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कमसिन - 4

कमसिन

सीमा असीम सक्सेना

(4)

कुछ खाना है ? रवि ने पूछा !

नहीं, अभी मेरा मन नहीं कर रहा !

चलो नाश्ता कर ले ! काफी समय हो गया है !

कहीं रुकेंगे ?

नहीं कार में ही खा लेंगे ! देखो पीछे सीट पर एक बैग रखा है ! उसे उठा !

राशी ने पीछे सीट से बैग उठा कर उसे खोला ! उसमे एक टिफिन में आलू पूरी थे और एक में कटे हुए फ्रूट्स थे ! उसी बेग में कागज की प्लेट्स और चम्मच रखे थे ! उसने प्लेट में सब्जी पूरी निकाली तभी रवि ने अपना हाथ आगे फैला दिया उसे कुछ समझ ही नहीं आया, फिर न जाने क्या सोचकर एक निवाला उनके हाथ पर रख दिया ! उन्होंने उसे अपने मुँह में डाल लिया ! उसे बड़ा अच्छा महसूस हुआ, अलग सा एहसास, मन सकूँ से भर गया हो जैसे ! वो बार बार इसी तरह अपना हाथ फैला देते और वो एक निवाला रख देती वे उसे अपने मुँह में रख लेते ! नाश्ता फिनिश हो गया ! रवि ने साईड में रखी पानी की बोतल निकाली ! खुद पानी पीकर बोतल उसकी तरफ बढा दी !

कार लगातार अपनी स्पीड में चलती रही, उसे न तो रोकना पड़ा और न ही रफ़्तार कम करनी पड़ी ! और नाश्ता भी आराम से हो गया ! मन में बेहद ख़ुशी और उमंग का अहसास हो रहा था ! दिल कुछ ज्यादा ही तेजी से धडक रहा था !

अचानक से रवि अपनी ही धुन में गुनगुना उठे ! प्यार हुआ इकरार हुआ है प्यार से फिर क्यों डरता है दिल ! कहता है दिल रास्ता मुश्किल मालूम नहीं है कहाँ मंजिल ! वो भी उनके साथ में गुनगुनाने लगी !

सफ़र को लगभग 3 घंटे हो गए थे ! करीब २२० km का रास्ता पार हो चूका था ! आगे अभी इतना ही सफ़र और तय करना था ! मन के अंदर से फूटती ख़ुशी उसके चेहरे पर निखार ले आई थी ! बाहर का मौसम सुहावना होने लगा था ! कार के अंदर fm और ac दोनों ही on थे ! बहुत दिनों के बाद मन को करार हुआ था और दिल सकूँ व् तसल्ली से भरा हुआ था ! ऐसे में जगह कोई भी हो अच्छा ही महसूस होता है ! वैसे कहते भी हैं न कि मन चंगा तो कठौती में गंगा ! जब हमारा मन सकूँ से भरा होता है तो न उसे कहीं भटकने की जरूरत होती है और न ही फिर कोई जगह मायने रखती है क्योंकि उस वक्त हर जगह खुशगवार महसूस होती है !

जंगल में भी मंगल नजर आने लगता है ! हर इन्सान को वो हर जगह सुंदर लगती है जहाँ उसका प्यारा हमसफर साथ में हो क्योंकि स्वर्ग से भी ज्यादा सुहावनी वो जगह होती है जहाँ अपने प्रिय का साथ हो ! उसका मन चाह रहा था कि ये सफर कभी ख़त्म ही न हो यूँ ही चलता रहे ! ये जिन्दगी एक सफ़र ही तो है और प्यार भरे सफ़र में ही कट जाए तो अच्छा है ! लेकिन जब अपना प्यारा हमसफर साथ होता है तो कब अपना सफ़र ख़त्म हो जाता है और पता ही नहीं चलता है !

काफी लम्बा सफ़र कार से तय हो चुका था बस मंजिल करीब ही थी ! हल्का हल्का बारिश का मौसम होने लगा था ! पहाड़ी रास्ता आ गया था और बार बार घुमावदार मोड़ आ रहे थे बहुत ही ध्यान से ड्राइव करना पड रहा था ! सधे हाथों से कार चलाते हुए, कभी वो मुस्कुरा देते, कभी गुनगुनाने लगते !

