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पिंकी की चतुराई

राम पुर गांव में सेठ कृष्ण कांत बड़े ही नेक वह सज्जन व्यक्ति थे।
इनकी एक बच्ची थी पिंकी बड़ी प्यारी सी गुड़िया जैसी खुबसूरत और बड़ी बहादुर लड़की थी।वो अपने दादी और पापा के साथ रहती थी। जिम्मी एक पालतू जानवर था । पिंकी का दोस्त भी था।
पिंकी की मां बचपन में ही भगवान के घर चली गई जब पिंकी एक साल की थी तभी से अपने बाबूजी और दादी के पास ही पली बढ़ी थी। अब पिंकी दस साल की हो गई थी।

कृष्णकांत हर हफ्ते शहर काम से जाते थे और वो जाने की तैयारी करने लगे।

माधव काका ओ माधव काका बोल कर पिंकी चिल्लाने लगी।

तभी माधव काका रसोई घर से आए और बोले क्या बात है पिंकी,कुछ चाहिए क्या?
पिंकी बोली अरे बाबा मुझे नहीं पर बाबू जी को कुछ चाहिए तो।।

माधव काका अन्दर जाकर बोले मालिक क्या बाहर जा रहें हैं?
कृष्णकांत बोले हां मैं शहर जा रहा हूं मेरे पीछे सब देख - रेख कर लेना।
माधव ने सर हिला दिया और फिर उनका सामान लेकर कार में रख दिया।

कृष्णकांत बोले पिंकी को क्या चाहिए? पिंकी मुस्कुरा कर बोली बाबूजी मुझे एक गुड़िया चाहिए।
कृष्णकांत हंस कर बोले हां ठीक है,जिम्मी को कुछ दिनों तक बाहर मत भेजना।वो रहेगा तो अच्छा होगा वरना इतने बड़े कोठी में बस दो तीन लोग।
पिंकी ने कहा हां बाबू जी आप चिंता ना करें।सब ठीक है। मैं स्कूल के लिए तैयार होने जाती हुं। फिर लंच बॉक्स लेकर स्कूल के लिए निकल गई।

फिर पिंकी स्कूल पहुंच गई। कक्षा में भी वो हर चीज में आगे रहती थी। कक्षा अध्यापिका ने उसे ही प्रतिनिधि बना दिया था।
सब काम समय से पहले करना और दूसरे बच्चो को भी उत्साहित करती थी।

वार्षिक उत्सव होने वाला थी उसकी तैयारियां शुरू हो गई थी ।

फिर कक्षा अध्यापिका ने कहा कि इस बार शिक्षा मंत्री जी आ रहे हैं तुम लोग कोई कमी मत करना,और कल से एक घंटे ज्यादा देर रहना होगा।घर में सब बता देना।

सभी बच्चे ने हामी भर दी।

फिर स्कूल की छुट्टी के बाद पिंकी घर आकर मुंह हाथ धोकर तैयार हो कर खाना खाने बैठ गई।

दादी ने कहा कृष्ण कांत चला गया तो घर काटने दौड़ता है।

पिंकी खाते हुए बोली कल से एक घंटे ज्यादा देर तक रुकना होगा स्कूल में वार्षिक उत्सव होने वाला है। दादी ने कहा हां ठीक है।

रात को ही अचानक पिंकी के रतन मामा आ गए जो कि रायपुर में रहते थे।
पिंकी ने कहा अरे मामा ,अमन भईया को क्यों नहीं लेकर आएं?

रतन मामा मुस्कुरा कर बोलें नहीं पिंकी मैं तो काम से निकला हुं तुझे तेरा फ्राक जो देना था।कह कर एक पैकेट पिंकी को दिया।
पिंकी ने जब खोला तो देखा लाल रंग का फ्राक था।
पिंकी ने कहा मामा जी आपको याद था, बहुत ही खूबसूरत है मेरा फ्राक।

