Niyati - 12 - last part books and stories free download online pdf in Hindi

नियति... - 12 - (अंतिम भाग)

गार्ड कार्ड देख अंदर आफिस रिसेप्शन में कॉल करता है और कॉल कर पूछता है कि दो लोग आफिस के बाहर खड़े हुए है उनका कहना है कि वो कम्पनी ने को प्रतियोगिता स्पॉन्सर की वहीं से आए है। उन्होंने appointment तो लिया नहीं है लेकिन उन्हें यहां बुलाया गया है इसीलिए आए है। निया कपूर और राघव यही नाम बता रहे है।रिसेप्शनिस्ट उससे अंदर जाने के लिए कहती है। तथा गार्ड फोन पर ठीक है मैडम जी मै उन दोनों से अंदर जाने के लिए कह देता हूं।

हम दोनों ही अंदर पहुंचते है और वहां जाकर रिसेप्शन पर अपन परिचय देते हैं।

रिसेप्शनिस्ट हमे वेटिंग रूम में इंतजार करने को कहती है।हम दोनों ही वेटिंग रूम में जाकर इंतजार करने लगते हैं।

कुछ ही देर में एक बंदा आता है और हमे अपने साथ चलने लिए कहता है।राघव और मै आफिस के दोनों तरफ देखते हुए उसके पीछे जाते हैं।वो हमे एक बड़े से कमरे के अंदर ले जाता है।जिसमें आधुनिक सारी सुविधाएं होती है।जो अमूमन हर बड़े आफिस की शान समझी जाती है।

मै और राघव दोनों वहां मौजूद सोफे पर बैठ जाते हैं।और टेबल पर रखी मैगज़ीन उठा कर पढ़ने लगते हैं।
कुछ देर बाद एक व्यक्ति वहां प्रवेश करता है।जो उस कम्पनी का मैनेजर होता है।
मैनेजर आते ही हम दोनों से हेल्लो कहता है और हम दोनों भी उसके हेल्लो का रिप्लाइ करते है।

मैनेजर - निया और राघव।आप दोनों सच में टैलेंटेड हो।तभी तो सैकड़ों प्रतिभागियों को पछाड़ कर आप इस प्रतियोगिता के फाइनल तक भी पहुंच गए और जीते भी।खैर मैंने ये सब बातो के लिए नहीं बुलाया है। इन सभी बातों से मै पहले से ही अवगत हूं।

आप दोनों जानते ही होंगे इस प्रतियोगिता की नियम और शर्तों के विषय में।जिसके अनुसार आप दोनों को हमारी कम्पनी के साथ एक वर्ष तक कार्य करना होगा।हमारी म्यूजिक कम्पनी है और मार्केट में नए आए हुए टैलेंट को लॉन्च करती है तथा बॉलीवुड से भी जुड़ी हुई है।आप दोनों को नए लॉन्च होने वाले गानों पर कोरियोग्राफी करनी है।

ये इस महीने में लॉन्च होने वाली डांस के वीडियो की लिस्ट है।करीब पांच से सात वीडियो सोंग लॉन्च होने है।

जी धन्यवाद!कहते हुए मै मैनेजर के हाथ से लिस्ट के लेती हूं।तथा मै और राघव उसे देखने लगते है।

वहीं मैनेजर किसी को कॉल करता है और कुछ पेपर्स लाने के लिए कहता है।कुछ ही देर में वहां एक बंदा आता है जिसके हाथ में लाल रंग की फाइल होती है।
वो फाइल मैनेजर को देकर वहां से चला जाता है।

मैनेजर - निया और राघव।ये आप दोनों के इस कम्पनी में एक वर्ष के लिए अपोइंटमेंट के लीगली पेपर है।एक वर्ष बाद आप किसी भी कम्पनी के साथ कार्य करने के लिए फ्री होंगे।आप पढ़ कर सारी बातें समझ लीजिएगा।ठीक है।

हम दोनों - जी ठीक है।
अपनी बात कहने के बाद मैनेजर रामसिंह को आवाज़ लगाता है। जो शायद वहां उस आफिस का वर्कर होता है।आवाज़ सुनकर रामसिंह हड़बड़ाते हुए अंदर आता है।
मैनेजर - रामसिंह। इन दोनों को हमारे डांस अभ्यास करने वाली जगह पर ले जाओ।और हमारी कम्पनी की पुरानी कोरियोग्राफर से परिचय भी करवा देना।

अमृता जी ! राम सिंह हमे वहां से बुला कर ले जाता है और थोड़ा आगे चल एक बड़े से हॉल नुमा कमरे में ले जाकर छोड़ देता है।जहां एक महिला नृत्य करने में व्यस्त होती है।वो शायद वही होती है जिसके बारे में अभी कुछ देर पहले ही मैनेजर बता रहा था।हम दोनों भी उनसे परिचय कर वहां कार्य करने लगते है।

एक महीने में लॉन्च होने वाले उन पांच सात वीडियो पर मैंने और राघव ने बहुत लगन से कार्य किया।गाने के बोल सुनकर कुछ नए और पुराने स्टेप मिक्स कर गाने को कोरियोग्राफ किया।पुराने स्टेप किसी और के कॉपी नहीं थे बल्कि हमारे खुद के ही डेवलप किए हुए थे।जिन्हे हम इस प्रतियोगिता में इस्तेमाल ही नहीं कर पाए थे।

