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सत्या - 14

सत्या 14

दोनों बच्चों का दाख़िला शहर के सबसे अच्छे इंगलिश मीडियम स्कूल में हो गया.

नई किताबें, नया स्कूल ड्रेस, नए संगी-साथी. नया माहौल, पढ़ाई के साथ स्पोर्ट्स, एलोक्यूशन, डाँस, ड्रामा, डिबेट और सबसे आकर्षित करने वाला बदलाव – अनुशासन. दोनों बच्चों का जल्द ही मन लग गया.

एक दिन पुरानी कचहरी के पास की सेकेंड हैंड बुक स्टोर से सत्या मीरा के लिए किताबों का एक बंडल ले आया. मीरा की पढ़ाई भी शुरू हो गई.

सत्या की ज़िम्मेदारी थी बच्चों का डेली का होमवर्क कराना. वीकएंड पर कहानियों का सिलसिला बदस्तूर जारी था. सविता डाँस और ड्रामा में उनकी सहायता कर देती थी और मीरा की मास्टरनी तो वह थी ही.

मीरा को इसी साल मौट्रिक की परीक्षा लिखनी थी. सविता सुबह से ही उसके पीछे पड़ जाती थी. शाम को जब सत्या और बच्चे आ जाते तो जल्दी-जल्दी नाश्ता-चाय और रात के खाने का इंतजाम करके वह भी पढ़ने बैठ जाती. सत्या का कमरा अब पूरी तरह से स्टडी रूम बन गया था.

एक दिन मीरा ने सत्या से कहा, “इंगलिश एस्से राईटिंग हमसे नहीं हो पा रहा है.”

“इफ यू वांट टू राईट इन इंगलिश, देन यू हैव टू थिंक ऑलसो इन इंगलिश. (अगर आप इंगलिश में लिखना चाहते हैं, तो आपको इंगलिश में सोचना भी पड़ेगा.) हिंदी में सोचकर अगर आप अंगरेजी में लिखना चाहेंगी तो बहुत मुश्किल होगी,” सत्या ने समझाया.

“ज़रा उदाहरण के साथ समझाईये,” मीरा ने आग्रह किया.

“चलिए ऐसा करते हैं, आपका ही एस्से लिखने की कोशिश करते हैं. किस टॉपिक पर आपको लिखना है?”

“जी, द सीज़न आई लाईक द मोस्ट.”

“सो व्हिच सीज़न डू यू लाईक द मोस्ट?”

“जी बरसात का मौसम.”

“हम बस यही कह रहे हैं. इंगलिश में सोचिए. बरसात का मौसम नहीं. सोचिए कि आई लाईक रेनी सीज़न द मोस्ट. बात समझ में आई?”

सविता भी पास ही बैठी थी. उसके मुँह से निकला, “इंट्रस्टिंग.”

सत्या ने कहना जारी रखा, “अब ज़रा ये बताइये कि व्हाई डू यू लाईक रेनी सीज़न द मोस्ट?”

“बिकॉज़ इट इज़ रोनी सीज़न,” मीरा ने उदासी के साथ कहा.

“रोनी सीज़न मतलब?” सविता ने टोका.

“बरसात में भीगते हुए तुम आराम से रो सकती हो. तुम्हारे दिल का दर्द कोई नहीं जान पाएगा,” कहकर मीरा आँखें चुराने लगी. शायद उसकी आँखों मे कुछ पड़ गया था.

सत्या ने झट से कहा, “एक्ज़ैक्ट्ली. यही हम कहना चाहते हैं कि जो लिखो सच्ची बात लिखो. कई स्टूडेंट्स रेनी सीज़न पर लिखेंगे. इनविजिलेटर भी पढ़ते-पढ़ते बोर हो जाता है और नंबर किसको ज़्यादा देता है, जो थोड़ा हट के लिखता है. सच्ची घटनाएँ और सच्चे जज़्बात लोगों के दिलों को छू जाते हैं.”

“लेकिन हम अपना दुखड़ा दूसरों को क्यों सुनाएँ?” मीरा ने असहमति जताई.

