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भारतका सुपरहीरो - 7

7. दूसरे अंतरिक्ष यान का पृथ्वी पर आगमन

पन्द्रह साल के बाद.......

विक्रम अभी सोलह साल का हो गया था, ऐसे तो विक्रम अपनी पढाई में बहुत होशियार था और मास्टर के जैसा बुद्धिमान भी था। मास्टर हर रोज क्रिस्टल क्यूब की मदद से सब हथियार चलाने की तैयारी कर रहे थे। मास्टर को देख कर विक्रम को भी हथियार चलाने की उत्सुकता हुई। विक्रम ने मास्टर को बोला कि पिताजी मुझे भी सिखाओना, मास्टर ने बोला नहीं अभी तू छोटा है। फिर विक्रम की जिद की वजह से मास्टर ने क्यूब उसके हाथ में दिया और बटन दबाया, सुई निकली और विक्रम के हाथ में खुची, इस वक्त विक्रम के मुंह में से आवाज भी नहीं निकली क्योंकि विक्रम हिम्मत वाला था। क्यूब विक्रम के हाथ पर घड़ी के रूप में चिपक गई, मास्टर ने उसे कोड डालना सिखाया, कोड डालते ही विक्रम की ऊपर सूट तैयार हो गया। विक्रम छोटा था तो भी उसके ऊपर सूट एक दम से उसके शरीर पर चुस्त हो गया था और एकदम लचीला था।

मास्टर ने बाद में तलवार का कोड डाला और दस सेकंड में तलवार विक्रम के हाथ में थी किंतु तलवार का वजन ज्यादा था इसलिए विक्रम वो तलवार उठा नहीं सका। बाद में मास्टर ने घड़ी के ऊपर वाला बटन दबाया और सूट समेट गया और तीसरा बटन दबाते ही वापस क्यूब के फॉर्म में आ गया। मास्टर ने विक्रम को बोला कि मुझको पूछे बिना यह क्यूब मत छूना, यह सुन कर विक्रम ने हाँ बोला।

पश्चिम भारतीय लेबोरेटरी.........

एक दिन दोपहर के दो बजे थे, कोई अंजान अंतरिक्ष यान दूर से पृथ्वी की ओर आते हुए दीखाई दीया, यह देखकर सब सावधान हो गए। थोडे साल पहले ही बहुत बड़ा नुकसान हुआ था पता नहीं इस बार क्या होगा? सबके मन में अलग अलग के प्रश्न पैदा हो रहे थे और उस वक्त के नुकसान की वजह से सब लोग आज डर रहे थे। अभी वो यान पृथ्वी के एकदम नजदीक पहुंच गया, उसका कद एकदम बड़ा था। पृथ्वी के सब देशों को यह जानकारी मिली और अपनी अपनी सुरक्षा की तैयारी करने लगे।

यह यान पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करने के बाद पश्चिम भारत के ऊपर स्थिर हुआ, पश्चिम भारतीय लेबोरेटरी से अपनी पहचान बताने का मैसेज भेजा। तभी उसकी आवाज मैसेज में सुनाई दी, उसकी आवाज कन्वर्टर द्वारा अपनी भाषा में सुनाई देती थी। वो ऐसा कह रहे थे कि, पृथ्वी वासी अपनी हार स्वीकार लो, हम तुम्हारी जान बक्ष देंगे वरना लडने के लिए तैयार हो जाओ। यह सुनकर सब लोग डरने लगे, थोड़ी देर में ही वो कद्दावर यान में से अलग अलग यान छूटे पड़े और पूरी पृथ्वी पर विस्तृत हो गए, उसकी वजह से पूरी धरती पर अंधेरा छा गया था क्योंकि सूर्य की किरण धरती पर नहीं पहुँच रही थी क्योंकि वो सब यान सूर्य के आगे आ गए थे। लेबोरेटरी से टेलीस्कोप की मदद से देखा गया कि वो सब यान एडवांस टेक्नोलॉजी से बने थे और पावरफुल मिसाइल लोंचर भी थे। वो यान क्षण भर में ही पृथ्वी को मिट्टी में मिला सकते थे। सब यान पूरी पृथ्वी पर छाये हुए थे, मगर उसका मुख्य यान पश्चिम भारत पर केंद्रित था।

