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भारतका सुपरहीरो - 5

5. यान का भयानक प्राणी आजाद

पश्चिम भारत के पहाड़ी प्रदेश में पूरी जगह पर घास छाई हुई थी, सुबह को सूर्य प्रकाश और हवा के साथ बड़ी बड़ी घास लहरा रही थी। सिर्फ यान के आसपास का ही विस्तार दीखता था बाकी सब घास से छाया हुआ था। सूर्यदेव पहाड़ों में से निकल कर धरती पर देख रहे हो ऐसा लग रहा था।

सुबह के दस बजे थे यान के नजदीक बहुत भीड़ थी, आर्मी और पुलिस सब लोगों की बहुत भीड़ थी जैसे कि कोई मेला लगा हो। यह भीड़ क्यों थी? क्योंकि आज दो घंटे के बाद यान के दरवाजे खुलने वाले थे इसलिए लोगों की सिक्युरिटी के लिए सरकार के द्वारा बड़ा बंदोबस्त किया गया था। हथियार से सज्ज पुलिस और आर्मी के लोग उधर सख्त पहरेदारी कर रहे थे। हथियार का टैंकर उधर उतारा गया क्योंकि पता नहीं कि वह जानवर कैसा है?

बारह बजने वाले थे सभी पुलिस और आर्मी वालों ने चारों ओर से पिंजरे को घेर लिया था और सब गन से सज्ज थे। जैसे जैसे समय बीत रहा था ऐसे सब लोगों के दिल की धड़कन तेज हो रही थी। तीन...... दो..... एक........ धीरे धीरे यान के दरवाजे खुलने लगे, दरवाजा पूरा खुल चुका था किंतु कोई बाहर नहीं आया इसलिए सब लोग हाथ में गन लेकर और एक उंगली ट्रिगर पर रख कर पिंजरे की ओर धीरे धीरे बढने लगे।

यान के अंदर सोते हुए जानवर को यान में से एक सुई उसके पेट में खुची और वह जानवर ने आँखें खोली और आलस निकाल कर खड़ा हुआ। उस जानवर को बाहर निकलते देखते ही जो सैनिक आगे बढ़ रहे थे वो डर के पीछे हट गए। जानवर एकदम कद्दावर था उसकी ऊंचाई कम से कम पन्द्रह और सत्रह फीट के आसपास थी। वह मगर के जैसा ही दिखता था और उसकी चमड़ी भी मगर की जैसे ही थी और बड़ी लंबी सी उसकी पूंछ थी। उसके शरीर के अलग अलग जगह पर अलग अलग इलेक्ट्रॉनिक इंस्ट्रूमेंट लगाए हुए थे।

उस कदावर जानवर को सब लोग देख रहे थे, वह जानवर ने सब लोगों को देखा और उसने नुकीले दांत दिखा कर गर्जना करने लगा, उस समय उसके मुंह में से कफ टपक रहा था। उस समय कमांडर ने सब लोगों को एलर्ट कर दिया कींतु अभी तक फायरिंग नहीं किया था। वह जानवर अपने को पिंजरे में बंध देखकर गुस्से में आया और दौड़ कर पिंजरे की नजदीक जाकर अपने धारदार दांत से पिंजरे को काट ने लगा। वह जानवर पिंजरे की धातु काटकर निकलने लगा उस समय कमांडर ने फायरिंग का आदेश दीया, सबने फायरिंग चालू कर दी किन्तु वह जानवर गन का आवाज सेंस करते ही उसने अपने पूरे शरीर के अंगों को लपेटकर गोलाकार रूप धारण किया।

