Outside's books and stories free download online pdf in Hindi

आउटसाइडर्स

"आउटसाइडर्स आर नाॅट अलाउड " मैडम ये पट्टिकाएं कितनी बनानी है ?", वर्मा जी के इस प्रश्न से सरिता कुछ दुविधा में पड़ गई ।कल ही उसने इस महाविद्यालय में प्राचार्य का पदभार ग्रहण किया है ।गेट से अन्दर आते हुए उसकी नजर सबसे पहले दीवारों पर टंगी उन विविध पट्टिकाओं पर गई । रैगिंग वर्जित क्षेत्र, सेलफोन वर्जित क्षेत्र, साइलेंस ज़ोन ,बिना आज्ञा प्रवेश निषेध, आदि आदि।अभी नए सत्र की तैयारी जोरों पर चल रही थी । कार्यवाहक प्राचार्य श्री राकेश शर्मा जी सरिता के पुराने परिचित थे , अतः उसने कल ही उनसे सारी जानकारी लेकर आज मीटिंग रखी थी ।
"वर्मा जी ,अभी ग्यारह बजे समस्त स्टाफ की मीटिंग है,उसके बाद मैं आपको पट्टिकाओं की विस्तृत जानकारी दूंगी ",सरिता ने कुछ सोचकर जवाब दिया ।
मीटिंग में सरिता के औपचारिक स्वागत के बाद नए सत्र के लिए अब तक की गई सभी तैयारियों की विस्तृत जानकारी शर्मा जी ने दी।
"शर्मा जी ,नए सत्र के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए जिन कमेटियों का गठन किया गया है,उनको भी एक बार सभी के संज्ञान में ले आईये ",सरिता ने अपने से आयु में बड़े शर्मा जी के मान को बनाए रखते हुए कहा ।
मीटिंग के अन्त में सरिता ने अपनी कार्यशैली से सभी को विदित करते हुए इतना ही कहा ,"आज मुझे अपने इस पुराने महाविद्यालय में प्राचार्य के रूप में सेवाएं देने में अत्यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है ।मुझे आप अपने से अलग न समझें, विद्यार्थियों के हित में कार्य करना हमारी प्राथमिकता होगी,तथा इस विषय में आप सभी अपने विचार मुझे बताने के लिए कभी भी मेरे कक्ष में आ सकते हैं।एक कुर्सी का यथोचित सम्मान बनाए रखते हुए अपनी किसी भी समस्या के निदान के लिए मेरे साथ आप विचार विमर्श के लिए सादर सदा आमंत्रित हैं।"
"आज से रोज एक एक कमेटी के संग मीटिंग होगी , मीटिंग में केवल एक ही कमेटी के सदस्य आएंगे और इसका समय सायं 3 से 3:30 बजे होगा ताकि कक्षाओं के दौरान कोई व्यवधान न हो।आज डीसिप्लिन कमेटी से शुरू आत करेंगे और इसका मुख्य उद्देश्य नए सत्र के लिए इस दिशा में की गई तैयारियों पर चर्चा होगा।"
प्राचार्या की इस आखिरी आदेशात्मक बात को सुनकर कुछ लोगों को भारी झटका लगा और कुछ ने इस स्पष्टवादिता और अनुशासन को मन ही मन बहुत सराहा ।
अपने कक्ष में लौटकर सरिता की नजर सबसे पहले उस पट्टिका पर पड़ी जहां सभी प्राचार्यों के नाम सूचीबद्ध अंकित थे और कल तक जहां उसका नाम भी हमेशा के लिए अंकित हो जाएगा।उसे मन ही मन मुस्कुराते और उसके मन के भावों को पढ़ते कोई देख न ले,यह सोचकर उसने झट से घंटी बजाकर वर्मा जी को बुला लिया । वह जानती थी कि दफ्तर के बड़े बाबू का किसी भी संस्था को सुचारू रूप से चलाने में कितना बड़ा योगदान होता है ।
"आइए आइए वर्मा जी, बैठिए ।मैंने आपको एक जरूरी काम से बुलाया है।3 बजे डिसिप्लिन कमेटी के साथ मीटिंग है ,आप यहां के सबसे पुराने कर्मचारी हैं तथा यहां के निवासी भी हैं।आप से ज्यादा यहां की समस्याओं से कोई भी अवगत नहीं होगा । अतः डिसिप्लिन से जुड़ी जो भी संभव समस्याएं आपकी नजर में है,उनकी एक सूची तथा जो पटटिकाएं बनाने के लिए देनी हैं उनकी भी एक सूची मीटिंग में ले आइएगा ,"सरिता ने आदर सहित वर्मा जी से कहा।
