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सुजाता

कहानी - सुजाता

मुकेश सिन्हा बनारस के नामी वकील थे . दयालबाग़ में उनका बड़ा सा अपना बंगला था . आज उनके घर की रौनक देखने लायक थी .हज़ारों रंगीन बल्ब जगमगा रहे थे .दर्ज़नों हैलोजन बल्ब्स सामने के रोड पर भी लगे थे .पूरे रोड पर कब्जा कर बड़ा सा पंडाल सजाया गया था .पंडाल के अंदर भी काफी सजावट थी और बिस्मिल्लाह खान की शहनाई बज रही थी . बारात के शानदार स्वागत की पूरी तैयारी थी , क्यों न हों ? उनकी इकलौती बेटी सुजाता की शादी जो थी ?

सुजाता ने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी ( B . H .U ) से बी .एस. सी .करने के बाद कंप्यूटर के कुछ कोर्स भी किये थे .वह राज्य की चेस चैंपियन थी .इसके अतिरिक्त उसने संगीत में प्राथमिक शिक्षा भी ली थी. देखने में सुन्दर भी थी. उसका भावी पति अतुल लखनऊ का रहने वाला था . उसने भी B. H . U से कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बी . टेक .किया था . बैंगलोर में एक अमेरिकन कम्पनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर था . सिन्हा साहब बेटी की शादी अच्छे सजातीय लड़के से कर निश्चिन्त हो गए . अरेंज्ड मैरेज थी , दहेज़ भी दिल खोल कर दिया था. शादी के एक सप्ताह बाद ही सुजाता पति के साथ बैंगलोर आ गयी .

अतुल और सुजाता दोनों बहुत खुश थे .सुजाता तो शाकाहारी थी पर अतुल मांसाहारी . पर सुजाता को इसमें कोई आपत्ति नहीं थी .दोनों ने प्लानिंग किया कि पांच साल के बाद ही कोई बच्चा हो . इस बीच दोनों ने खूब मौज मस्ती की . देश विदेश की सैर भी की .शादी के छः साल बाद सुजाता माँ बनने वाली थी .तभी अतुल को लंबे समय के लिए अमेरिका जाना पड़ा .कंपनी ने उसके लिए H1B जॉब वीजा लिया था .सुजाता को भी H4 वीजा , जो आश्रितों के लिए होता है .

दोनों अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया प्रान्त में आये . कुछ महीने बाद उनको एक प्यारी सी बेटी हुई , रेणु . अमेरिका में जन्म होने के कारण रेणु अमेरिकी नागरिकता मिल गयी .साथ में अतुल ने उसके लिए भारतीय कांसुलेट से O .C .I . ( ओवरसीज सिटीजन ऑफ़ इंडिया ) कार्ड भी बनवा लिया .

सुजाता अपने वीजा पर अमेरिका में कोई काम नहीं कर सकती थी .और वैसे भी उसकी डिग्री पर कोई नौकरी नहीं मिल सकती थी .पर वह घर पर ही कुछ भारतीय बच्चों को चेस सिखलाया करती थी . इस से उसका समय

भी कट जाता था .अमेरिका में बच्चों में पढ़ाई के अतिरिक्त कुछ न कुछ सीखने का शौक होता है .वह इसके बदले में कोई फीस तो नहीं लेती क्योंकि औपचारिक तौर पर वह यह काम नहीं कर सकती थी .पर जब कभी रेणु के जन्म दिन पर और अपनी एनिवर्सरी पर उन बच्चों और उनके माता पिता को बुलाती थी तो वे जान बूझ कर कैश ही गिफ्ट करते थे . सुजाता ने अमेरिका में पियानो बजाना भी सीख लिया .

शुरू के चार पांच साल तो ठीक से बीत गए , दोनों पति पत्नी बहुत खुश थे . रेणु अब अमेरिका में स्कूल जाने लगी थी .कुछ दिनों बाद पति पत्नी में अक्सर नोंक झोंक होने लगी क्योंकि अतुल अक्सर वीकेंड में देर रात घर लौटता था . इसके चलते कभी कभी लड़ाई झगड़े भी होते .अतुल का उसी की कंपनी में कार्यरत एक अमेरिकन लड़की से अफेयर चल रहा था .यह बात अब सुजाता से छिपी नहीं थी . सुजाता इसका कड़े शब्दों में विरोध करती थी . आये दिन घर में तनाव रहता .