अभी बहोत बड़ी मुश्केली सबके लिए थी, भारत सरकार के द्वारा तुरंत कॉन्फ्रेंस हुई और एलियन यान का प्रस्ताव रखा गया। सब देशों के साथ चर्चा विचारणा चल रही थी, उसके साथ लड़ना तो बेवकूफी होगी किन्तु अब क्या किया जाये वो समझ में नहीं आ रहा था। फिर एक मुद्दा कॉन्फ्रेंस में आया कि कोई एक व्यक्ति एलियन के मुख्य कमांडर को हरा दे तो कुछ बात बने किंतु उसके साथ लड़ेगा कौन? अभी सभी देशों को धरती पर से कोई ताकतवर और बुद्धिमान व्यक्ति ढूंढना था और सबसे बड़ी तो यही मुश्केली थी। भारत सरकार और दूसरे देशों ने अपने अपने ताकतवर इंसान के नाम बताये फिर उसके रेकॉर्ड चेक करने में आये फिर रेकॉर्ड के हिसाब से भारत देश के वीर योद्धा मास्टर को पसंद किया गया क्योंकि मास्टर की टेक्नोलॉजी और बुद्धि चातुर्य पूरी धरती पर छाई हुई थी।

पश्चिम भारतीय लेबोरेटरी से फिर से मैसेज भेजा कि तुम हमारे एक योद्धा को भी नहीं हरा सकते! यदि तुमने उसको हरा दिया तो हम अपनी हार स्वीकार लेंगे, यदि तुम हार गए तो यह धरती तुम को छोड़नी पड़ेगी। यह सुनकर एलियन कमांडर को थोड़ा अभिमान आ गया कि मेरे से ताकतवर कोई नहीं हो सकता। यह सोच कर उसने यह शर्त मान ली और धरती वासी के साथ लडने के लिए तैयार हो गया। लेबोरेटरी से मास्टर को फोन लगाया और कॉन्फ्रेंस में बात हुई थी, वो बात मास्टर को बताई, मास्टर तो तैयार हो गए थे क्योंकि इंसान का रक्षण करना एक अच्छी बात थी। मास्टर ने फोन रखा और लेबोरेटरी में जाकर क्यूब को उठाया और बटन दबाया, क्यूब घड़ी के रूप में बदल गया।

मास्टर जब घर से निकल रहे थे तभी मास्टर ने ईशा को यह बात बताई किन्तु ईशा मास्टर को जाने के लिए मना करने लगी किंतु मास्टर ने उसको समझाया और वो जाने देने के लिए मान गई। मास्टर जाते जाते ईशा को और विक्रम को मिल के गए, मास्टर ने अपनी बाइक लेकर निकले उस समय ईशा के मन में एलियन के डर से आंख में से आंसू टपकने लगे। मास्टर लेबोरेटरी पर पहुँच चुके थे, लेबोरेटरी के पास में ही बड़ा मैदान था। उस मैदान के ऊपर वह यान उड कर रुक गया और सीडीओ की मदद से कोई नीचे उतरा।

यान फिर से हवा में ऊपर उडने लगा और उसमें से कैमरे बाहर निकले और अंदर बेठे एलियन देख रहे थे। वह एलियन पूरा चमकती सफेद धातु का बना था, उसके शरीर पर कहीं भी सांधा नहीं था, वह पूरा का पूरा स्मूद और वह इंसान की तरह ही दिखता था। वो मैदान में उतरा और उसके हाथ में एक छोटा बॉक्स था। उसने वो बॉक्स जमीन पर रखा और उसके ऊपर का बटन दबाया और वह बॉक्स ने अपना रूप कदावर धारण कर लिया। वह बॉक्स पूरा मजबूत कांच का बना था और वह बॉक्स प्रतियोगिता का मेदान था। प्रतियोगिता के मैदान के आसपास फुल सिक्योरिटी रखी गई थी।

