Kuch Pankti books and stories free download online pdf in Hindi

कुछ पंक्ति

"पंछी"

हे ईश्वर क्या हे हमारी जिंदगानी,
जेल में खाना जेल में पानी,
जैसे मिली हो सजा ए कालापानी।

इंसान हमें कैद करके रखते है,
वजह पूछो तो बताते है, हम तुम्हे बहोत चाहते है,
अगर यह चाहत है तो हे ईश्वर,
किसीको किसीसे कोई चाहत न रहे, यही दुआ है.

हम इतने भी नहीं हे रंक, हमारे भी है पंख,
हम पूरी जिंदगी आसमान में बिता सकते है,
वहीँ इंसान जिंदगी खोने के बाद आसमान पा सकते है।

इंसान अपनों से ही प्यार जता नहीं पाते,
फिर हमें क्यों अपनी जान बताते है,


अगर यह चाहत है तो हे ईश्वर,
किसीको किसीसे कोई चाहत न रहे, यही दुआ है.

"राष्ट्रीय एकता"

जो लोग सूट बूट पहनकर घूम रहे थे
वे ही आजकल खादी पहनकर घूम रहे है
लगता है चुनाव आ रहे है

जो लोग सैनिको की कभी परवाह भी नहीं करते थे
वे ही आजकल सैनिक-विधवाओं के वेतन की बात कर रहे है
लगता है चुनाव आ रहे है

जो लोग शॉपिंग मॉल के लिए विद्यालय गिराते थे
वे ही लोग आजकल बच्चो को मुफ्त में किताबे बात रहे है
लगता है चुनाव आ रहे है

जो लोग बलात्कारियो को जमानत पर छुड़ाते थे
वे ही आजकल महिलाओ के आरक्षण की बात कर रहे है
लगता है चुनाव आ रहे है

जो लोग भारत देश के अलग अलग टुकड़े करने की बात कर रहे थे
वे ही आजकल राष्ट्रीय एकता की बात कर रहे है
लगता है चुनाव आ रहे है

"आजादी"

स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा था।

तिरंगे के सामने इंद्रधनुष फीका लग रहा था।

मैंने बीवी से की फरमाईश, क्या तुम जलेबी बनाओगी?

वह बोली थोड़ी सीधी, थोड़ी टेढ़ी जलेबी चलेगी?

थोड़ी देर मेँ सोच में पड़ गया, जलेबी बना रही है या पकोड़े?

मेने कहा छोडो जलेबी, चाय ही पीला दो एक कप

वह फिर बोली दूध नहीं है, काली चाय चलेगी?

में फिर सोच मे पड़ गया। चाय पीला रही है या सुप?

मैने कहा एक गिलास ठंडा पानी ही पीला दो।

वह बोली फ्रिज ख़राब हो गया है, सादा पानी चलेगा?

मेने गुस्से में कहा तुम एक काम करो मुझे जहर ही दे दो।

वह शांत हो गई और बड़ी मासूमियत से कहा

जहर तो नहीं है बच्चो का मिड-डे मिल है चलेगा?

"बचपन की एक उड़ान"

एक विद्यालय में जिन बच्चो की मौत हुवी थी, उन बच्चो को उसी विद्यालय में दफनाया जा रहा था।
दफ़नाने से पहले उन बच्चो को अगर कुछ कहना होता तो कुछ ऐसा भी कहते।

कभी हम आते थे यहाँ पढ़ने के लिए
कभी हम आते थे यहाँ खेलने के लिए
कभी हम आते थे यहाँ सिखने के लिए
अभी हमें लाया गया है दफ़नाने के लिए

कभी पढ़े लिखे कहाँ हमारे नसीबो में
कभी हम रहते थे मोटी मोटी किताबो में
कभी हम रहते थे छोटे छोटे खाबो में
अभी हमें रखा जा रहा है कब्रों में

कभी सोचते थे जाएंगे एक दिन चाँद पर
कभी सोचा न था आएंगे नहीं लौट कर

कभी यह विद्यालय था एक मंदिर की पहचान
अभी यह मंदिर को बनाया जा रहा है कब्रिस्तान

"पत्नी"

पत्नी चाहिए मुझे एक पत्नी चाहिए
गैरो की नहीं अपनी चाहिए अपनी

पहली बात तो की वह खूबसूरत हो
थोड़ी भोली थोड़ी नटखट हो

अच्छी बात है अगर वह शिक्षित हो
बोली उसकी थोड़ी मीठी थोड़ी तीखी हो

वजन तो कम ही हो और मापसर हो ऊंचाई
ज्यादा हो चौड़ाई तो सोने में कम पड़ जाए चारपाई

हर कोई करता रहेगा मेरी खिंचाई
कैसे कर पाऊंगा इन सबकी भरपाई

रसोईघर में तो जैसे हो अन्नपूर्णा
पराएघर में भी सबको माने अपना ऐसे हो संस्कार

किस्मत बदल जाए जैसे देखा था सपना
दौलत से ज्यादा प्यार बढे चार गुना

पत्नी चाहिए मुझे एक पत्नी चाहिए
मिल जाए ऐसी पत्नी तो रब की हो महेरबानी

"संगत"

नेताओ में अगर इंसान मिल जाए
तो समज लेना भगवान मिल गए

काले बादल छाए और बारिश न आए
तो समज लेना कुछ लोग अपना वादा भूल गए

देखो अगर आसमान को जमीन छूते हुए
तो समज लेना हर कोई जी रहा है एक उम्मीद लिए

देखो अगर लेहरो को किनारे के लिए सागर को छोड़ते हुए
तो समज लेना अपनों ने अपनों को छोड़ दिया गैरो के लिए

मोहब्बत के सागर में अगर किनारा भी मिल जाए
तो समज लेना बिन कश्ती के दरिया पार हो जाए

"भाग्य"


मोहब्बत कर के अब थक गया हूँ
रास्ते तो क्या अब गलिया तक भूल गया हूँ

प्यार के नाम से अब दूर ही भागता हूँ
नाम तो कमाया नहीं अब बदनामी से दूर भागता हूँ

कोई उनको गुनहगार मत कहो, उनका कोई दोष नहीं
भगवान् गुनहगार नहीं होता अगर दुआ कबुल नहीं हुई

अकेले जीने में अब तो अलग ही मजा आ रहा है
जैसे खुदा खुद मेरी खुशियों को सजा रहा है