हैं .यहाँ भी ओछी राजनीती व बाज़ार का दबाव. भंडारे में सब का योगदान है भाई.लोग बाग एक ही दिन में एक ही कवि की कई कई शोक सभाओं में भाषण पेल देते है.ये वे लोग है जिन्होंने कवि-लेखक को आराम और शांति से जीने नहीं दिया ,अब शांति से मरने भी नहिं दे रहे.उसकी आत्मा की मुक्ति भी नहि होने देना चाहते,जब तक जिन्दा था एक टूल की तरह काम में लेते रहे.मरने के बाद शोक के नाम पर भी अपना फायदा चालू.शोकाभिव्यक्ति में भी भी जातिवाद,क्षेत्रीयवाद व घुटवाद,यदि जाने वाला जनवादी है तो जनवादी जाने प्रगतिवादी है तो वे जाने मुझे क्या की सोच चलती है.

कुछ छोटे प्रकाशक तुरंत शोक संदेशों की किताब छापने की घोषणा कर देते हैं ,जो शामिल होना चाहे वे चेक के साथ सम्पर्क करे.साहित्य का भंडारा चालू.शोक में बाज़ार घुस गया है.बाजारवाद का घोडा बहुत तेज़ दौड़ता है, सबसे आगे मैं ,बाकि सब मेरे पीछे .कई एसी शोक सभायें देखि जिन में लम्बे चौड़े भाषण पेले जाते हैं इन भाषणों में मरने वाले का कम खुद का गुणगान ज्यादा होता है. लोग शमशान तक में शोक सभा कर डालते है. आब तो शव -वाहन का ज़माना है पहले तो कई दिन तक कंधे दुखते थे.एक डॉक्टर की सभा में निशुल्क चिकित्सा शिविर का एसा ढिंढोरा पीटा गया की लगा जैसे अस्पताल ग्राहक तलाशनें यहाँ तक आगया है.वही बाज़ार का कमाल.और अस्पताल जाने के बाद क्या होगा यह तो आप सब जानते ही हैं .शमशान वाया होस्पिटल और फिर सफल और स्वादिष्ट शोक सभा .

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यशवंत कोठारी,८६,लक्ष्मी नगर ,ब्रह्मपुरी बाहर जयपुर -३०२००२ मो-९४१४४६१२०७

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Yashvant Kothari

Yashvant Kothari Matrubharti Verified 4 years ago

nice satire

Sayra Ishak Khan

Sayra Ishak Khan Matrubharti Verified 4 years ago

Sarvesh Saxena

Sarvesh Saxena Matrubharti Verified 4 years ago

Manjula

Manjula 4 years ago