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नकलची मोनू


मोनू ग्यारह साल का है और कक्षा सात का छात्र है। मोनू में एक खराब आदत है वह सबकी नकल किया करता है। चाहें वो बड़ा हो या छोटा। कभी भी कहीं भी किसी का नकल करने लगता है।



घर में दादाजी से लेकर कर सभी परेशान रहते हैं मोनू से।दादी मां ,बुआ, मनीषा दीदी, चाचा-चाची सब अलग अलग तरीके से उसको समझाया करते पर मोनू को तो हर हाल में सब को परेशान करना है।

रोज की तरह सुबह उठकर मोनू सीधे दादाजी के कमरे में जाता था क्योंकि उसे पता था कि दादाजी इस समय गुशलखाना में होंगे ।बस मोनू सीधे दादाजी के बिस्तर पर लेट कर चश्मा लगा कर और अपना मुंह खोल कर बोला - बहु चाय दोगी कि नहीं?

तभी मोनू की दादी मां कमरे में पहुंच कर बोली आज चाय नहीं बनाई है। मोनू ने जैसे ही देखा कि दादी छड़ी लेकर खड़ी है। तभी मोनू नीचे भाग जाता है।

फिर मोनू की मम्मी ने कहा कि कल भी स्कूल नहीं गया और आज भी अभी तक तैयार नहीं हुआ क्यों रे मोनू ।। मोनू बोला क्या मां कभी तो मेरे मन का कहा करो।


फिर मां ने कहा चल नहा लें। मोनू ने फिर आवाज़ बदल कर बोला शान्ति मेरा कमीज़ कहा है? मोनू की मां सर पकड़ कर बैठ गई। और बोली हाय ! राम क्या करूं।

तभी मोनू के पापा जी ने कहा मोनू ये सब आदत छोड़ दें बेटा और पढ़ाई में ध्यान दें।तब मोनू बोला अरे कमल बेटा जाने दो। इस बार मोनू ने दादी की नकल उतारी ।

जब शान्ति ने घड़ी देखी तो बोली अब बहुत देर हो गई है तैयार हो जा। किसी तरह से मोनू तैयार हो गया और फिर बस आ गई और वह स्कूल पहुंच गया।कक्षा में भी मोनू सबके साथ शैतानी करने लगा।


पहला पीरियड गणित का था।सर आकर बोले सब कापी निकल कर सवाल हल करो।मोनू बोला सर आपके पीछे बन्दर है।सब देखने लगे।

सर बोले बन्दर जैसे नकल करता है वैसे तुम भी करते हो।।सब हंसने लगे। मोनू चिढ़ गया।


फिर एक के बाद एक सारे टीचर आते गए और जब लंच ब्रेक हो गया।सब बाहर खेलने लगे।


तभी गेट पर एक बुजुर्ग महिला आई। मोनू गेट तक जा पहुंचा क्योंकि उस समय चौकीदार भी खाना खाने बैठा था ।

मोनू बोला क्या बात है।वह बुजुर्ग महिला बोली कि मेरी पोती कक्षा पांच में पढ़ती है उसको बुला दोगे क्या?

मोनू बोला मुझे दो मैं दें देता हूं। बुजुर्ग महिला ने लंच बॉक्स मोनू को दे कर चली गई। तभी मोनू सीधे लंच बॉक्स खोल कर खाने लगा।

तभी गेट पर फिर से बुजुर्ग महिला आई और बोली कि मैने तो नाम ही नहीं बोला। उसने देखा कि मोनू वहीं उसकी पोती का लंच खा रहा था।

बुजुर्ग महिला को यह देखकर आश्चर्य हुआ और बोली कि ये क्या कर रहे हो बेटा? मोनू यह सुनकर लंच बॉक्स नीचे फेंक कर भाग खड़ा हुआ।


इस तरह छुट्टी का समय हो गया और मोनू बस में जाकर बैठ गया। फिर मोनू को उसके गली के मोड़ पर बस छोड़ दिया । क्योंकि गली पतली होने की वजह से बस अन्दर नहीं जाता था।

मोनू उतर गया और गली में घुसते ही शरारत सूझी। देखा दूर से बुजुर्ग आदमी आ रहे है ये बुजुर्ग अनाथ है और बिमार है।

मोनू सब जानता है और जान कर मोनू ने एक धक्का लगाया और बुजुर्ग आदमी नाली में गिर पड़ा और कहारने लगे।

मोनू सीधे घर भाग गया और गली मोहल्ले वाले ही किसी तरह से बुजुर्ग आदमी को सरकारी अस्पताल ले गए।