सबने लंबे समय तक उसके ऊपर गोलियों की बारिश की उसकी वजह से आस पास धुआं धुआं हो गया था, कमांडर को लगा कि अभी वो जानवर मर चूका होगा, ऐसा सोच कर अपना हाथ ऊंचा करके सब को रोकने का आदेश दिया। सब ने फायरिंग करना बंद कर दिया, धुआं धीरे धीरे कम होने लगा, थोड़ी देर के बाद उस जानवर को गोलाकार रूप में देखा, उसके आस पास सिर्फ गोलियां ही दिख रही थी। लेकीन एक भी गोली उसके शरीर में नहीं खुची थी और वो जानवर हिल भी नहीं रहा था, इसलिए सब धीरे धीरे उसकी ओर बढने लगे। अचानक से वह प्राणी अपने पिछले दो पैरों पर खड़ा हुआ और वापस गुस्से में आकर पिंजरे को तोड़ कर बाहर आया।

सब उसको बाहर आते देखते ही इधर उधर भागने लगे आधे लोग छुप कर फायरिंग कर रहे थे, किन्तु सब के पास मशीन गन ही थी और कोई बड़ी गन नहीं थी इसलिए वो जानवर पर कुछ असर नहीं हुआ। कई लोगों को उस जानवर ने अपनी लपेट में ले लिया था और उसकी पूंछ में भी इतनी ताकत थी कि वो अपनी पूछ की मदद से सब को मार रहा था। अभी वो जानवर मूनसिटी की ओर बढ़ने लगा। सभी सैनिक उसको रोकने की कोशिश कर रहे थे लेकिन उसके ऊपर कोई भी गन का असर नहीं हो रहा था। कमांडर ने अपने हेड से बात की और उस जानवर के बारे में सब बताया और एडवांस गन की जरूरत के बारे में भी बताया। वायु सेना के हेड ने उच्च कक्षा के जांबाज सैनिकों को कैनन गन के साथ हेलीकॉप्टर ले कर भेज दीया।

मास्टर टेबल पर बैठकर खाना खा रहे थे और वह भयानक जानवर के बारे में न्यूज देख रहे थे, मास्टर उधर जाने का ही सोच रहे थे तभी उसके फोन की घंटी बजी मास्टर ने खाना खाते खाते फोन उठाया थोड़ी देर उसकी बात चली और मास्टर अपना खाना छोड़ कर कहीं जाने को निकल गए।

ईशा मास्टर को पूछने लगी कि क्या हुआ? मास्टर कहने लगे कि वायुसेना के हेड का कॉल आया था और बोला कि क्या तुम हमारी मदद कर सकते हो और मैंने जाने का फैसला कर लिया, मास्टर लेबोरेटरी में जाकर अपना क्यूब निकाला और क्यूब पर का बटन दबाया और क्यूब में से सुई निकल कर मास्टर के हाथ में खुची और अंदर चली गई और उसमें से आवाज आई 'डीएनए टेस्ट सक्सेसफूल्ली', उसके साथ ही क्यूब घड़ी के रूप में उसके हाथ पर चिपक गया और मास्टर अपनी बाइक लेकर चल पड़े।

हेलीकॉप्टर जंगल के ऊपर उडने लगा, सेना के लोग रस्सी की मदद से कैनन गन लेकर हेलीकॉप्टर से नीचे उतरे और जो वो जानवर आ रहा था उस रास्ते पर कोई पेड के पीछे तो कोई झाड़ियों में तो कोई बड़े पत्थर के पीछे छुप गए। सब लोग उतर जाने के बाद हेलीकॉप्टर उस जानवर की ओर बढा और जानवर को देखते ही निशाना लगाया और हेलिकॉप्टर में से कैनन छोडी। उस समय जानवर ने अपना शरीर समेट लिया और कैनन उसके ऊपर पड़ी और ब्लास्ट हुई, थोड़ी देर तो धुआं धुआं ही था। हेलिकॉप्टर के पायलट को लगा कि वह जानवर मर चूका होगा। धुआं कम होने लगा और वो जानवर वापस खड़ा हो गया और गुस्से में आकर पेड़ उखाड़ कर तोड़ने लगा।

