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कमसिन - 3

कमसिन

सीमा असीम सक्सेना

(3)

वो सड़क तक ही पहुची थी कि फिर से रवि का फोन आ गया !

घर से निकल कर सड़क तक आ गयी हूँ !

ठीक है आप वहीँ पर रुको ! मैं आ रहा हूँ !

5 मिनिट हो गए थे पर अभी तक नहीं आये ! शान्तम के दोस्त भी आ गये थे और उससे जल्दी चलने को कह रहे थे !

मासी आपकी बस कहाँ है ? मैं जा रहा हूँ, आप यहाँ पर ही खड़ी रहिये, ठीक है न !

अकेले ? क्यूंकि राशि अकेले खड़े रहने के भी मूड में नहीं थी ! थोड़ी देर और खड़े रहो न, फिर चले जाना ! बेटा, बस आने ही वाली है उसने शान्तम को प्यार से कहा !

अकेले खड़े होने से अच्छा है कि कोई बच्चा ही साथ में हो तो बड़ा सहारा बन जाता है ! हालाँकि ऐसा भी नहीं था वो अकेले खड़ी नहीं हो सकती ! परन्तु उसका मन था कि जब रवि आये तो शान्तम साथ में हो !

ये सब बातें सोच ही रही थी कि फोन की घंटी फिर बज उठी ! उसने जल्दी से फोन उठाया, रवि का ही था ! हाँ मैं यहाँ पर खड़ी होकर आपका ही इंतजार कर रही हूँ कहाँ हैं आप ? कितनी देर में आ रहे हैं ?

मैं बस उसी रोड पर हूँ ! आप किस तरफ हैं ?

एक मिनिट रुकिए मैं आपकी अभी बात करा रही हूँ ! उसने शान्तम के दोस्त को फोन पकड़ा दिया ! लो बेटा, जरा तुम इस जगह की सही लोकेशन बता दो !

वो वही का रहने वाला था अतः उसे कोई परेशानी नहीं हुई ! उसने सब कुछ समझाते हुए कहा, अंकल जरा जल्दी आ जाये हम लोगों को खेलने के लिए जाना है न !

राशी के चेहरे पर मुस्कान खेल गयी ये बच्चे भी न कितने मासूम होते हैं !

मासी अंकल आपको कार से बस तक ले जाने के लिए आ रहे ! शान्तम ने उसे बताया !

अच्छा ठीक है बेटा !

अब वे लोग हर गाड़ी को बड़े ध्यान से देख रहे थे जैसे ही कोई गाड़ी सफ़ेद रंग की दिखती बोलते, देखो शायद यही है ! उनको रवि ने कार का रंग बता दिया होगा, तभी वे आने जाने वाली हर सफ़ेद रंग की कार को बड़े ध्यान से देख रहे थे !

ओफ्फोह ! कितनी देर हो गयी, अभी तक नहीं आये !

क्या सोच रही हैं मासी ? शान्तम ने उसे हिलाते हुए कहा ! देखो सामने अंकल की कार खड़ी है !

अरे रवि आ गये और वो सोचती ही रह गयी ! वाकई बहुत सोचती है ! आ गये ! कितने दिनों का इंतजार आज ख़त्म हो गया ! आँखें भर आई उनको यूँ सामने देख कर !

चलिए भाई वे उधर ही बुला रहे हैं ! राशी फिर एक बार अपनी ध्यान मग्न मुद्रा से चौंक गयी ! शान्तम के दोस्त ऋतिक ने बैग उठा लिया और रोड क्रास करके दूसरी तरफ खडी कार में रख दिया ! ड्राइविंग सीट पर बैठे रवि को देख कर उसकी आँखें सच में छलक पड़ी ! ब्लू कलर की पूरी बाँहों की शर्ट और काली पेंट ! एकदम से शांत भाव से बैठे हुए !

राशी ने उन्हें मुस्कुरा के नमस्ते की !

नमस्ते यार, अब जल्दी से बैठ जाओ नहीं तो ट्रैफिक जाम हो जायेगा !

वो कार का आगे वाला गेट खोलकर उनके साथ वाली सीट पर बैठ गयी !

रवि जी, मैं आपके साथ ? मुझे बिलकुल भी विश्वास नहीं हो रहा है !

अच्छा क्या लग रहा है, सपने में हो ? चलो एक चिकोटी काटो !

और उन्होंने दाईं बांह पर अपनी दो उँगलियों के सहारे चिकोटी काट ली !

ओह्ह ! ! उसके मुँह से एक आवाज निकली ! यह क्या कर रहे हैं कोई इतनी जोर से चिकोटी काटी जाती है !

नहीं तो तुम्हें सपनों से हकीकत की दुनियां में लाने की कोशिश कर रहा हूँ !

