Pipal ka jhula books and stories free download online pdf in Hindi

पीपल का झूला


“ राहुल!... राहुल!... जाने कहाँ गया ये लड़का, इसका बाप आकर फिर मेरी जान खायेगा, अपनी बीवी और बच्ची को तो खा ही गया, जाने कहाँ से गया मेरी किस्मत मे


इतना कहकर सुनंदा बैठ गयी कि तभी उसके पती धीरज ने आकर कहा “ अरे सुनंदा राहुल कहाँ हैं?”


सुनंदा ने कहा – “ मुझे नहीं पता शाम से ही गायब है, सब जगह देख लिया कहीं नहीं मिला?"


धीरज ने गुस्से मे कहा – “ क्या मतलब कहीं नहीं मिला? तुमसे एक बच्चे का तो ख्याल नहीं रखा जाता और तुम्हे खुद के बच्चे चाहिए और तुमने ही कहा था मै राहुल को उसकी माँ से भी बढ़कर प्यार दूँगी


सुनंदा चिढ़ते हुये बोली – “ हाँ तो मुझे चाहिए मेरा बच्चा मेरा खून और मैंने तुमसे शादी की थी हमारे प्यार की खातिर ना की इस बच्चे की आया बनने के लिये और तुम भूलना मत मैंने क्या क्या किया है तुम्हे पाने के लिए


धीरज ने तेज आवाज मे कहा – “ बकवास बंद करो और ढूंढो मेरे राहुल को


सुनंदा बोली – “ तुम्हारा राहुल है खुद ढूंढ़ लो"


ये कहकर धीरज राहुल को ढूंढने चला गया, सब तरफ देखने पर भी उसे राहुल कहीं नहीं मिला


कहीं ये लड़का फिर तो वहां नहीं” ये सोचता हुया धीरज दौड़ता हुआ गाँव से बाहर एक सबसे पुराने पीपल के पेड़ की तरफ जाता है, जहाँ राहुल उसी पीपल पर रात मे झूला झूल रहा होता है


“ राहुल! राहुल! तुम फिर गए इस मनहूस जगह पर, कितनी बार बोला है तुमसे यहाँ मत आया करो क्या कर रहे थे यहाँ??


राहुल ज़ोर ज़ोर से हसने लगा और बोला “ कुछ भी नहीं पापा..मैं तो बस माँ और दीदी से मिलने आया था।”


ये सुन कर धीरज डर जाता है और कहता है “ कहाँ? कहाँ? है तेरी माँ और दीदी वो तो भगवान के पास गयी हैं

राहुल बोला – “ नहीं पापा वो यहीं हैं, देखो दीदी मुझे झूला झुला रही है और माँ लोरी सुना रही है वो देखो"


इतना सुनकर ही धीरज के पसीने छूटने लगते हैं और वो कहता है “ कोई भी तो नहीं है, तू चल घर...तेरी नयी माँ रहा तकती होगी


धीरज जैसे ही राहुल को गोद मे उठा कर मुड़ा.... उसे एक आवाज सुनाई दी “ पापा कहाँ जा रहे हो राहुल को ले कर?? मुझे भी ले चलो, मुझे भी घर जाना है


धीरज वापस मुड़ा पर वहां कोई नहीं था


राहुल बोला "पापा दीदी बुला रही है"


इतने मे ही झूला हिलने लगा, ज़ोर ज़ोर से हसने की आवाज़ आने लगी राहुल को नीचे उतारकर् धीरज ने झूला पकड़ा कि तभी राहुल की चीख निकली और राहुल गायब हो गया और इधर झूला टूट कर नीचे गिर गया, पल भर मे पूरा हरा भरा पेड़ सूख गया और धीरज का गला भी


धीरज – “ राहुल राहुल कहाँ हो तुम


तभी उसे राहुल की आवाज सुनाई दी “ पापा मै तो माँ के पास गया, अब आप भी जाओ माँ आपको बहुत याद कर रही है"


धीरज इतना सुन कर दौड़ने लगा पर उसके पैर झूले वाली रस्सी से जकड गए वो पेड़ पर उल्टा टंग गया और तभी पेड़ की सूखी टहनियों ने धीरज के हाथ-पैरों को चीर दिया और पेड़ की जड़े ज़मीन से निकल कर उसके मुँह मे घुस गयीं,उसकी आँखें बाहर गयी, सारा खून ज़मीं पर फैल गया लेकिन वो अभी भी ज़िंदा था और लम्बी लम्बी सांसे भर रहा था। तभी फिर एक आवाज़ आयी “ बहुत दर्द हो रहा है धीरज! ऐसे ही तूने मेरे और मेरी बच्ची को सोते समय काटा था ना, उस डायन के साथ मिलकर अब महसूस कर धीरज कितना दर्द हुआ होगा मेरे बच्चों को, कितना तड़पे होंगे वो


धीरज ने रोते हुये कहा “ कंचन मुझे माफ़ कर दो... कंचन..मै तुम्हारा और नैना का गुन्हेगार हूँ लेकिन मेरे राहुल को कुछ मत करना


कंचन की आत्मा ने कहा “ धीरज.... राहुल मर चुका है, तेरी बीवी ने मेरे बच्चे के लाखों टुकड़े किये और उसे भी इसी पेड़ के नीचे दफ़न कर दिया ये कहते ही धीरज के शरीर के टुकड़े टुकड़े हो कर ज़मीन पर गिर गए और मिट्टी मे समा गए

सुबह सुनंदा भी धीरज को ढूंढ़ने निकली और उसी पीपल के नीचे पहुंची और थक कर झूले पर ही बैठ गयीफिर ना तो सुनंदा कभी किसी को मिली और ना ही वो झूला कभी हिलना बंद हुआ


समाप्त ।