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शरणागति - 3

अध्याय 3

रामास्वामी व रंजनी इस वृद्धाश्रम के बरामदे में खड़े थे। अंदर एक रिसेप्शन का कमरा था। उसमें तीन लोग बैठ सकते थे ऐसी कुर्सियां और एक मुढा भी था। उसके ऊपर पेपर और मासिक और साप्ताहिक  पत्रिकाएं रखी हुई थी। उस पोर्शन के आगे एक छोटा हॉल था। उसमें दो अलग-अलग पलंग थे। उस पर गद्दे बिछे हुए थे। दोनों पलंग के बीच में एक छोटा टेबल था, उस पर इंटरकॉम और एक वाटर जग रखा था। उसी के साथ में दीवार पर एक टी.वी. और पास में एक बड़ा सेल्फ भी था और पास में ही एक लकड़ी का वार्डरोब रखा हुआ था।

सेल्फ के ऊपर के खाने में भगवान की तस्वीरें लगी थी। उसके नीचे ब्रेड संतरा और कई तरह के फल रखे हुए थे। वार्डरोब में कपड़े रखे थे.... पास ही लेट्रिन बाथरूम अटैच थे। जो टाइल्स लगे थे वे चिकनी ना होकर खुरदुरे थे और उस पर सीमेंट लगा हुआ था। दरवाजे बिना भार वाले प्लास्टिक के थे। पीछे के दरवाजे को खोलो तो वहां 5 फीट चौड़ी बाल्कनी थी। वहां कपड़े सुखाने के लिए तार भी बंधे हुए थे। उस कमरे में स्प्लिट ए.सी. भी लगा हुआ था। इसके अलावा एक पंखा भी था।

"कमरा चालीस वर्ग फिट के होंगे। इसमें दो लोग आराम से रह सकते हैं। इस में रहने वाले एक बुजुर्ग दंपत्ति अभी नाश्ता करने गए हुए थे। उन लोगों के कोई रिश्तेदार मिलने आए तो आगे की तरफ रिसेप्शन में बैठकर बात कर सकते हैं। यहां 24 घंटे गर्म पानी की सुविधा भी है क्योंकि छत पर सोलर प्लांट लगाया हुआ है। ऐसे ही डायनिंग हॉल में एक ही समय में 60 लोग खाना खा सकते हैं। खाने के समय पर कॉलिंग बेल बजाते हैं। बेल बजाने के एक घंटे के अंदर कभी भी आकर खाना खा सकते हैं। वहाँ देखो बेटी डायनिंग हॉल। डाइनिंग हॉल में पुरानी सिनेमा के गाने, एम.एस. सुब्बलक्ष्मी के भजन बज रहे थे। सब खाना स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। जितना भी चाहिए मांग कर खा सकते हैं।"

"कॉफी, टी, बिस्किट, नमकीन कुछ स्नैक्स रूम में ले जाकर टेबल पर रख देते हैं।

हर हफ्ते मेडिकल चैकअप होता है। रोजाना प्रेयर हॉल में और भगवत गीता प्रवचन व प्रार्थना होती है। इसके अलावा एकादशी, अमावास, प्रदोष के दिन विशेष पूजा भी होती है। यहां रहने वाले कोई भी बुजुर्ग को किसी भी बात की फिक्र ना हो यह इस वृद्धाश्रम का उद्देश्य  है।

एक दंपत्ति के लिए हर महीने 15000 रुपए खर्च होता है। जिनके पेंशन आती है वह दंपत्ति इसे देती है। जिनके बच्चे नहीं हैं, जिसका आदमी नहीं है, जिनकी औरत नहीं है जिनका कोई आय का साधन नहीं है ऐसे कई तरह के लोग इस संस्था में रहते हैं। उदाहरण के लिए यह देखो वह धनलक्ष्मी पंजाबकेशन उस जोड़ी का कोई बच्चा नहीं है। उनकी आय का कोई साधन नहीं है। वे मंदिर में अर्चना करने वाले पुजारी थे। यहां भी वे पूजा का काम ही करते हैं।

