Being a woman is a matter of luck in Hindi Motivational Stories by Anita Sinha books and stories PDF | स्त्री होना भाग्य की बात है

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स्त्री होना भाग्य की बात है

हां जी ! बिल्कुल स्त्री होना भाग्य की बात है। कैसे स्त्री

मां है। सृजन करती है। आज वही तिथि भी है।

अषटभुजधारिणी मां दुर्गा महिषासुरमर्दिनी का आज

विधि विधान से पूजन होगा। महालया पूजा कहते हैं।

मेरा बराबर आज के दिन दो तीन मंदिरों में पुष्पांजलि

और आरती देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ करता था।

भाग भाग कर यानी कि दौड़ते हुए जाती पैदल। पहली

पुष्पांजलि छूट न जाए। करीब दिन के ग्यारह बजे होती थी।

पुष्पांजलि । लेकिन भीड़ की वजह से फूल मिलना सवा दस बजे से शुरू हो जाता और मैं पहुंचती थी एकदम ऐन मौके पर। जब फूल वितरण हो रहा होता। आज वो बात
मुझे याद आ रही है। पुष्पांजलि दिलाने वाले पंडित जी का
ही मंदिर अपना था। उनके साथ सेवा दार बहुत होते।
पुरुष और महिला बालिका सभी सेवाओं में लगे हुए रहते।
फूल के लिए बहुत प्रयत्न करना पड़ता था। चूंकि वो फूल
मां के चन्दन और जल से आचमन किया होता था।
उस फूल का बहुत महत्व होता है।

इतनी भीड़भाड़ कि दो तीन घंटे लगते थे पुष्पांजलि, टीका,
प्रसाद लेने में। कोई तो शर्बत के भंडारे बिठाते तो कोई
कुछ सेवा करते थे। बड़े बड़े ड्रम में शर्बत होता था। चूंकि
बंगाली लोग आज का उपवास रखते हैं तो बंगालियों की
बहुतायत रहती थी।

और भी लोग रहते थे। जिनके घर में नवरात्रि होते वे
कलश यदि मंदिर में बिठाना चाहते तो उसका भी इंतजाम
था। बाबा चंडीपाठ करते। मां की स्तुति , स्तोत्र एवं
हवन यज्ञ सम्पन्न होता था। सब बाबा अपने करते थे।

सारी स्त्रियां नूतन वस्त्र पहनकर आती। सबके चेहरे पर
सिन्दूर और बिंदी तथा चूड़ी एवं शाखा पोला पहने देखकर
सचमुच बढ़िया लगता। हालांकि मैं भी सुंदर वस्त्र धारण कर
जाती। सपरिवार हम सब मंदिर जातें।

लीजिए स्त्री के लिए मैंने मां दुर्गा की कृपा से आज
महालया पूजा पर लिखने की कोशिश की।

मै समझती हूं कि स्त्री के लिए आज सोमवती अमावस्या
और महालया पूजा दोनों है। तो है न भाग्य की बात।
हालांकि पुरुष भी उपवास करते हैं।

मुझे सेवा दार दादा कहते कि तुम्हें खबर कौन देते हैं।
जो समय से पहुंच जाती हो। ये मैं नहीं जानती।
कि कैसे मां ने पूजा ली और चरणों में रखा।

वो दादा कहते तुम वामा खेपा हो क्या।

मैं कहती हूं कि वामा खेपा बनना इतना आसान नहीं।

वामा खेपा मां काली के अनन्य भक्त थे।

मां उन्हें अपने भोग से प्रसाद खिलाती। वे तारापीठ

मंदिर में ही रहते प्राय। उनके जीवन मां के चरणों में बीते।

स्त्री शब्द पर मुझे गर्व है क्योंकि मैं भी स्त्री हूं।

स्त्री आज देश विदेश कहां कार्य रत नहीं है। देश चला रही है

स्त्री। आर्मी में , नेवी में , पुलिस तथा और भी आवश्यक

संस्थानों में सेवा दे रही है। स्त्री पायलट है बहुत।

स्त्री श्रद्धा है। नारी पूजनीय है।नारी शक्ति की जय हो।

नारी कर्मठ होती है। परिवार को जोड़कर रखती है।

नारी लक्ष्मीबाई नारी दुर्गावती है। नारी कल्पना चावला है।

सुनीता विलियम्स हैं। ओर भी है जो स्पेस में सेवा दे रही हैअ। कल्पना चावला अमर है।