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अनोखा रूमाल

किशनगढ़ में मानस नाम का किसान अपने परिवार के साथ रहता है। और दिन रात मेहनत कर के अपने परिवार को चलाता है। मानस का एक बेटा है पर वह हमेशा बिमार रहता है, जिस कारण मानस और रागिनी परेशान रहते हैं। दोनों ही अपने बेटे को कभी खोना नहीं चाहते हैं।मानस हमेशा की तरह काम से लौट कर घर आया तो रागिनी बोली - क्या कल हम शहर जायेंगे? बिट्टू को बुखार आ गया है।मानस सहसा बोला- हां ज़रूर जायेगें तभी तो इतना कोशिश कर रहे हैं कि बड़े पैमाने के डाक्टरों को दिखा सके, हम हार नहीं मानेंगे बोलते हुए मानस रोने लगा फिर रागिनी भी रोने लगी।मानस आंसु को रोक कर बोला - देवों के देव महादेव की कृपा से सब ठीक-ठाक होगा। रागिनी बोली- चलो अब कुछ खा लो। फिर दोनों रूखा सूखा का कर सो गए।
अगले दिन सुबह जल्दी तैयार हो कर बिट्टू को तैयार कर के मानस ने कहा- बिट्टू की सारी रिपोर्ट ले लो। रागिनी ने कहा - मैंने सब रख लिया।मानस के पड़ोस में अब्दुल करीम खां हकीम रहते हैं। बिट्टू का इलाज अब्दुल हकीम भी कर रहे थे।।मानस - रागिनी और बिट्टू को लेकर घर से निकले तभी अब्दुल करीम आ कर बोले- भाई मानस कुछ रूपए ज्यादा ले जाओ, क्या पता जरूरत पड़ जाए। रागिनी बोली - हां भाईजान आप तो भगवान का रूप हों मेरा दुःख तो आप को पता है। बिट्टू की ये तकलीफ कैसे कम करूं मैं। यही दुआ करना की बिट्टू रोए, हंसे बात करें। अब्दुल- हां-हां मेरा दुआ हमेशा रहेगा।मानस- अब चलते हैं।बस स्टैंड पर शहर जाने वाले बस का इंतजार करने लगे। फिर बस आ गई और मानस, रागिनी और बिट्टू को लेकर कर चढ़ गये। तीन घंटे बाद शहर आ गया। फिर मानस बिट्टू को लेकर उतर गया साथ रागिनी भी उतरी। फिर बस अड्डे से वे बाहर निकल कर पुछताछ करने लगे। एक चाय बेचने वाले से चाय पी कर आगे बढ़ गये। फिर वहां से रिक्शा चालक को बोला की सरकारी अस्पताल ले चलो। रागिनी ने पूछा- डा धवन मिलेंगे ना? मानस बोला - हां क्यों नहीं मिलेंगे। फिर रिक्शा चालक रोक कर बोला - बाबू आ गया तुम्हारा अस्पताल। आगे से लाइन है।मानस ने उसे पैसे दिया और कहा- चलो रागिनी बिट्टू को ढक देना । फिर वो लम्बी कतार में खड़े हो गए।मनास ने अपने आगे खड़े एक आदमी से पूछा - भाई ये लाइन क्या डा धवन को जायेगी? आदमी बोला- नहीं भाई- ये काउंटर की लाइन है वहां आपको पता चलेगा कि डा धवन कौन से रूम में है।मनास- अच्छा , धन्यवाद। फिर देखते -देखते काउंटर पर मानस का नम्बर आ गया।मानस ने कहा- डा धवन को दिखाना है। काउंटर से महिला बोली - पहले भी दिखाया है क्या। मानस - नहीं पहली बार। महिला ने कहा- २००० जमा करना होगा।मानस - हां हां,जेब में से २००० दे दिया । फिर महिला ने पर्चा बना कर दिया। और बोली रुम न.७ में जाओ। फिर तीनों खोजते हुए रूम न. ७ पहुंच गए।रूम के बाहर बड़ी भीड़ थी। एक आदमी ने कहा- पर्चा दो।
मानस ने पर्चा जमा कर के बैठ गया। फिर कुछ देर बाद बिट्टू का न. आ गया।मानस , रागिनी और बिट्टू को लेकर अन्दर गये। डाक्टर ने पूछा- क्या हुआ है? मानस बोला- डॉ सहाब बिट्टू कुछ बोल नहीं सकता, रोता भी नहीं। डॉ धवन- अच्छा, रिपोर्ट लाये हो क्या? रागिनी ने जल्दी से रिपोर्ट निकाल कर दिया। डॉ ने रिपोर्ट टटोला और फिर बोले- अच्छा ,तो ये जन्म से ऐसा है और कोई दवा भी काम नहीं कर रहा है !मुझे चेक अप करना होगा। बिट्टू को बेड पर लिटा दिजिये। रागिनी ने बिट्टू को लेकर बेड पर लिटा दिया। डाक्टर साहब ने पूरा शरीर का जांच किया। फिर रागिनी बिट्टू को लेकर बैठ गई। डाक्टर साहब ने बताया- आप ने आने में देर कर दिया। बिट्टू का कुछ और टेस्ट करवाना होगा।