Raat - 6 books and stories free download online pdf in Hindi

रात - 6





सब लोग मंदिर पहुंच गए थे। मंदिर दोसो साल पुराना था, लेकिन एकदम नया ही दिख रहा था। मंदिर की शिल्पकला अद्भुत थी। मंदिर के प्रवेशद्वार पर दोनो तरफ एक एक शेर की मूर्ति रखी गई थी। मंदिर की तीन मंजिलें थीं। मंदिर के ऊपर 'जय चामुंडा मां' लिखी ध्वजा हवा में लहरा रही थी। निजमंदिर में मां चामुंडा की दो मुखी प्रतिमा स्थापित की गई थी। माँ के चेहरे पर अपार चमक थी। माँ को आज हरे रंग की चुनरी चढ़ाई गई थी। माँ को श्रृंगार भी शानदार किया गया था। जो भी एक बार मां की मूर्ति को देख लेने पर वो पूरी दुनिया को भूल ही जाएगा।

सभी स्टूडेंट्सने मंदिर में जाकर माता के दर्शन कर लिए थे। विशाल भक्ति को पुजारीजी के घर ले गया था। उसके साथ स्नेहा, अवनि, रिया, रवि, भाविन और ध्रुव भी गए थे। भक्ति के शरीर से जहर निकाल दिया गया था। थोड़ी देर बाद भक्ति होश में आ गई। विशाल ने उसे पानी पिलाया। विशाल बोला, "तुम ठीक तो हो न?" भक्ति बोली, "हाँ!" भाविन बोला, "भक्ति! तुम्हें नीचे देख कर चलना चाहिए था।" अवनि भाविन की तरफ देखकर बोली, "भाविन! क्या तुम भी उसे डाट रहे हो? उसकी हालत तो देखो।'' भाविन बोला, "Ok, Sorry।" भक्ति बोली, "अवनि! तुम भाविन को कुछ मत कहो। वो सही कह रहा है, मेरी ही गलती थी। मुझे नीचे देखकर चलना चाहिए था।" विशाल बोला, "अब तुम वो सब भूल जाओ। अगर तुम्हें अच्छा लग रहा हो तो क्या हमें मंदिर में दर्शन के लिए चले?" रिया बोली, ''विशाल! उसे अभी आराम की जरूरत है।'' भक्ति बोली, "नहीं! मुझे दर्शन के लिए जाना है, चलो।" भक्ति खड़ी हुई और चलने की कोशिश करने लगी। वो चल नहीं पाई, इसलिए वापस बैठ गई। विशाल बोला, "अरे! क्यों बैठे गई? चलो उठो।" भक्ति बोली, "विशाल! मैं चल नहीं पाऊंगी।" विशाल ने कहा, "अरे! तुम टेंशन क्यो ले रही हो। चलो! मैं तुम्हें उठा लूंगा और तुम्हें ले जाऊंगा।" विशाल भक्ति को लेकर मंदिर गया। बाकी सब भी उसके साथ मंदिर गए।

मंदिर में माता के दर्शन कर के सब मंदिर को देख रहे थे। विशाल भक्ति को लेकर वहा पहुंच गया था। उन सभीने भी माता के दर्शन किए। फिर वो सब मन्दिर में एक जगह पर बैठ गए। सब मंदिर के बारे में बाते कर रहे थे, लेकिन भाविन का ध्यान उनकी बातो में नहीं था। जब से वो मंदिर गया था, तब से वह माता की मूर्ति के सामने देख रहा था। ध्रुव ने उससे पूछा, "भाविन! तुम उस मूर्ति को कब से देख रहे हो। हमें भी बताओ कि तुम भी क्या देख रहे हो।" भाविन बोला, "दोस्तों! क्या आपने एक बात नोटिस की?" रवि ने कहा, "कोन सी बात ?" भाविन बोला, "आपने देखा होगा कि हर मंदिर में ऊपर की ओर त्रिशूल के तीन तीर होते हैं। आप इस मंदिर में देखो, त्रिशूल के तीन तीर जो माता की मूर्तियों के बीच हैं, वो नीचे की ओर हैं। अगर आप ध्यान से देखेंगे तो आप को दिखेंगा कि बीच वाला तीर जमीन में थोड़ा सा अंदर गढ़ा हुआ है।" रवि ने कहा, "हाँ यार! तुम सही कह रहे हो, लेकिन त्रिशूल को इस तरह उल्टा रखने का क्या कारण हो सकता है?" ध्रुव ने कहा, "चलो पुजारीजी से ही पूछ लेते हैं।" भाविन ने पुजारीजी को बुलाया। पुजारीजी ने कहा, "बोलो, बेटा! क्या बात है?" भाविन ने कहा, "पुजारीजी! इस मंदिर में माता की मूर्तियों के बीच त्रिशूल उल्टा क्यों है? हमने कई मंदिरों में देखा है कि त्रिशूल ऊपर की ओर होता है।" पुजारीजी ने कहा, "बेटा, ये तो मुझे भी नहीं पता कि त्रिशूल उल्टा क्यों है। जब मैं छोटा था तब मैंने ये प्रश्न अपने पिताजी से भी पूछा था, लेकिन उन्होंने मुझे कोई उत्तर नहीं दिया। उन्होंने मुझे बताया कि ये त्रिशूल कभी ऊपर की ओर नही होना चाहिए और जमीन से बाहर नहीं निकलना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो बहुत बड़ी आपदा आएगी।" इतना कहकर पुजारीजी वहा से चले गए। भाविन ने कहा, "बड़ी अजीब बात है।" अवनि ने कहा, "हां! और इस अजीब बात के पीछे का कारण भी पता नहीं चला।"

