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हैवान बनते कुछ इंसान

पायल ,पायल ,पायल बेटा तुम्हारी फेवरेट पूरी और आलू की सब्जी बनाई है ,आ जाओ ,खाना खा लो पायल , पायल कहां हो बेटा ?मां ने फिर आवाज़ लगाई !पायल ,लाडो कहां है तू ?मां ने पूरा घर देख लिया ,वह पर्दा जिसके पीछे पायल छुपा करती थी ।वह अलमारी जो पायल के छुपने की जगह हुआ करती थी ।सारे घर में मां पायल को ढूंढ रही थी ,पर! पायल वह वहां नहीं थी ।पायल को ढूंढती हुई मां घर से बाहर आई ,पड़ोस वाली रीमा भाभी ने पूछा! क्या हुआ? पायल को क्यों ढूंढ रही हो कहां गई वह ?पायल की मां ने कहा" देखो भाभी कब से ढूंढ रही हूं ,पायल को पता नहीं कहां चली गई, अभी थोड़ी देर पहले तो यही थी "रीमा भाभी मुस्कुराते हुए बोली !"अरे भाभी जी हमारी नन्ही गुड़िया वह है ही इतनी चंचल इतनी शरारती हो सकता है अपने दोस्तों के साथ गार्डन में घूम रही हो वहां खेल रही हो" रीमा भाभी और पायल की मां दोनों पायल को ढूंढने के लिए गार्डन में चले गए ।वहां पर पायल के दोस्तों से पूछा ,उन्होंने कहा "अरे आंटी हमें तो काफी देर हो गई पायल का इंतजार करते हुए वह तो यहां आई ही नहीं मां ने कॉलोनी के आसपास भी देखा पर पायल नहीं मिली ।
पायल की मां ने पायल के पापा को फोन किया, पापा बोले ,अरे !तुम बेवजह परेशान हो रही हो हमारी पायल यहीं कहीं खेल रही होगी। मां ने कहा "अरे !मैंने सब जगह ढूंढ लिया पायल नहीं मिली, आप जल्दी से घर आओ "।पापा ने ऑफिस से छुट्टी ली ,और वो पायल के लिए घर पर आ गए। तब तक कॉलोनी के काफी लोग इकट्ठे हो चुके थे ,और वह पायल को ढूंढ रहे थे । दो-तीन घंटे पायल को ढूंढने के बाद भी वह नहीं मिली । हमें पुलिस को खबर करनी चाहिए ।भीड़ में से किसी ने कहा !यह सुनकर मां का दिल बैठने लगा ।पुलिस आई उन्होंने पायल के बारे में पूरी जानकारी ली ,और पायल को ढूंढने लग गए ।रात तक पायल का कोई सुराग हाथ नहीं लगा। पायल के मां और पापा को अब किसी अनहोनी की शंका होने लगी थी ।रह-रहकर उनके मन में बुरे ख्याल आ रहे थे, और किसी तरह वो अपने दिल को समझा रहे थे कि उनकी बेटी मिल जाएगी।
अभी 6 महीने ही तो हुए थे ,पायल और उसके मां-बाप को नई कॉलोनी में आए ।हुए 5 साल की नन्ही पायल ,घुंगराले बाल ,प्यारी सी मुस्कान, मासूम सा चेहरा ।अपनी शरारतों और मासूम भरी बातों से वह पुरी कॉलोनी की लाडली बन गई थी।अचानक फोन की घंटी बजी ,सुबह के 8:00 बज रहे थे ।पायल के पापा ने फोन उठाया "आप लोग पुलिस स्टेशन आ सकते हैं "थाने से फोन था ।पायल के मां-बाप और कॉलोनी के कुछ लोग पुलिस स्टेशन पहुंचे।



पायल ,पायल मेरी बेटी कहां है ?बताइए कहां है मेरी बेटी ?पायल की मां पुलिस इंस्पेक्टर और थानेदार से पूछ रही थी"हमें पायल की लाश मिली है "इंस्पेक्टर ने कहा !यह सुनकर पायल के मां-बाप के पैरों के नीचे से जमीन निकल गई !पायल की मां एक जिंदा लाश की तरह यह सब सुन रही थी ।उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था !उसने दोबारा पूछा आप कह क्या रहे हैं ?जी हां यह सच है हमें पायल की लाश मिली है इंस्पेक्टर ने दुबारा कहा।पायल के मां बाप ने पायल की लाश को देखा, चेहरे पर और शरीर पर खरोच के ,और घाव के निशान थे ।उसका शरीर निर्वस्त्र अवस्था में था। पायल के मां बाप ने प्रश्नवाचक दृष्टि से इस्पेक्टर की तरफ देखा!"आपकी बेटी के साथ बलात्कार हुआ है "अभी एक सदमे से पायल के मां-बाप उबर नहीं पाए थे, और एक दूसरा सदमा ।अपनी नन्हीं सी जान की यह हालत देखकर एक बाप एक पिता जो बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोके हुआ था ,उसका दिल उसकी आत्मा, यह सुनकर छलनी हो गई थी ।अपनी नन्हीं सी गुड़िया ,अपनी नन्हीं सी लाडो की हालत देखकर ,वह अपने आंसू रोक नहीं सका।
जो घर कभी नन्हीं पायल की हंसी से गूंजा करता था ,आज वो खामोश है ।जिस पर्दे के पीछे पायल छुपा करती थी ,आज वो पर्दा तो है पर !वहां छुपने के लिए पायल नहीं है ।पायल की मां आज भी अपनी बेटी के पैरों की पायल को देख देखकर रोती है ,जो कभी उसकी बेटी के पैरों की शान हुआ करती थी। जब पायल उन चांदी की पायल को पहन कर पूरे घर में घूमती तो ,ऐसा लगता जैसे शहनाई बज रही हो ।पूरा घर उसके घुंघरू की आवाज से गूंजता रहता ।आज वह पायल तो है पर उससे पहनने के लिए पायल नहीं है ।किसी हैवान ने किसी राक्षस ने एक मां से एक पिता से उनकी नन्ही सी जान को जुदा कर दिया।😢