मानस और रागिनी रोने लगे। फिर दोनों बिट्टू को लेकर बाहर आ गए। एक नर्स बोली- बच्चे को लेकर आओ। फिर एक दूसरे रूम में जाकर बिट्टू का टेस्ट हुआ। एक घंटे बाद रिपोर्ट लेकर डॉ के पास गए। रिपोर्ट देख कर डाक्टर ने कहा- अब बहुत देर हो गई है।उसका ठीक होना मुश्किल है। फिर दोनों रोने लगे। मानस बोल पड़ा- डॉ साहब आप तो भगवान है कुछ किजिए। डॉ - फिलहाल कुछ दवा देता हूं। फिर पर्चे में दवा लिखने लगे।बाहर निकल कर मानस दवा की दुकान पर जाकर दवा खरीद कर रागिनी को बोला कि रात होने वाली है । जल्दी बस अड्डा पहुंचना होगा। रागिनी बोली- क्यों न आज रात यहीं रुक जाऐ।मानस सोच कर बोला - हां, पर यहां तो हम तो किसी को नहीं जानते। रागिनी - मगर कोई तो भले लोग होंगे ही। कुछ दूर तक चलने के बाद एक झोंपड़ी दिखा उसमें में बत्ती जलती दिखाई दी। रागिनी बोली - चल कर पुछते है कि रात को रूक सकते हैं क्या? मानस ने दरवाजा खटखटाया तो एक बुजुर्ग महिला ने दरवाजा खोला तो मानस ने कहा हम गांव में रहते हैं क्या आप आज रात हमें रहने देंगे। बुजुर्ग महिला ने कहा- आ जाओ अन्दर, लगता है परेशान हो, बच्चे को बिस्तर पर लिटा दो।मानस- बोला धन्यवाद आपका। बुजुर्ग महिला ने बताया- कि वह आंखों से अंधी है। ये सुन कर दोनों सकपका गए। बुजुर्ग महिला बोली- डरो नहीं बेटा मैं आंखों की अंधी किसी का कोई नुकसान नहीं करूंगी।पर मन की आंख से बता सकती हु की तुम्हारा बेटा बिमार है। रागिनी रोने लगी। बुजुर्ग महिला ने कहा- रो मत । यहां चुल्हे के पास कुछ रोटियां रखी है और डब्बे में गुड़ है। खा कर सो जाओ।मानस , रागिनी को भूख लगी थी और जल्दी से रोटियां लेकर कर खाने लगे। फिर मानस ने पूछा- आप का कोई नहीं है क्या? बुजुर्ग महिला ने कहा- नहीं बेटा कोई नहीं है लेकिन भगवान है ना तभी तो आज तुम लोगो को मेरे पास भेजा है। रागिनी ने बताया- माजी हम बहुत परेशान हैं। बुजुर्ग महिला ने कहा- हम जानते हैं सब, बेटी तुम एक काम करो। वहां एक अलमारी है और उसके अंदर एक डब्बा है। डिब्बे के अंदर एक अनोखा रूमाल रखा है उसे लेकर तुम बाबू के तन से ढक लो फिर उसे शांति मिलेगी। ये सुनकर कर दोनों रोने लगे। फिर रागिनी ने वैसा ही किया जैसा उस बुजुर्ग महिला ने कहा। फिर सब सो गए।

फिर दूसरे दिन सुबह बिट्टू की रोने की आवाज से मानस , रागिनी उठ खड़े हुए और देखा कि बिट्टू रो रहा था और हाथ पैर हिला रहा था।मानस- ये कैसा अदभुत चमत्कार हो गया महादेव। रागिनी भी एकदम चौंक कर बोली - बिट्टू ठीक हो गया। और फिर बिट्टू को गोद में उठा ली।मानस ने कहा- मांजी ये आप ने ही किया है,मगर ये क्या मांजी तो एकदम बेजान पड़ीं थी।मानस ने हाथ से शरीर छु कर देखा तो शरीर ठंडा पड़ा था। फिर मानस ने कहा - हे भगवान ये कैसी लीला है आपकी आज मांजी के द्वारा दिऐ उस अनोखा रूमाल से बिट्टू ठीक हो गया और मांजी चली गई। रागिनी ने कहा - आप ही मांजी का दाह संस्कार कर आईये।मानस ने पुरी निष्ठा के साथ उस बुढ़िया का अन्तिम संस्कार कर दिया फिर ये तीनों उस अनोखे रूमाल के साथ बस अड्डे पर पहुंच गए। फिर मानस , रागिनी , बिट्टू वापस किशनगढ़ पहुंच गए।घर आकर बिट्टू को सुला कर दोनों ये सोचने लगे कि मांजी के उस रूमाल में क्या कोई अलोकिक शक्ति है? रागिनी ने कहा- हां, तभी हम बिट्टू को वापस ला पाए।मानस ने उस रूमाल को सहेज कर रखा। क्योंकि उसका मानना था कि उस रूमाल से बिट्टू को नया जीवन मिला है।
दोस्तों इस कहानी से हमें ये सीख लेनी चाहिए कि भगवान पर विश्वास करो और खुद पर भी विश्वास रखो। इन्सान अपने कर्म से ही जाना जाता है और शिव पर आस्था ही सच्ची आस्था है।