Nariyottam Naina - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

नारीयोत्तम नैना - 3

नारीयोत्तम नैना

भाग-3

"अरे ऐसा नहीं है रे! मेरे जैसी बहुत सी लड़की उनके आगे पीछे घूमती है।" नैना ने बताया।

"तुझे कैसे पता?" नूतन ने आश्चर्य से पुछा।

"मैंने उनकी प्रोफाइल चेक की थी। ये देख तू भी।" नैना ने अपना मोबाइल फोन नूतन के आगे कर दिया।

"अरे बाप रे! बीस लाख फाॅलोअर्स!" नूतन सोशल मीडिया पर विधायक जितेन्द्र ठाकुर की प्रोफाइल देखकर बोली।

"फिर, कोई मामूली आदमी थोड़े ही जितेंद्र जी!" पैदल-पैदल काॅलेज के गेट से अन्दर प्रवेश करते हुये नैना बोली।

"ये लड़की भी कितनी बेशर्म है। देख! कैसे आई लव यू लिखा है जितेंद्र के लिए।" नूतन ने मोबाइल पर देखकर कहा।

"कोई मामुली लड़की नहीं है वो। वो इस साल की मिस एमपी चुनी गई तनु श्री भुल्लर है।" नैना ने बताया।

नूतन आश्चर्य प्रकट करती हुई अपनी क्लास में चली गई।

*नै* ना ने यह सुचित किया कि रक्षंदा कुछ दिनों से काॅलेज नहीं आ रही थी। उसने नूतन से रक्षंदा के विषय में जानना चाहा। क्योंकि रक्षंदा और नूतन की आपस में अधिक पटती थी। नूतन ने नैना को बताया कि अजीत और रक्षंदा के रिश्तें में कड़वाहट उत्पन्न होने के चलते रक्षंदा तनाव से गुजर रही है। इसीलिए वह कॉलेज नहीं आ रही थी। नैना ने रक्षंदा के घर जाकर उससे मिलने की योजना बनाई। नूतन सहमत थी। अगले ही दिन नैना और नूतन काॅलेज पुर्व रक्षंदा से मिलने उसके घर पहूंच गये। साधारण सलवार सूट में रक्षंदा का सदैव चहकता हुआ चेहरा आज मुरछाया हुआ था। उसने सिर के केश भी लापरवाही से बांध रखे थे। साज-श्रृगांर को अधिक पसंद करने वाली रक्षंदा आज बिना मेकअप के नैना के गले नहीं उतर रही थी।

"क्या बात है रक्षंदा? तु काॅलेज क्यों नहीं आ रही है।" नैना का इशारा होते ही नूतन ने रक्षंदा से प्रश्न पुछा।

"कूछ नहीं नूतन! बस कुछ दिनों से तबीयत खराब है। बस••।"

रक्षंदा बोली।

नैना ने रक्षंदा को गले लगा लिया। रक्षंदा के ह्रदय का बांध टूट गया। उसकी आंखों से झर-झर आंसु बहने लगे। नूतन ने नैना को रक्षंदा के बेडरूम में चलने को कहा। ताकी वे लोग वहां विस्तार से बात कर सके। जिससे गोपनीयता भी बनी रहे। रक्षंदा की मां ने तीनों के लिए मौसम्बी जूस लाकर रक्षंदा के कक्ष में रख दिया।

"अब बताओ रक्षंदा! क्या बात है?" रक्षंदा की मां के जाते ही कक्ष का दरवाजा बंद कर नैना ने पुछा।

रक्षंदा पुनः विचार मग्न हो गयी।

"रक्षंदा! तुम बिल्कुल मत डरो। जो मन में उसे कहो। जो भी समस्या है खुलकर बताओ। हम सब तुम्हारे साथ है।" नूतन ने रक्षंदा का साहस बढ़ाया।

"नूतन तुम तो जानती हो कि मैं और अजीत परस्पर कितना प्रेम करते थे?" रक्षंदा ने कहा।

"हां जानती हूं। आईपीएल के मैच खत्म होते ही तुम दोनों शादी करने वाले थे न!" नुतन ने कहा।

"अजीत ने मुझसे शादी से करने से इंकार कर दिया है। मैं उसके बीना नहीं जी सकती नूतन।" कहते हुये रक्षंदा नुतन के गले मिलकर पुनः रोने लगी।

"क्या? अजीत ने तुमसे शादी करने को मना कर दिया है? आई कान्ट बीलिव इट।" नैना को भरोसा नहीं हुआ। अजीत वही लड़का था जो हमउम्र रक्षंदा के प्यार में बुरी तरह पागल था। रक्षंदा के कहने पर कुछ भी कर गुजरने वाला अजित उससे शादी करने को मना कर दे! यह बात दोनों को पच नहीं रही थी।

"हां नैना! मुझे खुद उसने आकर विवाह नहीं करने की असमर्थता व्यक्त की है।" रक्षंदा निराश होकर बोली।

"अरे वाह! एक आईपीएल क्या खेल लिया! अपने आपको बहुत बड़ा क्रिकेटर समझने लगा। मैं अभी बात करती हूं उससे।" नैना बोली।

अजीत की नजरों में नैना बहुत सम्मानित थी। वह उसे अपनी बड़ी बहन मानता था। काॅलेज में प्रथम वर्ष के एडमिशन के समय नैना ही थी जिसने सीनियर स्टूडेंट्स की रैगिंग से अजित को बचाया था। वह अकेली ही उन लड़को से अजीत के लिए लड़ गयी थी। यहां तक की नैना ने उन लड़को की पुलिस में शिकायत भी दर्ज करवा दी थी। ताकी अन्य छात्रों के लिए यह एक शिक्षा सिध्द हो। काॅलेज परिसर में तब से ही रैगिंग पुरी तरह से बंद हो गई थी।

