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राजपुरा के जंगल ...रहस्य या कोई साजिश? - (भाग 4)

राजपुरा के जंगल में सभी एक साथ कदम रखते हैं।दिन के उजाले में सड़क के किनारे से कुछ दूर होने भी मान को वहां एक अजब सी खामोशी का एहसास होता है।वहीं विवान की नजर जंगल की खूबसूरती पर पड़ती है।जहां चारो ओर बस हरियाली ओढ़े पेड़ पौधे ही खड़े हैं।ये दृश्य देख विवान अकीरा का हाथ पकड़ लेता है और कहता है बेबी देखो न कितनी खूबसूरत जगह है ये पता नहीं लोग क्यूं इसके बारे में मनहूस बाते कहते है।
शायद उनकी आंखे ही खराब होगी अकीरा ने हंसते हुए पलट कर कहा।

हा हा हा हा बिल्कुल सही कहा तुमने।उन दोनों की हंसी जंगल में पसरी खामोशी को तोड़ती है।जिसे सुन मान और टीना को अच्छा नहीं लगता।उन्हें वो हंसी कर्कश ध्वनि में लौटती हुई सुनाई देती है।
जैसे जैसे सभी आगे बढ़ते है सूरज का उजाला कम होता जाता है और हरियाली भी गायब होती जाती है।

ये देख विशाल विवान से कहता है विवान लगता है थाली में परोसा हुआ भोजन खतम हो चुका है।विशाल की बात सुन टीना और मान दबी हंसी हंसते है।

सभी धीरे धीरे आगे बढ़ ही रहे होते है।एक तेज हवा का झोंका उन सभी के पीछे से आवाज करता हुआ आता है।
शशशश... स्वागतम.... ममम इतनी तेज और स्पष्ट ध्वनि होती है कि सभी कौन है.. कह पीछे मुड कर देखते है..!लेकिन पीछे कोई नहीं दिखता है।
सभी मन ही मन कांप जाते है लेकिन एक दूसरे के सामने हिम्मत तो दिखानी है न सो एक दूसरे को देख छोटी सी स्माइल पास करते है और आगे चलने लगते है।

विवान! डार्लिंग! अब मै तो थक गई हूं मुझसे नहीं चला जा रहा है एक काम करो न इन लोगो को जाने दो हम लोग कहीं चलकर कुछ देर बैठते हैं।

ओके बेबी!! विवान ने कहा और टीना मान विशाल से कहता है।भाई साथ आने की बात हुई थी सो आ गए अब हमे अपनी प्राइवेसी चाहिए सो हम लोग जा थे है उस तरफ।तुम लोगो को अगर आगे जाना है तो जाओ।हम लोगो को डिस्टर्ब नहीं करना।ओके और जब घर जाने के लिए वापस इधर से आओ तो एक बार आवाज़ लगा कर यहीं इंतजार करना।कहते हुए विवान ने अपने साथ लाया हुआ सफेद रंग का चौंक जब से निकाला और वहां खड़े कुछ पेड़ो के चारो ओर सफेद रंग से निशान बना दिए।और उसके ठीक दोनों तरफ डायवर्जन (➡️↔️) निशान बना दिए जिससे लौटते हुए अगर आए तो ये निशान देख वो सभी वहीं रुक जाए।विवान को ये करता देख मान ने कुछ सोचा और अपनी पॉकेट में से चौक लेकर दो पेड़ो पर तीन अंकों की एक संख्या लिख दी और चौक जेब में रख कुछ सोच कर उन दोनों पेड़ो के बीच अपने साथ लाई हुई सफेद लेकिन चमकीली रस्सी बांध दी।जिससे कि उसे दूर से देख पहचाना जा सके।टीना मान की इस हरकत को देख मुस्कुराती है और तीनों वहां से आगे बढ़ जाते हैं।लेकिन अब तीनों ही चलते हुए निशान छोड़ना नहीं भूलते।विवान और अकीरा जो जंगल की शुरुआत से महज 800 मीटर की दूरी पर ही होते है वो एक तरफ बढ़ जाते हैं और चलते चलते निशान पेड़ो पर बनाते हुए जाते हैं।थोड़ी ही दूरी पर उन्हें एक छोटी सी चट्टान दिखती है सो विवान और अकीरा वहीं जाकर बैठ जाते हैं।वो लोग कुछ क्षण ही बैठ पाए होते हैं कि तभी वहां बहुत जोर से हवा चलने लगती है। अकीरा अचानक शुरू हुई हवा को देख घबरा जाती है।लेकिन विवान को जताती नहीं है।
विवान - अकीरा तुम यहीं बैठो मै जरा देखा कर आता हूं कि ये हवा चल कहां से रही है।आवाज से तो लगता है कि इसी एक तरफ से चल रही है।बाकी जगह कोई आवाज़ महसूस नहीं हो रही।तुम डरना नहीं।ठीक।मै अभी गया और अभी आया।
अकीरा - ठीक है विवान।मै यहीं खड़ी हो इंतजार करती हूं।विवान वहां से चला जाता है।

