Sabreena - 20 books and stories free download online pdf in Hindi

सबरीना - 20

सबरीना

(20)

सबरीना चीखी, प्रोफेसर तारीकबी...

सुशांत को फिसलने से बचाने की कोशिश में जारीना औंधे मुंह जा गिरी और केबल कार उसकी पीठ से रगड़ खाती हुई आगे निकल गई। जब तक वो संभल पाती तब तक पीछे सबरीना की केबल कार आ पहुंची और सुरक्षित उतरने की हड़बड़ाहट में वो भी बर्फ पर फिसल गई। सबरीना के साथ बैठा छोटा चारी भी लुढ़क गया। बर्फ पर गिरे हुए चारों लोग चोटी के उस हिस्से तक पहुंच गए जहां लोहे के मजबूत तार लगाकर सुरक्षा दीवार बनाई गई थी। ये दीवार न होती तो इन चारों में से कोई भी नीचे गहरी खाई में गिर सकता था। ये घटना कुछ ही सेकेंडों के भीतर घट गई, आसपास मौजूद स्टूडेंट्स ने बिना देर किए चारों को प्लेटफार्म पर लाने की कोशिश शुरू की। एक लंबे रस्से को सुशांत, जारीना, सबरीना और छोटा चारी की ओर फेंककर उन्हें उसके सहारे प्लेटफार्म पर लाया गया। सुशांत को लग रहा था कि उसके इगो के चलते बाकी लोग भी परेशानी में फंस गए।

भुरभुरी बर्फ सुशांत के कोट में घुस गई थी। लेकिन, उसे ऐसे वक्त में ठंड का ख्याल नहीं आया क्योंकि जान बचने और चोट न लगने की खुशी काफी ज्यादा थी। सुशांत ने स्टूडेंट्स की ओर देखा, लेकिन उनमें से किसी के भी चेहरे पर हंसी का भाव नहीं था, वे चिंतित दिख रहे थे। सुशांत ने बर्फ झाड़ी और सब की ओर मुस्कुराकर खुद के सही-सलामत होने का ऐलान किया। स्टूडेंट्स ने सुशांत, प्रोफेसर तारीकबी और डाॅ. मिर्जाएव के लिए सुरक्षा घेरा बनाया और चोटी पर चढ़ना शुरू किया। बर्फ से मिलकर आ रही हवा के सामने धूप अपनी हैसियत खो बैठी थी। बर्फ पर पड़ती हुई सूरज की किरणें आंखें चैंधिया रही थी। बताते हैं कि अंटार्टिका में बर्फ पर पड़ती सूरज की तेज रोशनी लोगों को अंधा कर देती है। सुशांत ने देखा कि चोटी के एक किनारे पर बनाई गई तारों की सुरक्षा दीवार पर रंग-बिरंगी कतरने और पट्टियां बांधी गई थी। कई युवा जोड़े वहां अब भी कतरने और पट्टिया बांध रहे थे। कई स्टूडेंट्स भी अपने साथ रंगीन पट्टियां लेकर आए थे, उन्होंने ने भी मौका पाकर इस काम को पूरा कर दिया। सुशांत को कोई आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि वो ऐसे टोटके पूरी दुनिया में देख चुका है। लेकिन, जारीना को लगा कि मेहमान प्रोफेसर को इस बारे में बताना चाहिए।

‘ ये देखिए सर, यहां पर युवा जोड़े रंगीन कतरने बांधते हैं, उन्हें लगता है, इससे उनकी जोड़ी हमेशा बनी रहेगी।‘

‘ हां, हिन्दुस्तान में भी ऐसा खूब होता है। हिन्दुस्तान में ही क्यों, मैंने तो चीन की महान पर दीवार पर हजारों-लाखों ताले बंधे देखे हैं। वहां प्रेमी युगल ताले लेकर आते हैं, उन्हें दीवार पर लगाई गई रेलिंग और तारों में बांध देते हैं। फिर चाबी घाटी में फेंक देते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से उनके रिश्तों में कभी कोई दूरी नहीं आएगी, हमेशा बंधे रहेंगे।‘ सुशंात ने जारीना को बताया। जारीना आश्चर्य के साथ सुनती रही।

‘क्या रंगीन पट्टियों को इस चोटी पर बांध देने या चीन की महान दीवार पर ताला लगाकर चाबी फेंकने से वास्तव में रिश्ते हमेशा के लिए बन जाते होंगे ? जारीना ने काफी मासूमियत से पूछा। सुशांत ने उसकी ओर देखा और मुस्कुराकर चुप हो गया।

