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कमसिन - 9

कमसिन

सीमा असीम सक्सेना

(9)

देखो वो आ गया स्वर्ग तालाब ! देव ने दूर से इशारा करते हुए कहा !

उसने अपनी नजरे उसी तरफ करते हुए देखा ! एक छोटे से कुंड में थोडा सा पानी भरा हुआ था !

ओ अच्छा तो यह है स्वर्ग तालाब ?

हाँ दीदीजी यही है ! आप अपने सच्चे दिल से जो चाहें मांगो हर मन्नत जरुर पूरी होगी !

क्या मांगू ? मुझे जो चाहिए वो तो मेरे पास ही है ! मेरे इतने करीब कि जब चांहू उन्हें हाथ बढ़ा कर छू सकती हूँ ! जब चांहें दिल की बात कर सकती हूँ ! यानी अब कोई तमन्ना तो शेष ही नहीं है ! हाँ बस मेरा साथ हमेशा बना रहे हम पल भर को भी एक दुसरे से न बिछुड़े ! इस तरह से जुड़ जाएँ हम कि इनके नाम से पहले मेरा नाम आये !

इतनी देर से आँख बंद करके क्या मन्नत मांग रही है ? रवि ने उसे टोंकते हुए कहा !

और क्या मांगती जो हमेशा ही मांगती हूँ बस वही !

राशी तेरी ये बातें मेरी समझ से परे हैं !

आज मैं आपके साथ हूँ तो मेरी दिन रात की मन्नतों का फल ही तो है ! उसने मन में कहा !

सामने ही देवी माँ का मंदिर था ! रवि चलिए न उस मन्दिर में होकर आते हैं राशि ने जिद करते हुए कहा !

नहीं यार तू होकर आ मैं क्या करूँगा जाकर ! वैसे भी मैं इन सब बातों को नहीं मानता ! सिर्फ प्रक्रति को मानता हूँ उसकी शक्ति को मानता हूँ ! वही साक्षात् विद्धमान है !

ओफ्फो रवि आपकी यह बातें मेरी समझ से परे हैं !

तेरी समझ में आएँगी भी नहीं मैं सबसे अलग हूँ सबसे जुदा !

हाँ सही ही कह रहे हैं आखिर राशी ने हथियार डाल दिए ! क्या बहस करना ! क्यंकि वे जो कहेंगे वही सच होगा और उसे मानना ही पड़ेगा !

ठीक है आप लोग बैठिये मैं होकर आती हूँ !

हाँ हाँ क्यों नहीं तुम आराम से होकर आओ !

राशी मंदिर चली गयी और वे दोनों लोग बातों में मशगूल हो गए !

कुछ क़दमों की दूरी पर बने उस मंदिर में देवी माँ स्थापित थी ! थोड़ी सी ऊंचाई पर बने मंदिर के बाहर करीब 6, 7 सीढियाँ थी ! वो सीढियों को पार करके मंदिर में पहुंची ! मंदिर के कपट बंद हो गये थे, उनपर ताला लगा हुआ था ! लेकिन कपाट लोहे की मोटी जाली के बने हुए थे जिनसे भीतर स्थापित माँ के दर्शन किये जा सकते थे ! उसने बाहर से ही सर झुका कर प्रणाम किया ! वहां पर लोगों ने मन्नत की चुन्नी भी बाँधी हुई थी ! वो भी बंधना चाहती थी ! परन्तु कहते हैं कि मन्नत पूरी होने के बाद उस चुन्नी क खोलना जरुरी होता है ! लेकिन क्या वो दुबारा यहाँ आ पायेगी ? शायद हाँ, शायद न ? असमंजस की सी स्थिति !