सत्या के मन में सारी बातें स्पष्ट थीं. उसने समझाया, “देखिए, एक बात हमें नहीं भूलनी है कि आप एक एस्से लिख रही हैं. अपना जीवन वृतांत नहीं. आपने कहा आपको रेनी सीज़न रोनी सीज़न लगता है, क्योंकि आपके आँसू कोई देख नहीं पाएगा. यह बात शायद ही कोई स्टूडेंट लिखेगा और निश्चय ही कॉपी जाँच करने वाले का ध्यान खींचेगा. अब आगे अपना दुखड़ा सुनाने की बजाय आप इस बात को हल्के-फुल्के ढंग से लिखकर अगले कारण पर चले जाईये. क्योंकि एक ही कारण लिखकर एस्से में रेनी सीज़न के प्रति अपनी लाईकिंग को आप जस्टिफाई नहीं कर पाएँगी.”

“और क्या पता किसी को तुम्हारा आँसू छुपाने का ये आईडिया पसंद ही आ जाय?” सविता थोड़ा संजीदा हो गई थी.

“आईडिया शब्द से एक बात याद आई. एस्से में ज़्यादा नंबर उनको मिलता है जो, ग्रामेटिकली सही लिखते हैं, जिनकी भाषा पर अच्छी पकड़ रहती है और जो नए आईडियाज़ के साथ ज़रा हटकर लिखते हैं,” सत्या ने आगे कहा.

“हमेशा नए आईडियाज़ कहाँ से आएँगे?” सविता ने सवाल किया.

“इसके लिए अपने दिमाग को ज़रा आऊट-ऑफ-द-बॉक्स दौड़ाना होगा. जैसे आपने कहा यू लाईक द रेनी सीज़न द मोस्ट. अगर हम होते तो लिखते आई लाईक द सीज़न ऑफ हॉलिडेज़ द मोस्ट. मेरा टॉपिक ही सबका ध्यान खींच लेता. इसके बाद हम चाहे जो लिखते, नंबर हमको कम नहीं मिलते.”

“ब्रिलियंट,” सविता के मुँह से निकला.

सत्या जब घर पहुँचा तो उसने देखा कि खुशी घर की गेट पर बेचैनी से टहल रही थी. सत्या को देखते ही खुशी गेट खोलकर दौड़ी.

खुशी, “चाचा-चाचा, फर्स्ट टर्म एक्ज़ाम में हम क्लास में फर्स्ट आए हैं.”

सत्या ने साईकिल से उतरकर उसके सिर पर हाथ फेरा. दोनों पैदल घर की तरफ चलने लगे. सत्या ने खुशी ज़ाहिर की, “व्हेरी गुड, आई न्यू इट. ऐसे ही मन लगाकर पढ़ो.”

मीरा को सामने देखते ही सत्या ने खुशी-खुशी कहा, “देखा आपने, खुशी ने कितना बढ़िया रिज़ल्ट किया है?.... रोहन कहाँ है? उसका रिज़ल्ट कैसा हुआ?”

मीरा ने कहा, “मुँह छुपाकर सोया है. मैथ्स में फेल हो गया है. मेरे पर गया है. मेरा भी मैथ बहुत कमज़ोर है.”

सत्या, “कोई बात नहीं. नया स्कूल है. आगली बार वह भी अच्छा करेगा.... इसका हल यह है कि अब आप रोहन को पढ़ाएंगी.... मैथ्स.”

“ये कैसे होगा?”

“हम समझाते हैं. देखिए, आपका मैथ कमज़ोर है, तो आपको क्लास वन से लेकर एट्थ स्टैंडर्ड तक की मैथ अगले तीन महीने में बना लेनी है. इससे आपका बेसिक्स मजबूत हो जाएगा. रोहन को पढ़ाएँगी तो आपको जल्दी समझ में आएगा. फिर आपकी कॉम्पिटीशन खुशी के साथ होगी. और देखते-देखते आपका मैथ्स सबसे स्ट्रॉँग हो जाएगा.”

“रोहन को आप ही पढ़ाईये. वह हमसे नहीं पढ़ता है.”

सत्या फिर से सेकेंड हैंड बुक स्टोर से मैथ के स्टैंडर्ड वन से एट्थ स्टैंडर्ड तक के सारे बुक्स ले आया. मीरा ने भी एक अच्छे स्टूडेंट की तरह मैथ्स प्रैक्टिस शुरू की और अगले तीन महीनों में सारा मैथ बना डाला.