हेलिकॉप्टर पायलट ने उसके ऊपर बार बार फायरिंग किया किन्तु हर बार वो अपना शरीर समेट लेता था। अभी वो जानवर एकदम गुस्से में आ गया था और उसने अपने दोनो हाथ की मदद से पेड़ को मूल में से निकाला और हेलीकॉप्टर की तरफ फेंका। किन्तु पायलट ने अपना बचाव किया उस समय पेड की डाली हेलीकॉप्टर की पंखुड़ी पर लगी और पंखुड़ी की एक ब्लेड टूट गई उसकी व़जह से हेलीकॉप्टर ने अपना बैलेंस खो दिया और धीरे धीरे वह घुम घुम के नीचे आने लगा।

जब वो घुम घुम के नीचे आ रहा था, तभी उस जानवर ने बड़े पत्थर पर चढ़कर बड़ी छलांग लगाई और हेलीकॉप्टर को पकड़ कर जमीन पर गिराया और अपने हाथों से मसल दिया। फिर वह आगे बढ़ने लगा, उस समय वायु सेना के लोग रास्ते पर छुपे हुए थे। जानवर को दूर से देख कर एक साथ सब ने कैनन उस जानवर पर छोड़ी। कैनन एक साथ ब्लास्ट हुई, थोड़ी देर के बाद धुआं कम होने लगा और वह जानवर गोलाकार रूप में देखा गया, थोड़ी देर के बाद वह जानवर अपने गोलाकार रूप में ही वो शहर की ओर बढ़ने लगा। उस जानवर पर सबने कैनन एक के बाद एक छोडने लगे लेकिन उस जानवर को कुछ नहीं हुआ।

वह जानवर शहर में पहुंच कर वो रास्ते पर तोड़फोड़ करने लगा और सब की गाड़ियां तोड़ने लगा, साथ मे इंसान को भी वो मार रहा था। लोगों को मारते हुए देखकर दूसरे लोग अपनी गाड़ियां छोड़कर भागने लगे। पूरे मूनसिटी में भागदौड़ मची थी, सब अपनी अपनी जान बचा के भाग रहे थे पूरे रास्ते पर गाड़ियों की भीड़ हो गई थी। इसलिए मास्टर की गाड़ी भी भीड़ में अटक गई थी, मास्टर अपनी बाइक से नीचे उतरे और वह जानवर की ओर बढ़ने लगे।

उतनी देर में सब सैनिक दौड़ कर उधर पहुँच गए और दूर से उस जानवर को सब ने चारों ओर से घेर लिया, उस समय मास्टर उधर पहुँच गए थे। मास्टर दूर एक घर की दीवार के पीछे छुप कर सब देख रहे थे। कमांडर के आदेश के साथ ही फायरिंग चालू हो गई और गोलियों की आवाज सुनते ही उसने अपना शरीर समेट लिया। उसके ऊपर गोलियां और कैनन की बारिश हो रही थी। यह सब मास्टर ने देखा, पर थोड़ी देर में फायरिंग रुकी और वह जानवर फिर से खड़ा हुआ और सैनिको के सामने दौड़ कर अपने पूछ और हाथ से सबको मारने लगा और गाड़ियां उठा के सब की ओर फेंकने लगा उस समय मास्टर के मन में एक विचार आया।

मास्टर बाहर निकले और थोड़ी दूर पडी एक कार के ऊपर चढ़ के मास्टर ने कोड डाला और थोड़ी ही देर में कैनन गन उसके हाथ मे थी। उस समय सब सैनिक भाग रहे थे और वह जानवर शहर के रास्ते पर सब तोड़ फोड़ कर रहा था। मास्टर ने अपनी कैनन गन से उस जानवर को निशाना बनाया और फायर किया। कैनन गन में से कैनन छुट्टी और उस जानवर ने वह कैनन की आवाज पहचान ली और गोलाकार रूप धारण किया। कैनन उसके ऊपर ब्लास्ट हुई पर यह कैनन, आर्मी वाले की कैनन से ज्यादा पावरफुल थी इसलिए वो जानवर थोड़ा पीछे सरक गया था।

