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तीन देवियां

कहानी - तीन देवियां

हम तीन लड़कियां थीं . तीनों कोलकाता में एक अपार्टमेंट शेयर करती थीं . दरअसल तीनों में सबसे अंत में मैं कोलकाता पहुंची थी . तीनों वहां साल्ट लेक सिटी की आईटी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थीं . शुरू के कुछ महीने मैं पीजी में रही . मैं वहां पाबंदियों से बोर हो गयी थी . तभी इंटरनेट पर मैंने अपार्टमेंट अवेलेबल फॉर शेयरिंग का विज्ञापन देखा . 3 BHK अपार्टमेंट में एक रूम खाली था . दो लड़कियां पहले से उसमें रह रही थीं और उन्हें तीसरे रूम के लिए एक बैचलर लड़की की तलाश थी क्योंकि वे दोनों भी अविवाहित थीं . मैंने तुरंत उन्हें मैसेज भेजा कि शाम को ऑफिस से लौटते समय उनसे मिलने आ रही हूँ .


मैं उसी शाम अपार्टमेंट देखने गयी . अपार्टमेंट बहुत अच्छा था , गेटेड कॉम्प्लेक्स सिक्यूरिटी और स्विमिंग पूल के साथ . वहां की दोनों लड़कियां मुझसे एक साल सीनियर थीं और अलग अलग कंपनी में काम करती थीं यानि हम तीनों अलग अलग कंपनी में काम करती थीं .अलका पुणे महाराष्ट्र से थी और सिमरन दिल्ली से . अलका ने मेरा और मेरे प्रान्त का नाम पूछा तो मैंने कहा ΅ मैं श्रेया फ्रॉम बोकारो , झारखंड . “


मुझे लगा कि झारखंड का नाम सुनकर दोनों ने नाक भौं सिकोड़ लिये थे . सिमरन मुझसे बोली “ खैर , कोई बात नहीं . हमने दो महीने का एडवांस डिपाजिट दिया है . अब उसे तीन हिस्सों में बांटो और अपना शेयर कैश में दे दो . “


मैंने पर्स से रूपये निकाल कर उसे दिया . उसने कहा “अब तुम जब चाहो यहां मूव कर सकती हो . “


मैं वीकेंड में अपार्टमेंट में आ गयी . ड्राइंग रूम और किचेन कॉमन था . सुबह का नाश्ता सब अपनी अपनी पसंद का करते थे . लंच ऑफिस कैंटीन में और डिनर कभी मिल कर घर पर बनाते तो कभी बाहर होटल में . वीकेंड में भी अक्सर ऐसा ही होता था . हां , सिमरन सारे खर्च अपने कंप्यूटर में नोट कर लेती और महीने के अंत में टोटल कर उसे तीन हिस्सों में बांट कर हम तीनों शेयर कर लेते थे . हम तीनों अपनी अपनी स्कूटी के तेल आदि का खर्च अलग से करतीं .

मुझे अपार्टमेंट में आ कर बहुत अच्छा लग रहा था . मुझे लगा कि अलका और सिमरन दोनों मुझसे कहीं ज्यादा स्मार्ट थीं .उनकी तुलना में देखने में मैं साधारण थी और उनके जैसा फैशनेबल भी नहीं थी . सिमरन सबसे ज्यादा तेज तर्रार थी और बाकी दोनों पर भारी पड़ती थी . उन दोनों के बॉयफ्रेंड्स थे जो वीकेंड में उनसे मिलने अक्सर अपार्टमेंट में आते थे . जब वे अपार्टमेंट में आते , मैं बहुत असहज महसूस करती . दोनों अपने अपने बी एफ के साथ कमरे में बंद हो जातीं . मैं अकेली ड्राइंग रूम में बैठी कभी टीवी देखती या मैगज़ीन पढ़ती या कभी नीचे अपार्टमेंट के लॉन में जा बैठती या कभी स्विमिंग पूल की कुर्सी पर बैठ लोगों को तैरते देखती . हम तीनों में किसी को तैरना नहीं आता था .


एक दिन सिमरन ने कहा “ यार तुम भी क्या बोरिंग चीज हो . एक साल से कोलकाता की आईटी जॉब में हो और अभी तक कोई मुर्गा नहीं फंसाया , यानी बॉयफ्रेंड यार . यही तो दिन हैं मौज मस्ती के . “


मैं उसे आश्चर्य से देख रही थी तभी अलका ने उसकी बात के समर्थन में कहा “ हां , सिमरन सही कह रही है . “


मैंने भी हिम्मत कर कहा “ बी एफ नहीं है तो हो जायेगा , वह भी जल्द ही . “ मैं बोल तो गयी पर अभी तक मेरा न कोई बॉयफ्रेंड था न मैंने सोचा था इस बारे में . हां , ऑफिस में फ्रेंड्स जरूर थे जिनमें लड़के और लड़कियां दोनों थीं . लड़कों के साथ हमारी दोस्ती ऑफिस तक या ऑफिस कैंटीन तक थी . कभी किसी लड़के के साथ अकेली बाहर नहीं गयी , कभी गयी तो लड़कियों के साथ ग्रुप में .