चलो छोडो क्या करना है मन्नत मांग कर ! अगर दिल में पाने की भावना रखो तो वो वैसे ही पूरी हो जाती है और सच्चे दिल से मांगी गयी हर दुआ कुबूल होती है ! फिर चाहें गांठ बंधो या मन्नत का धागा या चुन्नी ! उसने वहां पर बंधी एक चुन्नी पर हाथ लगाकर आँख बंद करके श्रधा पूर्वक वही दुआ मांगी जो हर वक्त मांगती है उसे इसके अलावा और कुछ चाहिए भी तो नहीं सिवाय अपने प्रिय के साथ के ! हमेशा उनका साथ बना रहे ! मन ही मन उसने प्रार्थना की ! अभी उसके पास न तो दिया था न ही धूप न फल या फूल ! वहां पर एक दुकान भी थी जो पक्का पूजा के सामान की ही थी किन्तु वो इस समय बंद थी ! उसने घडी की तरफ नजर दौड़ाई देखा 2 बज रहा है !

इस समय तो भगवान् के विश्राम का समय होता है तो भला कैसे कपाट खुले होंगे या पूजा के सामान की दुकान खुली होगी !

उसने प्रेम का दिया बनाया श्रध्दा की बाती और आस्था की माचिस बना कर जला दिया दिया !

हाथ जोड़कर माँ की वंदना की और पास में बने दानपत्र में कुछ पैसे डाल दिए !

उसे अपनी मम्मी की बात याद आई, वो कहती हैं कि अगर सच्चे मन से कोई पूजा की जाए तो वो अवश्य स्वीकार होती है भले ही आपके पास चढाने को नैवैध न हो ! भगवन तो श्रद्धा के भूखे हैं उन्हें दिखावा पसंद नहीं है ! आँख बंद करके नमन करके वो जैसे ही उठने को हुई तो देखा बिलकुल उसके सामने एक फूल पड़ा हुआ है ! उसे अहसास हुआ कि उसकी प्रार्थना माँ ने स्वीकार कर ली है और प्रसन्न होकर उसे यह फूल की भेंट आशीर्वाद स्वरुप दे रही हैं ! उसने हाथ बढाकर उस फूल को उठाया और अपने माथे से लगाकर मुठ्ठी में बंद कर लिया ! चेहरे पर हर्ष मिश्रित ख़ुशी छलकने लगी थी ! वह प्रसन्नता से लवरेज होकर जल्दी जल्दी सीढियाँ उतर कर रवि के पास आ गयी !

उसने अपने हाथ की मुठ्ठी में बंद वो फूल रवि को देते हुए कहा लीजिये आपकी सारी मनोंकामनाएं पूरी होंगी !

अरे भई राशि मैं इन सब बातों को नहीं मानता ! ऐसा कर इसे तुम अपने पास ही रख लो और फिर एक ही बात तो है !

राशि को बहुत बुरा लगा ! उसे इस बात का दुःख हो रहा था कि वह अपना सारा प्रसाद उनको दे रही थी किन्तु उन्हें इस बात की कोई परवाह ही नहीं ! जरा सी बात कहकर उसका दिल तोड़ दिया !

सही है ये मर्द भला किसी के दिल को क्या जानें ! राशि को यूँ उदास और दुखी देख रवि बोले अच्छा लाओ तुम मुझे दे दो !

राशि एकदम से खुश हो गयी और वो फुल उनको देते हुए बोली, लीजिये आप इसको अपनी जेब में रख लीजिये !

राशि की कही बात का अनुसरण करते हुए उन्होंने उस फूल को अपनी जेब में रख लिया !

चल भाई देव अब उस जगह को देख ही आये ! तूने तो बताकर मेरे मन में उत्कंठा ही पैदा कर दी !

कैसी उत्कंठा ? राशि ने मन में सोचा !

उसके जाने से पहले तो येसी कोई बात ही नहीं हुई थी ! जरुर ये लोग कोई बातें कर रहे थे !

क्या हुआ रवि ? कैसी उत्कंठा ? उससे रहा नहीं गया और उसने पूंछ ही लिया !

