Majhse dosti karonge - LAST PART books and stories free download online pdf in Hindi

मुझसे दोस्ती करोगे - (अंतिम भाग)

यह कहकर उसने बाबा पर जोर से वार किया बाबा उसकी शक्ति पहचान गए, पर फिर भी बाबा अड़े रहे, उसने बाबा को उठाकर जमीन पर कई बार पटक दिया और जोर जोर से उनकी बेटी की आवाज में रोने लगी, तभी वहां साधु के वेश में एक आदमी दौड़ा दौड़ा आया और मल्होत्रा के घर में घुस कर बाबा को जोर जोर से पुकारने लगा, वो सीधा उसी कमरे की तरफ दौड़ा चला जा रहा था जिसमे बाबा ये पूजन क्रिया कर रहे थे, मिसेज मल्होत्रा और माला ने जब ये देखा तो उसे रोकने के लिए आगे आ गईं और बोली " कौन हो तुम और खबरदार जो बाबा की पूजा बीच में भंग की, मेरी बेटी की जान खतरे में है, ये सुनकर वो साधु आदमी चिल्लाते हुए बोला " और अगर मैं अंदर नहीं गया तो मेरे बाबा की पुत्री के प्राण संकट में पड़ जाएंगे" ये कहकर उसने जरा भी देर नहीं की और उन दोनों को धक्का देकर कमरे के अंदर घुस गया, कमरे में घुसते ही उसे सिवाय धुएं के और कुछ नही दिखा जब उसने चारों ओर गौर से इधर उधर देखा तो उसकी आंखे फटी की फटी रह गईं, बाबा छत के एक कोने में मकड़ियों की तरह लटके थे, उनकी हड्डियां कुछ उसी तरह से मुड़ी हुई थी मानो वो कोई मकड़ मानव हों, और दूसरी ओर वो गुड़िया जोर जोर से हंस रही थी और सामने कुर्सी पर बैठी सोनिया ये सब देख कर मुस्कुरा रही थी l

उस आदमी ने भगवान को याद करते करते जल्दी से बाबा को उतारा तो देखा उनकी सांसे अभी चल रही थी, उसने फटाफट बाबा को बाहर निकाला तो दरवाजा अपने आप धड़ाम से बंद हो गया l


उन दोनों को जाता हुआ देख मिसेज मल्होत्रा ने उन्हें रोका तो बाबा बोले," तुम्हारी बेटी के पास एक गुड़िया है, उसे कोई नहीं मार सकता, उसे मारना नामुमकिन है, यह सब उसी ने किया है वो शापित गुड़िया है" |

मिसेज मल्होत्रा रोने लगी और हाथ जोड़कर कहने लगी, "बाबा… कुछ तो उपाय होगा प्लीज बताइए.." |

बाबा ने कराहती आवाज में जल्दी में कुछ बताया और वहां से चले गए |

तभी वहां कुछ और काम निपटा कर माला आ गई और कहा," क्या हुआ मेम साहब… बाबा क्यों चले गए"|

मिसेज मल्होत्रा चुपचाप रोने लगी | माला ने फिर अपनी बात दोहराई तो मिसेज मल्होत्रा बोली, "ये दुष्ट आत्मा किसी को नहीं छोड़ेगी, हमें घर छोड़ना पड़ेगा, वरना यह सब को मार डालेगी, मैंने अपने पति को तो खो दिया बेटी को भी नहीं खोना चाहती "|

यह कहकर वो रोने लगी शाम हो रही थी, मिसेज मल्होत्रा ने घर छोड़ने का फैसला कर लिया, उन्होंने सारी पैकिंग कर ली |


