Vivek aur 41 Minutes - 6 books and stories free download online pdf in Hindi

विवेक और 41 मिनिट - 6

विवेक और 41 मिनिट..........

तमिल लेखक राजेश कुमार

हिन्दी अनुवादक एस. भाग्यम शर्मा

संपादक रितु वर्मा

अध्याय 6

गोल मेज, मेज के चारों ओर पुलिस कमिश्नर पारांकुशम, डिप्टी पुलिस कमिश्नर संजय, सहायक आयुक्त राय, विवेक, विष्णु आराम कुर्सियों में बैठे हुए थे |

विवेक अपने हाथ में रखी उस मोती की माला को मेज पर रखते हुए बोला- “ये माला मारअप्पन ने गड्ढे में से चोरी से निकाल लिया था | इसे देखने में मोती की माला जैसे होने पर भी सच में ये माला में लगे मोती नहीं है | मोती जैसे दिखने वाले ये तो पारे की गोलिया हैं |”

पराकुशम ने पूछा –“यू मीन............ मरक्यूरी (पारा)..........?”

“येस.............. सर...........! ये गड्ढे में मिले खोपड़ी कंकाल में मिला | अत: ये उसी ने पहना होगा |”

“ऐसा है तो जो हत्या हुई वह लड़की है ?”

“मे बी, बट फोरेंसिक रिपोर्ट के अनुसार ये लड़की की खोपड़ी है या आदमी की अभी तक असमंजस है | इस पारे की माला को आदमी लोग भी पहनते हैं लड़कियां भी पहनती हैं | इस माला में रोग उपचार और आत्मज्ञान दोनों ही शामिल हैं एक पुस्तक में मैंने पढ़ा था | अत: हत्या करने वाला आत्मज्ञानी भी हो सकता है |”

“विवेक ने उस खोपड़ी कंकाल में जो गोलिकाजमा था उसे बाहर निकाल कर फाेरेंसिक में जांच के लिए भेजा था उन्होंने क्या रिपोर्ट दिया आपने देखा ?”

“देखा............ जो मिला वह बताता है युद्ध में काम आने वाले जिस बंदूक को काम में लिया गया है उस बंदूक को एक बार दबाओ तो उसमें से दो गोलियां धमाक से आवाज कर सामने वाले के जान को ले लेंगी | इस तरह के बंदूक को (tandem bullet) टेंडम बुलेट कहते हैं| इस बात को ध्यान में रख कर देखें तो सेना में रहने वाले ने हत्या की हो ऐसा संदेह होता है |”

“क्यों टेंडम बुलेट (tandem bullet) को कोई चोरी छिपे नहीं बना सकता क्या............?”

“यह सच भी भूल नहीं सकते | आजकल रुपये लेकर जाओ तो चोर बाजार से किसी भी तरह का औज़ार चाहो तो खरीद कर ला सकते हैं |”

“खोपड़ी जिसकी है वह युवा उम्र का वह भी तीस से पैंतीस साल के बीच की उम्र का होना चाहिए ऐसा फोरेंसिक रिपोर्ट बता रही है | इस सिर को गड़े एक साल हुआ होगा ये भी रिपोर्ट में बताया है | दूसरी मुख्य बात जहां गाड़ागया था वहाँ सिर के बाल आदि कुछ भी नहीं मिलने से ऐसा लगता है जब गाड़ा तो उस समय सिर का मुंडन कर दिया होगा | ये तीसरा पॉइंट है |” विवेक ने उसके सामने बैठे हुए सभी अधिकारियों को एक नजर से देख कर धीरे बोलना शुरू किया |

“साहब.............. हमें मिलीवह पारे की माला इस हत्या के केस में सबूत है | दवाओं के गुण लिए इस पारे की माला के बारे में बाहर पूछताछ की तो एक पत्रकार पेशे से संबन्धित एक मित्र ने मुझे एक बुकलेट दिया |” कहते हुए विवेक अपने साथ लाये ब्रीफकेस को खोल कर उस बुकलेट को निकाल कर दिया |

कमिश्नर पराकुशम ने लेकर देखा |

पुस्तक के मुख्य पृष्ठ पर लिखा था |

स्कल् रोग निवारणी

पारस की मोती

(कुछ अपूर्व सच)

ऐसा मुख्य पृष्ठ पर लिखा दिखाई दिया | कमिश्नर ने पुस्तक के पहले पृष्ठ को पलटा |

इस पुस्तक को विश्वास के साथ पढ़ो |

धोखा देने का काम नहीं है | पैसे कमाने का धंधा भी नहीं है | 99 साल के जगज्योति स्वामी जी ने पिछले 75 साल से ‘पारस देवी की मालाओं को तैयार कर उसकी 108 दिन पूजा कर हमें ढूंढ कर आने वाले भक्तों को आशीर्वाद के साथ पहना कर उनकी बीमारियों, उनके घर की समस्याओं को समाप्त कर दिया है| दिल की बीमारी वाले 2 लाख रुपये खर्च कर बाय-पास ऑपरेशन करवाते है | वे यदि ये अपूर्व पारस मणि माला को पहन लें दिल की बीमारी ठीक हो जाएगी | ये सब जांच किया हुआ सत्य है |