एक दिन अचानक अतुल ने सुजाता से कहा " बेहतर है , अब हम अलग हो जाएँ ."

" तनाव तो तुमने पैदा किया है . हमारे बीच उस अमेरिकन लड़की को ला कर . उसे अपनी जिंदगी से निकाल फेंको , सबकुछ स्वतः ठीक हो जायेगा . "

" तुम जैसा सोच रही हो , वह नहीं होगा .हमारे बीच की खाईं पाटना अब मुमकिन नहीं है .क्यों न हम तलाक ले लें ? "

सुजाता को इसकी उम्मीद नहीं थी. उसने अपने को सँभालते हुए कहा " बेहतर है तलाक की बात तुमने शुरू की . मैं भी बंटा हुआ पति नहीं चाहती हूँ ."

थोड़ी देर रुक कर फिर सुजाता ने आगे कहा " क्यों न हम एक बार इंडिया में अपने अपने घर बात कर उन्हें यह सब बता दें ? इसके बाद जैसा तुम कहोगे वैसा होगा ."

अतुल इसके लिए तैयार नहीं था . उसके मन में चालाकी सूझी थी . उसे अमेरिका आये पांच साल से ज्यादा हो गया था .उसका H1B वीजा कुछ महीने बाद ख़त्म हो रहा था. उसका मन अमेरिका छोड़ने का नहीं था .यहाँ की लाइफस्टाइल उसे बेहद पसंद थी .उसने मन में अमेरिकन लड़की से शादी करने की ठान ली थी .इस से उसे ग्रीन कार्ड आसानी से मिल जाता , फिर अमेरिका में जितना दिन चाहता रह सकता था .उसको भय था कि यह बात सुजाता के पिता को अच्छी नहीं लगेगी और वे खुद एक वकील हैं , आसानी से तलाक नहीं होने देंगे और मामला लम्बे समय तक लटका रहेगा .

सुजाता ने आगे कहा " तब सीरियसली बताओ मुझे क्या करना चाहिए ?"

अतुल बोला " मैं यहाँ डाइवोर्स सूट फाइल करूँगा. और तुम्हें बता दूँ कि कैलिफ़ोर्निया में " नो फाल्ट " तलाक का नियम है .यदि पति या पत्नी में से कोई भी यहाँ के कोर्ट में तलाक की अर्ज़ी देता किसी भी कारण से देता है तो उसे कोर्ट में वजह साबित करने की जरूरत नहीं होती है . हाँ , ज्यादा से ज्यादा प्रॉपर्टी के बंटवारे और बच्चे की कस्टडी के लिए आपस में समझौता कर लेना होता है या फिर कोर्ट के फैसले का इंतजार करना पड़ता है ."

" जब तुमने फैसला कर ही लिया है , तो मैं तुमसे जबरदस्ती बंध कर नहीं रह सकती हूँ . ठीक है अब देर रात हो चुकी है , आगे कल बात होगी ."

रात में सुजाता ने अपने पापा को सारी बातें विस्तार से बताई थी .उसके पिता ने कहा भी था कि वे अतुल के पूरे परिवार को इंडिया में कोर्ट केस में बुरी तरह ऐसा फंसा देंगे कि पूरी ज़िंदगी कोर्ट का चक्कर लगाते रहेंगे .

सुजाता ने कहा " नहीं पापा , इसमें अतुल के परिवार का कोई दोष नहीं है .उनको बेवजह क्यों तंग करना है .और जब अतुल को मुझसे प्यार ही नहीं रहा तो मैं क्या उनसे प्यार की भीख मांगू ?"

अगले दिन सुजाता ने अतुल से कहा " तुम अपना पेपर्स तैयार करा लो , मैं साइन कर दूंगी ."

" इस में एक बाधा है जो तुम्हारे हित में नहीं है ."