मोनू घर आकर किसी से बिना बोले कमरे में आ गए और सो गया।


जब मनीषा कालेज से घर लौटी तो उसने मां को बताया कि आज वो गली के बुजुर्ग दादाजी का स्वर्गवास हो गए।

ये बात मोनू सुनकर सहम गया और खिड़की से बाहर देखने लगा।

शान्ति बोली अरे कैसे हुआ। मनीषा बोली पता चला कि गली में गिर पड़े थे। दादाजी ने कहा कोई नहीं था बिचारे का। अच्छा हुआ मुक्ति मिल गई।

मोनू सारी बातें सुनकर कमरे में पहुंच गया।


फिर रात के खाने में मोनू नहीं आया। तो मनीषा दीदी मोनू को बुलाने गई।पर मोनू सो गया था।

दुसरे दिन सुबह उठकर मोनू जल्दी तैयार हो गया और नीचे पहुंच गया।

घर में सारे लोग मोनू के इस बदलाव से आश्चर्य हो गए।पर किसी ने कुछ नहीं कहा।


मनीषा बोली अरे मोनू क्या बात है तुम ठीक तो हो? मोनू बोला हां। फिर बिना लंच बॉक्स लिए जाने लगा।

दादी मां बोली मोनू कल भी बिना खाए सो गया और आज भी कुछ नहीं खाया। मोनू बोला दादी भूख नहीं है।

फिर मोनू चला गया।घर में सारे लोग मोनू के बारे में बात कर रहे थे। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था।


स्कूल पहुंचकर भी मोनू एकदम समहा सा था।पुरे क्लास में मोनू शान्त हो कर बैठा रहा।


लंच ब्रेक में भी सब बाहर खेलने गए पर मोनू क्लास में ही बैठा रहा। फिर मोनू का दोस्त बंटी बोला अरे भाई क्या बात है? मोनू बोला नहीं मेरी तबियत ठीक नहीं है। फिर देखते देखते छुट्टी हो गई। और फिर मोनू बस में जाकर बैठ गया।

स्कूल बस मोनू को उसके गली के मोड़ पर उतार दिया और मोनू अपने गली में घुसते ही उसे कल वाली घटना याद आ गई और वह रोने लगा फिर वह अपना संतुलन खो दिया और सामने से आती हुई गाड़ी उसे नहीं दिखी और फिर वो गाड़ी से टकरा गया और उसका माथा फट गया।

गाड़ी चालक भले आदमी थे तो उन्होंने ही मोनू को बेहोशी की हालत में अस्पताल ले जाना उचित समझा। उन्होंने तुरंत मोनू का स्कूल बैग टटोलने लगे जिस में से उनको मोनू की स्कूल डायरी मिली जिसमें से उसका नाम और पता देख कर वहां एक चाय बेचने वाले को कहा कि इस पते पर जाकर खबर कर दो। मैं इसे सामने सिटी अस्पताल में भर्ती करवा देता हूं

फिर कार चालक ने जल्दी से मोनू को एक अस्पताल में भर्ती कराया।


चाय वाला जल्दी से मोनू के घर जा कर सारी बात बताई।सब सुनकर ही अस्पताल में पहुंच गए। वहां जाकर पता चला कि मोनू का आपरेशन करना होगा।सर पर चोंट लगने की वजह से खून भी ज्यादा निकल गया है।

सब परेशान हो गए। डॉ ने कहा सही समय पर लाने से मोनू को खतरा नहीं है।


गाड़ी चालक ने पुलिस को भी सूचित कर दिया था। मोनू के दादाजी बोले आप का बहुत बड़ा उपकार।

गाड़ी चालक बोला मैं अपना परिचय देता हूं मैं एक उधोग पति हुं मेरा नाम भास्कर गुप्ता है। मुझे भी अफसोस है वह बच्चा गाड़ी के नीचे ही आ गया था। मैं कोशिश कर रहा था कि उसको कुछ न हो पर।

दादाजी बोले आप अगर नहीं होते तो क्या होता।


फिर डॉ ने आकर कहा कि मोनू का आपरेशन अच्छी तरह से हो गया है।

वह गाड़ी चालक भास्कर ने कहा मैं यहां का बिल और दवाई सब कुछ जो भी जरुरत है मैंने काउंटर पर मोनू के नाम से जमाकर दिया है मैं शाम को मोनू से मिलने आऊंगा।


मोनू के पापा बोले कि आज कल आप जैसे लोग नहीं मिलते है।


फिर कुछ देर बाद मोनू को एक रूम दिया गया और कुछ देर बाद मोनू को होश आया तो उसने कहा मां मैं कहां हूं? फिर शान्ति बोली अरे मोनू कैसे हो? मोनू बोला मैं जिन्दा कैसे?मर क्यों नहीं गया।

मनीषा बोली अरे भाई क्या बात है कुछ बोलना चाहता है? मोनू मैं आप सब से माफी मांगना चाहता हूं। नर्स बोली अरे ज्यादा बात अभी ना करें । टांका खुल सकता है।

फिर सब बोलें हां मोनू कल बोलना जो भी बोलना चाहते हो?


