MURDER MYSTERY - 7 in Hindi Classic Stories by Vismay books and stories PDF | मर्डर मिस्ट्री - 7

मर्डर मिस्ट्री - 7

मातरे जी कंप्यूटर रूम से भागते हुए समीर के पास आए और कहां की कंप्यूटर कीबोर्ड से इस बार मिसिंग लेटर ‘ S ’ है ।

समीर को अंदाज़ा हो गया था कि मातरे जी को किस बात का डर हैं फिर भी उसने पूछा “इतना डर क्यू रहे हैं मातरे जी ”?

“ सर आप भी तो बोपल में रहते हो आेर आपका नाम भी s से शुरू होता हैं ” मातरे जी ने जवाब में कहां ।

सब की आंखों में समीर के लिए फ़िक्र थी पर समीर के होठों पर हल्की फुल्की मुस्कान तैर रही थी और वो सोच रहा था कि ..‘ इंटरस्टिंग , ख़ेल दिलचस्प होता जा रहा हैं । उसका अगला शिकार में हूं ।’
फ़िर समीर ने हाथ पीछे बांधकर सब को देखते हुए कहा की ..“ज़रूरी नहीं है उसका अगला शिकार में ही हूं । बोपल में आेर भी लोग रहते होंगे जिनका नाम ‘S’ से शुरू होता हैं । खूनी चालाकी से हमें गोल गोल घूमा रहा हैं ’।

थोड़ी देर रुकने बार समीर ने आगे कहा की …“ अगर उसका अगला शिकार में हूं तो मैं ये नहीं चाहूंगा की तुम में से कोई भी मेरी फ़िक्र करने में अपने फर्ज़ से चूक जाए । चूकेगा तो वो खूनी इस बार , थूकेगा पूरा देश उसपर । में चाहता हूं की इन जैसे गिनौने सीरियल किलर्स के दिलों दिमाग पर बस एक ही डर होना चाहिए कि उनके लिए किसी गली , चौराहे या किसी नुक्कड़ पर कोई न कोई पुलिस वाला बैठा है उनकी बजाने के लिए ” ।
समीर ने अपनी बात ख़त्म की । सब की आंखों में इस नौजवान के लिए गर्व था ।

थोड़ी देर में समीर ने एक के बाद एक ऑर्डर देने शुरू कर दिए कि…क्राइम सीन के एरिया को पूरी तरह से सिल करदो । फोरेंसिक की टीम को बुलाओ । मुझे अमन आेर मनोहर के मोबाइल की लोकेशन चाहिए पिछले एक दिन की । में हर बात जानना चाहता हूं वो कहा कहा गए थे । पुलिस स्टेशन में जितने भी लोग है सब को बुलाओ इस सोसायटी का चप्पा चप्पा छान मारो । जो कोई भी गड़बड़ लगे उसको उठाओ । ‘ इस तरह से निकलो की शिकार पे निकले हो , कोई भी बच कर जाना नहीं चाहिए ’.। इस धेट क्लियर ? समीर ने सबकी तरफ़ देख कर कहां , सब ने एक साथ कहां कि यस सर । सब अपने अपने काम में लग गए । क्या पता खूनी भी अपना काम कर रहा होगा ।

पूरे दिन समीर के फ़ोन पर उसके सुपीरियर आेर नेताओं के फ़ोन आते रहे आेर उसको आेर उसकी पूरी टीम को बुरा भला कहते रहे । मातारे जी आेर मिश्रा जी को छोड़कर बाकी सब सोसायटी छानने चले गए थे । समीर मन ही मन सोच रहा था कि इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी ख़ाली हाथ , कोई सबूत नहीं , कुछ भी नहीं जो खूनी के खिलाफ इस्तमाल कर सके ।

उसे किसी की कहीं हुई बात याद आ गई की :

कभी कभी जिंदगी में ऐसा वक्त भी आता हैं
कोई आंखों में समंदर लिए रेगिस्तान में भटक जाता हैं ।।

शाम तक सारी कार्यवाहीं पूरी हो जाती हैं । लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया जाता हैं । फोरेंसिक वाले भी अपना काम करके निकल गए होते हैं । समीर आेर बाक़ी सब जैसे ही काम ख़त्म करके क्राइम सीन वाली जगह से बाहर निकलते हैं मीडिया वाले उनपर टूट पड़ते हैं अपने सवाल लिए । जैसे तैसे करके वो उन लोगों से बचकर पुलिस स्टेशन की तरफ़ निकल पड़ते हैं । हर चेनल पुलिस वालो की धज्जियां उड़ा रहा था । लोग जगह जगह इकठ्ठा होकर पुलिस के खिलाफ नारे बाज़ी कर रहे थे ।