वह जोर से खिलखिला कर हँस दी ! तभी उसकी नज़र साईंड शीशे पर पड़ी, अरे वो इतनी ज्यादा खूबसूरत लग रही है ! ये पिंक कलर का सूट उस पर कितना सुंदर लग रहा है, ऊपर से ये ख़ुशी, वाकई उसके चेहरे की सुन्दरता को दुगुना कर दिया है, देखो तो कैसे अचानक इतना निखार आ गया है ! ख़ुशी से लबरेज होती हुई, उसकी ख़ुशी का तो आज कोई ठिकाना ही नहीं है !

आज वो अपने प्यार के साथ अपनी मनपसंद सुंदर जगह पर जा रही है ! इंतजार के पल ख़त्म हो गए थे और सपना हकीकत में बदलने जा रहा था ! आज वो स्वयं को इस धरती की सबसे सौभाग्यशाली लड़की समझ रही थी !

इतना खुशनसीब कोई कोई ही होता है ! जिसे अपना प्यार हकीकत में मिल जाये ! उसे आज एक बात समझ में आ गयी थी कि अगर प्यार सच्चा हो तो मिल ही जाता है ! कोई कितने ही व्यवधान क्यों न डाले परन्तु वो अपने अभीष्ट को पा ही लेता है ! राशी ने एकदम सच्चा प्यार ही तो किया था दिल की गहराइयों में उतर कर ! अपनी रूह में बसा लिया था ! न जाने ऐसी कौन सी बात या उनकी अच्छाई मन को भा गयी कि वो पूरी तरह से उनकी ही हो गयी है ! अब जबसे उनका अक्स अपने ज़ेहन में बसाया है तबसे कोई और नजर ही नहीं आता, जिधर भी देखो हर चेहरे में उनका ही अक्स महसूस होता है ! क्या वो बावरी या दीवानी हो गयी है ? वो अक्सर ये सोचती !

जब कभी वो उनसे फोन पर बात करती, तो वे कहते कि तू तो पक्की मूर्ख है ! इस दुनियां में तेरे जैसा कोई भी नहीं हो सकता, कोई भी नहीं ! आज के समय में भला कोई सच्चा प्रेम करता है ? सब दिखाबा करते हैं ! किसी के पास इतना समय ही नहीं कि कोई प्यार के चक्कर में पड़े ! और अपना कीमती समय को बर्बाद करे ! सच में वो सही ही तो कहते हैं आज जब किसी के पास कोई काम नहीं होता तो वो इस प्रेम प्यार के चक्कर में पड़ता है और सच्चा प्रेम करके दिन रात रोता है ! झूठ मूठ और दिखावे के लिऐ तो सभी प्रेम करते हैं, पाने की चाह और स्वार्थ पर जैसे ही स्वार्थ की पूर्ति हुई वो सबकुछ भूल जाता है मानो कभी उन लोगों के बीच कभी कुछ था ही नहीं !

सही ही तो आज की दौड़ती भागती जिंदगी में किसी के भी पास समय भला कहाँ है!

क्या सोचने लगी ? यार तू सोचती बहुत है ! अब इस सोच से बाहर निकल के आओ !

ठीक है अब कुछ नहीं सोचूंगी ! कहकर उसने अपनी नजरें सड़क पर गडा दी ! लम्बी चौड़ी सड़क उस पर तेज स्पीड में दौड़ती कार ! जिसमे वो अपने प्रिय रवि के साथ !

राशी ने हाथ जोडकर उस रब को थैंक्स कहा जिसने उसकी प्रार्थना सुन ली थी ! अगर हम सच्चे दिल से कुछ चाहें तो वो चाह अवश्य पूरी होती है ! बशर्ते उसमे सच जरुर हो ! और समर्पण भाव भी !

आपको पता है कल बुआ जी के यहाँ पर कितनी परेशानी हुई ! मुझे वो जगह भी पसंद नहीं है इसीलिये कभी आती नहीं हूँ !

आप फिर वही बातें करने लगे ! ये महिलाओं की तरह बात करना छोडो ! एक दिन परेशानी उठा ली तो क्या हुआ ? आप समय से तो आ गयी वरना कितनी परेशानी होती, देर हो जाती वो अलग ! आंटी के घर से यहाँ तक आने में ही कितनी देर लग जाती ! आप अभी तक आ भी नहीं पाई होती !

हाँ यह तो है ! चलिए कोई बात नहीं !

बस कहाँ मिलेगी ?

राशी सुन, बस में बहुत परेशानी होगी, हम कार से चलेंगे ! पता है किसी के साथ लॉन्ग ड्राइविंग पर जाना कितनी बड़ी बात होती है ! यह किस्मत वालों को ही नसीब होती है और फिर अपने प्रिय के साथ जाना तो और भी खुशकिस्मती, हैं न !

सच कहा आपने, किस्मत के खेल निराले हैं ! कब किसकी किस्मत पलटा मार जाये, कहा नहीं जा सकता ! यह किस्मत ही तो होती है जो एक रंक को राजा या राजा को रंक बना देती है ! मेहनत अपनी जगह और किस्मत अपनी जगह ! आज वो खुद को बहुत खुशनसीब समझ रही थी ! लेकिन ये रवि क्या वे भी यही सोचते हैं उसके बारे मे जैसा वो सोचती है ! उसे तो कुछ नहीं पता ! वह तो निरी मूर्ख है जो खुद को खुश किस्मत समझ रही है ! रवि भी सोचते ही होंगे क्योंकि कहते हैं न जैसा हम किसी के लिए सोचते हैं बिलकुल वैसा ही वो भी मेरे लिए सोचता है ! कार अब शहर के बीचोबीच से निकल कर हाईवे पर आ गयी थी !