" अब भी तुम मेरा हित सोच रहे हो या यह तुम्हारा कोई नया नाटक है ? "

" बात ठीक से समझो .जिस दिन कोर्ट से तलाक मिल जाता है , उसी दिन से तुम्हारा अमेरिका में रहना , गैरकानूनी हो जायेगा .क्योंकि तब तुम मुझ पर आश्रित नहीं रहोगी और तुम्हारा वीजा रद्द हो जायेगा . तुम भारी मुसीबत में फंस जाओगी ."

सुजाता " तब मुझे क्या करना चाहिए ? "

" मैं सारे पेपर्स तैयार करवा लेता हूँ .इसके अतिरिक्त एक एग्रीमेंट भी तैयार कर लेता हूँ .मेरा जितना भी बैंक बैलेंस और शेयर्स है उसका आधा तुम्हेँ दे रहा हूँ .रेणु की कस्टडी भी तुम्हें दे रहा हूँ क्योंकि बेटी माँ के पास ज्यादा खुश रहेगी .तुम सारे पेपर्स पर साइन कर दो .जितना जल्दी हो जाये अच्छा है क्योंकि जितनी बार हम वकील के यहाँ या कोर्ट जायेंगे महंगा पड़ेगा .यहाँ वकील की फीस बहुत ज्यादा होती है .पेपर्स साइन कर तुम इंडिया जा सकती हो क्योंकि तब तक तुम्हारा वीजा वैलिड रहेगा बाकी सब मैं यहाँ देख लूंगा ."

" ठीक है मुझे सब कुछ मंजूर है जिसमें तुम्हारी ख़ुशी है .तुम पर प्यार न तो थोपूंगी और न ही इसके लिए तुम से भीख मांगूंगी ."

" तो मैं वकील से मिल कर पेपर्स तैयार करा लेता हूँ ."

सुजाता बोली " हाँ करा लो . मगर मुझे तुम्हारा एक पैसा भी नहीं चाहिए .इंडिया जाने का अपना और रेणु का टिकट मैं खुद कटाऊंगी .मुझे या रेणु को जो कैश गिफ्ट मिलते थे , उसमें से कुछ पैसे बचाएं हैं .इसके अतिरिक्त पापा का दिया क्रेडिट कार्ड भी है .उस से मेरा काम हो जायेगा . हाँ , रेणु मेरी बेटी मेरे ही साथ रहेगी ."

" मगर रेणु के लिए मैं कुछ देना चाहूंगा ."

" वे पैसे हमारी तरफ से अपनी नयी अमेरिकन बीबी को गिफ्ट कर देना . " सुजाता ने कहा

दो दिन बाद अतुल ने सुजाता को तलाक से सम्बंधित पेपर्स दिए .सुजाता ने उन पेपर्स पर साइन कर अतुल को लौटा दिए . कुछ ही दिनों के बाद सुजाता को कोर्ट से भी एक नोटिस मिला था . इस पर उसने तलाक पर अपनी सहमति के साथ वापस भेज दिया .

दो सप्ताह के अंदर सुजाता अपनी बेटी रेणु के साथ इंडिया आ गयी . चालीस की उम्र के आस पास अब वह एक बेटी की सिंगल पेरेंट थी. उधर अतुल अपनी अमेरिकन प्रेमिका के साथ रहने लगा था .चंद महीनों के अंदर अतुल और सुजाता का तलाक भी हो गया .फिर अतुल ने अमेरिकन से शादी कर ली थी .

इधर सुजाता अपने पापा के साथ बनारस में थी. उसके पापा ने कहा " बेटी तू डरना नहीं . तेरा बाप अभी जिन्दा है .तुझे किसी प्रकार का कष्ट नहीं होने देगा ."

" पापा , मुझे आपके रहते किसी बात की चिंता नहीं है . पर मुझे अपना और रेणु का भविष्य सुनिश्चित तो करना ही होगा . हम पूरी ज़िन्दगी किसी के सहारे तो नहीं काट सकते हैं ."

