Rahashymayi tapu - 13 books and stories free download online pdf in Hindi

रहस्यमयी टापू--भाग (१३)

रहस्यमयी टापू--भाग (१३)

सांख्यिकी मां,आप उस घोड़े का पता लगाएं ताकि मैं शाकंभरी की सहायता कर सकूं,बकबक बौने ने सांख्यिकी मां से कहा।।
चिंता मत करो बकबक अभी तो शाम होने को आई है, थोड़ी देर में अंधेरा भी गहराने लगेगा ,आज रात तुम लोग मेरी झोपड़ी में आराम करो,कल सुबह-सुबह मैं ध्यान लगाऊंगी,तब पता करती हूं कि तुम्हारा उड़ने वाला घोड़ा कहां है, सांख्यिकी मां बोली।।
सब बोले, हां तो ठीक है,सुबह तक हम सब यही विश्राम करते हैं फिर देखेंगे कि क्या करना है।।
सांख्यिकी मां के यहां जो भी रूखा सूखा था,सभी ने खाया और विश्राम करने लगे।।
तभी एकाएक आधी रात को बहुत जोर की आवाज हुई और सभी जाग उठे, राजकुमार सुवर्ण ने झोपड़ी के बाहर आकर देखा___
वहां का नजारा देखकर उसकी आंखें खुली की खुली रह गई,उसने फौरन बकबक बौने को आवाज लगाई,बकबक बौना भी जल्दी से बाहर आया।।
और सब भी जल्दी से भागकर बाहर आए,एकदम घुप्प अंधेरा, पहाड़ी पर ठंडी हवाएं चल रही थीं, चारों ओर पहाड़ियों पर सिर्फ सांप ही सांप दिखाई दे रहे थे और उन सब के पीछे अपने रथ पर सवार सर्पिली रानी थी जो कि बकबक बौने का पीछा करते हुए वहां तक आ पहुंची थीं,उन लोगों के पास मशालें थी,सर्पीली रानी को देखकर सब सन्न रह गए,ये सोचकर कि बिना किसी तैयारी के इन सबका मुकाबला कैसे करेंगे।।
सब कुछ भी सलाह मशविरा कर पाते इससे पहले ही सर्पीली रानी ने हमला कर दिया,इतने शक्तिशाली सांपों के सेना से सबने कभी भी मुकाबला नहीं किया था,सारे सांप उड़ उड़ कर सब पर हमला कर रहे थे,सब अपना बचाव कर रहे थे,सांपों कोई भी मार नहीं पा रहा था।
सब परेशान और लहुलुहान हो चुके थे, तभी सर्पीली रानी ने एलान किया कि तुम सब बकबक बौने को मेरे हवाले कर दो, मैं तुम सब को कोई नुक्सान नहीं पहुंचाऊंगी,मेरी दुश्मनी तो सिर्फ़ बकबक बौने से हैं।।
तभी बकबक बौना बोला___
सर्पीली रानी तुम्हारी दुश्मनी सिर्फ मुझसे है,तुम इन सब को छोड़ दो,लो मैं तुम्हारे पास आ रहा हूं।।
और बकबक बौना सर्पीली रानी की ओर बढ़ने लगा, सबने बहुत मना कि बकबक सर्पीली रानी के पास मत जाओ,हम कुछ ना कुछ करते हैं लेकिन बकबक नहीं माना और धीरे-धीरे सर्पीली रानी की ओर बढ़ने लगा।।
फिर से सुवर्ण ने आवाज दी कि___
बकबक मत जाओ, मैं हूं ना!! मैं तुम्हारी मदद करूंगा लेकिन तभी सांख्यिकी मां ने बाहर आकर कहा,उसे जाने दो।‌।
लेकिन क्यो, नीलकमल ने पूछा।।
देखो, पहले तुम सर्पीली रानी के गले की ओर ध्यान दो उसके गले में उड़ने वाले घोड़े का ताबीज हैं,इसका मतलब वो उड़ने वाला घोड़ा सर्पीली रानी को मिल गया था,बकबक ने उसे शायद देख लिया है इसलिए वो उसकी ओर बढ़ रहा है।।
सबने ध्यान से देखा,सच में उड़ने वाले घोड़े का ताबीज सर्पीली रानी के गले में था।।
अब सब भी बकबक बौने की मदद करने के लिए उसके पीछे-पीछे चलने लगे, सुवर्ण अपनी तलवार से सांपों के टुकड़े करते हुए आगे आगे बढ़ने लगा,सब बकबक बौने को सर्पीली रानी तक पहुंचने में सहायता करने लगे,और बकबक बौना अपने मकसद में कामयाब हो गया लेकिन सर्पीली रानी बकबक बौने को अपने फांस में ले लिया,बकबक बौना बहुत छुड़ाने की कोशिश की लेकिन छूट नहीं पाया।।
तभी सुवर्ण अपनी तलवार के वार से सर्पीली रानी के गले ताबीज का धांगा तोड़ दिया जिससे ताबीज नीचे गिर गया और सांख्यिकी मां जोर से चिल्लाते हुए कहती हैं कि सुवर्ण ताबीज को उठाओ लेकिन सर्पीली रानी ने अपने मुंह से आग की लपटें निकालना शुरू कर दिया और सुवर्ण पर उन लपटों से वार करने लगी,सुवर्ण झुलस कर जमीन पर गिर पड़ा।।