वो जानवर अब बहुत गुस्से में आ गया था और वो अपने दोनों पैर पर खड़ा हुआ और मास्टर के सामने देखकर गर्जना करने लगा। मास्टर अब समझ गए थे, उसने घड़ी के ऊपर वाला बटन दबाया और कैनन गन समेट गई। वह जानवर मास्टर की ओर दौडने लगा मास्टर उसको देख कर खुले मैदान की ओर भागने लगे, आगे मास्टर पीछे वो जानवर और जानवर के पीछे सैनिक एसे सब दोड रहे थे।

खुल्ला मैदान मास्टर से पांच सौ मीटर की दूरी पर था, मास्टर खुले मैदान तक पहुंच गए थे। मास्टर की साँसे फूल गई थी क्योंकि मास्टर एकदम तेजी से दौड कर आए थे इसलिए मास्टर अपने दोनों हाथ घुटनों पर टिका के अपनी साँसे कम कर रहे थे। तभी वह जानवर उधर पहुँच कर मास्टर को अपनी पूंछ से जबरदस्त फटका मारा, मास्टर दूर दीवाल पर अथडाए। उसकी पूंछ मारने की वजह से मास्टर के पांव पर उसकी पुंछ का लाल निशान हो गया।

उतने ही समय में सब आर्मी वाले और पुलिस वाले आ चुके थे, सबने उस जानवर की घेराबंदी की और फायरिंग चालू कर दि। मास्टर थोड़ी देर के बाद खड़े हुए उस समय वह जानवर ने अपना शरीर समेटा हुआ था। तभी मास्टर के मन में विचार आया कि यह जानवर फायरिंग के वक्त हर बार अपना शरीर क्यों समेट लेता है? अभी मास्टर को थोड़ा थोड़ा समझ में आ रहा था, मास्टर ने अपनी घड़ी में कोड दाखिल किया और कैनन गन एक्टिव की। मास्टर ने अपने हाथ से सिटी मारी, सब उसके सामने देखने लगे मास्टर ने फायरिंग बंद करने को कहा सब ने फायरिंग बंध करके वहाँ से दूर चले गए।

मास्टर अपनी कैनन गन के साथ तैयार थे, थोड़ी ही देर में वह जानवर खड़ा हुआ। मास्टर को लगा कि उसका नाभि वाला भाग थोड़ा मुलायम है, मास्टर ने उसकी नाभि को निशाना बनाया और फायर किया, कैनन उस जानवर की ओर बढ़ने लगी, उस समय वह जानवर ने अपना शरीर फीर से समेट लिया। मास्टरने कई बार उसकी नाभि को निशाना बनाया लेकीन हर बार वह अपना शरीर समेट ही लेता था। अभी मास्टर को पता चल गया की गन से काम नहीं बनने वाला।

मास्टर ने अपनी घड़ी में कोड डाला और उसके हाथ में तलवार आ गई, उतनी देर में वह जानवर अपने दोनों पैर पर खड़ा हुआ और गुस्से में आकर मास्टर के ऊपर उसने छलांग लगाई। मास्टर अपना बचाव करने के लिए थोड़े झुक कर उसके पैर पर तलवार मारी किन्तु उसकी चमड़ी इतनी सख्त थी कि उसके ऊपर कोई असर नहीं हुआ। उस जानवर ने मास्टर के ऊपर अपनी पूंछ की मदद से प्रहार किया उस समय मास्टरने अपना हथियार बदल दिया और शिल्ड की मदद से प्रहार अटकाया किन्तु उसका प्रहार इतना पावरफुल था कि मास्टर शिल्ड के साथ दीवार में टकराए और सीर के ऊपर वाले भाग पर लगने की वजह से उधर से खून निकल ने लगा।