एलियन कमांडर आगे बढ़कर बॉक्स के दरवाजे में से होकर अंदर घुसा, मास्टर भी तैयार थे लड़ाई के लिए और वो भी दरवाजे में से अंदर घुसे और दरवाजा बंद हो गया। सामने वाले एलियन ने अपने शरीर के अंदर से ही अपने दोनो हाथो में तलवार धारण की। मास्टर ने घड़ी के अंदर अपना वॉइस कोड दाखिल किया, दस सेकंड में उसका सूट तैयार हो गया मास्टर ने फिर से वॉइस कोड डाल दिया और मास्टर के हाथ में तलवार आ गई। मास्टर तलवार चलाने में माहिर थे, बॉक्स के अंदर प्रतियोगिता का बेल बजा और लड़ाई चालू हो गई। मास्टर, एलियन की दो तलवार का सामना कर रहे थे दोनों की तलवार एक दूसरे के साथ टकराने की वजह से चिंगारी हो रही थी। दोनों के बीच बड़ी जंग चल रही थी क्योंकि एलियन की धातु भी एकदम कठोर थी। जब भी दोनों के शरीर पर कभी कभी तलवार छुती थी तभी चिंगारी प्रकट होती थी।

दोनों में से कोई तलवार के प्रहार से बचते थे तभी दूसरे की तलवार कांच की दीवार पर लगती थी तो भी वह कांच में कुछ नहीं होता था क्योंकि वो कांच एकदम सख्त था। कई घंटों तक लड़ाई चली दोनों में से कोई भी हार नहीं मान रहा था, मास्टर ने सोचा कि अब तलवार से काम नहीं बनने वाला इसलिए मास्टर ने वॉइस कोड डाल के फायर गन पसंद की। मास्टर ने उस एलियन को निशाना बना के उस एलियन पर आग का फुवारा किया, एक दो मिनट चालू रखा बाद में बंद किया। थोड़ी देर तो बॉक्स में धुआं ही था, बाद में धुआं कम होते ही वो एलियन मास्टर के सामने खड़ा हुआ दिखाई दिया। वह एलियन आगे बढकर मास्टर पर प्रहार करने लगा, मास्टर के सूट पर बारबार प्रहार हो रहे थे। मास्टर जमीन पर गिर गए, मास्टर ने बैठे बैठे वॉइस कोड दाखिल किया और शिल्ड तैयार होते ही मास्टर ने जोर से उस एलियन को धक्का दिया। जोर से धक्का देने की वजह से वो एलियन नीचे गिर पड़ा मास्टर खड़े होकर अपना हथियार बदला और कैनन गन पसंद की।

तब तक वह एलियन खड़ा हुआ और मास्टर ने उसको निशाना बनाया और फायर किया, कैनन उस एलियन के शरीर के साथ छूते ही ब्लास्ट हुई, ब्लास्ट होते ही मास्टर ब्लास्ट के फोर्स से कांच की दीवार के साथ पटकाए। मास्टर तुरंत खड़े हो गए और धुआं भी कम हो गया था, वह एलियन नीचे गिरा हुआ दिखाई दिया इतने में ही वो एलियन वापस खड़ा हुआ। मास्टर ने फिर से कैनन उसके ऊपर छोड़ी और ब्लास्ट होने के बाद वो वापस खड़ा हो जाता था। मास्टर ने कितनी सारी कैनन उसके ऊपर छोड़ी किन्तु उसके शरीर पर खरोंच भी नहीं आई थी, सिर्फ उसका शरीर धुंआ की वजह से सफेद में से काला हो गया था।

मास्टर ने सोचा कि अभी यह गन से भी काम नहीं बनने वाला, यह सोच कर मास्टर ने वापस तलवार पसंद करके उसके साथ लड़ने लगे अभी वह एलियन गुस्से में आ गया था और जोर जोर से मास्टर के ऊपर प्रहार कर रहा था। कई समय तक लड़ाई चालू रही, मास्टर अभी थक चुके थे, वह एलियन तो एक तरीके से वह रोबोट था उसमें थकने का कुछ नहीं आता था। मास्टर के सूट का मॉड चालु था तो भी उसको लगता था की पसीने की वजह से पूरा शरीर सूट के अंदर पिघल गया हो। मास्टर के हाथ अभी कमजोरी की वजह से कांप रहे थे तो भी मास्टर हार नहीं मान रहे थे। मास्टर ने पकड़ी हुई तलवार की धार नीचे झुक रही थी उसको देखकर बाहर खड़े भारतवासी के मुंह लटका गए थे और वह सोच रहे थे कि अभी हार पक्की है। मास्टर ने कांच में से बाहर देखा कि सब लोगों के चेहरे पड़े हुए थे और सब उसकी ओर देख रहे थे।

