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स्वप्न

मीरा एक सुनसान रास्ते पे चली जा रही थी। खुद उसे भी पता नही था कि वो कहा जा रही है? मीरा कुछ भी सोच नही पा रही थी कि उसके साथ क्या हो रहा था? मीरा को कुछ समज में नही आ रहा था।
मीरा बहोत डरी हुई थी। उसकेे साथ जो हुुआ था उसके बारे मे वो सोचने से भी डरती थी। उसे वो भी मालूम नहीं था कि इस सूूनसान रास्ते पर वो क्यों जा रही थी? और वो रास्ता भी कहा जा रहा था?
मीरा ने अपनी आखें बंद की तो उसके सामने अब तक जो हुआ था उसका सारा दृश्य खड़ा हो गया।

मीरा अपने कमरे में सो रही थी। तभी मीरा को अजीब अजीब सी आवाज सुनाई देने लगी। कोई जोर जोर से चीख रहा था तो, कोई अजीब तरह से रो रहा था। मीराने जब अपनी आखें खोली तो उसे अजीब सा अहेसास हुआ, उसे लगा की शायद वो हवा में लटक रही हो। और जब उसने नीचे की ओर देखा तो सचमे वो हवा में लटक रही थी। वो जैसे ही चिखने गई कि धडाम से अपने बेड पर गिरी।
मीरा अपने बेड से उठना चाहती थी पर उसका शरीर हील नहीं पा रहा था। उसके हाथ पैर जकड़ गए थे। वो बोलना चाहती पर उसके गले से आवाज नहीं निकल पा रही थी। मीरा ने बड़ी कठीनाई से अपने शरीर को उस जकड से मुक्त कीया। अचानक से मीरा को लगा कि कोई परछाई बड़ी तेज रफ्तार से उसके सामने से नीकल गई।
मीरा को कुछ समझ नही आ रहा था कि ए सब कुछ क्या हो रहा था? अचानक से मीरा के कंधे पर कुछ गिरा उसने जब देखा तो उसके हाथ पैर कांपने लगे क्योंकि कंधे पर जो गिरा हुआ था वो खून था। मीरा ने डरते डरते उपर की ओर देखा तो खून से लथपथ एक चमगादड़ उसके पर गिरा और मीरा के गले से बड़ी चिख निकल गई।
मीरा अब बहुत डर चूकी थी। मीरा अब इस कमरे से नीकल जाना चाहती थी, इसलिए वो दोडती दरवाजे की तरफ गई और दरवाजा खोल ने का प्रयत्न करने लगी पर दरवाजा खुल ही नहीं रहा था। तभी किसी ने आकर मीरा के बाल खीचें और पीठ पीछे नाखून मारने लगा। मीरा ने पास टेबल पर पडी मूर्ति उठाई और जोर से अपनी पीठ पीछे जो हाथ था उस पर मारी और फिर दरवाजे के लोक पर भी जोर से मारा और लोक तोड के अपने कमरे से बाहर नीकल गई।
मीरा की धडकने तेज हो चुकी थी। वो अपने कमरे से नीकल के दोडती अपने मम्मी पापा के कमरे की ओर जा रही थी तभी उसके पैरों में कुछ आया और वो गिर पडी। मीरा उठी और देखा तो वो अपने पापा की लाश थी और पूरे शरीर पर नाखून के निशान थे। मीरा लाश देख के डर गई और वो वहां से खडी हो के अपनी माँ को देख ने दोडी , पर कमरे में जाकर देखा तो वहाँ कोई नहीं था। मीरा डर के मारी चिल्लाती हुई अपनी माँ को सारे घर में ढूढने लगी।
