Verginity ka Bhoot Utar Gaya books and stories free download online pdf in Hindi

वर्जिनिटी का भूत उतर गया


कहानी - वर्जिनिटी का भूत उतर गया


“ सुमन भाभी , शादी मुबारक हो . “


“ कौन ? सॉरी मैं तुम्हें पहचान न सकी . “


“ मैं गीता बोल रही हूँ , याद आयी वो तूफानी रात …. . “


“ हाँ , हाँ . पर अचानक मेरी याद कैसे आयी ? “


“ आप मेरी जिंदगी में देवदूत बन कर आयीं , आपको भला मैं कैसे भूल सकती हूँ . मैं शेखर की बहन गीता बोल रही हूँ .आप कुछ घंटों में मेरी भाभी बनने जा रहीं हैं . मैं तो अभी राजस्थान में हूँ . नौवां महीना है और कुछ कम्प्लीकेशन भी है इसलिए आ नहीं सकी . सतीश आपका होने वाला ननदोई वहीँ होटल में है . “


कुछ ही घंटों में सुमन की शादी उस होटल में होने वाली थी . देखते देखते चंद घंटों में उसकी शादी भी हो गयी .


सुमन के माता पिता अपनी इकलौती बेटी की शादी कर निश्चिन्त हो देर रात सोने गए . फाइव स्टार होटल में शादी धूम धाम से संपन्न हुई थी .उसी होटल के एक कमरे में उन्हें रात गुजारनी थी , फिर सुबह नौ बजे चेक आउट कर अपने घर वापस जाना था . मात्र छः घंटे के अंदर ही शादी की रस्में पूरी कर सुमन अपनी ससुराल विदा हुई .लगभग सभी मेहमान जा चुके थे . एक दो करीबी रिश्तेदार जो उसी होटल में रुके थे उन्हें भी सुबह उनके साथ ही लौटना था .


सुमन का मायका जिस शहर में था वहां कोई फाइव स्टार होटल नहीं था . लड़के वालों की मांग के मुताबिक शादी उनके शहर के फाइव स्टार होटल में ही करनी थी .यह होटल सुमन के शहर से लगभग तीन घंटे की ड्राइव पर था

.अगली सुबह सुमन के माता पिता अपनी कार से घर के लिए रवाना हुए . वे ख़ुशी से फूले नहीं समा रहे थे , बेटी की शादी शहर के नामी कॉलेज में कार्यरत एक असिस्टेंट प्रोफ़ेसर शेखर से हुई थी . उन्हें रास्ते में एक जगह रुक कर अपने गेस्ट को ड्राप करना था . जब वे घर पहुंचे शाम हो चली थी .


सुमन के पिता नवल बाबू ने डोर बेल बजायी , दरवाजा खुलने पर उनके आश्चर्य की सीमा नहीं रही . दरवाजा सुमन ने खोला था . घर में बूढी बीमार दादी और एक नौकरानी थी .नवल बाबू ने देखा कि सुमन के दो बड़े बक्से भी अभी सामने ही कॉरिडोर में पड़े थे . सुमन ने झुक कर उनका आशीर्वाद लेना चाहा था पर उन्होंने उसे बीच में ही रोक कर कहा “ खुश रह बेटी , पर तुम इतनी जल्दी यहाँ कैसे आ गयी ? “


पीछे से दादी ने कहा “ और बेटी को एम ए तक पढ़ाओ और जूडो कराटे में लाल पीले हरे काले रंग के बेल्ट मिलने पर जश्न मनाओ . और तो और बैडमिंटम का कप जीतने के लिए पूरे राज्य में अकेली घूमती फिरती रही है तुम्हारी लाड़ली बेटी ससुराल से भाग कर आयी है . “


सुमन की माँ सीता देवी ने बेटी को गले लगा कर वही सवाल पूछा “ तुम यहाँ कैसे , क्या मायके की याद इतनी सता रही थी कि एक दिन भी वहां नहीं रहा गया ? और अकेली आयी हो या दामादजी भी आये हैं ? “


“ आप लोग थके होंगे , पहले चल कर आराम करें . मैं अकेली ही आयी हूँ पर चिंता न करें , थोड़ी देर में आराम से बातें करते हैं . “


रात में खाने पीने के बाद सुमन ने माँ से कहा “ मैं तुम्हारे साथ सोऊंगी . पापा को बोलो मेरे कमरे में या गेस्ट रूम में सो जाएँ . आपसे मुझे अपने मन की बातें करनी हैं . “


“ हाँ , क्यों नहीं . तुम चलो मेरे कमरे में . “


सुमन के ससुराल से उसके लिए बार बार फोन आता रहा पर सुमन ने किसी फोन का जवाब नहीं दिया और अपने माता पिता को भी बोल रखा था कि वे बोल दें कि सुमन बात नहीं करना चाहती है .