वो गाने बड़े ही हिट हुए और हमे सफलता के साथ पहचान भी मिलनी शुरू गई।एक महीने बाद प्रतियोगिता का परिणाम भी आ गया।जिसमें राघव को विनर और मुझे एक बार फिर से स्पेशल परफॉर्मर का टाइटल देकर पुरस्कृत किया गया।धीरे धीरे एक वर्ष भी निकल गया और उस एक वर्ष में मैंने और राघव ने अपने सपने को पूरा करते हुए अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए। वो पहचान सिर्फ कम्पनी और बॉलीवुड तक ही सीमित नहीं रही।बल्कि नाम के साथ आम लोग भी जानने लगे। लाइम लाइट का शौक था नहीं सो कभी इंटरव्यू भी नहीं दिया मैंने। हां राघव कभी कभी न्यूज पेपर वालों को अपना इंटरव्यू दे दिया करता था।उस एक वर्ष में हम दोनों ने नाम पैसा शोहरत रुतबा सभी हासिल किया और उस सब को जिया भी।एक वर्ष बाद मै और राघव वापस लौट कर आगरा आते है जहां एयरपोर्ट पर अपनों से मिल राघव बहुत खुश होता है।सबसे मिलने के बाद हम दोनों घर के लिए निकलते है जहां घर वालो के साथ साथ मोहल्ले वाले भी हमारे आने पर हमारे स्वागत में लग जाते है।राघव के घर को तो दुल्हन की तरह सजा दिया जाता है।अक्षत कोमल और उनकी नन्ही स्वीट सी डॉल अक्षिता भी उन सभी लोगों में शामिल होते है।इतने सारे लोगों का प्रेम देखकर मेरी आंखे भर आती है।धीरे धीरे सभी लोग चले जाते है और अब केवल मै राघव की फैमिली और अक्षत की फैमिली ही वहां रह जाते हैं।

अक्षत - तो निया 🙂 दी! आखिर आप सफल हो ही गई।है न।
मै - हां ये सफलता तो तुम सबकी दुआओं राघव का साथ और कृति के दिए गए होंसले की वजह से ही संभव हुआ है।

अक्षत - तो फिर निया!एक बार अपनी बहन से मिल लो जाकर।उसे भी पता चलना चाहिए तुमने उसके विश्वास को सच कर दिया है।अपने दम पर पहचान बना ली है तुमने।

राघव - हां नियति! अक्षत सही कह रहा है।जहां तक मुझे पता है तुम्हारी फैमिली के विषय में तो कृति को अब तक इसके बारे में जानकारी नहीं होगी।बेशक एक वर्ष हो गया हो लेकिन वो इन सबसे अनजान ही होगी।क्यूंकि टीवी तुम्हारे घर में अलाऊ नहीं थी न।

मै - राघव उसे पता न हो ये हो ही नहीं सकता।जो लड़की इतनी बंदिशे होने के बावजूद भी मोबाइल का इस्तेमाल करना सीख सकती है सोशल साइट पर एकाउंट बना कर चला सकती है उसे मेरे बारे में पता ने हो इंपॉसिबल है।फिर भी उसकी खुशी के लिए मै एक बार गांव वापस जरूर जाऊंगी।अपनी गुड़िया के चेहरे की उस खुशी को मै खुद देखना चाहूंगी जो अभी तक वो सबके सामने जाहिर नहीं कर पाई होगी।क्यूंकि हमारे घर का माहौल ही ऐसा है।मै कल सुबह ही अपने गांव जाऊंगी।

ये हुई न बात नियति।इसी बात पर हाइ फाइव!कहते हुए राघव मेरी तरफ अपना हाथ बढ़ा देता है।मै भी मुस्कुराते हुए हाई फाइव करती हूं।

राघव के सभी घर वालों से बातचीत करते हुए कब शाम से रात हो जाती है पता ही नहीं चलता।अगले दिन मै अपने गांव के लिए निकलती हूं।एक गाड़ी बुक कर मै राघव के साथ अपने गांव पहुंचती हूं।जहां गांव में गाड़ी देख फुसफुसाहट शुरू हो जाती है।और बच्चे तो गाड़ी के आसपास आकर अंदर झांकने की कोशिश करते हुए गाड़ी के साथ साथ चलते है।घर के बाहर आने पर मै गाड़ी रुकवा पर नीचे उतरती हूं।

मुझे गाड़ी से उतरता देख सभी फुसफुसाने लगते हैं।और मेरे घर के आस पास ग्रामीण जमा होने लगते हैं
काफी दिनों बाद घर को देख मेरी आंखे नम हो जाती है।मै धीरे धीरे अपने घर के दरवाजे की तरफ कदम बढ़ाती हूं और घर के अंदर एंट्री करती हूं।जहां हॉल में मेरे घर के सभी सदस्य मौजूद रहते हैं।पापाजी, मां कृति, चिराग दादी दादाजी सभी सदस्य मौजूद रहते हैं। घर के दरवाजे पर आहट सुन सभी दरवाजे की तरफ देखते हैं।मुझे वहां देख पापाजी की भौंहे तन जाती है।वो गुस्से में उठ खड़े होते है और मेरी तरफ बढ़ते है।कुछ देर पहले तो अच्छे खासे सभी लोग मुस्कुरा रहे थे तुरंत ही मुझे देख गुस्सा सबकी आंखों में दिखने लगा।