इंडिया आने के कुछ ही महीने बाद उसने BHU में एम .एस .सी ( फिजिक्स ) में एडमिशन लिया . अपने फ्री समय में घर से अमेरिका के अपने कुछ पुराने बच्चों को चेस की कोचिंग ऑन लाइन देने लगी .इसमें अच्छी आमदनी भी थी .एक बच्चे से एक घंटे कोचिंग के लिए सात आठ सौ रुपये तो आसानी से मिल जाते थे क्योंकि अमेरिका में यही बच्चे एक घंटे के लिए 50 डॉलर तक देते हैं . इसके अतिरिक्त सुजाता को पियानो बजाना भी आता था .बनारस में उसे कोई पियानो सीखने वाला विद्यार्थी तो नहीं मिला क्योंकि वहां पियानो दूर तक किसी के पास नहीं था .पर कुछ बच्चे की बोर्ड ( Keyboard ) सीखने वाले मिल गए .पिता के रहते उसे पैसे की कोई कमी नहीं थी फिर भी वह आर्थिक रूप से अब आत्मनिर्भर थी .उसने रेणु का एडमिशन भी एक प्रसिद्द इंटरनेशनल स्कूल में करा दिया .

छुट्टियों में वह रेणु के साथ किसी न किसी हिल स्टेशन जाती थी .इस से बनारस की गर्मी से भी बच जाती और मनोरंजन भी हो जाता था .उसने कम उम्र में ही रेणु को भी चेस की कोचिंग देना शुरू कर दिया थ.उसने एक एन .जी .ओ .भी ज्वाइन कर लिया जो अमेरिका में पीड़ित भारतीय महिलाओं को मदद करती थी .

एक बार सुजाता के घर उसकी मौसी आईं थीं . सुजाता कहीं घूमने के लिए बाहर निकल रही थी . वह जीन्स और टॉप पहने थी . तब उसके ड्रेस पर मौसी ने कहा " ये क्या पहनावा है . बेटियों को ठीक से तो रहना चाहिए . इतनी उम्र हो गयी इतना भी नहीं सीखा ?"

सुजाता ने कहा " मौसी .आपने तो ऐसा ब्लॉउज पहन रखा है कि आधी छाती और आधा पीठ नज़र आ रहा है

और साड़ी भी नाभि के नीचे बांध रखी है . मेरे पहनावे से तो मेरा कोई अंग प्रदर्शन नहीं हो रहा है ,तब मेरा ड्रेस बुरा कैसे हुआ ?"

मौसी तिलमिला कर रह गयी .सुजाता दिन पर दिन पहले से ज्यादा ही स्मार्ट दिखने लगी थी . मेक अप तो नाममात्र का करती थी .पर अपने पसंददीदा ब्रांडेड कपड़े और रंगीन चश्मा पहन कर जब भी निकलती , उसे देख

कर कोई भी तीस साल से ज्यादा की नहीं सोचता था . सुजाता ने फाइनल ईयर में पहुँचते पहुँचते जी .आर .ई . ( GRE ) और टोएफेल ( TOEFL ) टेस्ट्स में अच्छे स्कोर्स हासिल कर लिए .ये दोनों टेस्ट्स अमेरिका में आगे की पढ़ाई के लिए जरुरी होते हैं . उसने अमेरिका के कुछ प्रसिद्द यूनिवर्सिटीज में पीएचडी ( PHD ) के लिए अप्लाई भी किया था .

अब सुजाता ने M .SC . पूरा कर लिया था . अपनी पढ़ाई और अन्य सामाजिक कार्यों से उसने यूनिवर्सिटी और बनारस शहर में अपना विशिष्ट पहचान बना लिया था . अमेरिका के अच्छे यूनिवर्सिटीज से स्कॉलरशिप के साथ पीएचडी का ऑफर भी मिल गया जिनमें कैलिफोर्निया की बर्कली और स्टैनफोर्ड भी थे .उसने स्टैनफोर्ड जाने का फैसला किया .उसे F -1 स्टूडेंट वीजा आसानी से मिल गया .बेटी रेणु तो अमेरिकन नागरिक थी ही , उसे अमेरिका जाने के लिए किसी वीजा की जरुरत नहीं थी .

सुजाता के पिता ने अमेरिका जाने के पहले उसे कहा " बेटी .एक बार फिर से सोच ले .तुम अमेरिका में अकेले रह सकोगी ? मुझे तुम्हारी और रेणु की सुरक्षा की चिंता है ."

