Chudel ka Intkaat - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

चुड़ैल का इंतकाम - भाग - 4

उसने अपने मुंह से चुडैल शब्द निकाले ही थे कि उसने देखा कि सड़क के किनारे पीपल का पेड़ था, वहां उसे कोई आकृति दिखाई दी।


"ओह्ह मैं तो खामखां ही डर गया था। शायद उस औरत को शौच लगी हो इस वजह से उधर जा रही हो। बेचारी शर्म के मारे मुझ से कुछ कह न पाई हो और दुपट्टे के गिरने का बहाना बनाया ताकि मैं बाइक रोक सकूँ।"


यह कहने के साथ उसने अपनी खोपड़ी को हल्के से अपने हथेली से मेरी और उसके वापिस आने का इंतजार करने लग गया।जब काफी देर तक वह महिला लौट के नहीं आई तो वो बोला-"ओह्ह काफी देर हो गयी है, कहीं वो महिला किसी परेशानी में तो नहीं है। मुझे चल कर देखना ही होगा।"


यह कह कर राजीव उस पीपल के पेड़ की तरफ चल पड़ा। अगले ही पल वह पीपल के पेड़ के करीब था।उसने पीपल के पेड़ के चारो तरफ सूक्ष्म निरीक्षण किया लेकिन उसे वह महिला कहीं नहीं मिली। वह थककर पीपल के पेड़ के नीचे खड़ा हो गया कि तभी अचानक उसके चेहरे पर कुछ तरल पदार्थ सा गिरा। उसने उसे छु कर सूंघने की कोशिश की तो बहुत तेज बदबू सी आई। उसने मोबाइल का फ़्लैश लाइट ऑन करने के बाद देखा तो उसके होश फाख्ता हो गए और वह चीख पड़ा-



"ख... ख... खून यह तो खून है। लेकिन यह कहाँ से...?"
यह कहते ही उसने अपनी खोपड़ी ऊपर की तो देखकर अवाक रह जाता है कि ऊपर काली साड़ी में कोई औरत गले मे फांसी का फंदा लगा कर लटकी हुई थी। उसकी जीभ उसके ठुड्डी से निचे तक लटक रही थी, जिससे खून का रिसाव चालू था और वही खून की बूंदे उसके चेहरे पर पड़ी थी। उसने फिर ध्यान से देखा तो उस औरत के पांव बिल्कुल विपरीत दिशा में मुड़े हुए थे। वह औरत ऊंचाई पर लटकी हुई थी जिसकी वजह से उसकी टांगो को वह आसानी से देख पा रहा था।


वह घबराकर वहां से भागने को होता है कि तभी उसको ठोकर लगती है और औंधे मुंह गिर पड़ता है। लेकिन जैसे ही वह पलटता है उसकी नजर फिर उस फांसी पर लटकी हुई उस औरत पर पड़ती है जिसे देखकर वह फिर से चीख उठता है-"अरे यह तो वही काली साड़ी वाली औरत है जीने मुझसे लिफ्ट मांगी थी और मुझे यहां तक ले आई थी। इसका मतलब यह कोई अबला नहीं चुड़ैल है।"


उसने इतना कहा ही था कि तभी पेड़ पर लटकी चुड़ैल की आंखे खुल जाती है औऱ वह जोर जोर से हंसने लगे जाती है। उसके ठहाके से पूरा वीराना दहल उठता है। वो जैसे ही उठ कर भागने को होता है की तभी वह चुड़ैल का जिस्म उसके ऊपर गिर पड़ता है।


अपने लंबी लंबी नाखूनों से राजीव के चेहरे को किसी जंगली बिल्ली की तरह नोंच डालती है। अब राजीव की चीख से वह वीराना दहल उठता है। किसी तरह वह पूरी ताकत से उस चुड़ैल को धक्का देता है और वह भागने की कोशिश करता है लेकिन....यह क्या?


वह लाख कोशिश करने के बावजूद भी अपने शरीर को अपने जगह से हिला नहीं पता। उज़के बदन पर खुद उसका ही नियंत्रण नहीं रह गया था। मानो जैसे किसी ने उसके जिस्म पर अपना कब्जा कर लिया हो। वह कठपुतली की भांति वहां लेटे लेटे अपनी मौत का मंजर देख रहा था।


वह चाहता था कि ज़ोर से चीखें और वहां से भाग खड़ा हो जाए लेकिन वह अपनी बेबसी के आगे विवश था। सिवाय सोचने के और कोई भी चारा नहीं बचा था।
अगले ही पल वह चुड़ैल उसकी छाती पर बैठ जाती है और चीख कर कहती है-


"मूर्ख तू नहीं तेरी मौत यहां खींचकर लाई है। तेरा दोस्त अपनी चालाकी से बच तो गया लेकिन उसने तुझे मरने के लिए मेरे पास भेज दिया है। अब आखिरी बार अपने इष्ट देव को याद कर ले क्योकि मैं अब तेरे खून से अपने प्यास बुझाऊंगी। तेरे लाल लाल गढ़े रक्त से ही मुझे तृप्ति मिलेगी।"
यह कहते ही वह चुड़ैल राजीव के जिस्म से वक झटके में उसके धड़ से कपड़े फाड़ देती है। राजीव अपनी मौत को इतना समीप देखकर चीख पड़ता है।


"अरे दुष्ट चुड़ैल मैंने तेरा क्या बिगाड़ा है। भगवान के लिए मुझे छोड़ दे। मेरी तो अभी शादी भी नहीं हुई है।"यह आवाज उसके हलक में काफी देर से अटकी पड़ी थी। चुड़ैल ने उसे यह आखिरी मौका दिया था कि उसके आखिरी शब्द गले मे ही न अटके रह जाएं।