रोहन और मोंटू मंदिर के बाहर एक पेड़ के नीचे खड़े थे। मोंटू ने कहा, "बिचारी भक्ति! उसे सांप ने काट लिया। मैं बहुत दुखी हूं।" मोंटू की बातें सुनकर रोहन हंस पड़ा। मोंटू ने कहा, "मैं यहां गंभीर बात कर रहा हूं और तुम हंस रहे हो।" रोहन ने कहा, "में हसु नहीं तो क्या करू?" मोंटू ने कहा, "लेकिन तुम हंस क्यों रहे हो? वो तो बताओ।" रोहन ने कहा, "तुम्हें याद है, मैंने बस में तुमसे कहा था कि मुझे अब कुछ करना ही पड़ेगा!" मोंटू ने कहा, "हां! मुझे याद है। लेकिन तुमने क्या किया?" रोहन ने कहा, "मेरी वजह से ही भक्ति को सांपने काटा था।" मोंटू ने कहा, "तुम्हारी वजह से? लेकिन तुम्हारी वजह से केसे?" रोहन ने कहा, "देखो! जब हम बस से उतरे और चलने लगे, तो उस बूढ़ेने कहा कि खेत है तो जीवजंतु होंगे ही। फिर मैंने सोचा कि स्नेहा की दोस्त को कुछ भी हो जाए, तो स्नेहा उसकी सेवा करना शुरू कर देगी और वो रवि से दूर रहेगी। जब मैं वहां खड़ा था, मैंने एक सांप को देखा। सभी की नजर साक्षी और आयशा मैडम पर थीं। तब मैंने सांप को भक्ति के पैर पर रख दिया। तुम तो जानते ही हो मैं सांप को संभाल सकता हूं। जब भक्ति ने अपना पैर सांप पर रखा तो साप ने उसे काट लिया।" मोंटू ने कहा, "रोहन! स्नेहा को पाने के लिए तुम कुछ भी कर सकते हो। तुम जानते हो कि इसमें भक्ति की जान भी जा सकती थी।" रोहन ने कहा, "मैं स्नेहा को पाने के लिए किसी की भी जान ले सकता हूं।"

साक्षी उदास चेहरे के साथ मंदिर के एक कोने में श्रद्धा के साथ बेठी थी। श्रद्धा बोली, ''तु उदास क्यू है?'' साक्षी ने कहा, "अरे यार! मेरी किस्मत तो देखो! मैंने क्या सोचा था और क्या हो गया!" ये सुनकर श्रद्धा हंसने लगीं। साक्षी ने कहा, "अरे! तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड उदास है और तुम हंस रही हो?" श्रद्धा ने कहा, "मैं हसु नही तो क्या करू? मैंने तो तुझको पहले ही मना किया था, लेकिन तु मेरी बात नही मानी! मुझ पर विश्वास न करने का नतीजा देख लिया?" साक्षी फिर उदास हो गई। श्रद्धा बोली, "अरे! तू उदास मत हो। अगली बार मैं तेरी मदद करूंगी, Ok!" साक्षी ने उत्सुकता से कहा, "सच में?" श्रद्धा बोली, "हां"।



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