"हॅलो! अजीत! मैं नैना बोल रही हूं।" रक्षंदा के मना करने पर भी नैना ने अजीत को फोन लगा दिया।

अजित हाल ही में आईपीएल मैच खेलकर घर लौटा था। घर आकर उसने पहली मुलाकात रक्षंदा से की। उसने रक्षंदा से विवाह करने से इंकार कर दिया था। उसने इस असहमती का कारण भी नहीं बताया। जबकी रक्षंदा और उसके माता-पिता को पुर्ण विश्वास था कि अजीत उनकी बेटी से ही विवाह करेगा।

अजीत के इंकार को उसकी सफलता से जोड़कर देखा जा रहा था। अजीत के अभिमान के विषय में जानकर सभी आश्चर्यचकित थे। रक्षंदा आरंभ से ही क्रिकेटर से शादी करना चाहती थी। यह रक्षंदा ही थी जिसके कहने पर अजीत दिन-रात मेहनत कर क्रिकेटर बना था। रक्षंदा के प्रोत्साहन और प्रेरणा को अजीत ने अस्वीकार कर अपनी प्रतिभा को स्वयंभू घोषित कर दिया था। रक्षंदा अजित को अपने मन मंदिर में बैठा चूकी थी, किन्तु अजीत की बेवफाई ने उसे तोड़कर कर रख दिया था।

"नैना दी! कैसी है आप?" अजीत ने नैना के फोन पर प्रतिक्रिया व्यक्त की।

"अरे भई! मैं तो ठीक हूं। तु यहां आ सकता है?" नैना ने पुछा।

"कहां आना है मुझे?" अजीत बोला।

"रक्षंदा के घर!" नैना बोली।

कुछ देर साइलेन्ट मोड के बाद अजीत बोला-

"ठीक है दी! मैं वहां आ रहा हूं।"

रक्षंदा को विश्वास नहीं हुआ की अजीत उसके यहां आने वाला है।

अजीत सीधे रक्षंदा के बेडरूम में प्रवेश कर गया। जहां रक्षंदा के साथ नुतन और नैना पुर्व से ही उपस्थित थे।

"क्या बात भाई अजित! बड़ा सेलीब्रिटी बन गया है! हम सभी को तु तो भुल ही गया है?" नैना ने आते ही अजीत पर व्यंग्य कसा।

"हां दी। आप सच कह रही है। मैं सबकुछ भुल गया हूं। अपना परिवार, रिश्तेदार और दोस्त। मुझे कुछ भी याद नहीं है। याद है तो बस क्रिकेट।" अजीत की बातों में रहस्यमयी खामोशी थी। जो बहुत कुछ कहना चाहती थी।

"ये तो अच्छी बात है अजीत! इसमें इतना नाराज होने की क्या बात है?" नूतन ने कहा।

"ये नाराज़गी नहीं है नुतन! यह मेरी सच्चाई है जिसे मैं स्वयं स्वीकार नहीं कर पा रहा हूं।" अजीत बोला।

"तुम्हें तो खुश होना चाहिए। आज देश और दुनिया में तुम्हारा जाना पहचान नाम है। अंकल-आंटी तुम पर कितना गर्व कर रहे होगें?" नैना ने कहा।

रक्षंदा मौन होकर अजीत को ही देख रही थी।

"हां ये सच है। इस नाम को बनाने के लिए मुझे कितना कुछ छोड़ना पड़ा।" अजीत बोला।

"कुछ पाने के लिए कुछ छोड़ना पड़ता है अजीत! नैना बोली।

"मैं तो अपना सबकुछ छोड़कर रक्षंदा के पास आना चाहता था दी! मगर रक्षंदा ने मुझे अकेले को स्वीकार नहीं किया। इसे तो किसी प्रसिद्ध क्रिकेटर से शादी करना थी। मैं क्रिकेटर तो बन गया नैना दी! लेकिन अपनी पुरानी पहचान खो बोठा।" आजीत बोला।

अजीत की बातों से गहरा असंतोष झलक रहा था।

"आप लोगो को पता है? मेरे दोस्त मुझसे अब पहले की तरह नहीं मिलते। वे लोग मुझे अब आप कहकर संबोधित करने लगे है। परिवार में भी मुझे सेलिब्रिटी की तरह ट्रीट किया जा रहा है। हर कोई मेरी चाकरी में लगा दिखाई देता है। अपने से बढ़े उम्र के लोग जब मेरे पैर छुते है न! तब हृदय द्रवित हो जाता है।" अजीत धीरे-धीरे उद्देश्य पर आ रहा था।

"सभी मेरी सफलता देख रहे है किन्तु उस असफलता के पीछे मेरा संघर्ष कोई नहीं देख रहा। रक्षंदा से मैं प्रेम करता था। उसके लिए सबकुछ करने को तैयार भी था। जब उसने मुझे क्रिकेटर बनने की चुनौती दी तब ही मुझे अपने प्रेमतत्व पर से विश्वास उठ गया। प्रेम तो निस्वार्थ होता है, इसमें किसी स्वार्थ की कोई गुंजाइश नहीं होती।"

अजीत कहते-कहते चुप हो गया।

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