रास्ते में एक मोड़ के पास भुट्टे और चाय की दुकान थी ! जो पहाड़ी रास्ते पर एक छोटा सा खोखा जैसा बना कर बनी हुई थी ! रवि वही साईड में गाड़ी लगाकर चाय के लिऐ कहने चले गए ! राशि कार में ही बैठी रही !

रवि चाय वाले से दो कप चाय का आर्डर करके आये और उससे बोले कि आप खाना खाओगी ?

नहीं, मेरा मन नहीं है !

ठीक है, आप चाय लेकर आओ ! मैं खाना खा लेता हूँ !

वो चाय लेने चली गयी और वे आलू और पूरी खाने लगे ! राशी चाय ले आई उसने एक कप स्वयं ले ली और एक कप रवि को दे दी ! चाय पीने के साथ ही साथ वो बाहर के नज़ारे भी देखती जा रही थी ! वे हरे भरे पहाड़ बहुत खुबसूरत लग रहे थे ! वहां पर और भी काफी लोग चाय भुट्टे खा रहे थे, एकदम पिकनिक स्पॉट जैसा माहौल लग रहा था ! वहीँ चाय की दुकान के पास एक पहाड़ी कुत्ता बहुत बड़ा और डरावना सा लग रहा था परन्तु वो यात्रियों के पास घूमता हुआ, किसी को कोई नुकसान आदि नहीं पंहुचा रहा था ! वो भी बच्चों के समान उसे देखने लगी !

अरे भाई, अब चलोगी भी या यहाँ पर ही रहोगी ? बहुत देर या रात हो जाएगी !

वो चुपचाप आकर बैठ गयी और उसने रवि की तरफ देखा वे अब पहले से भी ज्यादा मुस्कुरा रहे थे ! वे मन ही मन न जाने क्या सोच रहे थे ! उसे अपने मन में कुछ संकोच सा हो आया !

अभी हम जिनके घर जा रहे हैं न ! वहां पर मैंने बताया था कि तुमको कार चलानी आती है ! आती है न ?

वो चुप ही रही !

आपने तो मुझसे कहा था कि लॉन्ग ड्राइव पर ले जाओगी ! जब चलानी ही नहीं आती तो भला कैसे ले जाती ?

हाँ मुझे नहीं आती लेकिन जब आप आओगे तब तक मैं सीख लूँगी और तब आपको जरुर ले चलूंगी !

मेरे ऊपर इम्प्रेशन ज़माने के लिए यह सब बोला ! हैं न ?

अब राशि उनको कैसे समझाए कि ये इम्प्रेशन के लिए नहीं ! वाकई उसकी दिली इच्छा है और बिलकुल सच है कि वो उनको अपने साथ लॉन्ग ड्राइव पर ले जाना चाहती थी ! तो इसमें उसकी क्या गलती है ! यह उसका प्यार ही है और कहते हैं कि प्यार और युद्ध में सब जायज है !

ओह्ह उसके एक झूठ से किसी को कितनी तकलीफ होगी उसने क्यों नहीं सोचा ! कितना बुरा महसूस हो रहा होगा ! वो अब समझ रही थी लेकिन बोली हुई बात वापस नहीं आ सकती !

छोटी छोटी बातों से किसी का भरोसा टूटता है ! और जब विश्वास टूटता है तो कितना दर्द या तकलीफ होती है ! उसे लग रहा था कि उसने गलत किया झूठ बोलकर ! अगर झूठ बोलते हैं तो एक झूठ को सच बनाने के लिए कितने झूठ बोलने पड़ते हैं ! उसे बहुत ग्लानि हो रही थी कि उसके एक झूठ ने सारे सच को झूठ बना दिया था ! दिल बड़ा भारी भारी सा हो रहा था जी चाह रहा था की वो रो दे लेकिन रो भी नहीं पा रही थी !

उसने अपना ध्यान बाहर की तरफ लगा दिया ! चढते उतरते पहाड़ी रास्तों पर चलते हुए उसके मन में अनेकों भाव आ जा रहे थे ! बाहर से बहुत ठंडी हवाएं आ रही थी ! पहाड़ियों से टकराकर आती हुई वे हवाएं बड़ी शीतल थी, जो मन में शीतलता के साथ ख़ुशी का अहसास भी करा रही थी !

मात्र 100 km का सफ़र और बाकी रह गया था ! अब रवि कम बात कर रहे थे ! राशि के मन में ग्लानि का भाव था, उसे लग रह था कि उसने झूठ क्यों बोला लेकिन अब तो कुछ भी नहीं किया जा सकता था !