कमिश्नर ने अगले पन्ने को पलटा |

पारस मणि और उसके फायदे शिक्षा के लिए विदेश में जाकर पढ़ने, अपार सम्पत्ति और नाम कमा सकते है | शादी में रुकावट हो तो वह दूर हो घर में शुभ कार्य होगा | घर में पुत्र उत्पन्न होगा | दुष्ट आत्माओं से बचाव, आस्थमा, मानसिक अस्थिरता, रुमेटिक अर्थराइटिस, वाद, पित, जन्नी, बुखार, मिर्गी, हाथ पैर का रह जाना, दिल की बीमारियाँ, नपुसंकता, नस की कमजोरी, दांपत्य का सुख, मोहनी से आकर्षित होना, लोगों से आकर्षित होना, राज्य से और भी जो बाहर बोल नहीं सकते जिनका नाम मालूम नहीं, ऐसे कई रोगों के लिए पारस मणि माला- पहने तो सूर्य आने से सर्दी भागे जैसे आदमी के शरीर से सब चला जाएगा | सिद्ध पुरुष के इस रहस्य को जाना और मरकद रंजीत नाम के एक जड़ी बूटी के रस की मदद लेकर और इस पारस माला की क्रिया शक्ति के द्वारा उत्पन्न कर...............

पुलिस कमिश्नर पढ़ना बंद कर विवेक को घूरने लगा | “विवेक इस बुकलेट में जो भी सामग्री है सबको पढ़ लिया क्या.........?”

“पढ़ लिया साहब............”

“इसमें जो बात कह रहें है उन सब बातों पर आप विश्वास कर सकते हैं क्या ?”

“साहब मुझे ऐसी बातों में विश्वास नही है | फिर भी जगज्योति एक विश्वसनीय आत्मज्ञानी है | केशवाकम के पास एक दक्षिणमूर्ती मंदिर को अच्छी तरह चला रहेहैं मैंने सुना.............”

“जगज्योति स्वामी जी को आपने देखा है क्या ?”

“नहीं............ साहब |”

“एक बार मैंने देखा है | उनकी आयु 99 साल बोलते है | परंतु मैं विश्वास नहीं कर पा रहा हूँ | साफ ढंग से बात करते हैं | ठीक से देखते हैं | आँखों में चश्मा भी नहीं लगा है | अभी तक एक भी दांत नहीं गिरा बोलते है |”

“इस पारस मणि को दिखा कर जगज्योति स्वामी जी से आपने किस-किस को ये माला दी ? शायद उनको याद रहें | ये पारस मणि कीमती है | उसे स्वामी जी ने किस किस को दिया, ऐसा लिस्ट बना कर भी रखा हो........”

विवेक जब बोल ही रहे थे तभी मेज पर रखा इंटर कॉम बजा |

कमिश्नर ने उठाया | दूसरी तरफ से कमिश्नर के सहायक बोल रहेथे | “साहब........... फारेंसिक चीफ आपसे मिलकर बात करने आए हैं |”

“क्या बात है आपने पूछा ?”

“पूछा साहब............. उस शोरवरम स्पॉट में मिले स्कल् के रिपोर्ट के साथ आये हैं |”

“उन्हें मीटिंग में ही सीधे भेज दो.........”

“जी साहब |”

पुलिस कमिश्नर रिसीवर को रखकर इस बात को विवेक को बता रहे थे तभी फारेंसिक चीफ महादेवन “गुड मॉर्निंग एवरी बडी..........” कहते हुए अंदर आए |

“आइये महादेवन.........! शोरवरम स्कल् रिपोर्ट क्या बोल रहा है..........?”

“फाइनल रिपोर्ट मुंबई से कुछ देर पहले ही आया साहब...........”

“स्कल् पुरुष है या स्त्री ?”

“स्त्री....”

“कैसे........... इसको रख कर ‘महिला’ करके रिपोर्ट किया है |”

“स्कल् में जो ‘आरपिट’ है आँखों के गड्ढे पुरुषों की चौड़ी और स्त्रियॉं की सकरी होती है | इस एक क्लू को रखकर एक महिला का ही है ऐसा रिपोर्ट दिया है | साधारणत: मुंबई नेशनल फारेंसिक रिपोर्ट कभी गलत हुआ ऐसा दस साल में एक छोटा रिपोर्ट भी नहीं है साहब.......”

“सो....... स्कल्.......... एक लड़की का है ?”

“यस......”

“युवा लड़की.........?”

उम्र 25 साल से 35 साल के बीच हो सकती है ऐसा रिपोर्ट में लिखा है साहब......... फिर ’स्कल्’ का लोड ‘स्ट्रक्चर’ (बनावट) को कंप्यूटर में देकर लड़की जिंदा रहती तो कैसी होती ऐसे चार पाँच फोटोज तैयारकिये हैं ” फारेंसिक चीफ महादेवन ने कहते हुए साथ लाये एक प्लास्टिक कवर में से फोटोज को निकाल कर मेज पर रखा |

सभी लोगों की निगाहें उस फोटो के ऊपर गईं |

***