वह बोली " पापा , आपको शायद मालूम नहीं है. महिलाओं के लिए अमेरिका बहुत ही सुरक्षित देश है. और अब तो रेणु भी समझदार हो गयी है . अमेरिका में तो हज़ारों सिंगल मदर्स मिलेंगी .उन्हें कोई हेय दृष्टि से नहीं देखता . आप यहाँ चैन से रहिये .आपकी बेटी अब इस काबिल हो गयी है कि अपनी और रेणु की देखभाल भलीभांति कर

सकती है "

अगस्त के अंतिम सप्ताह में सुजाता और रेणु अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया प्रान्त के सैन फ्रांसिस्को हवाई अड्डे पर उतरे .वहाँ से टैक्सी ले कर पालो आल्टो पहुँचे , यहीं पर स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी है .यहाँ आने के पहले सुजाता ने एक रूम का अपार्टमेंट इंडिया से ही बुक कर लिया था . उसने प्रसिद्द एस्ट्रोफिजिसिस्ट के मार्गदर्शन में अपना शोध शुरू किया . उसके गाइड उसकी प्रगति पर बहुत खुश थे .

बेटी रेणु भी स्कूल जाने लगी थी . सुबह यूनिवर्सिटी जाने समय उसे छोड़ देती और लौटने समय उठा लेती थी .कभी लौटने में देर होने की संभावना होती तो उसे स्कूल में ही दो तीन घंटे एक्सटेंडेड आवर्स में छोड़ देती थी .

देखते देखते पांच साल गुजर गए . उसने अपना थीसिस सबमिट किया जिसमें सौर्यमंडल के ग्रहों के बारे में अतिरिक्त दुर्लभ जानकारियां थीं. उसके थीसिस को अमेरिका के अतिरिक्त अन्य कई देशों के साइंस मैगज़ीन्स में प्रकाशित किया गया .सब ने इस थीसिस की सराहना की थी .

सुजाता एस्ट्रोफिजिक्स में पीएचडी डिग्री प्राप्त कर अब डॉ . सुजाता सिन्हा थी .स्टैनफोर्ड में भी उसने अपना वर्चस्व कायम रखा था .पढ़ाई के अतिरिक्त अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों और भारतीय और अमेरिकी उत्सवों में भाग लेती .दीक्षांत समारोह के अवसर पर सुजाता ने अपने पिता को भी अमेरिका बुलाया .वे भी अपनी बिटिया की संघर्षमय सफलता पर प्रसन्न थे .

इस दौरान एक भारतीय विधुर ने सुजाता को प्रोपोज किया था . उसने अपने पिता से पूछा भी था .रेणु से भी चर्चा की थी .दोनों को कोई आपत्ति न थी . बल्कि पिता को ख़ुशी होती अगर सुजाता का घर फिर बस जाता . वह एक बार उस विधुर के साथ डेट्स पर भी गयी थी . परंतु यह बस एक औपचारिकता भर थी .उस व्यक्ति का

स्वाभाव और विचार परखने के लिए . सुजाता को यह प्रोपोजल स्वीकार नहीं था .उसको लगा कि यह व्यक्ति रेणु का सौतेला पिता बनने के योग्य नहीं था .इसके बाद उसके पास फिर कभी शादी की बात सोचने की फुरसत भी नहीं थी .

पीएचडी करने के दौरान ही सुजाता को नासा से एस्ट्रोफिजिसिस्ट साइंटिस्ट का ऑफर मिल चुका था .उसे मोफेट फील्ड , कैलिफ़ोर्निया में स्थित नासा के रिसर्च सेंटर में पोस्ट किया गया . सुजाता को उसकी विशिष्ट उपलब्धियों के आधार पर ग्रीन कार्ड आसानी से मिल गया था .अब वह अमेरिका की स्थायी निवासी थी .

इस बीच उसके पूर्व पति अतुल को भी अपनी पूर्व पत्नी की उपलब्धियों की जानकारी मिल चुकी थी . अमेरिकन लड़की से शादी के बाद उसे भी ग्रीन कार्ड मिल गया था .एक दिन उसने सुजाता को फोन किया , परंतु सुजाता ने उसको कोई तवज्जो नहीं दिया .उसने मात्र इतना ही कहा " हम माँ बेटी दोनों बहुत खुश हैं ,अब आगे हमारी ज़िन्दगी में दखल न देना ." और फोन काट दिया .

