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कमसिन - 1

कमसिन

सीमा असीम सक्सेना

(1)

न तौलना, न मापना, न गिनना कभी

हूँ गर्भगृह में समाया

निशब्द, निश्छल, निस्वार्थ, अडिग

पवित्र प्रेम मैं ! !

होस्टल के कमरे में मनु ने हिलाकर उसे जगाते हुए कहा था, उठो भई, जाना नहीं है क्या ? राशी ने एकदम से चौंक कर घडी की तरफ नजर दौड़ाई ! जब घडी में साफ नजर नहीं आया तो उसने पास में पड़े मोबाईल का बटन किल्क करके देखा !

अरे बहन ! अभी तो तीन ही बजे हैं, इतनी जल्दी क्यों जगा रही हो ?

उफ़ ये मनु ! इसे भी पल भर का चैन नहीं है ! न खुद सोती है न ही मुझे सोने देती है ! राशी ने करवट बदल कर आँखें बंद करते हुए कहा, अभी थोड़ी देर और सोने दो न ! ट्रेन तो पांच बजे की है ! उठ जाउंगी !

तो नहाना धोना नहीं है क्या ?

नहीं नहाउंगी !

हुंह ! नहीं नहाउंगी ! इतनी गर्मी है और फिर चाय शाय पीकर निकलना है ! स्टेशन पहुँचते पहुँचते देखना तुझे पूरे पांच बज जाएँगे !

ओफ्फोह कितने तर्क देती है आखिर मानना ही पड़ता है !

कुछ साल ही बड़ी है उससे, पर व्यवहार बिलकुल माँ जैसा ! वैसे अगर यहाँ होस्टल में यह न होती तो उसका जीवन बड़ा अस्त व्यस्त होता !

अंततः राशि उठ गयी ! आँखे कड़वी कड़वी सी लग रही थी ! अभी दो घंटे पहले ही तो सोई थी ! सामान पैक किया, फिर पढने बैठ गयी ! कब एक बज गया पता ही नहीं चला ! वैसे भी देर रात तक पढने की आदत है उसकी, लेकिन सुबह जाना था तो एक बजे सो गयी थी !

राशी कमरे से बाहर निकल आई ! तब तक मनु बाथरूम में नहाने चली गयी थी !

राशी का मन हुआ कि कमरे में जाकर कुछ देर सो जाये लेकिन ये मनु बाथरूम से बाहर निकल कर फिर से आवाज लगाने लगेगी ! राशी वहीँ पड़ी कुर्सी पर आँखें बंद करके बैठ गयी !

मनु नहा कर आ गयी और कमरे में एक तरफ को रखी एक चूल्हे वाली गैस पर चाय बनाने लगी !

लो भई राशी, तू चाय पी, फिर तेरी आँखें खुल जाएँगी और तू तैयार भी हो जाएगी !

ओह ! कितनी प्यारी हैं ये ! उसका जी चाहाँ कि गले से लगाकर चूम लूँ ! पर वो तो कमरे में भगवान की मूर्ति के सामने खड़े होकर, दिया जलाकर, मन ही मन कुछ प्रार्थना कर रही है !

राशी के मन में मनु के लिए श्रध्दा और गहरा प्यार उमड़ आया !

चाय पीकर राशी फ्रेश होने चली गयी !

मनु उसे स्टेशन तक छोड़ने आई थी ! और उसका बैग खुद मनु ने ही उठा रखा था!

अरे दी, बेग ट्राली वाला है ! लाइए मुझे दीजिये मैं ले चलती हूँ !

तू रहने दे, वहां जाकर तुझे ही उठाना होगा !

कितना ख्याल रखती हैं, कुछ कहना ही नहीं पड़ता, बिन कहे ही मन की हर बात समझ लेती हैं ! उसे कभी अहसास ही नहीं होने दिया कि वह घर से और परिवार से दूर है !

एसी चेयर कार के उस कोच में बिठाते हुए मनु ने कहा था कि तुम आराम से जाओ और जी भर के ये दिन जीना, किसी भी बात की फ़िक्र मत करना ! अगर कोई भी परेशानी हो तो मुझे फ़ौरन फोन करना !

हाँ हाँ दादी माँ ! आप चिता न करो ! आपको ही परेशान करुँगी ! इतनी जल्दी या आसानी से पीछा छोड़ने वाली नहीं हूँ मैं !

दोनों खिलखिला के हँस पड़ी ! तभी फोन की घंटी घनघना उठी थी ! रवि का नंबर था ! ओह ये रवि भी न !

उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी थी !

हाँ, मैं ट्रेन पर बैठ गयी हूँ ! उसने फोन पर उसके जवाब का इंतज़ार किये बिना ही फोन कट कर दिया, क्योंकि इस बीच एक मोटी सी आंटी ट्रेन के भीतर हांफती हुई आ गयी और उनके साथ में शायद उनकी करीब २५ साल की बेटी थी जो मोटापे में उनसे भी ज्यादा थी !

मेरी सीट कौन सी है, बेटा जरा देखकर बता दो !

राशि ने उनकी बेटी की तरफ देखते हुए कुछ कहना चाहा लेकिन चुप रही और उनके टिकट पर सीट नंबर देखने लगी !

यह सीट आपकी हैं ! उसने अपने पास वाली दोनों सीटों की तरफ इशारा करते हुए कहा !

ट्रेन बस चलने ही वाली थी ! मनु ने राशि की तरफ देखकर मुस्कुराया और बोली, अब तुम रास्ते भर मज़े में जाओगी, देखना सफ़र का पता ही नहीं चलेगा ! राशी भी उसके व्यंग्य पर मुस्कुरा दी थी !

बेटा तुम्हारी बोतल में पानी है ? आंटी ने उससे पूछा !