अरे तुम चलो तो राशि ! सब बताता हूँ !

राशि फिर उनके पीछे पीछे चल दी ! ठीक वैसे ही जैसे सीता जी राम के पीछे चलते हुए जंगल जंगल भटक रही थी और फल फूल खाकर अपनी भूख मिटा रही थी ! उस घने पहाड़ी जंगल में चलते हुए टी वी सिरिअल में देखा हुआ वो द्रश्य याद आ रहा था !

कभी ऐसा होता भी है जो हम कहीं देखते या सुनते हैं वो बात हमारे ऊपर भी होने लगती जैसे सीता राम के साथ उनके छोटे भाई लक्ष्मणजी चल रहे थे ठीक वैसे ही देव भी उनका साथ निभाता हुआ चल रहा था ! जैसे वे लोग एक सूरक्षित स्थान के लिए जंगल में भटक रहे थे! तभी तो पंचवटी जैसा स्थान बना पाए थे ! वो यह सब सोच ही रही थी कि रवि बोले, राशि यहाँ अपना एक छोटा सा घर बनाने का सपना है !

यहाँ इस जगह पर ? इस घने जंगल में ? ठीक वैसे ही राम की तरह वो लोग भी अपना आशियाना बनाने के लिए! !

हाँ कहीं भी आसपास !

अभी यही बातें हम और देव कर रहे थे ! तो देव ने बताया की यहाँ पास में ही एक जमीन है ! वहां चल कर देख लीजिये शायद पसंद आ जाए !

वाओ वेरी नाएस ! मुझे आपका ये आइडिया बहुत पसंद आया !

अगर इन खुबसूरत वादियों में अपना घर हो तो क्या कहने ! वो भी तो यही चाहती है और रवि उसके साथ हो तो जंगल भी स्वर्ग से कम तो नहीं ! जीवन का असली आनन्द तो रवि का साथ होना है ! फिर वो जगह चांहे कोई भी हो !

करीब एक घंटा पैदल चलने के बाद वो जगह आ गयी थी ! बहुत ही सुंदर सी घाटी थी ! चारो तरफ चीड़ और देवदार के पेड़ ! नीचे सीढियों वाले खेत ! स्वर्ग की तरफ जाती हुई वे सीढियाँ ! अरे हम लोग तो स्वर्ग में खड़े हैं ! उसने स्वयं को इतनी ऊंचाई पर खड़े देखकर मन ही मन सोचा ! बहुत ही सुंदर जगह राशि ने आँखें बंद करके उस जगह को अपनी आँखों में कैद करने की कोशिश की ! ताकि जब कभी वो इन वादियों से दूर हो तो आँखें बंद करते ही यह जगह परिलक्षित हो जाए !

दीदी जी आपको पता है ? यहाँ पर सबसे ज्यादा बर्फ गिरती है ! ये जो सामने हरे रंग के पहाड़ दिख रहे हैं न ? ये सब सफ़ेद रंग के हो जाते हैं ! मानों ये सफेद चादर लपेट कर समाधिस्थ हो जाते हैं !

अरे वाह !

हाँ जी ! और यहाँ हर तरह की सब्जियां और फल फूल भी मिलते हैं !

बर्फ कब पड़ता है ?

नवम्बर के महीने से शुरू होकर जनवरी तक पड़ता है और कभी कभी मार्च तक भी !

फिर उन दिनों तो घर से निकलना भी बहुत मुश्किल होता होगा ?

हाँ !

जरुरत का सामान आदि के लिए क्या करते हैं ?

जब बर्फ कुछ कम पड़ती है उस दिन घर से निकल आते हैं !

अरे तू बातें ही करता रहेगा या फिर वो जगह दिखायेगा ?

हाँ जी दिखाना है न ! बस वो आता ही होगा उसे फोन कर दिया है !

कितनी दूर है उसका घर ?

बस एक पहाड़ी पार करके !