रतन मामा बोले हां बेटा याद था। पिंकी ने कहा मामा जी आप रहेंगे क्या?
रतन मामा बोले नहीं रे गुड़िया।कल सुबह जाना होगा।
पिंकी ने गुस्से से कहा जाइए आप से बात नहीं करतीं।
फिर रात को सब मिलकर खाना खा कर सो गए।
दूसरे दिन सुबह ही चाय नाश्ता करके रतन मामा निकल गए।
पिंकी भी तैयार हो कर स्कूल के लिए निकल गई। और स्कूल में पहुंच कर ही प्रोग्राम की तैयारी होने लगी।
अध्यापिका ने कहा कि इस बार चोर पुलिस का नाटक और कुछ हास्य कविता, भरत नाट्यम
होने वाला था।
फिर सब अपने अपने काम पर लग गई।
पिंकी को पुलिस का रोल दिया गया था और कुछ सिपाही, कुछ चोर बने थे।

फिर टीचर ने पिंकी को एक छोटा सा टेप रिकॉर्डर दिया और कहा कि इसको चालू करो।

पिंकी ने जैसे ही चालू किया तो पुलिस सायरन की आवाज सुनाई देने लगी।
सभी बच्चे खुशी से ताली बजाने लगे।

फिर टीचर ने कहा कि पिंकी इसको तुम अपने पास सावधानी से रखना,घर जाते समय दे देना।


फिर सब मिलकर तैयारी करने लगे और सब लंच होने तक थक गए थे।
फिर सबने मिलकर टिफिन किया और सब रिहर्सल शुरू कर दिया।


छुट्टी के बाद भी एक घंटे तक सबने मिलकर अभ्यास किया ।
फिर सब बच्चे अपने अपने घर जाने लगी ।

पिंकी वो टेप रिकॉर्डर वापस करने टीचर्स रूम में गई तो जाकर देखा आशा मैडम नहीं थी।

तभी चपरासी काका उधर से जाते दिखे तो पिंकी ने पूछा कि आशा मैडम कहा है?

चपरासी काका ने कहा कि मैडम तो चली गई।

पिंकी ने कहा अच्छा ठीक है। पिंकी के साथ उसकी सहेली रेनू भी वही थी।वो पिंकी के साथ ही जाती थी।

रेनू ने कहा कि ये मुझे दे दो।
पिंकी ने कहा नहीं, नहीं मैडम ने इसकी जिम्मेदारी मुझे दिया था तो मैं ही घर लेकर जाती हुं ,कल दे दुंगी।

फिर सब अपने अपने घर पहुंच गए।

पिंकी घर पहुंच कर ही सबसे पहले दादी को और माधव काका को वो टेप रिकॉर्डर बजाकर सुनाई और बोली, दादी इस बार मैं पुलिस बनी हुं और चोर आया तो पुलिस सायरन बजा कर भगा दुंगी।

फिर पिंकी ने अपना भरत नाट्यम भी दिखाया और फिर खाना खाने बैठ गई। देखा कि खाने में उसका मनपसंद पुरी छोले बना था और साथ में काजू की खीर बनी थी।
सबने मिलकर खाना खा लिया और फिर दादी मां ने पिंकी को सुलाने के लिए एक कहानी सुनाने लगी।

पिंकी ने कहा दादी ,बाबू जी कल आ रहे हैं ना?
दादी मां ने कहा हां बिटिया।


फिर देर रात बरसात होने लगी तो पिंकी उठ गई और फिर वो खिड़की बन्द करने गई तो उसे किसी के कुदने की आहट सुनाई दी और फिर पिंकी ने खिड़की से बाहर देखा तो उसे चार लोग दिखाई दिए तब वो समझ गई कि ये चोर है जो चोरी करने आए हैं।
पिंकी बहुत ही बहादुर लड़की थी और फिर उसने बाबू जी के दराज में से एक टार्च निकाला और फिर धीरे से खिड़की के पास जाकर देखा तो चारों कुछ बातें कर रहे थे।
पिंकी ने तुरंत टार्च से इधर उधर रोशनी फेंक दिया जिससे वो चारों को भागने का मौका ना मिले पर रोशनी पड़ते ही चारों छुपने लगें ।

इतने में दादी और माधव काका उठ गए। पिंकी ने हिम्मत दिखाई और फिर सबको चुप रहने को कहा।

कुछ देर बाद ही चारों चोर घर के दरवाजे के बाहर आ गए तभी दादी मां बोली हे राम क्या होगा।