"ठीक है ,मैडम जी ",वर्मा जी संक्षिप्त सा उत्तर देकर कक्ष से बाहर चले गए।
अभी मीटिंग में दो घंटे बाकी थे और भोजन का भी समय हो रहा था । सरिता ने अपना बैग उठाया और गाड़ी निकालकर घर की ओर चल पड़ी।जब से रवि रिटायर हुए हैं ,तब से सरिता के बिना दोपहर का खाना नहीं खाते हैं।पाक कला में सरिता से भी ज्यादा निपुण रवि ,खाना बना तो लेते हैं पर खाते नहीं हैं अकेले।
अभी अहाते में गाड़ी खड़ी करी थी कि झट से नटखट मुन्ना गोद में आने के लिए मचल गया।
"चलो,नीचे उतरो मुन्ना,दादी को अन्दर तो आ जाने दो ",रवि ने सरिता की गोद से मुन्ना को उतारा और बहू को आवाज लगाई, "दीप्ति कहां हो,ये मुन्ना को पकड़ो जरा। बहुत शैतान हो गया है, दादी का लाडला"।

"आज कुछ जल्दी आ गई सरिता ,क्या बात है ? महाविद्यालय में सब कुशल तो है या आज पार्टी के बाद छुट्टी कर दी है",रवि ने सरिता के मन की उलझन को भांपते हुए कहा ।
पर्स को सोफे पर रखकर सरिता ने मुन्ना को गोद में ले लिया और कुछ गंभीर होकर बोली,"रवि आपसे कुछ राय लेनी है "।
"मां ,खाना लगा दूं या अभी कुछ देर रुक जाऊं", दीप्ति ने खाने की मेज सेट करते हुए पूछा ।
"कुछ देर ठहर जाओ बहू,अभी तुम्हारी सासू मां की मनःस्थिति भोजन करने की नहीं लग रही,फिर वो तुम्हारे बनाए स्वादिष्ट भोजन का आनंद न ले पाएं तो ये तो अन्याय हो जाएगा तुम्हारी पाक कला का ,क्यों क्या मैंने कुछ ग़लत कहा",विनोदी स्वभाव के रवि ने सरिता को देखकर कहा ।
"आप तो कभी कुछ ग़लत कहते ही नहीं है,तभी तो आपसे पूछे बिना कोई भी निर्णय नहीं लेती हूं ",सरिता ने भूमिका बनाते हुए कहा ।
"देख रहा हूं तुम्हें पिछले २६ साल से , तुम्हारे मेरे जीवन में आने से लेकर गृहस्थी के सारे निर्णय मुझसे ही करवाती आई हो तुम और मैं भी दिन में जबतक तुम्हारी दस समस्याएं न सुलझा लूं ,रात को नीद नहीं आती "।
"बहू शायद तुम्हें पता नहीं है , तुम्हारी सासू मां शादी से पहले भी हर समस्या का समाधान मुझसे ही पूछती थीं।" सरिता को कुछ चिढ़ाते हुए रवि ने कहा ।
"अच्छा ,पापा तो आपकी भी लव मैरिज है ", दीप्ति ने कुछ आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी से कहा ।
"हां ,तेरी मां को तो शायद याद न हो ,पर जब ये पहली बार मुझे मिली तो मेरे कार्यक्षेत्र में ये एक आउटसाइडर बनकर आई थी ।उन दिनों मेरी जिस कस्बे में नियुक्ति हुई थी ,वहां का माहौल कुछ अच्छा नहीं था । लड़कियों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखना पड़ता था।कोई भी बाहरी तत्व पर विश्वास करना आसान नहीं होता था उन दिनों और तुम्हारी दृढ़निशचयी मां को तो उस समय मेरा ही कार्यक्षेत्र मिला था अपने सपने साकार करने के लिए।",रवि ने सरिता के साथ उस मधुर मुलाकात को याद करते हुए कहा।
"हां,हां और आपने भी तो अपने कड़े अनुशासनात्मक अंदाज में कैसे कहा था मीटिंग में कि कोई भी बाहरी तत्व को आप उच्च शिक्षा की उस निजी संस्थान में नहीं मानेंगे ।मुझे भईया से सब खबर मिल जाती थी आपके एडमिनिस्ट्रेशन की",सरिता ने मीठी सी उलाहना दी।
"पर मैंने उन दो वर्षों में तुम पर कोई रोक तो नहीं लगाई ,तुम रोज सुबह से शाम तक लाईब्रेरी में एक कोने में पढ़ती रहती थी और कई बार वहां पर मेरी मौजूदगी को भी नकार देती थीं ।शायद तुम सोचती थी कि मैं तुम्हें आउटसाइडर कहकर लाईब्रेरी से निकाल न दूं ।"रवि ने यह कहकर सरिता को जैसे पुराने दिनों की याद दिला दी ।