रवि समझदार है और माहौल को हल्का फुल्का बनाने के लिए बात शुरू कर दी ! कितनी अच्छी जगह है अगर यहाँ पर जगह मिल जाए तो एक सुंदर सा घर बनाऊंगा ! चारो तरफ हरियाली और पहाड़ियों से घिरा हुआ और सुबह उठते हुए ही बर्फ को हाथों से हटाकर सूरज को पहाड़ियों के पीछे से निकलते देखूंगा ! एक छोटा सा हवाई जहाज खरीदूंगा, जो हमारे घर की छत पर उतरेगा ! किसी भी चीज की जरूरत होगी तो कागज पर सारे सामान की लिस्ट बनाकर उसे रिमोट से सेट करके भेज दूंगा और रिमोट अपने हाथ में रखूँगा उससे उसे कंट्रोल करता रहूँगा ! साथ में एक प्यारा सा चेहरा जो हमसफर बनकर हरदम साथ में रहेगा ! यह सब बातें करते हुए वे कितने खुश नजर आ रहे थे इसका अंदाजा उनके चेहरे को देखकर ही लगाया जा सकता था कि वे कितनी ख़ुशी का अनुभव कर रहे हैं ! जब सोचकर ही उन्हें इतनी ख़ुशी हो रही है वो अंदाजा लगाना मुश्किल है और जब असलियत में बनने के बाद तो शायद ये ख़ुशी से पागल ही हो जायेंगे !

राशी के दिल में उनके लिए अथाह प्यार उभर आया ! वो तो प्यार करती है और उनके लिए कुछ भी कर सकती है !

ओय क्या देख रही है ?

राशी को अपनी तरफ टकटकी लगाकर देखते हुए पाया तो उसे टोकते हुए कहा !

वह झेंप गयी और अपनी झेंप मिटाने के लिए बाहर की तरफ देखने लगी !

कठिन पहाड़ी मोड़ों पर कार चलाते हुए वे खतरनाक मोड़ भी बड़ी आसानी और होशियारी से पार कर ले रहे थे ! कितनी अच्छी ड्राइविंग कर रहें हैं ! हर बात में परफेक्ट हैं ! वादियों के सुहावने मौसम और खुबसूरत दृश्यों, नजारो को देखते हुए मन पुलकित और रोमांचित हो रहा था ! बेहद प्यारे से सफर में अपने प्यारे प्यार के साथ वो मंजिल की तरफ चलती चली जा रही थी !

रवि कभी भी अपने ही अंदाज में गाना शुरू कर दे रहे थे ! और कभी उससे बातें करने लगते !

वहां पहुच गए थे जहाँ उन्हें जाना था ! लेकिन घर पहुचने से पहले वे बोले, चलो पहले काफी पी लेते हैं क्योंकि घर तो अभी थोडा दूर है ! राशी कुछ नहीं बोली ! कार को एक किनारे लगाकर उस छोटे से पहाड़ी शहर के सड़क के किनारे कार खड़ी करके पास ही के रेस्टोरेंट में काफी पीने के लिए वो प्रवेश कर गए ! लकड़ी का बना हुआ वह रेस्टोरेंट बहुत ही खूबसूरती से बनाया हुआ था ! राशी ने सुबह से कुछ खाया नहीं था उसने सुबह नाश्ता भी ठीक से नहीं किया था ! खाली चाय या काफी पीने की बिलकुल भी इक्षा नहीं हो रही थी ! जी भी मिचला सा रहा था ! उसने सोचा अगर काफी के साथ बिस्कुट या नमकीन भी होता तो सही था एसिडिटी से भी निजात मिल जाती ! लेकिन वहां पर स्नेक्स में पेटीज और क्रीमरोल आदि था !

यह सब खाने का उसका मन नहीं कर रहा था ! कुछ ही देर में एक अंकल रवि से मिलने आ गए ! उनसे पहले ही फोन पर बात हो गयी थी कि इस समय तक पहूँच रहा हूँ ! वे अंकल बहुत ही शर्मीले और सीधे स्वभाव के व्यक्ति थे ! शायद पहाड़ी इलाकों के लोग ऐसे ही सीधे सरल होते हैं ! रवि ने उनके लिए भी एक काफी का आर्डर कर दिया !