तो फिर गया पूरा घंटा ! क्योंकि यहाँ पर एक पहाड़ी को पार करना मतलब 10 किलोमीटर चलना !

यहाँ के लोग एक घंटे में इस दूरी को नाप लेंगे जबकि हम मैदानी लोग शायद 2 घंटे में भी नहीं कर पाएंगे !

अरे नहीं सर जी वो बस आता ही होगा ! इस वैली में ही तो रहता है ! ऊँगली का इशारा करके उसने उस जगह को दिखाया ! आपको पता है उसके लिए इस पहाड़ को पार करना मतलब रोटी का एक कौर तोड़ कर चबाना !

हा हा हा हा ! उसकी यह बात सुन कर हम दोनों ही हँस पड़े !

रवि चारो तरफ घूम घूम कर वहां की खूबसूरती को देख रहे थे ! वाकई कमाल की प्राक्रतिक सुन्दरता बिखरी पड़ी थी !

बेहद मनोंहरी नज़ारे कितना भी देखिये आँखें तृप्त ही नहीं हो रही थी उन हसीं वादियों को देखकर ! !

तेज धूप में हरे पहाड़ों से टकरा कर आती ठंडी हवाएं मन में शीतलता का अहसास भर रही थी ! गर्मी का कही पर नामोनिशान तक नहीं था ! सूरज ठीक सर पर थे तब भी तप नहीं रहे थे !

अचानक से तेज धूप में बादल घिर आये और हलकी हलकी बारिश शुरू हो गयी !

अभी इतनी तेज धुप थी और अब बादल घिर आये !

हाँ राशि ये पहाड़ हैं यहाँ पर ऐसे ही होता है !

देखना जरा देर बरसेंगे और चले जायेंगे !

उसे वो हलकी हलकी फुहारें बहुत अच्छी लग रही थी ! मानों इश्वर उन पर नूर की बूंदें बरसा रहा था !

रवि और राजू एक पेड़ के नीचे खड़े हो गए थे ! सब सबकुछ गीला गीला सा हो गया था ! गीली होकर प्रक्रति और खुबसूरत होकर निखर आई थी !

बारिश तो रुक गयी परन्तु ठंडक का अहसास होने लगा था ! राशि ने अपनी जैकेट के बटन बंद कर लिए और चुन्नी को कानों से लपेट लिया ! रवि ने गर्म जैकेट पहन रखी थी और सर पर किन्नोरी टोपी लगा रखी थी ! देव भी कुरता पैजामा व गर्म जैकेट पहने हुए था !

राशी को बहुत ठण्ड का अहसास हो रहा था उसे ठण्ड से कांपता देख कर रवि ने अपनी जैकेट उतार कर उसे देते हुए कहा, लो इसको पहन लो तुम्हारी जैकेट बहुत हलकी है न !

नहीं रहने दीजिये फिर आप क्या पहनेंगे ? आपको भी तो सर्दी लगेगी !

मैंने गर्म इन्नर पहना हुआ है !

राशी ने जैकेट पहन ली उसे पहन कर उसे ऐसा लगा मानों उसे रवि ने अपनी बांहों में समेट लिया हो एकदम गर्माहट का अहसास उसके मन के भीतर तक सिमट गया ! बहुत ही सुखद लग रहा था !

बारिश के रुकते ही फिर से धूप निकल आई थी ! उसे धूप का निकलना अच्छा नहीं लग रहा था ! हालाँकि बारिश होने के बाद काफी ठंडक हो गयी थी और धूप का आना तो सकूं ही पहुचाता है ! लेकिन धूप आने के बाद उसे रवि की जैकेट जरुर निकालनी पड़ेगी और यह बात ही उसे दुःख दे रही थी !

सर जी चाय पीने का मन कर रहा है?

अगर मन करेगा तो भी क्या फायदा, यहाँ तो मिलेगी नहीं !

हे भगवान इन लोगों को चाय पीना कितना पसंद है !

