MURDER MYSTERY - 9 in Hindi Classic Stories by Vismay books and stories PDF | मर्डर मिस्ट्री - 9

मर्डर मिस्ट्री - 9

मनोहर शर्मा को गिरफ्तार किए हुए हफ्ते से भी ऊपर हो गया था । उससे बहुत बार कड़क पूछताछ की गई पर ना उसने अपना जुर्म कबूला ना उसने ये बताया कि वॉचमेन कहां है । वॉचमेन को ढूंढ़ना अब नामुमकिन सा लगने लगा था । पुलिसने पूरा शहर छान मारा पर अभी तक कुछ मिला नहीं था । वॉचमेन के ना मिलने पर मीडिया वालों ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी पुलिस पर कीचड़ उछालने की । वॉचमेन को ढूंढ़ ने कि mystery ऐसी उलझी थी कि सुलझने का नाम ही नहीं ले रही थी ।

पुलिस को मिले सबूतों के अनुसार मनोहर को कोर्ट में हाज़िर किया गया था । उसके सामने बहुत स्ट्रोंग केस बना । आेर देश में बढ़ रहे हंगामें आेर इतनी बेरहमी से तीन लोगों के जान लेने के जुर्म में मनोहर को फांसी की सजा सुनाई जाने वाली थी । उसके बाप ने बहुत कोशिश की मनोहर को बचाने की पर लोगों का गुस्सा ही इतना ज्यादा था कि कोई कुछ नहीं कर सका । सरकार को भी ये बात अच्छी तरह पता थी कि कब जनता को भड़काना है और कब जनता को शांत रखना हैं । इसीलिए इस मामले में सरकार जल्द हीं जल्द फांसी की सजा सुनाने वाली है इस बात से जनता काफ़ी हद तक शांत हो गई ।

इस फ़ैसले से पूरा देश ख़ुश था सिवाय तीन लोगों के । एक मनोहर ख़ुद , दूसरा उसका बाप आेर तीसरा समीर । समीर को कहीं न कहीं ये लग रहा था कि मनोहर की गिरफ्तारी के बाद किसी ने भी केस के बाक़ी पहलूओ को ठीक से देखा ही नहीं । समीर ने इस बारे में कमिश्नर से भी बात करने की कोशिश की पर उसे डांट ही सुननी पड़ी । समीर को ये बात साफ साफ पता थी कि अब अगर खूनी कोई दूसरा निकला तो उसे दुनिया के सामने लाया नहीं जा सकता पर उसके दिल को सुकून मिल जाता ।

समीर अपने केबिन में बैठे बैठे कबसे उबासियां ले रहा था । फ्रेश होने के लिए समीर ने गरमा गरम अदरक वाली चाय आेर समोसे मंगवाए । नाश्ता करते हुए उसने टी वी अोन कर दिया और न्यूज़ देखने लगा । आधा घंटा वो बड़ी ध्यान से न्यूज़ देखे ही जा रहा था । फिर समीर कुर्सी से उठकर हाथ मुंह धोकर केबिन से बाहर निकला । उसने अपने बुलेट कि चाबी साथमे ले लि थी । समीर बुलेट पे बैठा , बुलेट स्टार्ट की और निकल पड़ा । रास्ते में रूककर उसने प्यारा सा गुलदस्ता ख़रीदा ।

बुलेट लेकर वो एक घर के सामने खड़ा हो गया । घर छोटा पर बहुत सुंदर था । गेट खोलकर समीर ने घर की डोरबेल बजाई । दरवाजा सलोनी गुप्ता ने खोला । समीर अभी बोपल सोसायटी में सलोनी गुप्ता के घर के सामने था । सलोनी समीर को देखकर थोड़ा हैरान हुई । समीर ने अपने हाथों में रखा हुआ गुलदस्ता सलोनी को दिया और हैप्पी बर्थडे विश किया । सलोनी ने थैंक यू बोलकर गुलदस्ता तो ले लिया पर वो अब भी हैरान थी ।