पिंकी ने समझदारी दिखाते हुए कहा दादी मां इनको तो मैं भगाती हुं।

तभी पिंकी को आशा मैम का टेप रिकॉर्डर याद आ गया और फिर बड़ी चतुराई से उसने अपने स्कूल बैग में से टेप रिकॉर्डर निकाला और तुरंत चालू कर दिया और पुलिस सायरन सुनते ही चारों चोर की सिटिपिटि गुम हो गई और फिर दीवार की तरफ भागने लगे बारसात होने की वजह से चारों के चारों गिर पड़े और घायल भी हो गए।

फिर जिम्मी भी भौंकना शुरू कर दिया। पिंकी और माधव काका बाहर निकल कर खुब शोर मचाने लगे चोर, चोर की आवाज से अलग वगल के लोग सब मिलकर आ गए और चोरों को धर दबोचा।तब तक सुबह भी हो चुकी थी।

किसी ने पुलिस को फोन कर दिया था।
इतने में सचमुच की पुलिस भी आ गई। और चोरों को पकड़ लिया बोले कि ये तो जेल से भागे हुए चोर थे।

धन्यवाद आपका। तभी एक आदमी ने कहा कि सर हम तो आवाज सुनकर आए।

दरअसल ये पिंकी की चतुराई से हो पाया।चोर पिंकी के घर पर चोरी करने गए थे पर पिंकी ने बहुत बहादुरी से पुलिस सायरन बजा कर चोरों को पकड़ने में मदद किया।

पुलिस अधीक्षक ने कहा, वाह !क्या बात है पिंकी तुम ने आज बहुत नेक काम किया है बड़ी चतुराई से निडरता के साथ तुमने ये कर दिखाया।

इतने में कृष्णकांत आ गए और जब पता चला कि उनकी पिंकी ने बहुत चतुराई से चोर को पकड़वा दिया।

फिर पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पिंकी को वीरता पुरस्कार दिया जाएगा ।

ये बात पुरे राम पुर में फ़ैल गई सब पिंकी की बहादूरी के किस्से सुनना चाहते थे।

अगले दिन पिंकी कि फोटो अखबार में छपी थी।
सब लोग पिंकी से मिलने आ रहे थे।
बाबू जी ने कहा पिंकी शाबाश! बेटी तुमने मेरा नाम गर्व से ऊंचा कर दिया।

पिंकी ने कहा बाबूजी कमाल तो इस टेप रिकॉर्डर का था जिसमें पुलिस सायरन सुनते ही चारों भागने लगे।

बाबू जी ने कहा, हां पर अगर तुमने चतुराई नहीं दिखाई होती तो कुछ नहीं हो पाता।

फिर पिंकी स्कूल पहुंची तो स्कूल प्रांगण में प्राचार्या ने पिंकी के बहादुरी के लिए पुरस्कार दिया और सब ने मिलकर पिंकी को अभिनन्दन किया।

और जब पिंकी कक्षा में गई तो आशा मैडम को उसने वो टेप रिकॉर्डर वापस किया और फिर बोली कि मैडम इस टेप रिकॉर्डर ने बहुत मदद किया जिसकी वजह से चोर पकड़े गए।
आशा मैडम ने पूछा पिंकी तुम अपनी चतुराई से जो किया है आज वो किस्सा सुनाओ ताकि सभी बच्चे तुम्हारी जैसी चतुराई दिखा सके।

पिंकी ने पुरा किस्सा सुनाया और सबने मिलकर ताली बजाकर खुशी जाहिर किया।

दो दिन बाद सरकार द्वारा पिंकी को पांच हजार रुपए नगद पुरस्कार दिया गया और एक बहादुरी के लिए मेडेल भी दिया गया।

जब पिंकी के रतन मामा को पता चला तो वो भी आ गए और बहुत खुश हुए और वादा किया कि एक हफ्ते तक रुक कर जाएंगे।

और फिर इसी तरह पिंकी के चतुराई के किस्से सब जगह फैलते गए।



देखा दोस्तों अगर हम भी किसी भी मुसीबत में फंसे हुए हो तो। उस समय अपनी सूझबूझ से काम लेना चाहिए और फिर अपनी बहादुरी और चतुराई से किसी भी मुसीबत से बाहर निकल सकते हैं।
अब बस यही तक।।