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अनैतिक - २८

नहीं कशिश हम ये नहीं कर सकते, तुम किसीकी पत्नी हो..

उसने कहा, क्या तुम जानते हो? केतन ने मुझे आज तक हात भी नहीं लगाया, वो तो बस मारने के लिए मेरे रूम में आता है, और वो जब भी मेरे करीब आया, मैं हमेशा भाग कर आंटी के रूम में चली जाती..

पर इसका ये मतलब तो नहीं की हम कुछ गलत कर बैठे ...मैंने उसे समझाया पर वो समझना नहीं चाहती थी ...

उसने कहा," उस दिन जो मैंने कहा उसके लिए सॉरी, पर मेरे वजह से किसी को परेशानी में नहीं डालना चाहती थी, मै जानती थी की निकेत कभी नही सुधर सकता ..पर मै तुम्हे इस सब से दूर रखना चाहती थी इसीलिए मुझे ये सब कहना पड़ा...अब बात मेरे समझ में आ गयी थी. हम दोनों के होंठ बस मिलने ही वाले थी की तभी रीना का कॉल आ गया और मै ऊस से दूर हट गया, मै निचे आने लगा तभी वो फ़ोन बात करते करते मेरे साथ निचे आने लगी.

मै, माँ और पापा हम हमारे घर आ गये, मुझे कशिश का मेसेज आया..

जा रहे हो मुझे छोड़कर..

जाना तो पड़ेगा..

आज इतने दिनों बाद हमने फिर बाते की और मैंने उसे बाय कहकर सो गया।। अगले सबेरे जब उठा, पापा ने कहा, रीना की शादी को १ साल हो गया तो अंकल आंटी ने रीना के ससुराल वाले को खाने के लिए बुलाया है, और हमे भी।। पापा कल ही हम उनके यहां गए थे रोज रोज जाना अच्छा नहीं लगता, वैसे भी उनका फैमिली प्रोग्राम है, है, हम क्यूं?

तूने कल देखा ना बेटा वो लोग कितना उदास थे, अब मै मना नहीं कर सका, वैसे भी इतने सालो से हम एक दूसरे के खुशी और दुःख में साथ रहे है, आज चले जाते है,

पापा, पर मेरा काम?

२ घंटे के लिए छुट्टी ले ले।।

दोपहर के २ बजे हम उनके यहां गए, रीना और उसका पति दोनो बैठे थे, मुझे याद है २ साल पहले रीना ने मुझे बताया था कि उसके सास ससुर की एक कार ऐक्सिडेंट में मौत हो गई थी।। हम सब खाने को बैठे, कि तभी रीना ने उसके पति से मेरी पहचान करवाई,

किशोर नाम था उसका,

हाय, मै किशोर।।

मैंने सिर्फ हेल्लो कहा

तो आप जर्मनी में जॉब करते हो?

जी

तभी रीना बोल पड़ी, यार तू तो चार साल से जर्मनी में जॉब कर रहा है, अगर इनके(किशोर) लिए भी कोई जॉब होगी तो देख ना..

मुझे लगा वो सिर्फ मज़ाक कर रही है, पर जब किशोर ने मुझे बताया कि अभी फिलहाल उसके पास कोई जॉब नहीं है, तो मैंने सोचा।। मै किशोर को अपने कंपनी में जॉब आसानी से लगा सकता हूं, वैसे भी अभी कोरोना के वजह बहोत से लोगो ने जॉब छोड़ दी थी, उसकी मदद करने के लिए मैंने उस से उसका रिज्यूम पूछा और उसने तुरंत मुझे इ-मेल कर दिया.

उसके पास अच्छा अनुभव था, और वो इंजीनियरिंग भी करा हुआ था जिसकी हमें जरूरत थी, खैरेन उसे कहा कि देखते है क्या होता है, मै जानता था कि मेरी कंपनी स्टार्टअप है तो वो इसे जॉब पर ले लेगी पर मै पहले से बोलकर उन्हें भरोसे पर नहीं रखना चाहता था।।

हम सबने खाना खाया, आज निकेत भी वही था, मैंने निकेत को अपने रूम में जाते देखा, मुझे लगा शायद मुझे एक बार उस से बात करनी चाहिए, मै मेरे पापा की बेइज्जती भुला नहीं था पर मुझे अंकल आंटी के लिए भी बुरा लग रहा था, आखिर बचपन से उन्होंने मुझे अपने बेटे जैसा ही रखा था,

मै अभी आता हूँ, कहकर मै उसके रूम में जाने लगा, सबकी नज़रें मुझे पर थी।। कशिश मुझे इशारा कर रही थी कि मत जाओ पर मै निकेत से एक बार बात करना चाहता था.

भैय्या मुझे आपसे बात करनी है

जाओ यहाँ से, मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी

भैया क्यों कर रहे हो आप ये सब..बचपन हम सब कितने अछे थे, साथ खेलते थे घूमते थे ...अब क्या हो गया आपको? अब बचपन वाले निकेत भैय्या नहीं रहे

अब हम बच्चे भी तो नहीं रहे

छोड़ क्यों नही देते ये सब?

तुम्हे उस से क्या..

भैया अंकल आंटी को कितनी तकलीफ होती है और कशिश का क्या जब आपको वो पसंद ही नही तो क्यों शादी की उस से?

मैंने नहीं की..जबरदस्ती मेरे बाप ने करवायी..और वो पत्नी है मेरी, जो चाहे कर सकता हूँ उसके साथ...और इसके पहले की मेरा हात उठ जाये तुम पर जाओ यहाँ से..

मै रूम से बाहर आ गया