दोनों बाहर ही खड़े थे । समीर ने कहा कि “अंदर नहीं बुलाओगी ”? सलोनी अपनी हैरानी से बाहर आई आेर कहां की “ अरे हां.. हा प्लीज़ अंदर आओ ” । समीर घर के अंदर गया और वहां रखे हुए एक सोफे पे जाके बैठ गया । सलोनी ने घर का दरवाज़ा बंद किया और समीर के पास आके पूछा कि चाय या कॉफी ? समीर ने हमेशा कि तरह चाय का साथ दिया । वो किचन में चाय बनाने के लिए गई । समीर पूरे घर को अजीब नज़रों से घूर रहा था । समीर ने देखा कि सलोनी का सामान पैक है । “लगता है वो कहीं पर जाने वाली हैं या कहीं जाकर आई हैं” समीर मन ही मन सोच रहा था । थोड़ी ही देर में सलोनी चाय के दो कप लेकर आई । एक कप उसने समीर को दिया और दूसरा कप ख़ुद लेकर समीर के सामने वाले सोफे पर बैठ गई ।

सलोनी ने बात की शुरुआत की “वैसे आज पुलिस रिपोर्टर के घर पे कैसे” ? उसने पूछा ।

“ बस यहीं पास से गुज़र रहा था तो सोचा की तुम्हें बर्थडे विश करता चलू , आेर कोई बात नही थी ” समीर ने उत्तर दिया ।

सलोनी ने कहा की “ पुलिस वाले कभी मुझे बर्थडे विश करने नहीं आए ना इसीलिए थोड़ा अजीब लग रहा है” ।

“अजीब तो बहुत कुछ है दुनिया में तुम ये अभी हुआ मर्डर केस ही ले लो ” समीर ने जवाब दिया ।

सलोनी को बात ठीक से समझ में नहीं आई कि समीर किस बारे में बात कर रहा है । उसने पूछा “ मतलब, में समझी नहीं तुम क्या बात कर रहे हो ”?

“ एसिड अटैक की पीड़ित होने की वज़ह से पूरे केस के दौरान किसी का भी ध्यान तुम्हारी तरफ गया ही नहीं जब की तुम भी बोपल में ही रहती हो आेर रिपोर्टर होने की वज़ह से तुम उन तीनों के घर में कभी भी जा सकती थी ” समीर ने जवाब दिया ।

सलोनी जानती थी समीर किस बारे में बात कर रहा है पर उसने कोई भी भाव चेहरे पे आने ही नहीं दिया । समीर ने उसे देखकर कहा कि अब बात छुपाने की कोई जरूरत नहीं है मुझे पता है की खूनी तुम हो । ये बात सुनकर सलोनी को डर जाना चाहिए था पर इसके बदले में उसके चेहरे पर धीरे धीरे बिभत्स मुस्कान आने लगी जैसे उसे ये सब सुनकर बड़ा सुकून मिल रहा हो । सलोनी ने अपने हावभाव सामान्य करते हुए कहा कि तुम्हें क्यू लगता हैं कि खूनी में हूं ?

“ आज सुबह तक तो मुझे भी नहीं लगता था कि तुम भी खूनी हो सकती हो । पर मुझे ये जरूर लग रहा था कि केस में कुछ ना कुछ तो मिसिंग है । क्यू मनोहर के पकड़े जाने के बाद में भी वॉचमेन का कुछ नहीं पता चला , खूनी मेसेज देकर हम सबसे कहना क्या चाहता था , तुम अकेली ही जिंदा क्यू बची .. इन सब सवालों ने कई दिनों से मेरा दिमाग़ ख़राब कर रखा था । पर आज सुबह जब में भारत न्यूज़ चेनल देख रहा था तो वहां पर एक घंटे का महा एपिसोड दिखा रहे थे तुम पर । क्यूं की आज उनकी स्टार रिपोर्टर का जन्मदिन है । उसमें ये सब दिखा रहे थे कि तुम यहां तक कैसे पहुंची , बेसिकली वो तुम्हारा संघर्ष दिखा रहे थे । उस महा एपिसोड के बीच में एक वीडियो दिखाया गया । जिसमें तुम पर जब सात साल पहले एसिड फेंका गया था तब मीडिया आेर अख़बार वालों ने तुम्हारे बहुत से इंटरव्यू लिए थे और हर कोई अपनी तरह से तुम्हें सिंपैथी दे रहा था । पर कुछ ही दिनों में मीडिया आेर अख़बार वालो की वज़ह से तुम्हारा जीना हराम हो गया था , तुम जहां भी जाती लोग अफसोस जताने लग जाते । पूरा शहर काफ़ी समय तक तुम्हें लगातार हमदर्दी दिए जा रहा था । इसी वज़ह से एक बार गुस्से में आकर तुमने पूरे लाइव मीडिया के सामने ये कहां था की “ I DON'T WANT ANY SYMPATHY ” समझे तुम सब “ I DON'T WANT ANY SYMPATHY ” । ये वीडियो उस वक्त बहुत ज्यादा ही वायरल हुआ था की कैसे एक लड़की के साथ इतना बुरा होने के बाद भी उसे हमदर्दी नहीं चाहिए । और उसी की वजह से तुम भारत न्यूज़ चेनल की नजर में आई थी । वैसे भी तुमने रिपोर्टर की पढ़ाई की हुई थी और भारत न्यूज़ चेनल ने जब तुम्हें जॉब ऑफर किया तो तुमने भी जॉब ले लि । पर अजीब बात ये है की सीरियल किलर का मेसेज आेर तुम्हारे द्वारा वीडियो में बोले गए शब्द बिल्कुल सेम है । ” समीर ने जवाब दिया ।

