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अच्छे मित्र

वह मित्रता अधिक आकर्षित करती है जो हमें "अच्छे दोस्त है" के मूल्यों में ना बंधते हुए केवल उन मूल्यों का बोध कराए जो सच्ची मित्रता में हम तलाशते है. यह कहना उसी तरह है, जब रात में पानी पीने का स्वपन देखने के बाद सुबह उठते ही पानी पीने की इच्छा होती है. उस वक्त रात के स्वपन में उठी प्यास वर्तमान में पानी का बोध कराती है. यह मित्रता मुझे कभी उन मूल्यों में नहीं बांधती जो एक समय बाद मूल्यों के धागे टूटने पर धीरे-धीरे उसमें पीड़ा शामिल होने लगती है.भीतर छुपी पीड़ा के बाहर निकलने पर उसके रूप बदल जाते हैं, जो पूरी मित्रता को नष्ट कर देती है. मतलबी अर्थ का स्वाद चखते ही सालों की मित्रता पलभर में दूषित हो जाती है। साफ पानी में कंकड़ फेकने की तरह, और वह मूल्य भी धरे-के-धरे रह जाते है जो साथ रहने पर मित्रता के भीतर जन्म ले चुके होते है, की ''हम अच्छे मित्र'' है। उस हैं से थे के बीच में स्वाद चखने के झूठे पनकी महीन गंध आ रही होती है. मेरी मित्रता में ऐसी गलती होने की कोई गुंजाईश नहीं, क्योंकी मैंने भी कभी उन दोस्तों को यह कहते हुए मूल्यों में नहीं बंधा की हम स्कूल समय के बहुत अच्छे मित्र है, ना हमारे बीच ऐसे कोई वादे, कसम है की हम इसी स्थिति में आजीवन साथ रहेंगे. दोस्तों में यदि कोई यह कह दे हम अच्छे दोस्त, हमेशा साथ रहेंगे. यह सुनते ही हम पेट पकड़कर हस पड़ेंगे, क्योंकी यह वाक्य उस मित्रता के लिए एक नई भाषा होगी जिसके शब्द बिलकुल अज्ञात है. जब घंटो बात करते के बाद अचानक उस संवादों में लंबी चुप्पी शामिल होती है वह किसी का समय खराब नहीं करती. चुप रहकर हम बाते करना जानते है. शायद यही उस दूसरी भाषा का सही अनुवाद है, जिसका अर्थ उन दोस्तों को अच्छे से मालूम है.जीवन में ऐसे कुछ दोस्त चुनिंदा है, जिनसे मिलकर लौटते वक्त जब उन्हें देखेने अंतिम बार पीछे पलटता हूँ. दिल का एक कोना खाली हो जाता है. दिल उन दोस्तों के वियोग से बचने उन्हें उस कोने में शामिल करने आवाज लगता है की हम अच्छे मित्र है. दिल के लिए यही उन दोस्तों का असली नाम है. मैं फिर उन्हें देखने पीछे मुड़ता हूँ. क्या दिल की आवाज उन्हें सुनाई दी की नहीं? दोस्त उसी जगह खड़े होते है,जहाँ से कुछ समय पहले मुझे विदा किया था. वे मुझे देखते हुए वही दिल की आवाज से बुला रहे होते है और दोनों के दिल का कोना उस आवाज से भरने लगता है की हम अच्छे मित्र है. वह मुझे तब-तक देखते होंगे जब-तक मैं रोड और उनकी आखों से ओझल न हो जाऊ. मेरे जाते ही वह दिल का कोना हम अच्छे दोस्त के भाव से भर जाता है, जिसके साथ हम अगली मुलकात तक दूर रहकर, बिना बात किये कई सालों और महीनो बिता सकते है, इसे ही मित्रता में मुक्त होना कहते है. जब हम फिर मिलेंगे दिल का एक कोना खुल जाएगा और हम अच्छे दोस्त है की आवाज उस कोने को भरने लगेंगे. -यह मित्रता उस पीड़ा से मुक्त रहेगी जिसे मैं मित्रता के मूल्य में बांधना कहता हूँ .🌸🙂