लो सर जी वो बंदा आ गया !

एक पतला दुबला सा लड़का दूर से आता दिखाई दिया था !

अच्छा इसे ही तुमने फोन करके बुलाया था !

हाँ जी !

नमस्ते जी ! आते ही उसने हाथ जोड़ कर नमस्ते की ! चलो जी पहले आप सब लोग घर चलिए ! चाय पीकर आते हैं फिर अपने बाग़ खेत और वो जगह दिखाते हैं जो बिकने को है !

किधर से जाना होगा भाई ?

बस इधर से ही निकल लेंगे ! वो रहा सामने नीले रंग का मेरा घर !

राशि ने देखा एक सीधा पहाड़ उतर कर घुमावदार रास्ता फिर उसका घर ! काफी नीचे वैली में !

नहीं भाई मैं तो आ नहीं पाऊँगी !

रवि और राजू उसके साथ जाने लगे ! पर राशि वहीँ पर रुक गयी क्योंकि उसे इन पहाड़ों पर चढने उतरने में डर लगता है उपर से बारिश की फिसलन भी हो गयी है ! साथ ही पहले इतना चल चुकी है कि थकान के कारण और चलना मुश्किल है !

अकेले यहाँ रुकना उसके मन में डर के भाव पैदा करने लगा ! अभी भी कुत्ते के भौंकने की आवाजें उसके दिल की धड़कन को बढ़ा रही थी ! अगर वो यहाँ आ गया तो वह क्या करेगी और काट खाया फिर मोटे मोटे इंजेक्शन !

नहीं नहीं !

क्या हुआ ? देव पीछे पलट कर आता हुआ बोला !

अच्छा आपको डर लग रहा है न ? मैं नहीं जाता, यहीं पर रुक जाता हूँ ! सर जी आप प्रकाश के साथ जाकर देख आओ ! मेरा तो हमेशा का देखा हुआ है ! आपका चाय पीने का भी तो मन कर रहा था न तो आप चाय भी पी आएयेगा !

ठीक है मैं अभी देख कर आता हूँ !

रवि चले गये !

उसे फिर से कुत्ते के भौंकने की आवाजें आने लगी ! फिर से मन में डर समाने लगा ! यह उसका वहम है या वाकई में की कुत्ता भौंक रहा है ! इस पहाड़ी जंगली जगह ने उसे डरा दिया था !

दीदी जी आप बिलकुल न डरो ! मैं आपके साथ हूँ ! और ये पहाड़ हैं न इसलिए कोई भी आवाज पहाड़ों से टकरा कर गूंजती हैं ! देव उसके डर को समझ कर बोला !

उसे थोड़ी हिम्मत आई ! अब धूप फैलने लगी थी दो जैकेट पहनी हुई थी तो थोड़ी गर्मी का अहसास हुआ ! उसने रवि की जैकेट उतार कर अपने हाथ में पकड़ ली ! न जाने क्यों उस जैकेट पर इतना प्यार आया कि उसने उसको अपने सीने से भींच लिया ! रवि उसके आंचल में सिमट आये हो ! इस अहसास से भरी वो पुलकित नजर आने लगी !

क्या सोंच कर मुस्कुरा रही हो दीदी जी ! देव ने उसे मुस्कुराते देखा तो पूछा !

राशि उसकी बात सुनकर एकदम से चौंक गयी ! कुछ नहीं बस यूँ ही ! वो अपनी झेंप मिटाती हुई बोली !

लग रहा है सर जी ये जगह बहुत पसंद आ गयी है ! बात करने के उद्देश्य से वो बोलने लगा !

हाँ उनको पहाड़ और प्रकृती दोनों ही जगह बहुत पसंद हैं ! वे तो प्रकृती को अपनी माँ और प्रेयसी दोनों ही मानते हैं !

अच्छा !