पापाजी - तुम यहां क्यों आई हो।क्या तुम्हे हम बेवकूफ लगते है।समझ क्या रखा है अपने ही अपहरण का झूठा नाटक करवा कर चली गई तुम यहां से और झूठ बुलवा दिया अपनी छोटी बहन से।

हम लोग यहां पागलों की तरह तुम्हे ढूंढ रहे थे और तुम वहां मुंबई में नाचने में व्यस्त थी।सारे खानदान की नाक कटवा दी।सब इज्जत की धज्जियां उड़ा दी तुमने।अब यहां क्या करने आई हो।जाओ यहां से।चार लोगों ने देख लिया तो समाज में और थू थू होती फिरेगी।देखो विजित कपूर की वो नचनिया लड़की।गांव में आ गई है।फिर तुम्हारे साथ साथ हमे भी ये गांव छोड़ना पड़ जाएगा।जहां पहले कोई आंख उठा कर देखने कि हिम्मत तक नहीं करता था आज तुम्हारी वजह से ताने मारने से नहीं चूकते।मैंने तो देखा नहीं तुम्हे।लेकिन लोगों का कहना था कि वो टीवी में नाचने वाली हूबहू तुम्हारे ही जैसी है।बस रंग का फर्क है नैन नक्श सब वही है।

फिर मैंने पता लगवाया तो तुम ही निकली।फिर हमने तुम्हारा पता लगाना ही छोड़ दिया।और सबसे कह दिया तुम हमारे लिए न होने के बराबर हो।फिर भी आज तुम यहां मुंह उठा चली आई जाओ यहां से।दफा हो।

पापाजी की बात सुन घर के बाकी सदस्य हैरानी से उनकी तरफ देखने लगते है।मै इससे समझ जाती हूं कि पापाजी ने घर पर इस बारे में नहीं बताया होता है।मै कृति की तरफ उम्मीद भरी नज़र से देखती हूं तो कृति धीरे धीरे सबसे पीछे खिसक जाती है और सबसे पीछे पहुंच मुस्कुराते हुए मेरी ओर फ्लाइंग किस भेजती है।और थंब उठा कर इशारा करती है। उस समय उसकी आंखे भरी होती है।और होठों पर प्यारी सी मुस्कान होती है।कृति अपनी दोनों बाहों को उठा खुद से ही कस लेती है मानो वो मेरे गले से लग रही हो।मै सब देख रही होती हूं लेकिन पापाजी के कारण कोई रिएक्शन नहीं कर पा रही होती हूं।

मुझे अभी तक वहां खड़ा देख पापाजी कहते है जाती हो या फिर धक्के देकर निकलवाऊं।बोल तो दिया तुम अब होकर भी नहीं हो इस घर के लिए।रफा दफा हो जाओ अब।मै एक बार फिर उम्मीद भरी निगाहों से घर के बाकी सदस्यों की तरफ देखती हूं जिसे देख सभी मुंह फेर लेते है।मै वहीं से वापस गाड़ी की तरफ आ जाती हूं।जहां राघव होता है।मेरी आंखो में आंसू देख राघव सब समझ जाता है और ड्राईवर से गाड़ी वापस आगरा घुमाने के लिए कहता है।

मै और राघव दोनों गाड़ी में बैठ वहां से आगरा के लिए निकल जाते है।मुझे यहीं रुकना नहीं था।मुझे महिलाओं के लिए कुछ करना था विशेषकर ऐसी महिलाओं के लिए जो मेरी ही तरह किसी न किसी शारीरिक कमी रखती हो। हर रोज मेरी शाम इन्हीं विचारो के साथ रात्रि में तब्दील होती थी।इसी तरह सोचते विचारते प्लान बनाते बिगाड़ते कुछ समय और व्यतीत होने को आया।

मैंने सबसे पहले अपूर्व फाउंडेशन की स्थापना की।फिर धीरे धीरे जिस एनजीओ में मै सदस्य थी उसी एनजीओ के काम को आगे बढ़ाने लगी।कुछ ही समय बाद ये घर खरीद लिया जहां मैंने खुद का ये एनजीओ खोल लिया।इनमें से कुछ महिलाएं वो है जो परित्यकता है।जो घरेलू हिंसा का शिकार होकर न्याय के लिए भटक रही होती है या जिन्हे आसरे की तलाश होती है।कुछ वृद्ध महिलाएं होती है जो अपनो की उपेक्षा का शिकार बन रास्तों पर भटकने के लिए छोड़ दी जाती है।

अमृता जी ये थी मेरे संघर्षों की कहानी..।जिसे आप जानना चाहती थी जिसके बारे में लिखना चाहती थी।

अमृता - जी बिल्कुल नियति। मै जानना चाहती थी समझना चाहती थी।लेकिन कुछ बाते है जो अधूरी है अभी भी।जिनके जवाब अभी भी जानने है मुझे।जो आवश्यक भी है लेखन के हिसाब से।

नियति - जी मै समझ सकती हूं।उन सवालों के जवाब का इंतजार तो मुझे भी है।अमृता जी।फिर तो आपको कुछ समय इंतजार करना होगा।