तभी वहां पर कुछ ही देर अचानक से आवाज़ आने लगती है।श श श श.. हम्ममम हम्मम हाम्म।आवाज सुन कर अकीरा घबरा जाती है वो धीरे से आवाज़ देते हुए पूछती है विवान.. ये तुम हो क्या? विवान! लेकिन कोई आवाज़ नहीं आती है।

दूसरी तरफ मान टीना और विशाल तीनों आगे बढ़ जाते हैं।कुछ ही कदम चल पाए होते है कि एक तेज चीख की आवाज जंगल में गूंजती है।
विवान.... । तीनों चौंक कर एक दम से रुक जाते हैं।कुछ सेकंड बाद आवाज़ फिर आती है ' कहां हो तुम विवान'..? विवान देखो ये मजाक है तो मुझे पसंद नहीं है प्लीज़ कुछ तो बोलो.. विवान कहां हो तुम?

मान ये तो अकीरा की आवाज है न वो विवान को क्यूं ढूंढ रही है।विवान तो उसके साथ ही है न।टीना ने मान से कहा।हां ये अकीरा ही है टीना।

कुछ गडबड है चलो चल कर देखते हैं इस बार विशाल बोला। हां मुझे भी ऐसा ही लगता है गाइज मान कहता है।और तीनों वापस लौटते हैं।निशान की मदद से तीनों उस जगह पहुंचते है जहां से विवान और अकीरा मुड़े थे।तीनों उसी जगह आकर रुक जाते हैं।और चारो ओर देखते है।तो वे कनफ्यूज हो जाते है समझ ही नहीं आता कि किस तरफ जाए।निशान लगाने के बावजूद भी उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है।

विशाल - विवान और अकीरा यहीं से अलग हुए थे लेकिन गए किस तरफ ये समझ नहीं आ रहा है मान।सच में ये जंगल भुलभुलैया ही प्रतीत हो रहा है।

शायद हमे डाय वर्जन की मदद से कुछ समझ में आए।बिल्कुल वैसे ही खड़े होते है जैसे उस तरफ से आए थे हम तभी समझ आएगा।मान ने कहा और तीनों वैसे ही खड़े हो जाते है।सारी परिस्थिति समझ मान दिशा निर्धारण कर वहां से उसी तरफ मुड़ जाता है।टीना और विशाल भी उसके पीछे चले जाते हैं।

मान चौकन्ना हो आगे बढ़ रहा है।उसकी नजर पेड़ो पर लगे निशान पर पड़ती है जिसे देख वो टीना और विशाल से कहता है।हम लोग सही रास्ते पर का रहे है।ये देखो पेड़ो पर निशान भी है।

टीना और विशाल मान की बात से सहमत होते है।वो आगे जाते है और उसी चट्टान के पास पहुंचते है।जहां उनकी नजर चट्टान पर सिमटी बैठी एक आकृति पर पड़ती है।जो अकीरा जैसी ही दिख रही है।आवाज आनी बंद हो चुकी है।एक अजब सा सन्नाटा वहां फैला हुआ है।जो किसी अनदेखे खतरे के आने का इशारा देता हुआ लग रहा है।
मान विशाल और टीना तीनों उस आकृति की ओर बढ़ती है जो चट्टान पर बैठी हुई है।पर्याप्त रोशनी न होने के कारण विशाल मान उसे स्पष्ट नहीं देख पाते हैं।

अकीरा तुम ठीक हो! अकीरा क्या हुआ तुम चिल्ला क्यूं रही थी।और विवान कहां है।अकीरा .. अकीरा तुम कुछ बोल क्यूं नहीं अकीरा... कहते हुए मान उसके पास पहुंचता है।अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा कर उसे एक बार फिर से आवाज़ देता है अकीरा... हम्ममम... ।कहते हुए वो आकृति एकदम से मान की ओर देखती है उसकी आंखे देख कर मान एकदम से कुछ कदम पीछे हट जाता है...
वो आकृति हवा में उड़ती है और एक बार फिर गुस्से में मान टीना और विशाल की ओर चीखते हुए आती है...हा... हम्ममम..!अचानक से ही एक तेज आंधी का गुबार उसी चट्टान के पीछे उठता है और तीनों को उड़ा ले जाता है..!मान टीना और विशाल कुछ समझ पाते तब तक तो वो उस धूल और आंधी के गुबार के अंदर होते है गोल गोल घूमते हुए उन्हें चक्कर आता है और वो उसी में बेहोश हो जाते है।वो आकृति गुस्से में अपने हाथ और बिखरे हुए बालो को झटकती है।आंधी का गुबार रुक जाता है और तीनों को अलग अलग दिशाओं में जाकर पटक देता है....

क्रमश...