हाँ भाई जी ! उनको फल खाना भी बहुत पसंद है ताजे फल !

हूँ तभी प्रकृती उनको यहाँ खींच कर ले आई ! लगता है वे यहाँ के लिए ही बने हैं !

हाँ शायद !

शायद नहीं पक्का ! वे हम लोगों की तरह ही हैं ! हम लोग जब सेब या कोई फल पकता है तो आधा पेट उनको खा कर ही भर लेते हैं !

आपके पास भी तो खेत और बाग़ होंगे न?

हाँ जी ! हम भी जमींदार लोग हैं, हमारे पास भी हैं !

आप करते हैं खेत का काम ?

न जी, मैं नहीं कर पाता हूँ ! गोरखे हैं वो करते हैं ! पहले करता था पर अब पैरों में सुन्नेपन की बीमारी हो गयी है !

ओह्ह ! !

हाँ बर्फ में ज्यादा चलने फिरने से हो गयी है !

आपके बच्चे वगैरह तो होंगे न ! वे थोडा बहुत देख लेते होंगे !

हाँ हैं ! पर अभी पढ़ रहे हैं लेकिन थोडा बहुत काम देख लेते हैं ! आपको आज अपने घर ले चलूँगा !

ठीक है भाई !

राशि को देव से बातें करके मन को बड़ा सकून मिल रहा था ! एकदम अपना पन था उसकी बातों में !

रवि के बोलने आवाजें आ रही थी ! शायद वे वापस लौट कर आ रहे थे !

हाँ वे आ रहे थे ! उनके हाथ में स्टील का एक छोटा गिलास था ! उसे राशि को देते हुए बोले, लो राशि तुम चाय पिओ !

देव के लिए ? एक ही चाय देखकर वो बोली !

तुम्हें ठण्ड लग रही थी न ! उसे अभी उसे थोड़ी देर बाद पिलवा देंगे !

हालाँकि राशि को अकेले पीते हुए अच्छा नहीं लग रहा था किन्तु रवि इतने मन से उसके लिऐ लाये थे तो पीना बनता ही था !

उसने उनके प्यार भरे उस अहसास को महसूस किया था !

जिसमें कुछ भी कहने सुनने की कोई जरुरत ही नहीं सिर्फ महसूस ही किया जा सकता था !

उसने चाय का एक सिप लिया ! देखो राशि इसके बाग़ और खेत ! उन्होंने अपनी ऊँगली का इशारा करते हुए बताया !

और ये थोड़ी सी जमीन जो खाली पड़ी है ! क्या इसे ले लूँ ? उसने देखा वहां पर खूब सारे देवदार के पेड़ लगे थे !

लेकिन यहाँ तो पेड़ लगे हैं !

हाँ तो क्या हुआ ! कटवा देंगे !

यहाँ इतनी दूर जंगल में पैदल आने में भी तो परेशानी होगी न ! रास्ता भी साफ सुथरा नहीं है !

हाँ सो तो है ! वैसे यहाँ की सीनरी बहुत ही सुंदर है ! बस थोड़ी आने की समस्या है ! तुम ठीक कह रही हो !

और भी सुंदर जगह मिल जाएगी आप देखना ! परेशान क्यों हो रहे है !

मुझे भी पता है और मैं परेशान बिलकुल भी नहीं हो रहा ! और तेरा दिया हुआ फ़ूल का प्रसाद भी तो मेरे पास है न वही हमारी सब ख्वाहिशें पूरी कर देगा !

बिलकुल !

दोनों खिलखिला कर हँस दिए थे ! आज राशि को महसूस हुआ कि उसकी भी कोई अहमियत है ! अब वो इतनी बड़ी हो गयी है कि अपनी राय दे सके ! वैसे भी अब उनका रिश्ता बराबर का हो गया है ! रवि ने सिर्फ उसकी बात मानी बल्कि उसे सम्मान भी दिया ! वो ख़ुशी से झूम उठी !

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