अमृता - मुस्कुराते हुए! जी बिल्कुल इंतजार कर लूंगी मै।


अमृता - नियति एक बात और पूछनी थी मुझे?
नियति - जी पूछिए।

आप को जो कुछ दिन पहले नारी शक्ति उत्थान पुरस्कार मिला है वो इसी क्षेत्र में कार्य करने की वज़ह से मिला हुआ है क्या?या उस पुरस्कार के हकदार बनने के पीछे भी कोई कहानी छुपी हुई है।

नहीं अमृता जी! उसके पीछे कोई कहानी नहीं छुपी हुई है।दरअसल हमारे एनजीओ की एक खास बात है अगर सड़क पर भीख मांगती हुई कोई भी स्त्री नज़र आती है तो सबसे पहले उसकी इस विवशता को जानने का प्रयास किया जाता है।उसके बाद उसे उस कार्य से मुक्त कर आत्मनिर्भर बनाने में हमारी संस्था से जुड़े सदस्य उसकी मदद करते है।अब तक सैकड़ों महिलाओं की मदद की जा चुकी है।अब क्यों मुझे इस योग्य समझा गया ये मुझे नहीं पता लेकिन यही पारदर्शिता है मेरे कार्य करने के तरीके की।

ओके नियति जी।तो अब मै निकलती हूं क्यूंकि अमर को आने में दो दिन का समय लगेगा।तो मै दो दिन बाद ही आऊंगी।अमर की विवशता के बारे में पता करने के लिए!और एक बात नियति क्या तुमने कभी राघव के बारे में अपना नजरिया बदल कर नहीं सोचा! क्या कोई दोस्त इस हद तक एक दूसरे दोस्त की मदद कर सकता है जो अपने दोस्त को बुलंदियों तक पहुंचाए।तुम्हारी खुशी में खुश रहे।और तुम्हारे चेहरे की मुस्कुराहट के लिए कुछ भी कर जाए।

नियति अमृता की बातों का अर्थ समझते हुए भी अनजान बनने का अभिनय कर कहती है आप क्या कहना चाहती है अमृता जी।

अमृता - (मुस्कुराते हुए) सब समझ कर अनजान बन रही हो।खैर मै बता ही देती हूं मै क्या कहना चाह रही थी।मुझे लगता है इतनी गहरी दोस्ती में कहीं न कहीं गहरा प्रेम छुपा हुआ है।हो न हो राघव तुमसे प्रेम करता है।ऐसा प्रेम जो निस्वार्थ है जिसमें कोई चाहत नहीं है,कोई इच्छा नहीं है उसकी तुम्हारे प्रति।बस वो एक ही बात समझता है कुछ भी हो तुम्हारे चेहरे पर उदासी नहीं रहनी चाहिए। बस तुम्हारी लाईफ में सब कुछ ठीक हो।

अमृता की बात सुन नियति एक गहरी सांस लेते हुए कहती है।मुझे पता है अमृता जी।मै जानती हूं राघव मुझसे प्रेम करता है और निस्वार्थ प्रेम करता है।यहां तक कि विवाह का प्रस्ताव भी दिया था उसने मुझे।लेकिन फिर भी मै उसके प्रेम को नहीं स्वीकार सकती।क्यूंकि मै अधूरी हूं।और सच जानकर उसके जीवन को अंधकार में नहीं झोंक सकती।इस रिश्ते से हमे एक दूसरे का साथ तो मिल जाएगा लेकिन उसके परिवार की सबसे बड़ी खुशी मै छीन लूंगी उससे।हर परिवार की ख्वाहिश होती है उसके परिवार की वृद्धि हो उसके वंश की बेल आगे बढ़े जो मै नहीं कर सकती।उसकी भावनाओं की मै रेस्पेक्ट करती हूं।लेकिन मै इतनी स्वार्थी तो नहीं हो सकती न।जिस दोस्त ने मेरे लिए इतना कुछ किया हो उसकी ख्वाहिशों को मै कुचल कर अपनी लाइफ़ शुरू करूं।

ओह गॉड।मतलब राघव ने आपको प्रपोज किया था।और राघव इस बारे में जानता है।मेरा मतलब है आपके जवाब के बारे ने जानता है।

जी मुंबई में ही हमारी इस मामले में बातचीत हो चुकी है।और राघव को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा हमारा जवाब क्या है।और माफ कीजिए ये बात मैंने आपको नहीं बताई। दरअसल मै चाहती हूं कि लोगों को दोस्ती की गहराई पता चले।वो समझे की दोस्ती भी प्रेम की तरह निस्वार्थ होती है।और दोस्ती निभाने के लिए कोई लिमिट्स नहीं होती कि मै सिर्फ इस हद तक ही मदद कर पाऊंगा उससे ज्यादा नहीं।मैंने बस यही सोच कर नहीं बताया कि कहीं लोग राघव के किरदार को बेवकूफ न समझने लगे।उसकी सोच को पागलपन न करार कर दे।क्यूंकि इस जहां में निस्वार्थ प्रेम की समझ किसी को नहीं है।लोगों को तो बस निस्वार्थ प्रेम पागलपन लगता है और कुछ नहीं।भला लेन देन के उसूलों पर चलने वाले लोग कैसे समझ पाएंगे इस निस्वार्थ प्रेम को जिसमें कोई अभिलाषा नहीं होने पर भी भावनाएं नहीं बदलती।प्रेम हर परिस्थिति में समान रहता है।क्या किसी के मना कर देने से प्रेम समाप्त हो सकता है! नहीं न! प्रेम तो एक पवित्र भावना है जिसे हर कोई नहीं समझ सकता इसमें त्याग,विश्वास समर्पण सब कुछ शामिल होता है।