शाम को समीर अपनी केबिन में बैठा हुआ अदरक वाली चाय पी रहा था । नाश्ता करने का बिल्कुल भी मन नहीं था उसका । उसने अपनी केबिन से ही मिश्रा जी को आवाज़ लगाई । मिश्रा जी तुरंत हाज़िर हुए । समीर ने पूछा कि ..“अमन और मनोहर की लोकेशन निकाली सुबह से लेकर कत्ल होने के वक्त तक ”?
मिश्रा जी कल से उन दोनों का मोबाइल ट्रैक कर रहे थे इसीलिए मिश्रा जी ने कहां की ..“या तो वो दोनों बहुत चालाक है या दोनों में से कोई भी खूनी नहीं हैं । क्यू की सुबह से लेकर कत्ल होने के वक्त दोनों के मोबाइल कि लोकेशन क्राइम सीन के आसपास भी नहीं है ”।

समीर ने कुछ सोच कर कहां की ये जरूरी नहीं है कि खूनी फ़ोन कत्ल वाली जगह पर लेकर गया हो । मिश्रा जी ये खूनी हद से भी ज्यादा चालाक है ।

समीर ने पूछा कि ..“ पेट्रोलिंग कैसी चल रही हैं मिश्रा जी ?”

“ ठीक चल रही हैं सर ” मिश्रा जी ने उत्तर दिया ।

“ सर आज रात तो आप यहीं रुकने वाले हो ना पुलिस थाने में ”? मिश्रा जी ने पूछा । समीर मिश्रा जी की आंखों में फ़िक्र देखकर समझ गया था कि मिश्रा जी किस बारे में बात कर रहे हैं ।

“ मेरी फ़िक्र करना छोड़िये मिश्रा जी , आेर हा में आज रात यहीं रुकने वाला हूं आपकी निगरानी में ” समीर ने उत्तर दिया । हस दिए ये बात सुनकर मिश्रा जी आेर अपने काम की तरफ चल पड़े ।

समीर को अपनी कोई फ़िक्र नहीं थी । उसे बस इसी बात का डर था कि आज रात एक और ख़ून ना हो जाए । वैसे भी पूरे दिन में कमिश्नर सर ने दो बार फ़ोन किया था और साफ़ जाहिर कर दिया था कि अगर केस जल्दी सॉल्व नहीं हुआ तो इस्तीफे के लिए समीर को तैयार रहना पड़ेगा । समीर को इस्तीफ़े की कोई पड़ी नहीं थी । उसे तो बस सीरियल किलर का गला चाहिए था जिसे वो अपने मजबूत हाथों से घोंट सके । आज की रात किस्मत कोन से पांसे फेकने वाली है सब के लिए ये कोई नहीं जानता था ।

समीर ने रात का खाना पुलिस स्टेशन में हीं किया । खाना खाने के बाद सब अपने अपने काम में लग गए । पेट्रोलिंग करने के लिए कुछ और लोगों को भेजा गया । मिश्रा जी अमन आेर मनोहर का फोन हर सेकंड ट्रैक कर रहे थे । समीर ने घड़ी कि तरफ़ नज़र घुमाई । नौ बज रहे थे । हर कोई बस इसी कशमकश में था कि बस बिना कुछ हुए आज कि रात कट जाए । मगर ऊपरवाले वाले को कुछ और ही मंजूर था । दो बजे के आसपास तक समीर ने तीन बार सोसायटी के चक्कर लगा लिए थे पर अभी तक कुछ भी नहीं हुआ था । मिश्रा जी समीर के साथ ही थे । मिश्रा जी की फ़िक्र देख कर समीर को अपने पापा की याद आ गई वो भी वैसे ही थे ।

समीर ने देखा कि अभी रात के ढाई बज रहे थे । वो अपनी केबिन से बाहर आया । उसने देखा कि सब अपने अपने काम में लगे हुए थे । समीर ने सब के लिए चाय आेर नास्ता बोल दिया । समीर को ये देखकर अच्छा लग रहा था कि सब पूरे दिल से काम कर रहे हैं । उसे अपनी टीम पर गर्व था । चाय नाश्ता आने तक सब फ्रेश हो लिए ।

अभी आधा नाश्ता भी खत्म नहीं हुआ था इससे पहले समीर का फोन बज उठा । समीर ने मोबाइल स्क्रीन की तरफ नजरे घुमाई , कोई जाना पहचाना नंबर नहीं था । उसे अजीब लगा इतनी रात गए किसी अंजान नंबर से फोन आनेपर । समीर ने फ़ोन उठाया और अपने कान पर लगाया । सामने कोई लड़की थी जो बहुत डरी हुई थी । समीर कुछ पूछता उससे पहले ही वो लड़की चीख पड़ी के ‘ मुझे बचाओ , वो मार डालेगा मुझे ’ ‘बचाओ इससे मुझे ’ । समीर आगे कुछ पूछता उससे पहले ही फ़ोन कट गया । फ़ोन पे वो लड़की कांप रही थी ।

- continue

(मुझे पता है मैने बहुत गलतियां की होगी इसमें । कहीं मेरी storytelling ख़राब होगी तो कहीं कहानी का फ्लो टूट रहा होगा । इसीलिए आप लोगों से रिक्वेस्ट है जहा पर भी मेरी गलती लगे मुझे बताइए। आपकी वजह से में बहुत कुछ शिख सकता हूं । आप यहां नीचे कॉमेंट में बताइए या मेरे व्हाट्सएप (8780948835) बताइए । Thank you। )

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