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इश्क़ 92 दा वार - (पार्ट-11)

इश्क़ 92 दा वार (पार्ट-11)

(7 दिसंबर 1992)

सुबह होते हीं पूरे देश में आग जल चुकी थी.. दोनो समुदाय की आना पर जो ठन चुकी थी आज की सुबह एक दम शांत और मायूश थी ना सुबह की अज़ान थी और ना किसी मंदिर की आराधना सुनाई दें रही थी लोगो के दिलों में डर बैठा हुआ था बीती रात ना जानें कितने घर जल चुके थे कितनों के सिर कलम कर दिये गए थे चप्पे चप्पे पर पुलिस मौजूद थी चारों तरफ धूल ही धूल थी....यहां कोई आंधी नहीं चल रही थी, लेकिन यह मंजर किसी आंधी से कम भी नहीं था.. धर्म के रक्षकों की टोलियां जय श्री राम के नारे लगा रही थी... तो कही अल्ला हो अकबर के नारे लग रहे थे अयोध्या में अपार जनसैलाब उमड़ चुका था यदि उस वक़्त का मंज़र देखने से ऐसा लग रहा था कि किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था कि भीड़ हजारों में थी या लाखों में.....हां, एक बात जो उस पूरी भीड़ में थी, वह था-जोश और जुनून जिसमें रत्तीभर भी कमी नहीं थी....ऐसा लग रहा था-जैसे मौजूद हर व्यक्ति अपने आप में एक नेता हो ‘जय श्रीराम', ‘रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे', जैसे गगनभेदी नारों के आगे आकाश की ऊंचाई भी कम पड़ती दिखाई दें रही थी..हज़ारों मौत होने के बाद भी जोश कम नहीं दिखाई दें रहा था..

इस आंधी को गुज़रे पूरे एक महीने गुज़र चुके थे इस्तिथि पर कानून ने बड़ी मशक्कत के बाद काबू पा लिया था...एक एक लोगों को अपने घरों से निकलने की कुछ कुछ घंटो के लिए इजाजत दी जानें लगी थी सब अपने अपने परिचितों की खोज खबर और बाजार से राशन का सामान लेने के लिए निकलने लगे थे आलम ये था कि हिन्दुओं के इलाके में मुसलमानो के घर और दूकान जला दिये गए थे और वही मुस्लिम बहुल इलाकों में हिन्दुओं के घर और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया था..

मनु के मन में अनु कों लेकर बेहद अकुलाहट थी वो अनु की खोज खबर किसी भी हाल में लेना चाहता था.. लेकिन दोनों के मोहल्ले अलग अलग थे.. इस कड़े पहरे के आगे उसका जोर नहीं चल रहा था.. एक मोहल्ले से दूसरे मुहल्लें में जानें की शख्त मनाही थी.. पुलिस की गस्त और फ्लेग मार्च निरंतर ज़ारी था हर रोज़ नई नई खबरे सुनने में आ रही थी जिनमे कुछ अफवाह भी थी और कुछ हकीकत भी थी.. जो बाते मनु तक पहुंची थी उन बातों के चलते मनु अपने आपको रोक ना सका था और मनु अनु के घर की सच्चाई जानने के लिए बिना किसी खौफ के निकल पड़ा था... उसका दिल बैठा जा रहा था.. मन में अज़ीबों गरीब ख्याल आ रहे थे.. मनु अपने आपको बचता बचाता हुआ अनु के घर के सामने पहुंच चुका था.. जो नज़ारा मनु देख रहा था उसे देख विश्वास हीं नहीं हो रहा था.. अनु का घर पूरी तरह जला हुआ था..दीवारे जल चुकी थी घर के खिड़की दरवाज़े सब राख़ हो चुके थे.. मनु इस नज़ारे को देख रोए जा रहा था वो पागलों की तरह सिर्फ आवाज़ लगाए जा रहा था.. अनु... अनु... अनु....
मनु की रुदन भरी चीत्कार सुनकर काफी लोग जमा हो चुके थे जिस भीड़ में रिया और उसके घर वाले भी थे.. मनु को देख रिया ने फ़ौरन मनु को स्तभाना दी.. थी

मनु- ये ये क्या हो गया रिया.. अनु कहा है

रिया ने वहां मौजूद अपने पापा और भाई को बताया कि ये अनु है हमारे स्कूल में पढ़ता है रिया की बात पर रिया के पापा और भाई मनु को समझते बुझाते अपने घर में लेकर आ गए थे.. मनु पागलों की तरह रोए जा रहा था.. और सब पर आरोप लगाए जा रहा था..

मनु- अनु को मार दिया आप लोगों ने.. उसे बचा भी नहीं पाए आप लोग.. रिया तुम बताओ ना कैसे हुआ ये सब...?

रिया के पापा - उस रात सभी दहशत में थे बेटा पीछे मुस्लिम बस्ती से दंगाइयों ने काफी उत्पात मचा रखा था पुलिस स्टेसन में फोन कोई उठा नहीं रहा था हम सब मुहल्लें वाले पहरेदारी कर रहे थे लेकिन पता हीं नहीं चला के कब इस घर में आग लगी जब तक हम यहां पहुँचे तब तक आग अपना विकराल रूप लें चुकी थी वो मंज़र आज आंखो के सामने जब भी आता है तो रोंगटे खडे हो जाते है.. जो भी हुआ बहुत बुरा हुआ. बेटा इसमें अब कोई कर भी क्या सकता था..