माँ बेटी दोनों देर रात तक बातें करते करते न जाने कब सो गयीं . सुबह सुमन जब पापा को चाय देने उनके कमरे में गयी तो नवल बाबू ने पूछा “ मम्मी से जी भर कर बातें कर ली न . अब मुझे बताओ इतनी जल्दी तुम वापस कैसे आ गयी ? “


सीता देवी ने बीच में आ कर बात काटते हुए कहा “ आप उसको तंग न करें , कुछ देर में आपको सब बता दूंगी . “

कुछ देर बाद सुमन से हुई बात उन्होंने पति को धीमी आवाज में बता दिया . यह सुन कर वे बोले “ इसमें इतनी बड़ी बात तो नहीं थी कि अचानक ससुराल से भाग कर चली आये . बेटी को इतना तुनकमिज़ाज नहीं होना चाहिए . “

“ वाह , आप भी पढ़े लिखे होकर ऐसी बात कर रहे हैं . आपने तो मुझसे ऐसा नहीं पूछा था सुहाग रात के दिन . आपको याद होगा मुझे गाँव में अपने घर में काफी काम करना पड़ता था - कुँए से पानी भरना , ढ़ेकी से चावल कूटना , उपले बनाना आदि . मेरा हाल भी सुमन जैसा ही था . “


“ फिर भी मेरी समझ में सुमन ने अच्छा नहीं किया है . “


सुमन के कान में बात गयी तो उसने पापा से कहा . “ पापा , आप क्या समझते हैं कि कोई मुझे दुश्चरित्र कहे और मैं उसे मान लूँ . मैंने वही किया है जो किसी स्वाभिमानी लड़की को करना चाहिए था . मुझे इसका कोई अफ़सोस नहीं है और मैं अब वहां लौट कर नहीं जाने वाली हूँ . माफ़ करें अगर आपको बुरा लगा हो . “


“ फिर भी बेटी एक बार फिर से सोच ले . कब तक तू मायके में बैठी रहेगी . “


“ मैं मायके में नहीं बैठी रहूँगी जिंदगी भर . दो चार महीने में कोई न कोई जॉब मिल ही जायेगी फिर मैं यहाँ से भी चली जाऊंगी . “


सीता देवी ने कहा “ कैसी बातें करती है . तुम हमारी एकमात्र संतान हो , यहाँ सब कुछ तुम्हारा ही तो है . “


सुमन के ससुराल वालों ने शुरू के कुछ दिनों में उसे फोन कर बात करनी चाही पर सुमन फोन काट देती . बाद में उन्होंने भी अपना अपमान और अपनी प्रेस्टीज इशू समझ कर फोन करना बंद कर दिया . धीरे धीरे समय मुठ्ठी में बंद रेत की तरह सरकता रहा . तीन महीने बाद सुमन को अपने ही शहर के एक स्कूल में टीचर की नौकरी मिल गयी .


कुछ समय बाद सुमन की माँ ने पूछा “ बेटी क्या तुमने पक्का फैसला कर लिया है ससुराल नहीं जाने का ? “


“ मम्मी , तुम्हें अभी भी शक है ? “


“ नहीं शक तो नहीं पर तुम्हें अपने भविष्य के बारे में कुछ सोचना पड़ेगा न . “


“ हाँ मम्मी . हम सभी इत्मिनान से बैठ कर बात कर के जल्दी ही फैसला ले लेंगें . “


दो महीने बाद ही सुमन ने अपने पति शेखर को तलाक का नोटिस भेजा . इसकी खबर शेखर की बहन गीता को मिली . गीता को पता था कि सुमन शादी के तुरंत बाद मायके आ गयी थी हालांकि उसे इसके कारण का पता नहीं था . वह अचानक सुमन से मिलने पहुंची . उसकी गोद में उसका बच्चा था . सुमन ने गीता का स्वागत किया और उसके बच्चे को अपनी गोद में लेकर उसे प्यार करने लगी .


गीता ने सुमन से उसकी नाराजगी का कारण पूछा . पहले तो वह नहीं बताना चाहती थी पर जब अपने बच्चे की कसम दिला कर पूछा तो वह बोली “ सुहाग रात के दिन शेखर ने मेरे चरित्र पर शक किया जो मेरे लिए असहनीय था . “


“ वो ऐसा कैसे कर सकते हैं ? “


“ मैं सच बोल रही हूँ , शादी के पहले मैं वर्जिन थी . शेखर ने ही मेरा कौमार्य भंग किया फिर उन्होंने सफेद चादर को चारों तरफ से गौर से देख कर कहा - यह तो बिलकुल सफ़ेद बेदाग़ है . फिर उन्होंने पूछा था - क्या तुम सचमुच वर्जिन हो , मुझे लगता है कि इसके पहले भी तुम ....... “


गीता गंभीर हो कर खामोशी से सुनती रही .