फिर मनीषा और मोनू की मां रूक गई। बाकी सब घर आ गए।



दूसरे दिन सुबह सब मोनू से मिलने पहुंचे। डॉ ने कहा कुछ दिन बाद छुट्टी मिलेगी।


फिर वो गाड़ी चालक भास्कर मोनू के लिए फल लेकर आए और फिर सारी बात उन्होंने बताई।ये सुनकर मोनू रोने लगा। बोला अंकल मैं किसी और का गुनहगार हूं। मुझे पुलिस अंकल से बात करनी है।


गाड़ी चालक भास्कर एक बड़े वकील भी है और उन्होंने ही एक पुलिस अधिकारी को बुलाया और मोनू ने पहले अपनी मनोस्थिति की वजह से उस दिन के घटना के बारे बताया और ये भी कहा कि गाड़ी चालक की गलती नहीं थी।


फिर जब पुलिस अधिकारी जाने लगे तो मोनू ने उनको कहा कि मैंने एक गुनाह किया है जो मैं बताना चाहता हूं।


पुलिस अधिकारी अचरज में पड़ गए और बोले क्या बात है बेटा।


फिर मोनू ने अपनी शरारत के बारे में एक ,एक बात बताई किस तरह से सबकी नकल उतारा करता था सबके मना करने के बाद भी वह सबकी नकल उतारा करता था।

फिर उसने ये बताया कि गली में एक बुजुर्ग आदमी को जान कर धक्का दिया था और वो गिर पड़े थे फिर उनकी मौत हो गई। बोलते हुए मोनू रो रहा था पशाचाताप में और आत्म ग्लानि से भर गया था।

पुलिस अधिकारी ने सारी बात सुनकर बोले कि मोनू आज तुमने सच बता कर बड़ा अच्छा काम किया है मैं पहले सारा छानबीन करता हूं फिर देखते हैं।

घर के सभी सदस्य रोने लगे । मोनू के दादाजी बोले बेटा आज तुमने वो कर दिखाया जो कोई जल्दी करता नहीं। शाबाश बेटा।

मनीषा बोली अरे मोनू सब अच्छा होगा देखना।


फिर मनीषा और मोनू की मां रूक गई बाकी सब घर चलें गए।

दूसरे दिन सुबह डॉ मनमोहन ने कहा कि मोनू को छुट्टी मिलेगी। मनीषा दीदी बहुत खुश हो गई।


मां व मनीषा मोनू को लेकर घर आ गए।घर में सब बहुत खुश थे। मोनू ने सब से पैर छूकर अपनी गलती के लिए माफी मांगी। दादाजी बोले आज मोनू का नया जन्म हुआ है। मोनू बोला मैं अब सबका आदर करूंगा कभी किसी को तकलीफ नहीं पहुंचाऊंगा।

मां ने कहा चल अब जाकर आराम कर।


फिर शाम को पुलिस अधिकारी आए और उन्होंने बताया कि उस बुजुर्ग आदमी को बहुत सारी बिमारी थी उनकी दोनों किडनी खराब हो गई थी और उनकी मौत की वजह दिल का दौरा पड़ने से हुआ था और वो भी गिरने के तीन दिन बाद ।

ये सब पोस्ट मार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ है।


पुलिस अधिकारी बोले कि मोनू ने कोई अपराध नहीं किया है पर हां मोनू ने अपनी गलती मान कर अपना सारा सच जिस बहादुरी से बताया है उसके लिए मोनू को शाबाशी देते है।


दादाजी बोले आप ने हमारे दिल का बोझ कम कर दिया। फिर पुलिस अधिकारी चले गए।


मोनू के आंखों से आंसू निकलते जा रहे थे पर ये खुशी के आंसु थे।


दोस्तों आज हमें ये सबक मिला कि कभी भी किसी की नकल मत करो। खुद को ऐसा बनाओ कि सब लोग तुम्हारे अंदर की वो छवि को देखें जो दुसरो को सहायता करने के लिए हो ,ना किसी को तकलीफ।।


आज बस यही तक । इसी तरह से आप सभी मेरी कहानियां को पढ़े और मुझे प्रोत्साहित करे।


धन्यवाद आपका।।