10 दिन बाद जांच में पता चला ,पड़ोस में रहने वाले राघव ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है ।राघव एक 45 साल का व्यक्ति जिसे पायल रघु अंकल के नाम से जानती थी ,रघु उसे रोज टॉफी देता ,उसके साथ खेलता उससे बातें करता ।कॉलोनी में किसी को यकीन नहीं हुआ राघव ऐसा कर सकता है ।वह तो पायल को काफी प्यार करता था ,उसके साथ खेलता था ,बिल्कुल अपने बच्चों की तरह ।फिर !यह सब आखिर क्यों? जवाब किसी के पास नहीं था... ..
एक मां की गोद और उसका आंगन दोनों सुने हो चुके थे। एक पिता का कंधा सुना हो चुका था।
आज हमारे आसपास ऐसी कितनी ही पायल है ,जो इस तरह की घटनाओं का शिकार हो चुकी है, और यह नन्हीं सी जाने, यह नन्हीं सी गुड़िया ,हमसे हमारे समाज से पूछती है !आखिर हमने किसी का क्या बिगाड़ा है ?हमने कौन से छोटे-छोटे कपड़े पहने हैं ?हमने किसी की तरफ क्या अश्लील इशारा किया है ?हम क्या किसी से अश्लील बातें की है ?अरे हमें तो अश्लील का मतलब ही पता नहीं है !फिर हमारे साथ ऐसा क्यों ?और! इसका जवाब हम में से किसी के भी पास नहीं है..... ..

आखिर क्यों इंसान हैवान बनते जा रहे हैं? एक नवजात बच्ची से लेकर वृद्ध महिला तक, आए दिन कितनी ही घटनाएं हमें देखने और सुनने को पढ़ने को मिलती है ।क्या हो रहा है यह ,और यहां तक कि जानवरों के साथ भी। क्या वाकई में इंसान की इंसानियत मर चुकी है? क्या वाकई में इंसान हैवान बनते जा रहे हैं? ना उनमें दया बची है ,ना मानवता , ना इंसानियत .....

कुछ समय पहले एसिड पीड़ित एक लडकी का बयान आया था ,कि जब वह कोर्ट जाती थी तो ,वहां पर वह अपराधी भी आता था ।जिसने उस पर एसिड से अटैक किया है । अपराधी के साथ उसका परिवार ,और उसकी बीवी भी आती थी ।एक ऐसा इंसान जिसने किसी दूसरे की बेटी के साथ इतना बुरा किया हो, कैसे दूसरा बाप उसे अपनी बेटी दे सकता है? और! कैसे एक लड़की ऐसे इंसान के साथ अपनी जिंदगी की डोर बांध सकती है ,जिस इंसान ने किसी दूसरी लड़की की जिंदगी की डोर काटने की कोशिश की हो। आखिर कैसे? जवाब फिर से किसी के भी पास नहीं है !!!!!!😰😰😰
सच में !इंसान ,मानवता ,दया जैसी चीजे अब सिर्फ कहने और सुनने के लिए है ।निर्भया केस में जिस अपराधी ने सबसे ज्यादा घिनौनी हरकत की नाबालिग निकला ।नाबालिक ! वह सिर्फ उम्र से ,अपने काम और अपनी गंदी हरकतों से वह किसी भी प्रकार से नाबालिग नहीं था ।पर कानून!!!!!!

हम यह किस तरह के समाज की रचना कर रहे हैं ।अपनी आने वाली पीढ़ी को हम क्या यह सब देना चाहेंगे? नहीं ना !!!हम सबको मिलकर इसके लिए आवाज उठानी होगी ।एक ऐसे समाज का निर्माण करना होगा ,जहां हम और हमारी आने वाली पीढ़ी खुल के ,खुशी से सांस ले सके। जहां पर इंसान हो तो उनमें इंसानियत ,मानवता ,दया भी हो। ना कि ऐसे हैवान....
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टीना सुमन