उनके लिए अमेरिका के रहने वाले एक दंपत्ति जिनके अप्पा-अम्मा नहीं हैं वे इनके लिए 15 लाख रुपए का डिपॉजिट करवा दिया। वह रुपया वैसे ही रहेगा। उसका जो ब्याज आता है उसे हम इनके खर्च के लिए लेते हैं। यह एक उदाहरण है। इस तरह विविध प्रकार के लोग इस वृद्धाश्रम में रहते हैं। उन सबकी अपनी-अपनी एक अलग कहानी भी रहती है बेटी...."

रामास्वामी वृद्धाश्रम के बारे में विस्तार से कह सुनाया। इन सब को उसने बड़ी उत्सुकता से टेप कर लिया। उसकी हाथ में जो सेल फोन था उसमें ही यह सुविधा थी।

"कुल कितने लोग यहां रहते हैं ?"

"अभी 74 लोग हैं.……"

"इसे एक सर्विस सेंटर जैसे चलाते हो क्या ? या व्यापार चलाने की मंशा है?"

"100% यह एक सर्विस सेंटर ही है.... और उसी समय व्यापार का उद्देश्य भी है।"

"यह क्या जवाब है सर ?"

"यही जवाब सच है। जितना भी डोनेशन से ट्रस्ट को इंटरेस्ट आए उसे भीख जैसे देने में गौरव की बात नहीं है। ऐसे भीख लेने वाले बुजुर्ग के लिए यहां जगह भी नहीं है। यहां सब के लिए एक कीमत है। परंतु वह बहुत ही न्याय संगत कीमत है। रिश्तेदारों के द्वारा मिलने वाले प्रेम, प्यार और अपनत्व इनको ही हम बिना मूल्य के लुटाते हैं।"

उनके जवाब ने रंजनी को कोई प्रश्न पूछने लायक नहीं छोड़ा। रामास्वामी फिर शुरू हुए।

"पिछले 10-15 वर्ष में साफ बताना है तो यह 21वीं सदी की शुरुवाद ही  विनोदात्मक है।

शिक्षा को बेचकर अपनी जीविका चलाने वाले कॉलेज, मोबाइल उसके लिए सिम बेचने वाले दुकानदार, शराब की दुकान, बार आदि के लाइन से वृद्धि और वृद्धाश्रम सभी एक ही चीज है!

इनमे से कुछ भी देश के लिए जरूरी नहीं है। व्यापार की शिक्षा कोई शिक्षा नहीं है। मोबाइल को जरूरत के हिसाब से काम में लेने वाले भी नहीं है, टास्क मॉस्क के बारे में तो पूछने की जरूरत ही नहीं। एक बुजुर्गों का आश्रम तो एक कटे हुए रिश्तो को बताने वाली जगह है! इन से क्या फायदा है?"

"इसीलिए यह चार बातें तो होनी ही नहीं चाहिए परंतु इन चारों की ही बाढ़ आ रही है। इस 21वीं सदी की शुरुआत ही इतनी भयंकर है तो आगे क्या होगा सोच कर देखिए...."

रामास्वामी कोरीडोर में चलते हुए जो प्रश्न पूछे, उसमें सेलफोन के विषय ने उसे थोड़ा परेशान किया।

"सर... सर फोन तो एक विज्ञान का वरदान है सर ! उसे आप बुरा समझ रहे हैं सोचकर आश्चर्य हो रहा है।"