"हां, शायद आप सच ही कह रहे हैं,बिना अनुमति लिए किसी संस्था की लाईब्रेरी में यूं पढ़ाई करना उचित तो न था और भईया के लाख समझाने पर भी एक आउटसाइडर वाला डर तो मेरे मन में रहता ही था,पर तब यदि मुझे पढ़ने का वो अवसर न मिला होता तो आज मैं इस प्राचार्या के पद पर कभी न होती ",सरिता ने बात को बढ़ाते हुए
कहा।
"सरिता ,जीवन में जब हम एडमिनिस्ट्रेटर का रोल किसी भी संस्था में निभाते हैं तो व्यक्ति की सही परख बहुत जरूरी होती है । हमारे नियम सख्त तो होने चाहिए पर इतने कठोर नहीं कि समय पड़ने पर किसी की भलाई और किसी को ऊंचा उठाने में बाधक हो जाएं। उच्च शिक्षा में डिसिप्लिन थोपा नहीं जाता ,उसे अपने व्यवहार से सभी के अन्दर जगाना होता है "।रवि ने नई नई एडमिनिस्ट्रेटर बनी सरिता के मन की ऊहापोह को शांत करते हुए कहा ।
सरिता तो जैसे खुशी से फूली नहीं समाई ,हमेशा की तरह बिना अपनी समस्या बताए ही उसे रवि से सरल सा समाधान मिल गया था।
"बहू जल्दी से खाना लगा दो,मेरी मीटिंग का समय हो गया है ", सरिता ने उल्लसित स्वर में कहा ।
"अरे,मैं तो भूल ही गया,तुम मीटिंग के संदर्भ में मुझसे कुछ सलाह लेना चाह रही थीं",रवि ने आत्मीयता से पूछा ।
"मुझे तुमसे बिना बोले,बिना पूछे ही सबकुछ मिल जाता है ,तभी तो एक संस्था में आउटसाइडर से इनसाइडर बन अपना सपना साकार कर सकी",सरिता ने आदर भाव से कहा।
"मीटिंग के लिए सभी लोग आ गए हैं,वर्मा जी "सरिता ने पूछा।
"जी मैडम ,ये पट्टिकाओं की सूची तथा साथ इस कमेटी से जुड़ी समस्याओं की सूची भी है जो समस्त कमेटी सदस्यों ने आपके अवलोकनार्थ बनाई है ।"
"इन सब समस्याओें में सबसे पहले तो बाउंड्री वाल की बात करते हैं,मैं कल ही इसके ऊपर कंटीली बाड़ लगवाने का काम बिल्डिंग कमेटी की देखरेख में शुरू करवाती हूं तथा आप लोग महत्वपूर्ण स्थान समस्त परिसर के चिन्हित कर लीजिए जहां सी सी टी वी लग सकते हैं । वर्मा जी ये काम भी समय पर शुरु करवा दीजिए" ।
"आई कार्ड विद्यार्थियों एवं स्टाफ दोनों के लिए ही बनवा लेते हैं मैडम,तभी आउटसाइडर्स की पहचान सरलता से हो सकेगी।ये आउटसाइडर्स रोज ही कोई न कोई समस्या या झगड़ा खड़ा कर देते हैं ", शर्मा जी ने अपनी राय रखी ।
"हां बाकि सब वैसे ही चलेगा ,बस मैं इतना चाहूंगी कि आपमें से कोई एक सदस्य प्रतिदिन मेरे साथ कैम्पस का एक राउंड ले ,जिससे मैं विद्यार्थियों से परिचित हो सकूं और वो भी मुझे धीरे धीरे समझ लें।मैं चाहती हूं हमारे इस उच्च शिक्षण संस्थान में डिसीप्लीन बाह्य नहीं आंतरिक हो और आप और मैं मिलकर इसे सुनिश्चित करें,"सरिता ने बड़े आत्मविश्वास से अपनी बात कही ।
"और ,मैडम वो आउटसाइडर्स नाॅट अलाउड वाली पट्टिका को आपने सूची से हटा दिया है,क्या ये नहीं बनवानी हैं?" शर्मा जी ने कुछ आश्चर्य से पूछा ।
"हां, शर्मा जी,इस पट्टिका की आवश्यकता नहीं है, कमेटी सदस्य और मैं नियमित रूप से आउटसाइडर्स पर स्वयं निगरानी रखेंगे क्योंकि एक आउटसाइडर भी कब हमारे लिए या समाज के लिए लाभकारी हो जाए ,यह कहा नहीं जा सकता",सरिता के इस उत्तर से सभी लोगों के मन में उठते प्रश्नों पर एक पूर्ण विराम लग गया ।