बेटा जी आने में कुछ देर हो गयी ! वे बड़ी शर्मिंदगी के अहसास से भरकर बोले !

अरे नहीं भाई ! बेटा भी कहते हो और और फिर एसी बातें भी करते हो ! रवि बड़े अपनेपन से बोले !

आजकल अपने बेटे की शादी की तैयारियों में लगा हूँ न !

घर में आने वाले मेहमानों की वजह से बहुत व्यस्त हो गया हूँ !

हाँ सो तो है ही क्योंकि शादी एक बहुत बड़ा काम है !

अभी आप घर नहीं चलेंगे ? नहीं अभी तो नहीं ! बहुत थके हुए हैं सुबह से घर से निकला हुआ हूँ ! बाद में आऊंगा !

ठीक है फिर आपको शादी में तो आना ही पड़ेगा दो दिन बाद ही शादी है !

अच्छा क्या कर रहा है आपका बेटा आजकल ?

कोलेज में प्रोफेसर है !

वे दोनों आपस में बातें करने में लगे हुए थे और वो बोर हो रही थी ! उसने उन लोगों की तरफ से दिमाग हटा कर शीशे से बाहर की तरफ देखना शुरू कर दिया ! उस रेस्तोरेंट के बराबर में ही एक मंदिर था ! चारो और पहाड़ियों से घिरा हुआ वो मंदिर बहुत ही सुंदर और कलात्मक था !

वो देवी मंदिर था और उसमे देवी माँ की मूर्ति ही थी ! मंदिर के बाहर एक बहुत बड़ा घंटा लगा हुआ था !

राशी उधर ही देख रही थी कि इतने में एक नया शादी शुदा जोड़ा मंदिर में माँ के दर्शन और फेरा लगाने के लिए आया ! साथ में परिवार के सदस्य भी थे ! वर बहुत पतला दुबला सा था ! वैसे उसने अभी तक जितने भी पहाड़ी लड़के देखे थे वे सभी दुबले पतले से ही थे ! उधर देखना बड़ा ही अच्छा लग रहा था उसका मन हुआ वो भी उन लोगों के साथ जाकर उनमे शामिल हो जाये !

पर अनजान लोग हैं, कहीं उन लोगों को बुरा न लगे ! वो बस ध्यान से उनको देखती रही ! सपने बुनते उसके मन में भी अपनी शादी के ख्वाब जगमगाने लगे थे ! कितना प्यारा बंधन होता है न शादी का ! कोई नितांत अजनबी बिलकुल अपना ख़ास बन जाता है ! सब कुछ उसी का ही ! सारी खुशियाँ उससे ! सारे दुःख उससे ! अपने जीवन की डोर उसके हाथ में दे दो और बना लो अपना जीवन साथी ! सुख दुःख का साथी ! कोई मीठी सी कसक उसके मन में कसकने लगी !

मन में तरंगे सी उठने लगी ! सच ही तो है, हर लड़की का सपना होता है कोई राजकुमार उसके जीवन का हमसफर बन जाए !

वे पहाड़ी दूल्हा दुल्हन और साथ में उनके साथ आये लोग उसके ज़ेहन में बस गए ! लम्बी सी शेरवानी पहने दूल्हा किसी महाराजा की तरह लग रहा था ! और पतली दुबली खूब गोरी सुंदर वो पहाड़ी दुल्हन किसी राजकुमारी सी लग रही थी ! उसका जी चाहा कि एक बार जाकर उनसे उनके रीति रिवाज पूछे ! परन्तु वहाँ पर इतने सारे लोग है उनसे या किसी महिला से जाकर पूछने से कहीं उन लोगों को बुरा न लग जाए ! और फिर ये बात मेनर्स के खिलाफ भी है !

क्या सोच रही हो भाई / चलना नहीं है क्या ? अरे राशि सुनो ???

वो अचानक से चौंक गयी ! हाँ हाँ चल रही हूँ ! ठीक है !

क्या ठीक है ? क्या बोल रही हो तुम ? मेरी समझ में नहीं आ रहा !

वो उसका मुँह देखने लगे, ये क्या हुआ इसे ?

राशि जैसे गहरी नींद से जागी हो ! चलो ठीक है ! चलते हैं !