अच्छा राशी, यह तो बता, तू कितनी स्पीड तक पर कार में बैठी है ! उसे याद ही नहीं आया, कभी ध्यान जो नहीं दिया था ! वो आराम से बैठ कर मजे लेती थी ! उसने कुछ हिचकिचाते हुए कह दिया ८० या 100 !

अरे बस ! आपको पता है मैंने कार को १६० की स्पीड तक दौड़ाया है !

आपको कभी डर नहीं लगा !

डर कैसा यार ? उन्होंने उसके पैर पर हाथ रखते हुए कहा !

वो एकदम से चौंक गयी ! अचानक से उनका यूँ छू जाना कुछ अजीब सा भी लगा और उसके मन को रोमांचित भी कर गया !

क्या हुआ ? चौंक क्यों गयी ?

उसने देखा रवि के चेहरे पर मासूमियत झलक रही थी !

बस यूँ ही ! वो मुस्कुरा भर दी !

उसने बाहर की तरफ देखना शुरू कर दिया ! बहुत तेज धूप खिली हुई थी, लगभग ४२/डिग्री तापमान तो निश्चित ही होगा, हालाँकि कार में ऐ सी चल रहा था इसलिये गर्मी का कोई एहसास ही नहीं !

जिन्दगी एक सफ़र है सुहाना यहाँ कल क्या हो किसने जाना ! !

fm पर बजता ये गाना उसे सोचने पर मजबूर करने लगा ! वाकई जिन्दगी एक सफ़र ही तो है जो निरंतर चलता ही रहता है बिना रुके, बिना थके ! न जाने कितने लोगों से साबका पड़ता है ! इस सफर में सहयात्री भी मिल जाते हैं ! जो कुछ दूर तक साथ भी निभाते हैं ! लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो ताउम्र साथ रहते हैं बिलकुल परछाई बनकर ! कुछ ऐसे भी होते हैं, जो जब तक साथ होते हैं पूरे मन से जुड़े रहते हैं और दूर जाकर भी हरदम साथ ही रहते हैं ! और क्या चाहिए जिन्दगी को जिन्दगी से ! पल दो पल की जिन्दगी है जो पल ख़ुशी से बीत जाये वही जिन्दगी है, न जाने कब जिन्दगी की शाम ढल जाये क्या पता ?

मैं fm बंद करता हूँ, अब तुम सुनाओ कोई गाना ! नहीं तो यूँ ही बैठी सोचती रहोगी !

मैं ?

हाँ भई, मैं आपसे ही कह रहा हूँ और यहाँ कोई और तो है नहीं !

क्या सुनाऊँ ? कुछ समझ नहीं आ रहा है ? मन में झिझक सी भी हो रही थी, जो मुखर नहीं होने दे रही थी !

फिर भी उसने एक पुरानी फिल्म साजन का गाना,,, बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम, कसम चाहें ले लो खुदा की कसम ! ! गा कर सुना दिया ! अब इसके बाद तो उन्होंने पुराने गाने सुनाने की लाइन लगा दी, एक ख़त्म होता तो दूसरा शुरू !

बहुत ही सुरीला मोहक व अंदाज ! जिन्दगी का यह बेहद खुबसूरत अहसास, जिसे सिर्फ महसूस ही किया जा सकता था ! उसे बयां करना वाकई बेहद मुश्किल काम है !

राशी ने मुस्कुरा कर उनकी तरफ देखा, वो अपने चिरपरिचित अंदाज में कार चलने में मशगूल थे और कार की स्पीड १३० !

हाइवे पर दौड़ती गाड़ी ! बीच बीच में वे ओवर टेक भी कर रहे थे कि अचानक से आगे चलने वाली कार ने ब्रेक मार दिया, न जाने क्या हुआ पल भर में ! कार के न जाने किस तरह ब्रेक लगाये, सब कुछ कैसे रवि ने संभाला, उसे कुछ समझ ही न आया ! पक्का एक्सीडेंट था आज, बस बाल बाल बचे थे ! हालाँकि सब ठीक था पर दिल की धडकने बेतहाशा बढ़ गयी थी ! कहते हैं न अंत भला तो सब भला !

देखो बच गए न, हम दोनों !

साहिब मुझे मरने से डर नहीं लगता ! राशी ने मुस्कुराते हुए डायलाग मारा !

वे भी मुस्कुरा भर दिए !

रस्ते पीछे छूटते जा रहे थे और वे आगे निकलते जा रहे थे ! रस्ते गवाह बनते जा रहे थे उनके साथ के, उनके प्यार के !

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