समझ गई मै आपके निर्देश को।और एक तरह से ये सही भी है।क्यूंकि ऐसा करने से राघव का किरदार मजबूत बनता है।उसके किरदार में कोई दाग नहीं आ सकता।लेकिन तो क्या अब तुम और राघव इसी तरह एक नदी के दो किनारों की तरह रहोगे।

नियति - हां।अमृता जी।और अब तो राघव की मां ने एक जिम्मेदारी दी थी मुझे उसे भी पूरा करना है।

अमृता - क्या मतलब है आपका।मै कुछ समझी नहीं
नियति - जब मै मुंबई से राघव के साथ वापस आई थी उस समय फिर से राघव के घर किरायेदार बन कर रही थी तब बातो ही बातों में राघव की मां से पता चला कि वो मेरे बारे में सब जानती है आरुषि ने उन्हें सब बताया ये भी कि राघव मुझे पसंद करता है।तब उन्होंने हमसे कहा था कि तुम अच्छी लड़की हो नियति! राघव के लिए भी सही हो लेकिन इस घर के लिए नहीं।तुम समझदार हो सब समझती हो तो प्लीज़ राघव से बात कर उसके विवाह के लिए मना लो।तुम जिससे भी कहोगी मै उसके विवाह के लिए तैयार हूं क्यूंकि तुम राघव की दोस्त हो उसे इतने अच्छे से जानती हो।तो तुम राघव का बुरा नहीं चाहोगी।मुझे तुम पर पूर्ण विश्वास है।जिस तरह से तुमने हर परिस्थिति को सम्हाला है तुम ये जिम्मेदारी भी उठा सकती हो।

ओह नियति!🙂दी।अब समझ आया आपकी न का कारण।क्यूं आप राघव के प्रस्ताव को एक्सेप्ट नहीं कर सकती। अक्षत मुस्कुराते नियति और अमृता के पास आते हुए कहता है।

अक्षत तुम आ गए।अच्छा हुआ तुम थोड़ा सा जल्दी आ गए।मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।आओ बैठो।आप भी कुछ देर और रुक जाइए अमृता जी आपको आपके प्रश्नों के जवाब अभी कुछ ही देर में मिल जाएंगे।

अमृता - ये तो बहुत अच्छी बात है।
अक्षत अमृता नियति तीनो बैठ जाते है।कोमल अक्षिता के साथ घर के अंदर हॉल में बैठी हुई है।जहां राघव भी आरुषि के साथ बैठ कुछ बातचीत कर रहा होता है।

नियति अपनी में रति को आवाज़ देते हुए तीन कप चाय के लिए कहती है।

नियति - अक्षत।आप एक बात बताइए ये बातें छुपाने का हुनर कब जाएगा तुम्हारा।

अक्षत नियति की बात सुन हैरान हो कहता है मै कुछ समझा नहीं निया।किस बारे में बात कर रही हो।

अमर के बारे में अक्षत? नियति सीधा और सपाट अपनी बात अक्षत के सामने रखती है जिसे सुन अक्षत एक पल को तो चौंक जाता है लेकिन फिर सामान्य होते हुए कहता है उसकी दो वजहें थीं नियति।जो तुम उस समय नहीं समझती और जिद करती सच जानने की।निया जो बातें तुम्हे मुझे रश्मि को शुरुआत में कॉलेज में पता थी वो तो सिर्फ अधूरी बातें थी।
पहली वजह अमर का मुझसे मना करना कि जब तक तुम कोलेज से चली नहीं जाती तुम्हे उसके बारे में न बताया जाए।

और दूसरी वजह ये कि कोलेज के बाद तुमने कभी पूछा ही नहीं अमर के बारे में तो मै तुम्हे क्यों बताता।

आज जब तुम पूछ रही हो तो बताता हूं तुम्हे अमर का पूरा सच।कहते हुए अक्षत अपनी बात शुरू करता है।

उस दिन जब तुम रश्मि और अमर तीनो सिकंदरा घूमने गए हुए थे।तब तुमने अमर से कहा था कि कोई फोटो क्लिक कर रहा है।लेकिन अमर ने ये कहा था कि ये टूरिस्ट प्लेस है और यहां ये सब होता ही रहता है।

हां अक्षत!
यही इग्नोरंस अमर की लाईफ की सबसे बड़ी गलती बन गई। अगर उस दिन वो तुम्हारी बात पर कुछ और रियेक्ट करता उठ कर इधर उधर घूम कर पता
लगाता तो आज तुम दोनों तुम अलग न होते।