मनु का रुदन सिसकियों में बदल जाता है

रिया के पापा - बेटा रिया पानी लें आओ...

रिया- जी अभी लाई पापा... आप भी लेंगे..?

पापा- हां...

रिया की मम्मी मनु के आंसू अपनी साड़ी के पल्लू से पोछती है..

मां- चुप होजा बेटा सम्हालो अपने आपको

मनु सिसकते हुए बोलता है

मनु- आंटी क्या बिगाड़ा था उन लोगो ने किसी का क्यों भगवान अच्छे लोगों के साथ हीं ऐसा करता है...

मनु की बात पर सब निरुत्तर रहते है मनु सिसकता जाता है तभी रिया पानी लेकर आती है तो रिया की मां जल्दी से पानी का गिलास लेकर मनु को पिलाती है और उसे पुचकारती जाती है.. तभी रिया के पापा रिया से पूछते है

पापा- रिया क्या तुम जानती हो मनु कहा रहते है..?

रिया- हां पापा सी सेक्टर में है इसका घर..

पापा- बेटा मनु चलो आपको आपके घर छोड़ दें आपके मम्मी पापा भी परेशान हो रहे होंगे..

मनु फिर खिड़की के बहार अनु का घर देख कर रोने लगता है..

मनु- मैं किसी को नहीं छोडूंगा.. किसी को नहीं छोडूंगा...

और मनु एकदम से निढल पड़ कर बेहोश हो जाता है रिया के घर के लोग मनु को होश में लाने के लिए प्रयास करने लगते है

मां- बेटा बेटा मनु आंखे खोलो बेटा

रिया का भाई मनु के पैरों के तलवों की मालिश करने लगता है और रिया के पापा मनु के हांथो की हथेलियों की मालिश करने लगते है..

पापा- रिया तुम बेटा जल्दी से इसके घर जाओ इसके मम्मी पापा को बुला कर लें आओ

रिया- हां पापा रिया जल्दी से मनु के घर की तरफ तेज़ क़दमों से निकल जाती है..
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उसकी गोद में किताब थी और किताब पर उसकी आंखो के आंसू गिरे जा रहे थे उसकी उसकी सिसकियां रुकने का नाम नहीं लें रही थी तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे सतभावना दी थी

रिया- बस यही तक मैं लिख पायी थी अनु.. उसके बाद मेरी लिखने की हिम्मत कभी नहीं हुई मैं हर बार सोचती रही के अब दर्द लिखूँगी यही सोचते सोचते कब ये बीस वरस गुजर गए पता भी नहीं चला..

अनु उठ कर रिया से लिपट जाती है और बिलख बिलख कर रोने लगती है

अनु- तुम मेरे लिए किसी भगवान से कम नहीं हो रिया... मैं हाथ जोड़ कर विनती करती हूं बस एक बार दूर से मुझें तुम मनु की एक झलक दिखा दो रिया.. बस एक बार.. इसके बाद मैं सुकून से मर जाउंगी.. मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूं बस एक बार आखिरी बार बोलो रिया... बोलो मिलवाओगी ना... तुम चुप क्यों हो रिया

रिया की आंखो में आंसू भर आते है..

रिया- यही तो परेशानी है अनु मैं नहीं जानती के मनु कहां है

अनु- तुम जानती हो... लेकिन तुम अब मुझें मनु के सामने तो क्या दूर से भी नहीं दिखाना चाहती हो... मैं नापाक हो गयी हूं ना इसलिए तुम मुझसे झूठ बोल रही हो.. फिर क्यों तुमने मुझें जेल से बहार निकला.. क्यों.. क्यों.. क्यों..

और अनु एक बच्ची की तरह फर्श पर लुढ़क कर मचलने सी लगती है रिया उससे लिपट कर रोने लगती है..

अनु रोते हुए बोलती जाती है

अनु- उस कमीने ने मेरी पूरी ज़िन्दगी खराब कर दी कुत्ते ने मेरा प्यार छीन लिया मुझें उस हरामी ने मेरे मनु से दूर कर दिया.. इसीलिए रिया मेने उस कमीने जावेद को मार डाला.. उसके नीच कर्मो की सजा मैंने अपने इन हाथों से उसे मौत के घाट उतरा था..

रिया- तूं बहाद्दुर है अनु.. तेरा प्यार सच्चा है तभी तो देख भगवान ने हमें दोवारा मिला दिया देखना मनु भी हमें जरूर मिलेगा..

इतना सुनते हीं अनु के रुदन में परिवर्तन सा आ जाता है मानो रिया ने उसके शरीर में आशाओ में जान फूक दी हो

अनु- मेरा मनु अच्छा तो होगा ना.. मुझें भूल तो नहीं गया होगा ना रिया

रिया- नहीं अनु... मैं जानती हुं तेरे मनु को उसने तेरी जुदाई में क्या क्या नहीं भोगा.. मनु हमे जरूर मिलेगा.. बस वादा करो तुम मेरा साथ दोगी ना

अनु अपने दोनों हाथ जोड़ कर बोलती है

अनु- तूं जो बोलेगी वैसा हीं करुँगी बस एक बार मुझें मेरे मनु को दिखा दें बस एक बार

रिया अनु को फिर अपने सीने से भींच लेती है
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कंटीन्यू पार्ट -12