एक छोटी सी बात ही मन के गहरे तक बस जाती है और फिर लगता है उसका खूब गहन अध्ययन मनन किया जाये ! और तब तक उसमें ही डूबा रहा जाए जब तक सारे सवालों के जवाब न मिल जाए ! वैसे जब अपने ख्वाब किसी के ख़्वाबों से मिलने लगते हैं तो लगता है कि हम अपने सारे ख्व्वाब उससे शेएर कर ले !

राशि भी इसी राह पर जाने वाली है ! हाँ अभी वो कमसिन है पर मन की लगन ने उसे इतनी जल्दी इस राह पर चलने को मजबूर कर दिया था !

वो यंत्रवत सी उठकर उनके पीछे पीछे चल दी थी और उन लोगों को तब तक देखती रही, जब तक वे लोग आँखों से ओझल न हो गये !

अंकल भी हमारे साथ चल रहे थे ! वो पीछे की सीट पर बैठे थे ! और न जाने कितनी ही बातें बताये जा रहे थे ! और वो शांत हो सुनती जा रही थी !

खुबसूरत मनोरम वातावरण ! अचानक से काली काली एक बदरी घिर आई और हल्का सा धुंधलका छा गया ! रवि ने लाइट्स ऑन कर ली क्योंकि सडक पर अँधेरा छा गया था ! बहुत ही सुन्दर प्राकृतिक नजारें जिन्हें कितना भी देखो जी ही नहीं भर रहा था ! मन कर रहा था, सब कुछ आँखों में कैद कर लूँ ! तभी बर्फ की शक्ल में छोटे छोटे ओले गिरने लगे ! अब खूब तेज बारिश और ओले गिर रहे थे ! राशि ने खिड़की से बाहर हाथ निकाल कर उन ओलों को अपनी हथेली पर लेना चाहा पर कार की रफ़्तार इतनी थी कि ओले हथेली पर गिरने से पहले ही सरक कर नीचे गिर जा रहे थे !

हाथ एकदम से बर्फ जैसा ठंडा महसूस होने लगा था और वो ठण्ड से काँपने लगी ! 8 डिग्री तापमान हो रहा था ! उसने अपना हाथ अंदर कर के कार का शीशा चढा लिया ! पर्स में से रुमाल निकल कर अपना गीला हाथ उससे पोंछ लिया !

बस दो कदम की दूरी पर एक पहाड़ी है न बस वहीँ पर मेरा घर है ! उन अंकल ने बताया था !

काफी दूर निकलने के बाद भी वो पहाड़ी अभी तक नहीं आई थी ! करीब चार पांच किलोमीटर पार करने के बाद वो बोले, बस बस यही पर रोक दो !

कार रोक कर रवि और वह नीचे उतर गए ! सामने की तरफ ऊँगली दिखाते हुए वह बोले देखिये जी, वो है हमारा गाँव और वो लाल रंग का दिख रहा है न, वही है मेरा घर ! तब तक राशि भी नीचे उतर कर आ गयी थी उसने नीचे की तरफ देखा करीब १००० फुट नीचे एक छोटा सा गाँव दिखाई दे रहा था !

रंग बिरंगी छतो से ढका वो गाँव बेहद खूबसूरत लग रहा था ! ये पहाड़ी घरों और गॉंवों की बात ही अलग है ! वहाँ पर बहुत ही शानदार हवा चल रही थी ! एकदम शांत और ठंडा मौसम ! बहुत अच्छा लग रहा था ! चारो तरफ हरियाली और अभी अभी बारिश हो कर चुकी थी तो थोडा थोडा गीला गीला नम नम सा हो रहा था !

अब राशि को समझ आ रहा था कि शायद ये लोग इसलिए ही अपने घरों की छतें रंगीन बनाते हैं ताकि ऊपर से दिखाई जा सके !

देखिये जी, ये हमारी जगह पड़ी है अगर आप चाहों तो ये जगह मैं बेंच भी रहा हूँ ! वही सड़क से कुछ ही निचाई पर बहुत थोड़ी सी जगह थी !

इसके बारे में बाद में बात करेंगे !

फिर मैं यही से नीचे उतर जाता हूँ अपने घर के लिए !

ठीक है !

वो बड़ी आसानी से उन कठिन रास्तों से नीचे उतरने लगे ! कितना कठिन होता है न यह पहाड़ी जीवन ! लेकिन इन लोगों की बचपन से रहने के कारण आदत सी पड जाती है !

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