मास्टर को ऐसा लग रहा था कि यमराज उसके सामने खड़े हैं और उसको बुला रहे हैं और लग रहा था कि पूरी दुनिया रुक चुकी है। मास्टर की आंखों पर अंधेरा आने लगा, उस समय मास्टर कांच की दीवार के सहारे खड़े होकर कुछ वॉइस कोड डाला और अपने सूट की छाती पर एक लाल बटन था वो दबाया और उसमें से टिक...... टिक...... की आवाज आने लगी। मास्टर ने दौड़कर उस एलियन को पीछे से अपने दोनों हाथों से अपनी बांह में दबोच लिया। उस वक्त मास्टर के दिमाग में से ईशा और विक्रम के चेहरे हट नहीं रहे थे और मास्टर बाहर खड़े लोगों को देख रहे थे तभी न्यूक्लियर रिएक्टर विस्फोट हुआ और एलियन और मास्टर के सूट की धातुका विखंडन हो कर छोटे छोटे कणों में विभाजित हो गए और मास्टर के शरीर के टुकडे टुकडे हो गए।

बाहर खड़े भारतीय लोगों की आँखों में से आंसू निकलने लगे और सबके दिल में खुशी भी थी और मास्टर को खोने का दुःख भी था। बॉक्स में न्यूक्लियर की असर कम होने के बाद सब ने उस एलियन के धातु के कण इकट्ठा करके लेबोरेटरी में ले गए और मास्टर के सूट की धातू को भी लेबोरेटरी की अंदर रख दिया और मास्टर के शरीर के टुकड़े को इकट्ठा करके उसके घर की ओर पूरी आर्मी और पुलिस की फोर्स के साथ निकल चुके थे।

अचानक से वह कांच का क्यूब गायब हो गया और एलियन यान ऊपर की ओर उडने लगा, बाकी यान उसके साथ जुडने लगे। वह यान अपने ग्रह की ओर बढ़ने लगा। विक्रम घर पर टीवी में न्यूज देख रहा था और ईशा मास्टर के आने की राह देख रही थी। तभी न्यूज में अलग अलग खबरें आ रही थी कि हिमालय की बर्फ सरक के नीचे आई और कितने सारे लोगों को अपनी बर्फ के नीचे दबा लिया। दूसरी न्यूज पूर्व भारत में कुछ जादूगरी के निशान मिले हैं, तीसरी न्यूज दक्षिण भारत में कुछ अजनबी घटनाएं घट रही हैं जैसे की वस्तुएं और सजीव अपने आप हवा में तैरते दिखाई दिए और सबसे दुखद समाचार मास्टर के मृत्यु के आये, यह देखते ही ईशा की आँखों में से आंसू की धारा बहने लगी और बड़ा सा चकमा लगने की वजह से वो बेहोश हो गई।

विक्रम रोता हुआ दौड़ के मुनसिटी के नजदीक वाले पड़ोसी को बुला के आया और पड़ोसी ने आकर डॉक्टर को बुलाया थोड़ी देर में ईशा को होश आ गया था और मास्टर का शरीर भी घर पर आ चुका था। फिर मास्टर का अंतिम संस्कार किया, कितने दिनों तक ईशा रोती रही उसकी वजह से उसकी आंखें लाल हो कर सुझ गयी थी। बाद में सब ठीक हो गया और दोनों माँ और बेटे रहने लगे विक्रम को पढाने की और उसके घर की जिम्मेदारी सरकार ने उठाई और पश्चिम भारतीय लेबोरेटरी का नाम बदलकर वीरता के प्रतीक मास्टर के नाम से 'डॉक्टर एमन लेबोरेटरी' रखा गया।