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लघुकथाएँ

1--मापदण्ड
किसी के घर मौत होने पर शमसान जाकर घर लौटके आने पर पत्नी घर के बाहर ही पानी की बाल्टी रख देेती।नहाने के बाद हीी घर मे प्रवेश करने देेती थी।
हार्ट अटेक की वजह से माँ कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थी।मुझे और पत्नी को बारी बारी से अस्पताल में रहना पड़ता था।अस्पताल में रोज एक दो मरीज मर जाते।घण्टो बेड पर लाश पड़ी रहती।हम भी वंहा मौजूद रहते।घर आने पर पत्नी कभी नही कहती थी,"नहाकर घर मे आना।"
2--बेसहारा
बेटा बुढ़ापे का सहारा होता है।उन्होंने अपने इकलौते बेटे की परवरिश और पढ़ाई में कोई कसर नही रखी थी।इसी का परिणाम था कि बेटे की विदेश में नौकरी लग गई थी।
विदेश जाकर बेटा वँहा का ही होकर रह गया।जिस बेटे को वे बिधापे का सहारा समझ रहे थे।वह उन्हें बेसहारा छोड़कर चला गया था।
3--मीडिया
नवलेखक की पुस्तक विमोचन समारोह में मुझे भी आमंत्रित किया गया था।समारोह एक आलीशान होटल में था।मीडिया को भी बुलाया गया था।शहर से निकलने वाले सभी अखबारों के रिपोर्टर मौजूद थे।रिपोर्टर कार्यक्रम की कवरेज के साथ मंच पर विधमान महानुभवों के साथ लेखक और उनकी पत्नी का इन्टरव्यू भी ले रहे थे।
कल इसी होटल के इसी हॉल में एक वरिष्ठ लेखक की पुस्तक का विमोचन हुआ था।उसने भी मीडिया को निमंत्रण भेजा था।लेकिन बार बार फोन करने के बाद एक अखबार का रिपोर्टर आया और कुछ ही मिनटों में औपचारिकता निभाकर चला गया था।
कल के विमोचन समारोह के कार्यक्रम को मीडिया ने कोई महत्त्व नही दिया था।लेकिन आज?आज नवलेखक ने मीडिया की सेवा में कोई कमी नही रखी थी।खाना, सूरा उपहार सब का ििइंतजाम था।
लेकिन कल वरिष्ठ लेखक की तरफ से ऐसा कुछ नही था।
4--बच्चे
रमा और दीपा पडोसन थी।एक दिन रमा की बेटी मीरा और दीपा की बेटी सीमा खेल रही थी।खेल खेल में दोनों में झगड़ा हो गया।सिमा ने मीरा को पीट दिया।मीरा रोते हुए माँ के पास चली गई।रमा को बेटी का रोना बरदास्त नही हुआ।वह दीपा से लड़ने जा पहुंची।
जुबानी शुरू हुआ झगड़ा हाथा पाइ तक जा पहुंचा।रमा और दीपा झगड़े में गायक होकर अस्पताल में भर्ती थी।
सीमा और मीरा झगड़े को भूलकर साथ खेल रही थी।
5--विरोधाभास
नीतियों और कार्यप्रणाली का विरोश करने वाले कर्मचारियों को सरकार ने अनुशासनात्मक कारवाई की चेतावनी दी थी।
जो सरकार अभिव्यक्ति की आज़ादी का ढिंढोरा पिटती थी।उसी ने खिलाफ बोलने वाले कर्मचारियों के बोलने पर रोक लगा दी थी।
6--अकेला
उमेश और किशोर दोनो दोस्त थे।वे एक ही दिन सरकारी सेवा में लगे थे।उनके जन्म का महीना और साल एक ही थे।इसलिए वे दोनों सरकारी सेवा से रिटायर्ड भी एक ही दिन हुए थे।
रिटायर होने से पहले ही उमेश और किशोर की पत्नियों का देहांत हो चुका था।
उमेश निसन्तान था।इसलिए एक परिचित के साथ पेइंग गेस्ट बनकर रह रहा था।
किशोर के दो बेटे थे।फिर भी उन्हें पेइंग गेस्ट की तरह रहना पड़ रहा था।क्योंकि उनके दोनों बेटे उन्हें अकेला छोड़कर विदेश में जा बसे थे।
7--वितृष्णा
"सामान क्यो ले आयें?"वह उसे देखते ही बोला।
"आपने ही तो कहा था।दो चार दिन में कमरा खाली हो जाएगा।"
"मुझे ऐसी उम्मीद थी।लेकिन ------वह खाट पर मरणासन्न पड़े पिता को घृणा की नज़र से देखते हुए बोला