जारीना काफी खूबसूरत थी। उसके गोल चेहरे नाक थोड़ी दबी हुई थी, लेकिन उसकी गाली आंखें काफी चमकदार थीं। भौंहों को करीने से संवारा गया था। हंसते वक्त उसके गाल लंबाई में खिंच जाते थे। ठुड्डी के बीच में एक छोटा-सा निशान था, शायद बचपन में चोट लगी होगी। वो सबरीना से एकदम अलग दिखती। उसकी देहयष्टि सुगढ़ थी और जब वो फर की टोपी को सिर से लेकर गले तक कस लेती तो लगता था कि किसी बंगाली कलाकार ने पूजा के लिए देवी का चेहरा गढ़ा है। उसके चेहरा तनावों, द्वंद्वों औंर ऐंठन से मुक्त दिखता था, जबकि सबरीना के चेहरे पर ये तमाम प्रवृत्तियां पहली नजर में ही पकड़ में आती थी। सबरीना थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद अपनी हथेलियों को चेहरे पर रगड़ती रहती थी। जैसे चेहरे पर आने वाले भावों को साफ कर रही हो। चोटी की ओर चढ़ते वक्त सुशांत को बात करने में परेशानी हो रही थी, सारी उर्जा सांस लेने में खर्च हो रही थी, लेकिन प्रोफेसर तारीकबी पूरे उत्साह के साथ स्टूडेंट्स को कुछ समझा रहे थे। उन्होंने इशारे से सुशांत को बुलाया और फिर मिलकर स्टूडेंट्स की बातों का जवाब देने लगे।

पहाड़ पर दिन जल्दी ढलता है, भले ही कोई पहाड़ की चोटी पर ही क्यों न हो। दोपहर के गुजरते ही ऐसा लगने लगा कि बर्फीली चोटियों के सामने सूरज ने हार मान ली, हवा में ठंडक बढ़ गई और आसमान एक बार फिर बर्फ बरसाने की तैयारी करने लगा। डाॅ. मिर्जाएव ने सभी को चलने का इशारा किया। इस बार सुशांत ने तय किया कि वो झूठे इगो के प्रदर्शन की चपेट में नहीं आएगा और किसी की मदद लेकर केबल में कार में सवार होगा।

इस बार भी स्टूडेंट्स ने अपने कौशल का प्रदर्शन किया और वे सबके सब कुछ ही देर में केबल कार में सवार हो गए। जारीना के साथ छोटा चारी बैठ गया। सबरीना ने सुशंात की मदद की और वो भी आसानी से बैठ पाया। उनके पीछे की दो केबल कार में डाॅ. मिर्जाएव, दानिश और प्रोफेसर तारीकबी मौजूद थे। केबल कार काफी तेजी से नीचे की ओर चल पड़ी। एक-दो बार हिचकौले खाए और फिर चलने लगी। सुशंात को जब भी डर लगता वो सबरीना का हाथ पकड़ लेता। अचानक केबल कार रूकती सी दिखाई दी और फिर जरूरत से ज्यादा तेजी से आगे बढ़ी। सुशांत को फिर ऐसा लगा कि केबल कार काफी हिल रही है। उसने सबरीना की तरफ देखा और सबरीना ने भी महसूस किया कि केबल कार का हिलना सामान्य नहीं है। फिर तेज झटके के साथ केबल कार आगे बढ़ी, अब पूरा समूह गहरी खाई के ठीक ऊपर था। सबरीना ने जारीना और जारीना ने अपने से आगे के स्टूडेंट्स से पूछा कि क्या कुछ गड़बड़ी है। सही जानकारी तो किसी को नहीं मिली, लेकिन अनुमान लगाया कि कोई केबल कार प्लेटफार्म पर फंस गई है, उसे निकालने की कोशिश के चलते झटके लग रहे हैं। केबल कार कभी खिसकती और कभी रूक जाती। सारे लोग ऐसी जगह फंसे हुए थे कि न तो वहां से पीछे जा सकते थे और न ही आगे बढ़ना संभव हो रहा था।

केबल कार एक बार फिर बुरी तरह हिली, सुशांत को लगा कि वो नीचे गिर रहा है। सबरीना ने केबल कार के फट्टे पर खड़ी होकर ऊपर से लोहे के तार को पकड़ लिया और अपने स्काॅर्फ को तार के साथ बांधने की कोशिश करने लगी। उसने सुशांत से चिल्लाकर कहा कि वो फट्टे के सामने मौजूद सरिये को कसकर पकड़कर रखे। यदि तार टूटी और केबल कार नीचे गिरी तो भी वे बच जाएंगे क्योंकि तार उन्हें बर्फ मे दफन होने से बचा लेगी। सबरीना के आगे से जारीना के चीखने की आवाज आ रही थी क्योंकि छोटा चारी केबल कार के सरिये पर लटका हुआ था, उसकी केबल कार का संतुलन बिगड़ गया था। आगे-पीछे दोनों ओर अफरा-तफरी जैसी आलम था। केबल कार फिर बेहद तेजी से आगे चली। जारीना ने एक हाथ से छोटा चारी को पकड़ा हुआ था और वो दूसरे हाथ से खुद को संभाले रखने की कोशिश कर रही थी। केबल कार जैसे ही प्लेटफार्म के नजदीक आई स्टूडेंट्स तेजी से कूदने लगे। जारीना भी छोटा चारी को लेकर कूदने में कामयाब रही और इससे पहले कि सबरीना और सुशांत केबल कार से निकल पाते उनके पीछे पहाड़ की चोटी के प्लेटफार्म का तार टूट गया और वे दोनों छिटक प्लेटफार्म के ठीक नीचे जा गिरे। सबरीना ने पीछे मुड़कर देखा तो उसकी चीख निकल गई, दानिश और प्रोफेसर तारीकबी की केबल कार टूटकर अलग हो गई थी और वे लहराते हुए नीचे खाई में गिर रहे थे।

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