उस दिन वो फोटो सुचिता और कर्ण ने मिलकर खिंचे थे।और सुचिता उन फोटोज को अमर के घर ले गई थी।लेकिन पहले से ही परेशान था जिस कारण सुचिता मौके पर चौका मारने के लिए अमर के पीछे पीछे उसके कमरे की ओर बढ़ गई।और वो फोटोज बाहर टेबल पर ही छोड़ गई थी। जो अमर की मां के उधर से गुजरते हुए उनके हाथ लग गए थे।उस दी जो बवाल हुआ अमर के घर कुछ नहीं कह सकते।अमर की मां ने अमर को बहुत सुनाया और तो और वो फोटोज लेकर गाड़ी निकलवा कर तुम्हारे घर की ओर निकलने वाली थी।बहुत गुस्से में थी वो उस दिन।और तुम्हे तो पता ही है अमर अपनी मां से कितना डरता है।लेकिन उस दिन न जाने कैसे अमर में इतनी हिम्मत आ गई थी कि उसने पहली बार अपनी मां से कुछ विनती की।वो भी तुम्हारे लिए।तुम्हारी जिंदगी को बचाने के लिए।

अर्थात अक्षत!मुझे कुछ समझ नहीं आया।
निया।उस दिन अमर की मां गुस्से में तुम्हारे घर के लिए निकल आयी थी।अमर भी उनके साथ ही था बहुत विनती कर रहा था कि तुम्हारे घर जाकर कुछ न कहे वो।क्यूंकि तुम्हारे घर वालो के बारे में अच्छे से जानता था वो। अगर उन्हें भनक भी लगी तुम्हारे अफेयर के बारे में तो उन्हें दो मिनट नहीं लगेंगे तुम्हारा काम तमाम करने में। रातो रात तुम कहां गायब हो जाओगी किसी को खबर भी नहीं होगी।
उसने अपनी मां से कहा कि वो तुम्हारे घर न आए वो खुद तुमसे नहीं मिलेगा।यहां तक की कोशिश भी नहीं करेगा तुमसे मिलने की।वो कोलेज भी नहीं जाएगा।सिर्फ एग्जाम देने कोलेज आयेगा लेकिन तुम्हारे सामने नहीं आयेगा।अमर की मां को अमर के पिताजी,और उसके मौसा जी ने खूब समझाया अनुनय विनय की यहां तक कि तुम्हारे लड़की होने का वास्ता भी दिया तब जाकर उन्होंने ड्राईवर से गाड़ी वापस मोड़ने को कहा।और घर पहुंचकर अमर को फाइनल वार्निंग दी इस घर में ये सब नहीं होगा।आगे आगे मुझे हरा भी भनक लगी कि तुम अभी भी उस लड़की के संपर्क में हो तब मै किसी की नहीं सनुगी और उस लड़की के घर जाकर उसे जलील कर के आऊंगी।समझ में आई बात। बस तबसे अमर लौट कर तुम्हारे सामने नहीं आया ताकि तुम सेफ रहो।सुरक्षित रहो। अलग होकर ही सही लेकिन तुम इस दुनिया में तो रहो।

अक्षत की बात सुन अमृता,नियति सबकी आंखे नम हो जाती है।राघव भी वहां आ जाता है और उनकी बातें सुन वो भी भावुक ही जाता है।

रति चाय ले आती है लेकिन वो तीन ही कप होती है जिसे देख नियति रति से कहती है।दो कप चाय और ले आइए।

क्या निया बस दो ही।दो कप नहीं चार कप यार।हम भी आ गए है।आवाज़ सुन नियति के साथ साथ बाकी सभी सिर उठा कर देखते है तो सामने से अमर और रश्मि चले आ रहे होते है।जिन्हे देख नियति के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आ जाती है।और वो उठकर रश्मि की तरफ बढ़ जाती है तथा उसे गले से लगा लेती है।

रश्मि कैसी हो यार।तुम यूं अचानक तुमने तो कहा था कि तुम दो दिन बाद आओगी।और यूं अचानक आकर मुझे सरप्राइज भी कर दिया।चलो बैठो यार कहते हुए नियति रश्मि का हाथ पकड़ उसे सोफे पर बैठा लेती है।अमर भी अक्षत के पास आकर बैठ जाता है।

नियति - और बताओ रश्मि कैसी चल रही है तुम्हारी मैरिड लाईफ।

सब अच्छा चल रहा है रश्मि।छ साल हो गए है हमारी शादी को।एक बच्ची भी है जो बहुत प्यारी सी है।

वाओ। मतलब एक और सरप्राइज।
रश्मि - हां तुम्हे सरप्राइज देना था तो सोचा चल कर दे ही देते है उस दिन पार्क में अच्छे से बातचीत भी नहीं हो पाई।

अच्छा किया रश्मि।मुझे भी तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लगा।और आप बताइए अमर।कैसे हैं?मेरी इस दोस्त के साथ लाईफ कैसी कट रही है?नियति अमर की ओर मुखातिब होकर पूछती है।

अमर नियति को खुद से अच्छे से बात करता देख मुस्कुराते हुए कहता है अच्छी कट रही है।और अब तो लग रहा है सब गलतफहमियां दूर हो गई तो और भी अच्छी कटेगी लाईफ।
वो भी अच्छा है लेकिन रश्मि मुझे एक बात बताओ आखिर तुमने क्या किया ऐसा जो सुचिता का प्लान धरा का धरा रह गया।जहां तक मुझे याद है अमर और सुचिता की इंगेजमेंट होने वाली थी न।नियति रश्मि की ओर देखते हुए हैरानी से उससे पूछती है।

