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शिकारी भेड़िया

प्रिय पाठकों मेरा सादर प्रणाम मैं आप सबके लिए एक कहानी लेकर आया हूं जो मेरे जीवन की घटनाओं में से एक है। कोई गलती हो जाए तो माफ़ करना आप सब मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताएगा।
यह कहानी एक छोटेे से गांव की है जहां एक समान्य किसान परिवार पुरी तरह से खेती बाड़ी पर निर्भर रहता है। ऐसे ही हमारे गांव के पास में एक छोटा सा कस्बा है। जिसमें सारे किसान परिवार रहते हैं।अपने खेत में उन्होंने सब्जी की खेती कर रखी थी। गर्मी का मौसम और शाम का समय था यही कोई 4-5 बज रहे होोंगे। एक किसान की पत्नी अपने छोटे बच्चे को लेकर जो 2 साल का होगा खेेत में गुड़ाई का कार्य करने के लिए जाती है।फसल में खरपतवार हो जाने के कारण फसल कमजोर हो रहे थे इसलिए गुड़ाई जरूरी भी था।खेत में पहुुुुुंंच कर अपने बच्चे को जमीन पर टाट बिक्षाकर बैठा देती है।और अपने खेतों के कार्य में व्यस्त हो जाती है।छोटा सा बच्चा खेेलते खेलते वहीं पर सो जाता है। बेचारी किसान की पत्नी बिच में अपने बच्चें को आकर देख जाती फिर अपने कार्य में लग जाती।अब थोड़ा अंधेरा होने लगा था की अचानक बच्चे की जोर से रोने की आवाज ने औरत का ध्यान बच्चे की तरफ खिंच लेता है। बच्चे की रोने की आवाज सुनकर वह खड़ी होती है। और वहां का नजारा देखकर अवाक और घबराहट से काांपनेे लगती है। लेकिन मां तो मां होती हैं अपने बच्चे को इस हालत में देेेखकर वह जोर से चिल्लाती हुई बच्चे की तरफ भागने लगती है। गांव और आस पास के लोग आवाज सुनकर उनकी तरफ दौड़ने लगते हैं। शिकारी भेड़िया घात लगाकर बैैैठाा हुआ था और समय मिलते ही वह बच्चे को अपने जबड़े में उठाकर भाग रहा था ‌‌‌‌‌‌। बच्चे की रोने की दिशा में उसकी मां बेतहाशा भागी जा रही थी और उसके पिछे गांव के लोग काफ़ी मस्कत और दुुर तक पिछा शोर करने के बाद भेड़िया बच्चे को छोड़कर भाग गया।औरत बच्चे को गोद मेें उठाकर उसको अच्छी तरह देखने और चुुुुम्बन देेेने लगती है। गांव के लोग आश्चर्य चकित होकर इस घटना को लेकर चर्चा करते हुए अपने घरों को लौटने लगते हैं। लेकिन इस घटना के बाद सब सावधान हो जातें हैं। उन्होंने गांव में सबको सचेत और सावधान रहने की हिदायत सब एक दूसरे को देते हैं। गांव के लोगों के लिए यह घटना पहली बार हुआ था। लेकिन भेड़िए को इस गांव में शिकार का चस्का लग गया था। कुछ दिनों पहले एक बकरी गायब हो गई थी अब गांव के लोगों को विश्वास हो गया था। सारा खेल इस शिकारी भेड़िया का ही है।लोग अपने बच्चों को लेकर भी सावधान और सतर्क रहने लगे। लेकिन भेड़िए को कुछ फर्क नहीं पड़ता वह आए दिन अपना कोई ना कोई शिकार ढुुंढ लेता गांव में भेड़िए का आतंक बढ़ता जा रहा था।लोग काफी चिंतित रहने लगे थे। बुजुर्गो ने आपस में मिलकर एक योजना बनाई और गांव के लोगों को एक दिन इकठ्ठा करके अपने योजना को गांव वालों के सामने रखा। सबको अलग अलग कार्य सौंपा गया। गांव के बाहर एक जगह में योजना के तहत एक बकरी को रात में बाांधकर छोड़ दिया गया।और सारे गांव के बुजुर्ग और नवजवान थोड़ी दूर जाकर छिपकर बैठ गए। चारों तरफ जाल लगा दिया गया था ‌। बकरी की आवाज सुनकर लालची भेड़िया दबे पांव धिरे धिरे उसी तरफ आने लगता है। यहां पहले से ही तैयार गांव के लोगों ने जैैेसे ही भेड़िए को देखा जााल फेेंक कर पकड़ लिया। इसके बाद ग्रामीणों ने वन्य अधिकारी को सुचना देेेकर भेेेेड़िए को उनके हवाले कर दिया।उस दिन गांव के लोग निश्चिंत होकर रात में आराम से सो सकें। ऐसे ही रणनीति बनाने से हर समस्याओं का समाधान आसान और सरल हो जाता है।मेरी कहानी कैसी लगी मुझे जरूर बताएं। धन्यवाद आभार आपका ना रनजीत कुमार तिवारी
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