इधर अतुल का अपनी नयी अमेरिकन बीबी के साथ निभ नहीं रहा था .उसकी बीबी ने ही तलाक की अर्ज़ी कोर्ट में दे रखी थी जो छः मास होते होते मंजूर भी हो गयी .अतुल को आधी संपत्ति उस अमेरिकन लड़की को देनी पड़ी थी .

सुजाता की बेटी रेणु भी करीब पंद्रह साल की हो चली थी . वह भी कैलिफ़ोर्निया की जूनियर चेस चैंपियन थी .एक बार फिर अतुल ने सुजाता से फोन कर मिलने की इच्छा व्यक्त की थी .पहले तो वह नहीं मान रही थी , पर उसके बार बार के आग्रह पर रविवार को सुबह मिलने को कहा .सुजाता ने रेणु को भी सारी सच्चाई बता दी थी हालांकि अतीत की कुछ बातें रेणु को अभी भी याद थी .

डॉ . सुजाता ने सैन होजे में बड़ा घर खरीद लिया था .अतुल रविवार को सुजाता से मिलने पहुंचा . रेणु ने स्नैक्स और जूस ला कर सामने टेबल पर रखा . रेणु को सामने देख कर बहुत खुश हुआ और बोला " इधर आओ बेटी .मैं तुम्हारा पिता हूँ . "

सुजाता ने उसकी बात काटते हुए कहा " गलत. बिल्कुल गलत . तुम उसके पिता थे . अब नहीं रहे ."

" सॉरी .पर क्या हम फिर से एक नहीं हो सकते ? जब जागो तभी सबेरा ."

" याद करो , परदेश में तुमने मुझे बेसहारा समझ सड़क पर ला कर खड़ा कर दिया था .मैं तो कभी सोयी ही नहीं . हमेशा जगी और सचेत थी . हाँ तुम जाग कर भी सोये हुए थे . जगे हुए को जगाया भी नहीं जा सकता है ."

" मुझे तुमसे तलाक लेने का अफ़सोस है . पर क्या फिर हम मिल नहीं सकते ?"

सुजाता ने कहा " तुम अभी तक दो बीबियों से तो निभा नहीं सके हो . तुम पर कोई मूर्ख लड़की भी भरोसा नहीं करेगी, मेरा तो सवाल ही नहीं उठता ."

" एक बार फिर से सोच लो .आखिर रेणु को भी पिता का संरक्षण मिल जायेगा ."

" अब तुम इतने दिनों से अमेरिका में रह कर भी बेवकूफी वाली बात कर रहे हो .यहाँ लड़कियाँ और औरतें बहुत सुरक्षित हैं .तुम तो कंप्यूटर इंजीनियर हो .तुम्हें पता होना चाहिए कि मैं जहाँ भी रहूँ सेल फोन में एप्प्स के द्वारा रेणु और घर पर बराबर नज़र रख सकती हूँ .वैसे हम दोनों अपने बल पर अपनी रक्षा कर सकते हैं .तुम्हारे जैसे कमजोर मर्द क्या सुरक्षा देंगे ? तुम अपनी फ़िक्र करो . हो सकता है तुम्हें किसी औरत का संरक्षण चाहिए ."

" एक बार रेणु से भी पूछ लो , उसे पिता का प्यार नहीं चाहिए ? "

सुजाता ने रेणु से पूछा " क्यों बेटे , मिस्टर अतुल को क्या जबाब दूँ ? "

रेणु बोली " मेरी मम्मी पापा दोनों आप हो मॉम . हम दोनों में इतनी शक्ति और क्षमता है कि मिस्टर अत्तुल के हमारे लाइफ में कहीं फिट होने की गुंजाइश नहीं हैं .इन से कह दो यहाँ से तुरंत चले जाएँ ."

सुजाता अतुल की तरफ देख कर बोली " तुम्हें जबाब चाहिए था .मिल गया न ? नाउ यू कैन गो . और कभी नारी को अबला समझने की भूल भविष्य में नहीं करना ."

अतुल बिना कुछ बोले सुजाता के घर से निकल पड़ा .

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यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है और किसी पात्र, घटना या जगह का भूत या वर्तमान से कोई सम्बन्ध नहीं है