रश्मि - मैंने जैसे को तैसा वाली कहावत को अपनाया।सुचिता जिसने फोटो का सहारा लेकर तुम्हे और अमर को दूर किया वही कार्य मैंने किया।तुम्हे याद है उन दिनों तुमने हॉस्टल से निकलना छोड़ दिया था और मै अकेले ही कॉलेज जाती थी तब मैंने सुचिता और कर्ण को एक बार फिर साथ देखा था उसी जगह पर। वो पहले कर्ण पर बिगड़ रही थी फिर खुश होकर कर्ण के गले से लग रही थी।मैंने बताया था तुम्हे हॉस्टल रूम में।उस टाइम मैंने उसकी एक फोटो भी क्लिक की थी तुम्हे सबूत के तौर पर दिखाने के लिए।लेकिन न जाने कैसे ये बात मेरे दिमाग से स्किप हो गई।और तुम्हे दिखा ही नहीं पाई।बस उसी फोटो को मैंने सुचिता के ही जरिए अमर की मां के सामने करवा दिया।वो फोटो मैंने चुपके से सुचिता के बैग में रख दिया क्यूंकि मुझे पता था सुचिता कॉलेज के बाद अमर के घर ही जाएगी।सो मेरा काम हो गया और सुचिता अमर की लाईफ से आउट हो गई फिर मैंने अपने पेरेंट्स को अमर के बारे में बताया और वो रिश्ता लेकर अमर के घर पहुंचे जहां आपसी सहमति से हमारी अरेंज मैरिज हो गई।

ओह तो ये कारनामा किया तुमने।नियति मुस्कुराते हुए रश्मि को देख कहती है।

नियति अमर रश्मि सभी आपस में बात कर ही रहे होते हैं कि तभी नियति का फोन रिंग होता है।नियति फोन उठाती है जो रोमा का होता है।

रोमा - निया! मै कब से दरवाजे पर खड़ी तुम्हारे इस सिक्योरिटी गार्ड से अंदर आने के बहस किए जा रही हूं।लेकिन ये अंदर आने ही नहीं दे रहा।

ओह हो रोमा बस इत्ती सी बात के लिए अपना पारा हाई किए हुए हो।जरा फोन देना गार्ड को।
ठीक है नियति।कहते हुए रोमा गार्ड को फोन दे देती है।
नियति - गार्ड अंकल इस लड़की को अंदर आने दीजिए इसे मैंने ही बुलाया है किसी काम से।
जी ठीक है बिटिया।कहते हुए गार्ड रोमा से अंदर जाने के लिए कहता है।

रोमा भी सबके पास पहुंचती है।और सभी से मिल कर हेल्लो कहती है।

राघव - निया मुझे किसी काम से बाहर जाना है कुछ बहुत जरूरी कार्य है आने में दो घंटे लग जाएंगे।ठीक है।

लेकिन राघव अब तुम्हे कहां जाना है।सभी सदस्य तो यहीं आ रहे है।फिर तुम कहां चले।कहीं ऐसा तो नहीं जो रोमा से भागा जा रहा हो।

नहीं निया।अब उससे भाग कर कहां जाऊंगा।उसके साथ तो लाईफ टाइम चलना है वो मुझे कुछ और ही आवश्यक कार्य है जिसे अभी पूर्ण करना बहुत जरूरी है।

ठीक है।नियति राघव से कहती है।राघव वहां से बाहर निकल जाता है।और लगभग दो घंटे बाद वापस आता है।उसके साथ एक लड़की और होती है।जिसे देखने के बाद नियति दौड़ते हुए उसके पास जाती है और उसे गले से लगा लेती है।

कैसी हो बेटू।और ये चेंजिंग कैसे कृति।तेरा तो पहनावा रहने का रंग ढंग सब बदल गया ये चमत्कार हुआ कैसे!

क्या दी।आप यहीं खड़े खड़े सब पूछोगी।पहले मुझे बैठने दो आराम से फिर बताती हूं।

ओह हो मै भी न तुझे देख खुशी से फुली न समा रही तो ये बेवकूफी भी कर बैठी।चल अजा बैठो आज तो मेरे सारे अपने यहीं एकसाथ इकट्ठे हो गए।

कृति नियति के पास सोफे पर खाली जगह में बैठ जाती है।नियति सब से कृति का परिचय करवाती है।कृति से मिल कर सभी बहुत खुश होते है।

राघव - अब तुम्हारे लिए एक और सरप्राइज है और वो सरप्राइज तुम्हे कृति के साथ जाने पर ही मिलेगा।

मै कुछ समझी नहीं राघव!
दी आप मेरे साथ चलिए मुझे आपको कहीं लेकर जाना है किसी से मिलवाना है आपको!

लेकिन कृति यहां सब लोग बैठे हुए है इन सब को छोड़ कैसे मै...