सुमन आगे बोली “ मैं उनकी पूरी बात सुने बिना ही बिस्तर से उठ कर सोफे पर सोने आ गयी . मैंने सोचा शायद उन्हें अपने कहे का अफ़सोस होगा और वे मेरे पास आकर सॉरी बोलेंगे . पर वे आराम से देर तक सोते रहे और उनके उठने के पहले ही मैंने ससुराल छोड़ दिया . “


“ भाभी , मैं आजीवन आपका एहसान नहीं भूल सकती हूँ . कैसे भला भूल सकती हूँ आपने अपनी जान जोखिम में डाल कर मेरी इज्जत लुटने से बचाया था . अगर आप एक मिनट देर से भी पहुँचती तो मैं तो लुट चुकी होती . मुझे आपसे कुछ मांगने का हक़ तो नहीं है पर मेरी एक प्रार्थना स्वीकार करें भाभी , प्लीज . “


“ बोलो , अगर मानने लायक हुआ तो जरूर मानूंगी . “


“ आप शेखर भैया को माफ़ कर दें और अपने घर लौट आएं , वही आपका घर है भाभी . भैया अपनी गलती जरूर मानेंगे , मैं आपको आश्वासन देती हूँ . “


“ माफ़ी तो उन्हें उसी रात मांग लेनी चाहिए थी पर उन्होंने ने तो अभी तक कुछ नहीं कहा है . हाँ , शुरू में तुम्हारे पापा का फोन आया था . वे मेरे अचानक चले आने का कारण जानना चाहते थे , मैं उन्हें क्या बोलती . उनका कहना था कि लौट आओ , यहाँ मिल कर बातें करते हैं . “


“ ठीक है बीती बातें भूल जाइये , भैया को मैं समझाऊंगी . “


“ तुम बहन हो कर उनसे ये सब बातें करोगी ? “


“ वो सब आप मुझ पर छोड़ दीजिये , बस हाँ कह दीजिये , मैं उन्हें सब के सामने आपसे माफ़ी मांगने पर मजबूर करुँगी . “


“ जिंदगी भर का रिश्ता मजबूर हो कर नहीं निभाया जा सकता है . “


“ नहीं , मेरा मतलब वह नहीं था . भैया को अपने बर्ताव पर स्वयं दुःख , लज्जा और पश्ताचाप होगा . बस आप एक बार आइये तो सही . “

दो दिन बाद सुमन अपने माता पिता के साथ ससुराल गयी . सुमन के ससुराल के सभी लोग , गीता और उसके पति सभी साथ मिल कर बात करने बैठे .

गीता ने बात की शुरुआत करते हुए कहा “ भैया मैं भाभी की नाराजगी की वजह जानती हूँ . आप का बर्ताव गलत था और भाभी का नाराज होना बिल्कुल जायज है . “


सभी की नजरें गीता पर टिकी थीं . शेखर ने कह “ तुम क्या जानती हो और ऐसा कैसे कह सकती हो ? “


“ तब मैं एक दिन की घटना आपसे बता रही हूँ , आपको उत्तर खुद ब खुद मिल जायेगा . “


सुमन ने सवालिया निगाहों से गीता को घूरा और चुप रहने का इशारा किया पर वह नहीं मानी . वह बोलने लगी

“ एक दिन शाम को मैं कोचिंग क्लास के बाद पैदल ही घर लौट रही थी . उस दिन आसमान में काले बादल छाने से अँधेरा रोज से ज्यादा ही था . अचानक मेरे पास एक वैन आ कर रुका और मुझे खींच कर अंदर कर लिया गया . उसमें ड्राइवर के अलावा तीन और लड़के थे , सभी नकाबपोश . पीछे बैठे तीनों लड़के मेरे साथ छेड़खानी करने लगे . कोई पंद्रह बीस मिनट बाद एक वीरान मैदान में वैन रुका . दो लड़कों ने मुझे पकड़ लिया और तीसरा बस मेरी इज्जत लूटने ही वाला था कि एक लड़की स्कूटर से उतर कर ड्राइवर से बोली “ दरवाजा खोलो , तुमलोग क्या बदतमीजी करने जा रहे हो इस लड़की के साथ . “


“ ओये मैडम , अच्छा है अब तुम भी मिल गयी . दो दो लड़कियां आपस में बाँट लेंगे . “ ड्राइवर सीट वाले लड़के ने इतना कह कर झट वह वैन से नीचे उतरा .फिर पीछे वाले तीनों लड़कों ने अपनी पकड़ ढीली कर कहा - मैडम को भी अंदर ले ले . “