“ काफ़ी कुछ जानते हो तुम मेरे बारे में , खेर कोई ये कभी नहीं जान पाता कि समंदर के अंदर कितना ख़ज़ाना हैं । तो फ़िर ये बताओ मैने मनोहर शर्मा को क्यू फसाया” ? सलोनी ने पूछा ।

“ बदले के लिए । बदला इंसान से कुछ भी करवा सकता हैं । सात साल पहले जिस दिनेश नाम के शक्स ने तुम पर एसिड फेंका था वो मनोहर का दोस्त था । मनोहर ने उसके साथ मिलकर न जाने कितने ही कांड किए होंगे । पर तुम्हारी घटना में मनोहर का कोई हाथ नहीं था । फ़िर भी दोस्ती की वजह से उसने अपने बाप का पॉलिटिकल पावर इस्तमाल करके दिनेश को छह महीने के अंदर ही छुड़ा लिया । छूटने के दो तीन महीनों के अंदर दिनेश ख़ुद एक कार एक्सिडेंट में बूरी तरह मारा गया । अगर उस एक्सिडेंट के पहले वो तुम्हें मिल जाता तो तुम उसको तभी जान से मार देती । दिनेश के मरने के बाद मनोहर के लिए तुम्हारे दिल में गुस्सा बहुत था । पर वो बड़े बाप की औलाद होने कि वजह से तुम उस पर हाथ नहीं डाल सकती थी । इसीलिए तुमने इंतज़ार किया , सही वक्त का । वो कहते हैं ना कि ‘ टाइमिंग इस एवरीथिंग ’ । जैसे ही तुम्हें मौका मिला तुमने मनोहर के फिंगरप्रिंट इकठ्ठा किए आेर हर बार कत्ल करने के बाद क्राइम सीन पर उसके उंगलियों के निशान छोड़ दिए । तुमने हर लाश की बीच वाली उंगलीया इसी लिए काटी क्यू की जब पुलिस छानबीन करे तो वो उंगलियां मनोहर के गार्डन से मिले । तुमने उसका फोन इस्तमाल किया किसी तरह पुलिस को बुलाने के लिए । वैसे मानना पड़ेगा तुम्हारे मास्टर माइंड प्लान को ” । समीर ने अपनी बात खत्म की ।

- continue

(मुझे पता है मैने बहुत गलतियां की होगी इसमें । कहीं मेरी storytelling ख़राब होगी तो कहीं कहानी का फ्लो टूट रहा होगा । इसीलिए आप लोगों से रिक्वेस्ट है जहा पर भी मेरी गलती लगे मुझे बताइए। आपकी वजह से में बहुत कुछ शिख सकता हूं । आप यहां नीचे कॉमेंट में बताइए या मेरे व्हाट्सएप (8780948835) बताइए । Thank you। )


Rate & Review

Gordhan Ghoniya
Suresh

Suresh 3 years ago

Sanjeev Srivastava
Suryansh

Suryansh 4 years ago

I want to say thanks to the author for the story

Rasila

Rasila 4 years ago