सोनिया ने सिसकते हुए कहा -" मां मैं अपनी गुड़िया भी साथ ले चलूंगी"|

मिसेज मल्होत्रा -" हां बेटी… तुम इसे भी ले चलना"|

सोनिया जाकर तैयार होने लगी | मिसेज मल्होत्रा ने माला को बुलाया और उसे कुछ रुपए देकर बोली, "हम कुछ महीनों बाद आ जाएंगे तुम ये रुपए रखो और अपना और मुन्नी का ध्यान रखना, अब तुम लोग जाओ हम लोग भी निकल जाएंगे अभी" |

माला उन्हें धन्यवाद करके मुन्नी के साथ जाने लगी तो मुन्नी ने मिसेज मल्होत्रा को पीछे मुड़कर देखा, मिसेज मल्होत्रा ने मुन्नी से कहा, "मुन्नी…. मेरे पास आओ……. "
ये सुनकर मुन्नी उनके पास आ गई और माला कमरे से बाहर चली आई l

मिसेज मल्होत्रा ने बड़े प्यार से मुन्नी से कहा " मुन्नी ….. क्या तुम सोनिया की वो वाली गुड़िया लोगी.. " |

मुन्नी ने खुश होकर हां में सिर हिलाया |

मिसेज मल्होत्रा ने मुस्कुराते हुए कहा,
"मुन्नी… तो फिर तुम खुद मुझसे यह गुड़िया मांगो और कहो आंटी यह गुड़िया मुझे दे दो" मुन्नी ने ठीक ऐसा ही किया और वो श्रापित गुड़िया मिसेज मल्होत्रा ने मुन्नी को दे दी, उनके कानों में बाबा की बात गूंज रही थी कि इससे बचना नामुमकिन है, इससे छुटकारा पाने का एक ही तरीका है कि इस गुड़िया को किसी और को उसकी मर्जी से दे दो फिर यह बुरी आत्मा उसके पास चली जाएगी, मुन्नी गुड़िया पाकर बहुत खुश हो गई और खेलती हुई माला के साथ वहाँ से निकल पड़ी …

आज रात …(कहानी की शुरुआत में )

चारों ओर सड़क पर भीड़ इकट्ठा हो गई माला रोते हुए भीड को हटाकर पास आई और इतना खून देखकर चीख पड़ी और छाती पीट पीट कर रोने लगी ,

तभी आवाज आई ," तुम रो क्यों रही हो मां, माला ने पास में देखा तो मुन्नी खड़ी थी, उसी गुड़िया को पकड़े यह देखकर माला ने मुन्नी को सीने से लगा लिया और भगवान को याद करने लगी तभी पुलिस ने भीड़ को हटाया और पास पड़ी कार से दो लाशें निकाली, वहां खड़ी भीड़ से आवाज आई "बेचारी मां बेटी इस लड़की को बचाने के चक्कर में मर गई" , माला ने लाशों को देखा तो सन्न रह गई वह लाश सोनिया और मिसेज मल्होत्रा की थी, माला घबरा गई और मुन्नी का हाथ पकड़ा और सीधा घर आ गई , उसका शरीर ठंडा पड़ गया था उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर हो क्या रहा है और गाड़ी से टक्कर लगने के बावजूद मुन्नी को खरोंच तक नहीं आई और वह दोनों लोग मर गए ,इन्हीं सवालों से लड़ते-लड़ते माला मुन्नी को लेकर चुपचाप लेट गई, उसके पैर कांप रहे थे और दिल घबरा रहा था, वह बहुत देर तक लेटी रही बिना कुछ बोले, मुन्नी को अपने सीने से लगाए, आधी रात के बाद माला को कुछ नींद की झपकी आने लगी तभी मुन्नी ने कहा "मां ओ मां, मेरी गुड़िया पूछ रही है कि तुम इससे दोस्ती करोगी "?

माला सो चुकी थी उसने कोई जवाब नहीं दिया और मुन्नी और वह गुड़िया एक दूसरे को देख कर एक रहस्यमई तरीके से मुस्कुरा रहे थे और अनिल अभी तक लापता था l

धन्यवाद |