तभी सांख्यिकी मां अपने बाल खोल कर पहाड़ी पर ध्यान लगाकर बैठ गई और कुछ मंत्रों का जाप करना शुरू कर दिया, धीरे-धीरे सारे सांप पत्थरों में परिवर्तित होने लगे,कुछ देर के बाद सर्पीली रानी के आलावा सभी सांप पत्थरों में बदल गए तब सांख्यिकी मां अपने ध्यान से उठी और कहा कि इन सांपों को उठाकर पटकना शुरू कर दो और इतनी जोर से पटको ताकि ये टूट जाए, तभी इन सब की मृत्यु होगी।
और ये सब सुनकर सर्पीली रानी गुस्से से बौखला गई लेकिन अब अघोरनाथ जी आगे आ गए, उन्होंने अपनी कमर में बंधी पोटली में से कुछ विभूति निकाली और सर्पीली रानी पर झिड़क दी जिससे सर्पीली रानी को दिखना बंद हो गया।
और सुवर्ण ने फुर्ती के साथ उस ताबीज को उठा लिया और अपनी धारदार तलवार से सर्पीली रानी पर बिना रूके वार पर वार किए,सर्पीली रानी अपनी आंखें ही नहीं खोल पा रही थी जिससे उसके मुंह से निकलती आग का लपटों के वार निशाने पर नहीं पड़ रहा था,अब तो वो बुरी तरह बौखला गई।।
तभी सांख्यिकी मां बोली __
सुवर्ण घोड़े से कहो कि बड़े हो जाओ,वो जिसके हाथ में होता है,उसका ही आदेश मानता है और सुवर्ण ने सांख्यिकी मां की बात सुनकर घोड़े से कहा कि बड़े हो जाओ और घोड़ा अपने बड़े रूप में आ गया, सुवर्ण उस पर सवार होकर उड़ने लगा और अपनी धारदार तलवार से उसने सर्पीली रानी की गर्दन पर वार किया जिससे सर्पीली रानी की गर्दन कटकर एक ओर लुढ़क गई।।
और बकबक बौना, सर्पीली रानी के फांस से छूट गया,सर्पीली रानी का धड़ और गर्दन बहुत देर तक तड़पते रहे,उसके बाद शांत हो गए।।
तब सांख्यिकी मां बोली,बकबक लो तुम्हारा प्रतिशोध पूरा हो गया अब सर्पीली रानी का अंतिम संस्कार करके जल्द ही शाकंभरी की सहायता के लिए निकलो, लेकिन अंतिम संस्कार तो प्रात: ही होगा,आज रात भर और प्रतिक्षा करनी होगी।।
और दूसरे दिन सुबह सर्पीली रानी का अंतिम संस्कार करके सब ने सांख्यिकी मां से जाने के लिए इजाजत मांगी, सांख्यिकी मां ने कहा,जाओ बच्चों अच्छे कार्य करने के लिए सदैव तुम लोगों की जीत हो।।
सब बहुत खुश थे क्योंकि अब उनको उड़ने वाला घोड़ा मिल चुका था,अब वो शाकंभरी की सहायता करके अपना वचन पूरा कर सकते थे।।
ऐसे ही चलते चलते उन्होंने पहाड़ों वाला रास्ता पार कर लिया,अब मैदान वाले रास्ते से गुजर रहे थे, तभी उन्हें किसी के कराहने की आवाज़ आई।।
अघोरनाथ जी बोले लगता है कोई कराह रहा है!!
मानिक चंद बोला!! हां, मुझे भी कराहने की आवाज़ आई और एक एक करके सबने कहा कि हमें भी किसी के कराहने की आवाज़ आ रही है।।
और सब उस दिशा में चल पड़े, थोड़ी दूर जाकर देखा कि एक आदमी ज़मीन पर पड़ा दर्द से कराह रहा है।।
मानिक चंद ने कहा कि ऐसा तो नहीं कि ये कोई छलावा हो।।
सुवर्ण बोला, मैं पास जाकर देखता हूं।।
कौन हो भाई तुम, सुवर्ण ने उस व्यक्ति से पूछा।।
मैं बांधवगढ़ का राजा विक्रम सिंह हूं, मेरी बहन को एक राक्षस चुराकर ले गया है उसकी सहायता के लिए मैं यहां तक आया लेकिन उस राक्षस ने मुझे घायल कर दिया,उस व्यक्ति ने कहा।।
लेकिन वो राक्षस कहां रहता है, सुवर्ण ने पूछा।।
वो राक्षस इसी मैदान के अंत में एक तहखाने में रहता है,क्या तुम मेरी सहायता करोगे मेरी बहन को बचाने के लिए,राजा विक्रम ने सुवर्ण से कहा।।
ठीक है, पहले मैं अपने और साथियों से इस विषय में वार्तालाप कर लूं, सुवर्ण ने कहा।।

क्रमशः___
सरोज वर्मा