मास्टर को अपनी मौत नजदीक दिख रही थी किन्तु उसने हार नहीं मानी और दीवार के सहारे खड़े हुए, मास्टर ने अपना हथियार बदल दिया और चाबुक पसंद की। मास्टर ने यह क्यों पसंद की? क्योंकि मास्टर को ऐसा लगा कि मैं चाबुक की मदद से उसके पैरों पर फेंकूंगा और उसके पैर चाबुक की वजह से अकड़ जायेंगे और वो यह चाबुक तोड़ भी नहीं सकेगा। वह जानवर धीरे धीरे मास्टर की ओर बढ़ने लगा मास्टर ने मौके का फायदा उठा कर उसके पैरों की तरफ चाबुक फेंकी, पर मास्टर का अनुमान गलत निकला। उस जानवर ने वो चाबुक अपने हाथों से पकड़ लिया, अभी वो चाबुक मास्टर के हाथ से चिपका हुआ था, वो अभी अलग भी नहीं हो सकता था।

उस जानवर ने चाबुक पकड़कर अपनी ओर खींचा मास्टर हवा में उस जानवर की ओर खींचने लगे। उस समय मास्टर की दिमाग की बत्ती जल गई और मास्टर ने अपनी घड़ी में कोड डाला। जैसे जैसे मास्टर उसकी ओर खींचते गए उतने समय में मास्टर के हाथ में नुकीला भाला आ चुका था। यह देखते ही वो जानवर अपना शरीर समेटने लगा, वो जानवर अपना शरीर समेट ले इतनी देर में तो मास्टर ने जोर से भाले से उसकी नाभी पर प्रहार किया और भाला उसके पेट के अंदर तक चला गया।

भाला खुंचने की वजह से उस जानवर के मुंह में से आवाज नीकल गई और जमीन पर गिर पड़ा। मास्टर ने अपनी घड़ी का बटन दबाया और भाला समेट लिया, उस जानवर का हरा खून बहने लगा। भाला अंदर तक चले जाने की वजह से खून वाला हो गया था तो वो समेटने के बाद घड़ी की डिस्प्ले एकदम हरे रंग के खून से भीग गई थी। मास्टर के सिर में से खून निकलने की वजह से उसके कपडे खून से भीग गए थे। मास्टर अपनी जेब में से रूमाल निकालकर घड़ी को साफ कर रहे थे, तभी कितना सारा खून बहने की वजह से मास्टर को चक्कर आ गए और जमीन पर गिर पड़े।

मास्टर ने जब आँखें खोली तभी ईशा उसका हाथ पकड़ कर उसके पास में बैठी थी, उसके मुंह पर सूखे हुए आंसू थे, मास्टर की आँखें खुलते ही वो मास्टर के सामने हंसने लगी। थोड़ी देर के बाद मास्टर और ईशा घर पर चले गए। जानवर के ऊपर लगे सभी इलेक्ट्रॉनिक इंस्ट्रूमेंट को निकाल दिए गए और उसको लेबोरेटरी में ले जाया गया। जांच खतम होने के बाद उसको जलाया तभी वो इलेक्ट्रॉनिक फर्नेस में तकरीबन तीन दिन लग गए थे, तभी उसके सब अवशेष खत्म हुए थे।

मास्टर अभी स्वच्छ हो चुके थे इसलिए मास्टर लेबोरेटरी पर गए क्योंकि उसको उस जानवर के बारे में जानना था। मास्टर लेबोरेटरी पहुंच कर लेबोरेटरी के हेड को मिले उसने बताया कि उस जानवर के ऊपर जो इंस्ट्रूमेंट लगाए थे वह एक प्रकार के ट्रैकिंग डिवाइस थे, ट्रैकिंग डिवाइस की मदद से कोई इसको ट्रैक कर रहा होगा। इसलिए हमने यह ट्रैकिंग डिवाइस डिसमिस कर दिया। फिर एक बार लेबोरेटरी की स्थापना दिन आते ही बड़ा फंक्शन का आयोजन किया और उसमें मास्टर की वीरता के कारण उनको सम्मानित किया गया।