क्या दी।सबको छोड़ने के लिए थोड़े ही ने कहा है मैंने।आप सभी को साथ बुला ले चलिए लेकिन अभी चलिए बस।ठीक है कहते हुए मै कृति के साथ चल देती हूं।और बाकी सब को भी साथ चलने मै लिए रिक्वेस्ट करती हूं।

राघव अक्षत अमर रश्मि रोमा कोमल अमृता, कृति और मै सभी एक ही गाड़ी में एडजस्ट हो जाते हैं और कृति के बताए हुए रास्ते पर निकल पड़ते हैं।रास्ता कुछ जाना पहचाना होने के कारण मै कृति की तरफ हैरानी से देखते हैं।जिसे देख कृति कहती है सरप्राइज है आपके लिए।ऐसे हैरान मत होइए।

जैसे जैसे गाड़ी आगे बढ़ती जाती है रास्ते को देख मेरी आंखे भी नम होती जाती है।कुछ ही देर बाद गाड़ी मेरे गांव में स्थित मेरे घर के सामने रुकती है।कृति मुझे उतरने को कहती है। सभी गाड़ी से उतर कर खड़े हो जाते हैं।तभी मेरे घर पर मेरी नज़र जाती है जो डेकोरेट किया हुआ होता है।ऐसा लग रहा है जैसे ग्रैंड पार्टी का आयोजन किया गया हो।

कृति - दी चलिए अब अंदर।
कृति के कहने पर भी नियति बाहर ही खड़ी रहती है।तभी एक रौबदार आवाज़ मेरे कानो में पड़ती है।बाहर क्यूं खड़ी हो नियति घर के अंदर जाओ।और हैं अपने सभी दोस्तों को और परिचितों को ले कर जाओ। नियति आवाज़ सुन कर एक पल को तो सिहर जाती है क्यूंकि वो आवाज़ उसके पिताजी की होती है।नियति थोड़ा सा डरते हुए अंदर जाती है जहां घर के सभी सदस्य दरवाजे के उस पार खड़े होते हुए उसका ही इंतजार कर रहे होते हैं।नियति को अंदर आया देख सभी उसके पास आ जाते हैं।नियति सबके चेहरों की ओर देखती है तो पाती है सबकी आंखे भरी हुई है। और घर में सभी सदस्य उसे बड़े ही प्यार से देख रहे हैं।वैसे जिसके लिए वो हमेशा तरसी थी बचपन से।नियति की दादी उसके पास आती है और उसके सर पर प्यार से हाथ रखते हुए कहती है नियति बिटिया अंदर आओ बैठो चल कर।वहीं नियति की मां आकर उसके गले से लग जाती है।जिसे देख नियति भावुक हो जाती है।पहली बार उसके अपनो ने इतने प्यार से उसके सर पर हाथ रखा है।उसकी मां ने उसे गले से लगाया होता है
नियति के पिताजी जो बाहर किसी कार्य से खड़े हुए होते है सभी को बाहर खड़ा देख उन्हें अंदर चलकर बैठने के लिए कहते हैं।एवं खुद भी अंदर जाते है जहां नियति से मिलते है जो सबके साथ बैठी हुई होती है।विजित जी नियति के पास जाते है और उससे कहते है नियति बिटिया बहुत देर कर दी हमने तुम्हे घर वापस लाने में।उसके लिए तुम्हारे पिता क्षमा प्रार्थी है।हम में से कोई भी तुम्हे समझ ही नहीं पाया।न ही कभी तुम्हारी भावनाओं की कद्र की वो भी सिर्फ इसीलिए कि तुम एक लड़की थी।लेकिन लड़की होकर भी तुमने वो कार्य किए है जिन्हे हम पुरुष भी नहीं कर पाए अब तक।स्वयं इस देश के राष्ट्रपति के द्वारा तुम्हे सम्मानित किया गया है ये कोई छोटी बात नहीं है।तुमने अपने कर्मो के द्वारा हम सबकी सोच को बदल दिया है।अब मै समझ गया हूं बिटिया! छोरियां भी किसी से कम नहीं होती अगर उन्हें एक मौका दिया जाए तो वो भी आगे बढ़ अपनी पहचान बना सकती है।पिताजी की बात सुन नियति की आंखे भर आती है।लाईफ में पहली बार नियति को उसके पिता ने इतने प्यार से संबोधित किया।

विजित जी राघव के पास जाते है और उसके सर पर प्यार से हाथ रखते हुए कहते है थैंक्यू बेटा।कभी कभी छोटे भी बड़ों को सही राह दिखा देते हैं।

नियति सब समझते हुए राघव की तरफ देखती है और उसे आंखो से thank you कहती है।राघव बदले में बस मुस्कुरा देता है।नियति को उसका परिवार दिल से अपना लेता है।उसके पिता ने घर में महिलाओं कि इच्छाओं को भी महत्व देना शुरू कर दिया है।इसकी शुरुआत की उन्होंने कृति से। उसे उच्च शिक्षा दिलानी शुरू कर दी है और उसे अपनी पसंद से रहन सहन रखने की इजाजत भी से दी है।

राघव की मदद से नियति के जीवन में सब ठीक हो चुका है।वहीं नियति अपनी जिम्मेदारी पूरी करते हुए राघव और रोमा की सगाई करा उसे जीवन में आगे बढ़ने को कहती है।अमर और रश्मि भी जीवन में बहुत खुश रहते हैं।नियति अपने पिता के साथ एनजीओ का कार्य सम्हालने में व्यस्त हो जाती है।उसकी मां दादी भी अब पूरी तरह से बदल चुकी होती है।

कभी कभी किसी के जीवन में परेशानियां बहुत होती है।लेकिन उन परेशानियों का सामना कर आगे बढ़ने का नाम ही जीवन है।नियति की ये दास्तां यहीं समाप्त होती है आप सभी को ये कहानी कैसी लगी अपनी अनमोल समीक्षा देकर अवश्य बताइए!!

समाप्त 🙏🙏