Muskurahat ki maut.. - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

मुस्कुराहट की मौत... - 3

आगे देखा हमने की कुँवर अपनी माँ की मौत की ख़बर सुनकर होश खो बैठी और बेहोश हो गई।

कुँवर के बापू उसे बचाने पानी की बूंदे छिड़क के उठाने की कोशिश करने लगे। पर कुँवर नही उठी और वो चिरनिद्रा में चली गई। कुँवर चिरनिंद्रा में एक अजीब दुनियाँ देखती।

कुँवर ने देखा कि वो एक अजीब वेशभूषा में है। फ़िलहाल जो इस दुनियाँ में है वहा से बहोत ही विपरीत है। और अजीब अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगी।

हर तरफ़ से खिलखिलाती हसी और मुस्कुराहट सुनाई पड़ी। और अचानक कोई दरिंदा आया और उसे उठाके ले गया। और अचानक खिलखिलाती मुस्कुराहट में मातम छा गया। उसके साथ उस दरिंदे ने बहोत ही बुरा बर्ताव किया। उस मासूस की हंसी को उसने रक पल में निचोङ दिया। और बाद में उसे जिंदा ही मिट्टी में दफ़ना ने लगा। तब एक आवाज़ जैसे हवाओं में गूंज उठी....

" अरे..! निर्लज्ज, दरिंदे, तूने जो आज किया है उसकी सजा तुजे जरूर मिलेगी। तुजे ऐसी हैवानियत का शोख़ है ना। तुजे इसी हैवानियत से मौत मिलेगी। शादीशुदा और कुँवारी कन्या के अस्थि से बने हथियार से उस लडक़ी का पति ही तुजे जलाकर मारेगा। "

और अचानक कुँवर की आँख खुल गई। और उसे सपने में देखी सारी चीजें याद आने लगी। और जैसे सपने में वो दफ़न होने वाली लड़की कुँवर ही ख़ुद है ऐसा उसे अहेसास हुआ। और हवाओं में गूँजी आवाज़ भी सुनाई दी। थोड़ा सा डर गई और अपने बापू को ढूंढने लगी।

" बापू, बापू कहा है आप..? मुजे डर लग रहा है यहा। वो दरिंदा मुजे खा जाएगा। " - कुँवर अपने बापू भूपतदेव को बुला रही है।

" क्या हुआ कुँवर बेटा..? इतना क्यों डर रही हो? कोन दरिंदा खा जाएगा..." - भूपतदेव बड़े आश्चर्य से पूछने लगे।

" वो विमलराय...." - डरते हुए कुँवर बोली।

विमलराय का नाम सुनकर भूपतदेव चोक गए। क्योंकि कुँवर ने कभी विमलराय को देखा ही नही था। और आज अचानक कुँवर विमलराय को कैसे जानने लगी।

" बेटा तू विमलराय को कैसे जानती है...? कभी देखा तो नही " - पिताने बड़ी चिंता से पूछा।

" बापू अभी देखा सपने में। वो कोनसी दुनियाँ थी नही पता। पर वहा इस गाँव के जैसे ही वो दरिंदा किसी को चैन से जीने नही देता। उसने मुजे भी जिंदा दफ़ना दिया। " - कुँवर अपने सपने की बात बताने लगी। और विमलराय के अत्याचारों को उस सपनें में देखे हुए दरिंदे की तुलना में दिखाने लगी।

कुँवर की बातें सुनकर भूपतदेव घबरा गए। सोचने लगे कि ऐसे वो विमलराय का खात्मा करने किसी लडक़ी की जान नही लर सकते। पर एक और पूरे गाँव को उस विमलराय के अत्याचारों से बचाने का एक ही तरीका दिखाई दे रहा था। वो करे भी तो क्या करे...!

" बेटा कुँवर ..! उस विमलराय से इस गाँव को बचाने का और कोई रास्ता नज़र नही आता। हम क्या करेंगें..? " भूपतदेव गाँव की चिंता में कुँवर से पूछते है।

" बापू एक रास्ता है। बस आप मान जाओ मना मत करना। कृत्स्नंसिंह को समजाना मुश्किल है पर में समजा दूँगी। " - कुँवर अपने बापू से कहती है।

" कौन कृत्स्नंसिंह..? " - बड़े आश्चर्य से भूपतदेव कुँवर से पूछते है।

( कोन है ये कृत्स्नंसिंह जानते है अगली कहानी में)

.........क्रमशः.......