jin ki Mohbbat - 17 books and stories free download online pdf in Hindi

जिन की मोहब्बत... - 17

शान ने आदिल से कहा l
" में नहीं जानता कोन हो तुम ? ओर इतनी रात मेरे घर में क्यू आए हो ?
निकलो मेरे घर से ! ज़ीनत शान का रवैया देख हैरान थी की शान अपने दोस्त को क्यू पहचान ने से इंकार कर रहा है....?"
अब आगे..!

भाग 17


ज़ीनत हैरान थी l शान अपने दोस्त को क्यू नही पहचान रहा है ? उसे अजीब लगा शान का ये रवैया ।
आदिल भी सोच में पड़ गया कि शान यहां कैसे हो सकता है ? फिर मुंबई में कोन है...?
आदिल ओर ज़ीनत दोनों ही सोच में थे ये सब हो क्या रहा है ।
शान जब रूम में आया ज़ीनत ने पूछा !
" कोन था जो आप उसे नहीं जानते ?"
शान ने कहा ।
नही..!
ज़ीनत को ओर शक होने लगा कि कुछ तो बात है जिससे ज़ीनत अनजान है ।
शान अपने बेड पर जा कर लेट गया l तभी ज़ीनत ने कहा l
"आप झूट क्यू बोल रहे हैं ?"
आदिल का नाम मेने आपके फोन में देखा है इतनी बार उनका कॉल भी मेने उठाया और आज अापने उसको पहचन ने से इंकार कर दिया ?
शान ने बिना कुछ बोले ज़ीनत को बेड पर खींच लिया l और कहा l
"उसे घर में आने देता तो वो हमारा टाइम खराब करता ओर हम दोनों फिर प्यार कब करते ?"
ओर फिर शानने ज़ीनत को अपनी बातो में फसा लिया l ज़ीनत शान के आगोश में खामोश हो गई ।
रात तो गुजर गई लेकिन ज़ीनत को अभी वो सारी बाते समझने की जरूरत थी ।
सुबह ज़ीनत अम्मी के रूम में आई तो अम्मी ने उसे कुछ बोलने की कोशिश की ।
"ज़ीनत बेटा मुझे तुमको कुछ बताना है!"
ज़ीनत "-जी अम्मी बोलिए ।"
अम्मी ने कहा l
" बेटा वो मुंबई की जॉब की बात शान ने तुम्हे बाताया था ।
हा अम्मी क्या बोला था ?"
बेटा वो शान मुंबई...!!!"
इतना ही बोल पाई ओर शान सामने आ खड़ा हुआ ।
डर से अम्मी की आवाज़ ही ना निकली फिर ज़ीनत "अम्मी बोलिए क्या हुआ ?
अम्मी गर्दन हिलाते हुआ कहा !
"कु.. कु.. कु.. कुछ नहीं बेटा..! तुम जाओ..! मुझे आराम करना है ।
ज़ीनत ने शान को देखा l
"आप कब आए मुझे पता ही नहीं चला ।
बस अभी अभी आया l
मुझे भूख लगी थी तो तुमको बुलाने आया था चलो खाना दो मुझे ।
ज़ीनत ने अम्मी की तरफ देखा तो अम्मी डरते हुए सोने का जैसे नाटक कर रही थी ।
ज़ीनत को सब कुछ बहुत अजीब ओर मुश्किल लग रहा था l उसे कुछ समझ नहीं आया ।
उसी शाम आदिल का फिर से शान घर के पास से हुआ इत्तेफाक से उस वक़्त शान घर में नहीं था ।
आदिल ने आवाज़ दी गेट पर ज़ीनत ने पूछा l
कोन आदिल ?"
" भाभी में आदिल हूं ।"
मुझे आप से ज़रूरी बात करना है l
"ज़ीनत जी भाई जान बोलिए ।"
भाभी मुझे ऐसा लगता है यहां कुछ ठीक नहीं है..! शान वो शान नहीं है ।
आप कहना क्या चाहते हैं भाई जान ! साफ साफ बोलिए तभी पीछे से आदिल के कंधे पे हाथ रख कर शान बोला ।
बोलो आदिल क्या बताना चाहते हो ज़ीनत को ?
आदिल ने कहा !
" तुम शान नहीं हो सकते !"
ये सुनते ही ज़ीनत बाहर आई !
तब तक आदिल वहा से का चुका था ।
ज़ीनत ने शान को देखा और कहा l
आदिल भाई ऐसा क्यू बोले तुम शान.. शान नहीं ?
"वो मज़ाक कर रहा था मेरा दोस्त है बस ऐसे ही रात की बात से नाराज़ है ।
ज़ीनत को ये बात सच नहीं लगी !अब उसने आदिल से मिलने की सोची ।
ज़ीनत कल सुबह आदिल से मिलने जाने वाली थी ! रात शान अपनी छत पर खड़ा किसी को कुछ इशारों में बात करता दिखा।
ज़ीनत छत पर जाती तभी शान नीचे आया और ज़ीनत से कहा l
"कहाँ जा रही हो ?"
ज़ीनत आप किससे बाते कर रहे थे ऊपर ?
शान - नहीं तो में तो तारे गिन रहा था ,अकेला बोर हो रहा था ।
तुम्हे मेरे लिए टाइम ही नहीं होता है जो तारो से बाते करता हुं ।
ज़ीनत शान के प्यार को अनदेखा भी नहीं कर सकती थी ! वो उसे इतनी मोहब्बत करता था ।
ज़ीनत उसकी मोहब्बत पे कैसे शक करती ? फिर भी उसे आदिल से मिलने की जिद्द थी ।

क्रमश:



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