मीरा ने देखा कि उसकी माँ एक अंधेरे कोनेमें दीवार की ओर मूहँ रखकर खडी थी। मीरा खुश होती हुए भागती अपनी माँ के पास गई, पर माँ ने कुछ जवाब नहीं दिया इस लिए उसने कौतुक से अपनी माँ के कंधे पर हाथ रखा तब उसकी माँ ने अपनी गरदन घुमाई ओर मीरा की तरफ देखा। मीरा खुश होती हुए अपनी माँ के गले गई पर अचानक से मीरा चौंक गई उसे कुछ अजीब लगा उसने देखा कि अपनी माँ का धड तो वैसे ही खडा था, सिर्फ उसकी गरदन ही घुमी हुई थी। मीरा के पैर अब जोर से कांपने लगे उसकी ह्रदय की धड़कन तेज हो चुकी थी उसे लगता था कि थोड़ी ही देर में अब उसका ह्रदय धडकना बंद हो जाएगा।
मीरा घर में भागने लगी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, की वो अब जाए तो जाए कहा? मीरा जा के एक कोने में छिप गई, वो बहुत डर चुकी थी। मीरा कोने में बैठे बैठे रो रहे थी। तभी उसने अपनी पास कोई बैठा है ऐसा अहेसास कीया, उसने डरते डरते अपनी दाए ओर देखा तो एक विचित्र और डरावनी स्री बैठी थी। उसके नाखून बडे बडे थे। बाल भी लंबे और बिखरे हुए थे। चहेरा बुरी तरह से बिगडा हुआ था। उसके पांव उलटे थे। वो बैठी बैठी अपने बडे दांत से एक छोटे बच्चे को खा रही थी। उसका मुंह पूरी तरह से खुन से लथपथ था।
मीरा की तो ए दृश्य देख के सास ही रुक गई। मीरा वहाँ से खडी होकर भागने लगी तभी वो चुड़ैल ने उसके पैर पकड़ लिए और जमीन पर गिरा दिया। वो चुड़ैल मीरा के पेट में नाखून घुसेड़ ना चाहती थी। मीरा ने पास में पडे टिपोई पर से फुलदान उठाया और जोर से उस चुड़ैल पर मारा, जैसे ही चुड़ैल दुर हुईं उसी दौरान मीरा तेजी से खडी हुई और धर का दरवाजा खोल के बहार नीकल गई।
मीरा ने घर की बहार देखा तो सब कुछ बदला हुआ था। चारो तरफ घोर अंधेरा छाया हुआ था। उसके सामने एक जंगल था। मीरा उस चुड़ैल से बचने के लिए उस जंगल में पीछे देखे बिना ही चलने लगी। अचानक से मीरा एक पत्थर से टकराईं और वो अपने खयालों से बाहर आयीं।
मीरा उस रास्ते पर चली ही जा रही थी। वे सोच रही थी कि, ए रास्ता कहा जाकर रुकता होगा? वो कब इस घने जंगल से बाहर निकल पाएगी? वो डर के मारे पीछे भी नहीं देखती थी। उस चुड़ैल का खौफ उसके दिलोदिमाग पर छाया हुआ था।
मीरा ने आगे देखा तो उसे दुर दुर तक ये सुनसान रास्ता ही दिखाई दे रहा था। उसे लग रहा था कि ये रास्ता कभी भी खत्म ही नहीं होगा। अचानक से वो रास्ता एक बड़ी खाई में बदल गया। मीरा के पैर वही थम गए, वो उस खाईं में गिरते गिरते बच गई।
मीरा कुछ समझे उसके पेहले ही किसी ने मीरा को पीछे से धक्का दीया और मीरा उस खाईं में गिर पडी। उसके गले से बड़ी चिख निकल गई और जब मीरा की आंख खुली तो वो अपने बेड से गिरी पडी थी। मीरा ने अपनी आँखे बंद की और लंबी सास ली। मीरा ने आंखे खोली तो वो अपने ही कमरे मे थी। मीरा ने चैन की सास ली और मन ही मन खुश होती हुए बोली,
स्वप्न................. एक बुरा स्वप्न................।।।।।।








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