वह बार बार खुद को कोश रहा था कि वहां से किसी तरह मुक्त हो जाए। लेकिन उसका हर प्रयास विफल हो रहा था। साथ साथ उसके दिमाग में यह भी चल रहा था-"ओह्ह तो जयन्त ने इस चुड़ैल का सामना किया था, जिसकी वजह से वह पसीने से तर बतर था। उझसे पूछने पर भी इसलिए नहीं बताया क्योंकि उसकी बातों पर कोई भी विश्वास नहीं करता।"


उसे अपने इस गलती पर पछतावा हो रहा था। उसके आंखों से अनायास ही आँसू निकल रहे थे जो बहते बहते उसके मुंह में जा रहे थे। आज इस नमकीन आँसू के पीछे का दर्द उसे अपनी मौत से चुकानी पड़ रही थी।


अगले ही पल उस चुड़ैल ने अपने नुकीले नाखून उसकी छाती में घूंसा दिया और उसकी छाती चीर डालती है। राजीव असहनीय पीड़ा से तड़प उठता है और उसकी आंखें बाहर निकल जाती हैं।
लेकिन वह दुष्ट चुड़ैल इतने पर भी नहीं रुकी। उसने राजीव के कलेजे को बाहर निकाला और चप...चप...चप कर के खाने लगी।राजीव अपनी एड़ियां ज़मीन में रगड़ते हुए इस दुनिया को छोड़कर जा चुका था।



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इधर जयन्त बहुत ज्यादा डरा हुआ था। वह बार बार राजीव के लिए चिंतित हो रहा था। वह जानता था कि राजीव को इन सभी बातों में विश्वास नहीं करता था। अब उसे उसकी जान की बहुत फिक्र हो रही थी।


अब रह - रहकर उसके दिमाग में सिर्फ एक ही सवाल आ रहा था कि वह औरत अचानक कहां गायब हो गई? क्या वह सच में चुड़ैल थी? क्योकि ऐसा करना किसी आम इंसान के बस में नहीं था।
यही सब सोचते सोचते वह रात के किसी वक़्त नींद के आगोश में समा गया। उसे वह चुड़ैल सपने में दिखाई दी जिसमें वह उसके दोस्त राजीव की ओर चली आ रही थी , लेकिन करीब आते ही उसके रूप में भयावह परिवर्तन होता है। जिसके बाद वह खून पीने वाली एक भयानक चुड़ैल बन जाती है।


जिसके हाथों के नाखून खंजर के जैसे तेज और दांतो की पंक्ति में से आगे के दो दांत चंगादड़ के जैसे तेज और बड़े थे जो खून में डूबे हुए थे, और आंखों का रंग गहरा लाल बिल्कुल खून की तरह और निर्दयिता से भरी हुई थी।


यह सब देखकर मानो जैसे कि राजीव की सांसें थम चुकी थी । और वह चुड़ैल धीरे-धीरे राजीव के नजदीक आ रही थी लेकिन राजीव एक लाचार पेड़ के कटे तने के जैसे ही असहाय महसूस कर रहा था और अपने आप को हिला भी नहीं पा रहा था। वह चुड़ैल राजीव के नजदीक आ जाता है और वह उसके हाथ को जोर से पकड़कर अपने तेज धार वाले दांतों को गड़ा देती है और खून पीने लगती है।


राजीव अपने आप को छुड़ाने की बहुत कोशिश करता हैं और बहुत चिल्लाने की भी , पर पूर्ण रूप से असफल रहता है और उसकी सांसे धीरे धीरे उखड़ जाती हैं।
यह भयावह दृश्य के देखने के बाद जयन्त की नींद खुल जाती हैं औऱ जोर से चीखता है-


"ब...बचाओ कोई राजीव को उस चुड़ैल के हाथों बचाओsss!"
वह अपने चारों ओर देखता है और फिर उसने अपने हाथ को देखा पर उसे हर एक चीज साधारण नजर आई तो फिर कहीं उसकी सांस में सांस आई, वह सोचता है कि यह सब उसका भ्रम था और वह पुनः सो जाता है लेकिन जब वह सुबह उठता है तो उसे कुछ कमजोरी सी महसूस होती हैं लेकिन वह कुछ ज्यादा सोचे बिना जल्दी से राजीव को कॉल लगाता है लेकिन उसका मोबाइल स्विच ऑफ होने की वजह से बात नहीं हो पाती है।
वह फ्रेश हो कर जैसे ही बरामदे में जाता है तो उसकी नजर वहां मेज पर पड़े अखबार पर पड़ती है जहां अखबार का पृष्ठ संख्या 3 खुला हुआ था और खबर छपी थी-


"भटकती चुड़ैल का एक और शिकार।*इस खबर को विस्तृत में पढ़ता है-'22 वर्षीय नवयुवक वरणी नदी के पास संदिग्घ स्थिति में मौत।युवक पास के ही अरंद ग्राम का निवासी माना जा रहा है। लाश पास के ही खेत मे एक पीपल के पेड़ से लटकी हुई पाई गई। लाश की स्थिति इतनी बद्तर थी कि उसके कुछ अंग शरीर से मौके वारदात पर नदारद थी।


इसकी मौत की वजह कुछ लोग जंगली पशुओं को दे रहे हैं तो कुछ लोग अंग तस्करी का हाथ बता रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कुछ स्थानीय निवासी इसे उस चुड़ैल का प्रकोप बता रहे हैं जो अक्सर रात्रि को इस वीराने में लालटेन ले कर भटकती रहती है।
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क्रमश..........


इस कहानी का अगला भाग बहुत ही जल्द।

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