हाँ है, ले लीजिये ! उसने बोतल उन्हें पकड़ा दी !

ट्रेन ने पहली व्हिशील दे दी थी ! मनु नीचे उतरते हुए कहने लगी ख्याल रखना और ठीक से रहना, साथ ही उसकी आँखों में स्नेह मिश्रित आंसूं छलक आये थे ! कितना गहरा लगाव है उनको राशि से, आज उसे महसूस हो रहा था !

ट्रेन हलके हलके सरकने लगी थी, मनु ने हाथ हिलाकर बाय कहा ! वह ट्रेन के साथ साथ ही चलती चली आ रही थी ! राशी ने खिड़की पर पड़े परदे को अपने हाथों से हटा कर एक तरफ कर रखा था और लगातार मनु की तरफ ही देखती जा रही थी ! रफ़्तार पकडती ट्रेन ने मनु को उसकी नज़रों से ओझल कर दिया था फिर भी वह अभी तक परदे को एक हाथ से पकडे हुए थी !

जब बराबर की सीट पर बैठे सहयात्री उसकी ओर देखकर मुस्कुराने लगे तो उसने परदे से अपना हाथ हटा लिया ! राशी ने परदे को सही किया और पीठ को सीट से टिका कर आँखे बंद कर ली!

थोड़ी देर मनु के बारे में ही सोचती रही फिर अपनी आँखें बंद करके सोने की कोशिश करने लगी ! मन में ख़ुशी के लड्डू फूट रहे थे कितना इंतज़ार किया था इस दिन का !

पहले महीना, हफ्ता, दिन, घंटे फिर पलों में ढाला था इस इंतजार को तब जाकर यह दिन आया था !

लेकिन अभी भी पूरे २४ घंटे हैं यानि १४४० मिनट, तब कहीं उनसे मुलाकात हो सकेगी ! हे ईश्वर ये समय बस जल्दी से निकल जाए !

निकल जायेगा, परेशान मत हो, उसने मन को समझाया ! वैसे मन को समझाने के अलावा और कर भी क्या सकती है ! कहते हैं की इंतजार के पल बहुत लम्बे होते हैं और उससे बेहतर कौन जान सकता है इस बात को !

उसकी आँखें बंद थी और पीठ भी आराम से सीट पर टिकी हुई थी, इसके बावजूद आँखों में नींद का नामोनिशान तक नहीं था ! सामने की सीट पर आंटी जी और उनकी बेटी आराम से खर्राटों वाली नींद ले रही थी ! कूपे में बैठे अन्य यात्री भी ऊँघने लगे थे ! सुबह के पांच बज रहे थे और इस समय नींद भी बड़ी मस्त आती है ! परन्तु राशि के दिमाग में विचार अपनी पूरी रफतार से घमासान मचाये हुए थे ! जिसकी वजह से नींद क्या आती, झपकी तक नहीं आ रही थी !

दुनियां जहाँ की बातें सोचते हुए न जाने कब उसकी आँख लग गयी और जब आंटी जी की आवाज कानों में पड़ी तो वह चौंक कर जग गयी! वो तेज आवाज में अपनी बेटी से पूछ रही थी कि नाश्ते में क्या लेना है ! उसने अधखुली आँखों से देखा कि केटरिंग वाला लोगों से आर्डर ले रहा था ! हालाँकि उसका कुछ भी खाने का मन तो नहीं था फिर भी एक स्लाय्स ब्रेड, बटर, जैम के साथ और एक कप काफ़ी का आर्डर कर दिया यह सोचकर कि लंच से पहले तक तो उसका घर पहुचना संभव नहीं है ! उसने दुवारा से अपनी आँखें बंद करके पीठ पीछे सीट से टिका ली ! बराबर में बैठी आंटी लगातार तेज़ आवाज में अपनी बेटी से बात कर रही थी जबकि उसका मन कर रहा था कि कोई कुछ न बोले, बस शांति रहे क्योंकि कभी कभार मन करता है कि केवल अपने मन के साथ रहो, उसकी सुनों और जो वो चाहें वही करो !

ट्रेन सही समय पर स्टेशन पर लग गयी थी ! वह अपना बैग लेकर उतर गयी ! स्टेशन से बाहर आकर उसने ऑटो करने के लिए एक ऑटो वाले से बात की लेकिन इससे पहले ही मोबाइल की मधुर धुन बज उठी ! देखा रवि का फ़ोन था !

उसने फोन रिसीव करते हुए कहा, कैसे हैं आप ?

बिलकुल ठीक और आप ?

मैं भी एकदम ठीक !

अच्छा एक बात सुनो, कहाँ पर हो आप?

मैं महानगर पहुँच गयी !

ओके! स्वागत है आपका हमारे शहर में ! अब कहाँ जा रही हो ?

मैं अपनी चाची जी के घर जा रही हूँ !

कहाँ पर रहती हैं वे ?

साऊथ माडल टाउन में !

अरे, तब तो सुबह मेरे साथ चलने में आपको बहुत दिक्कत हो जाएगी !

क्यों ?

आपको पिक करने में ! सुबह जल्दी निकलना है न और वहां से काफी दूर पड जायेगा ! यहाँ मेरे पास आते आते ही पूरा दो घंटा निकल जायेगा ! रुको एक काम करो ! मैं आपको लेने आ रहा हूँ ! मेरे घर पर ही रुक जाना !

चलिए ऐसा करती हूँ, मैं अपनी बुआ के घर आ जाती हूँ, वे भी वही पर रहती हैं ! आप परेशान न हो मैंने ऑटो ले लिया है मैं आ जाउंगी !

हां चलो ये ठीक रहेगा ! अब सुबह मिलते हैं !

ओके ! बाय ! !

***