"मैंने जो बोला है उसे तुमने ठीक से सुना नहीं। एक लिमिट के साथ सेल फोन का उपयोग नहीं करते हैं यह मैंने बोला। मैं भी उसे ठीक से उपभोग करने वाला नहीं हूं। ठीक से उपभोग करने के लिए मुझे सेल फोन की संस्थाएं छोड़ती नहीं? वह तो मालूम है आपको ?" उन्होंने एक पहेली छोड़ दी। फिर शुरू हुए "फ्री के व्हाट्सएप से मुझे आने वाले ऑडियो वीडियो जो जगह को भर देते हैं यह मुझे अप्रत्यक्ष रूप से कितना नुकसान पहुंचाते हैं आपको पता है?" तुरंत मिटा दो तो समस्या का हल हो जाएगा ऐसे आप कह सकते हो ‌। एक व्यस्त गली में एक किनारे बैठ कर ध्यान लगाओ बोले जैसे ही यह विषय है। सिर्फ 100 रुपये के खर्चें में सेल फोन उपयोग करने वाले भी हैं। यह बात है... परंतु वह हजारों में एक है। युवा समुदाय इसे अपने रक्त के सेल से भी जरूरी सोचता है। इसके आधीन युवा समुदाय को हुए कितने वर्ष हो गए।

मनुष्य के जीवन में यदि शांति चाहिए तो सेल फोन से बात करने को कम करना पड़ेगा। अपने शरीर के शक्ति के लिए साग-सब्जी और फल में खर्च करने के बदले मोबाइल में बात करने में खर्च करते हैं। इसकी वजह से कितनी परेशानियां.... कितनी जांचें! अभियोग?"

उस रामास्वामी को आश्चर्य से रंजनी ने देखा।

"कुछ जल्दी से कच्चा-पक्का खाकर काम के लिए चले जाओ यह मरने वाले जैसे लगते हैं ऐसे रहने वाले इस समुदाय में कैसे-कैसे विचार हैं ?"

वह फिर भ्रमित हुई।

“आप जो कह रहे हैं बिल्कुल सही है। मेरा ही एक महीने में डेढ़ हजार रुपया लगता है। पत्रकार होने के कारण इसे रोक नहीं सकती। इसे कम करने की मैं सोचती हूं। परंतु नहीं होता...." कह कर अपने हार को स्वीकार करती हैं ।

"परेशानियों की जड़ ही शराब है... वे अब दूसरी बात पीने पर आ रहे थे यह सोच कर रंजनी ने परेशानी महसूस किया। उसके पति माझी की याद आई। जो पीने के अधीन होकर उसने उसे कितना परेशान किया उसे याद आया।

"क्या हुआ बेटी मैंने पीने की बात कही तो तुम स्तंभित रह गई....?"

"हां सर..…पीना बहुत बुरी चीज है। उसे परेशानी कहना बहुत छोटा शब्द है। पीने की बुराइयों को उसकी कठोरता को कहने के लिए कोई शब्द ही तमिल में नहीं है सर...." उसकी भावनाओं का विस्फोट होने लगा।

"यू आर राइट.... तमिल में ही नहीं किसी भी भाषा में उसके लिए सही शब्द नहीं है। उससे परेशान होकर एक बुजुर्ग दंपत्ति दो दिन पहले ही यहां पर आकर भर्ती हुए हैं...." उन्हें घूम कर देखा रंजनी ने।

"क्या देख रही हो बेटी..... वह दंपत्ति कोई शराबी नहीं है। उनका ओनली वन सन शराबी था। उसकी शादी हो कर एक लड़की भी है। परंतु अभी वह एक सन्यासी है। अब उनकी लड़की और पत्नी कोई भी नहीं है। उसकी पत्नी तलाक ले कर चली गई। कोर्ट ने उसकी बच्ची को पत्नी को ही दे दिया। इन सब का कारण पीना ही था। वह भी उसे छोड़ने की इच्छा रखता था परंतु छोड़ न सका।

पीना बंद करने पर उसका शरीर कांपने लगता था इस तरह वह उसके अधीन हो गया था। पीने में एक विनोदात्मक परेशानी यही तो है। ऐसा पीकर उसने अपने सब रिश्तो को खत्म कर दिया। आखिर में वैसा आदमी अपने जीवन में एक दूसरे मोड़ पर आ गया...."

मोड़ ऐसा एक सस्पेंस है उनके कहते ही उसकी बी.पी. बढ़ने लगी।