dastan mugal mahilaon ki books and stories free download online pdf in Hindi

दास्तान मुग़ल महिलाओं की व् दास्तान मुग़ल बादशाहों की

पिछले दिनों दास्तान मुग़ल महिलाओं की व् दास्तान मुग़ल बादशाहों की लेखक हेरम्ब चतुर्वेदी पढ़ी गयी.इन दोनों पुस्तकों को इतिहास से लबरेज़ बताया गया .चतुर्वेदी इतिहास के प्रोफेसर है व् मुग़ल कल के विशेषग्य भी है इसी को सोच कर ये पुस्तकें खरीदी व् पढ़ी .

वास्तव में मुग़ल कालीन इतिहास को लिखना और समझना इतना आसन नहीं है.इस पर लम्बी व् मोटी किताबें है .

मुग़ल महिलाओं की पुस्तक में चंगेज खान की पुत्र वधु ,बाबर की नानी ,अकबर की माँ हर्र्म बेगम अनारकली पर अलग अलग लिखा गया है जो आधा अधुरा है अनारकली व् बाबर की प्रेमिकाओं पर अलग से बहुत कुछ मिलता है.लेखक ने मुग़ल हरम का राज काज में दखल व् एक समनान्तर इतिहास लिखने की कोशिश की है ,मुगलों के हरम हो या राजाओं की जणांनी ड्योढ़ी या रनिवास सब के अन्दर सत्ता के लिए षड्यंत्र हमेशा से ही रहे हैं कैकेयी का उदाहरण सबसे पुराना है, चतुर्वेदी को और गहरे जाकर लेखन करना चाहिए था . बाबर की नानी को लेकर काफी लिखा गया है.वे एक योग्य शासक थीं ,और मुग़ल साम्राज्य की स्थापना में काफी योगदान उनका था.बाबर को भारत की और भेजने का काम भी उन्होंने ही किया था.

अनारक कली को पहेली की तरह ही बताया है इतिहास की तरफ से ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है.

हेरम्ब चतुर्वेदी की दूसरी पुस्तक -मुग़ल बादशाहों पर है जो और भी कमज़ोर है . इस में बाबर के वैवाहिक जीवन पर लिखा गया है. इस पर पहली पुस्तक में भी लिखा गया है.हुमायूँ सियासत में खानजादा बेगम का वर्णन है.शहजादा सलीम भी है ,शाहजहाँ की सियासत का मज़ा भी है . सलीम और शेख चिश्ती पर भी लिखा गया है.दोनों पुस्तकों में दोहराव भी है.

पहली पुस्तक २०१३ में छपी और उसकी सफलता से दूसरी .पहली १४८ पन्नों की व् दूसरी १८२ पन्नों की इतने कम पन्नों में मुग़ल सल्तनत का इतिहास समेटने की एक असफल कोशिश की गयी है.जो प्रमाण दिए गए हैं वे भी विवाद के विषय हो सकते हैं,इन पुस्तको को किस्से कहानी माना जाना चाहिए .इतिहास नहीं .कागज की क्वालिटी कमज़ोर है व् पेपर बेक के हिसाब से कीमत ज्यादा है .प्रकाशकों को कीमत व् शिपिंग को कम करने के प्रयास करने चाहिए ताकि ज्यादा पाठकों तक पहुंचा जा सके . #######################################################

पिछले दिनों ही तीन सो रामायण भी पढ़ी.

रामायण पर ढेरों सामग्री है सेकड़ों लोगों ने पीएचडी की है हजारों वर्षों से इसे पढ़ा जा रहा है और हजारों सैलून तक इसे पढ़ा जाता रहेगा .इसी विषय पर पिछले दिनों एक लघु पुस्तिका पढ़ी.

यह पुस्तक मुश्किल से ८० पन्नों की है जो रामानुजन का एक शोध आलेख है जो किसी विदेशी पत्रिका में छपा . अनुवाद धवल जायसवाल का है व् पेज भरने के लिए अपूर्वानंद की एक टीप जोड़ दी गयी ताकि पुस्तक बन जाय.पुस्तक में ज्यादा ध्यान कम्बन रामायण का रखा गया है जैन रामायण का भी जिक्र है.अहल्या प्रकरण अच्छा लिखा है .पुस्तक शोधोपयोगी है . ८० पेज की पुस्तक की कीमत १२५ रु शिपिंग अलग .

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यशवंत कोठारी ,८६,लक्ष्मी नगर ब्रह्मपुरी बहार जयपुर-३०२००२ मो-९४१४४६१२०७