गीता ने आगे कहा “ सुमन ने आवाज दे कर मुझे कहा - ऐ लड़की अपनी आँखें बंद रखना , जब मैं बोलूं तभी खोलना . पर चीख सुन कर मैंने आँखें खोलीं और देखा कि ड्राइवर पहले तो आँखे मल कर चिल्ला रहा था फिर बेहोश हो गया . तीनों लड़के मुझे छोड़ कर बाहर निकलने वाले थे . तभी सुमन भाभी ने मुझे फिर आँखें बंद रखने को कहा . फिर तीनों की चीखें सुन कर मैंने आँखें खोलीं . शायद भाभी ने पेपर गन स्प्रे किया था और उनके हाथ में एक औजार था जिससे दो लड़कों को छुआ और दोनों बेहोश हो गए . तीसरा आँखें मल कर रो रहा था . फिर भाभी ने मुझे जल्दी से कपड़े ठीक से पहनने को कहा . हम दोनों ने मिल कर वैन के चारों चक्कों की हवा हेयरपिन से निकाल दी .


रास्ते में मैंने भाभी से पूछा कि आपके स्पर्श मात्र से लड़के बेहोश कैसे हो जाते हैं . तब भाभी ने एक डिवाइस दिखा कर कहा “ मेरे कजन ने अमेरिका से मुझे ला कर इसे दिया था और कहा था कि कम से कम अकेले में इसे साथ रखा करूँ . देखने में यह एक छोटे टॉर्च की तरह है पर इसे स्टन गन कहते हैं . इसमें बैट्री होती है पर गन में दो छोटे मेटल पिन होते हैं और गन ऑन करने पर इनमें 30 हजार वोल्ट का स्पार्क होता है जिसे लड़कों के कपड़ों से मैंने मात्र टच भर किया . लड़के करीब 30 मिनट तक बेहोश रहेंगे और तब तक हम सुरक्षित जगह पहुँच जायेंगे . मगर तुम इस गन की चर्चा और किसी से नहीं करना . “


सुमन के पिता ने कहा “ मुझे तो सुमन ने कुछ नहीं कहा इस घटना के बारे में . “

सुमन की माँ बोली “ हाँ , इसने बस इतना कहा था कि बदमाश लड़कों को सबक सिखा कर आ रही हूँ . मैंने मना भी किया था कि बदमाशों से पंगा नहीं लेना चाहिए . “

गीता ने फिर कहना शुरू किया “ उस दिन तक भाभी से मेरा कोई रिश्ता नहीं था . ये फरिश्ता बन कर मेरी जिंदगी में आयीं और अपनी जान जोखिम में डाल कर इन्होने मुझे बचाया . इनके आने में मात्र एक दो मिनट देर होती तो भैया आपके बहन की वर्जिनिटी की बात छोड़िये उसका गैंग रेप हो गया होता . मैंने अपने पति सतीश को यह बात पहले ही दिन बता दिया था . इत्तफाक से शादी के दस महीने से पहले ही मैं माँ बन गयी . सतीश ने मेरी वर्जिनिटी पर कोई शक नहीं किया भैया . और आपको पता है कि भाभी खेलकूद में अपने स्टेट को रिप्रेजेंट करती थीं जिसका असर लड़की के कोमल अंगो पर पड़ता है . फिर शादी के पहले आपकी वर्जिनिटी की क्या गारंटी थी ? यही सवाल अगर पलट कर भाभी ने आपसे पूछा होता तब आप क्या करते ? “


बड़े भाई के प्रति गीता के आक्रामक तेवर देख पूरी महफ़िल में ख़ामोशी छायी थी . सतीश ने ख़ामोशी तोड़ते हुए कहा “ साले बाबू बात कुछ समझ में आयी ? अब तक तो वर्जिनिटी का भूत आपके सर से उतर गया होगा न . “


शेखर शर्म से सर झुकाये था . गीता ने कहा “ अब आगे की कारवाई आपकी जिम्मेदारी है . “


शेखर ने हिम्मत कर सुमन की ओर देखा और कहा “ मैं अपने बर्ताव पर बहुत शर्मिंदा हूँ . गलती तो हुई है मुझसे पर अब प्लीज मुझे माफ़ कर दो . यही तुम्हारा घर है सुमन , अपने घर वापस लौट आओ . “


“ मैं तो वापस आ चुकी हूँ . “ सुमन ने कहा


सभी जोर से देर तक तालियां बजाते रहे और फिर एक दूसरे का मुंह मीठा करा रहे थे . .


समाप्त

यह कहानी पूर्णतः काल्पनिक है और इसके किसी पात्र , घटना या स्थान का किसी और से कोई संबंध नहीं है .

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