मैंने देखा कि सिमरन अपनी कंपनी के सीनियर कलीग राजन के साथ जरूरत से ज्यादा फ्री थी . राजन तमिल नाडु का रहने वाला था . वह हमारे सामने उसके हाथों को चूमता , गालों को थपथपाता या कभी पीठ या जाँघों पर भी . एक बार जब सिर्फ मैं और सिमरन घर पर थीं राजन और सिमरन देर रात तक कमरे में बंद रहे थे . मैं अपार्टमेंट के क्लब में मूवी देखने चली गयी . वापस आने पर भी वे कमरे में ही थे . मैं डिनर खत्म कर अपने रूम में सोने चली गयी . मेरा कमरा सिमरन के कमरे से सटा था . उसके कमरे से सिमरन की कभी हंसी और कभी चीखने की धीमी धीमी आवाज मेरे कानों में आ रही थी . सुबह नींद खुली तो बालकनी से देखा राजन कार में बैठ कर जा रहा था और सिमरन उसे विदा कर लिफ्ट की ओर जा रही थी . उसी समय अलका भी ऑटो से उतर रही थी , मतलब वह भी रात भर गायब थी .


ऊपर आने पर सिमरन ने उससे पूछा “ कैसी रही रात ? कमल के साथ डेट पर गयी थी ? “


“ मेरी कोई डेट वेट नहीं थी किसी के साथ . मैं कमल की बहन के एनिवर्सरी में हावड़ा गयी थी , रात देर हो जाने से वहीँ रुक गयी . और तू बता , तुमने तो रात भर मजे किये न ? . मैंने राजन को अभी अभी गेट से निकलते देखा है . “


सिमरन मेरी ओर देखने लगी थी , मुझे लगा उसकी निगाहें मुझसे पूछ रही हों कि कहीं मैंने रात वाली बात अलका को बतायी हो . खैर यह बात यहीं आई गयी हो गयी , इसके बाद इस बारे में कोई बात नहीं हुई .

दो महीने बाद सिमरन की तबीयत बिगड़ने लगी , उसे रह रह कर मिचली आती और खट्टा खाने का जी करता था . मैंने अपनी भाभी को ऐसा देखा था जब वे उम्मीद से थीं . अलका ने भी मेरे कान में कहा था कि लगता है दाल में कुछ काला है .


एक महीने बाद मुझे एक सप्ताह के लिए अपने घर बोकारो जाना था . मैंने शाम की बस पकड़ी जो सुबह करीब 5 बजे बोकारो पहुंचती थी . सर्दी का मौसम था अभी उजाला भी नहीं हो पाया था . मैं सेक्टर 1 बस स्टॉप पर उतरी . अभी मेरे घर के लिए कोई ऑटो नहीं मिल रहा था सो मैं टी स्टॉल पर गयी .


यह एक मामूली चाय की दुकान थी , यहाँ सिर्फ चाय और सस्ती बिस्किट मिलती है . . सुबह 5 बजे के पहले ही इसकी कोयले की भठ्ठी से धुआं निकलते देख लोग अपनी घड़ी मिला सकते थे , हमारे शहर में मुर्गा तो है नहीं कि बांग दे . चाय की बड़ी पतीली चढ़ी नहीं कि पीने वालों की लाइन लग जाती है क्योंकि यहाँ की चाय का जायका सबसे अलग है . बस से उतरे सवारियों , मॉर्निंग वॉकर्स , न्यूजपेपर वेंडर्स , सड़क सफाई कर्मचारी , खटाल या बूथ से दूध लेने वालों , डोमेस्टिक हेल्पर्स यानि हर तरह के लोगों की भीड़ यहाँ जमा हो जाती है . आपको पॉलिटिक्स से लेकर शहर और देश के न्यूज़ सुनने को मिलेंगे , कभी तो टूमौरोज न्यूज़ टुडे यहीं सुनने को मिल सकता है . यहीं पर मुझे अचानक सिमरन का न्यूज़ कोलकाता के पेपर में पढ़ने को मिला . मैं तो सुबह में अपना बैग लेकर ऑफिस गयी थी और वहीँ से सीधे कोलकाता बस स्टैंड .


चाय दुकान पर लोग इसी पर बातें कर रहे थे “ देखो , कितनी अच्छी और स्मार्ट लड़की और सुसाइड करने जा रही थी वो भी ठंड में स्विमिंग पूल में , पर लोगों ने बचा लिया . “


मैं चाय पी कर ऑटो पकड़ अपने घर पहुंची . दो घंटे बाद फ्रेश होने पर मैंने अलका को फोन किया . उसने कहा “ हां यार , सिमरन के साथ बहुत बुरा हुआ , वह प्रेग्नेंट थी . राजन उसके साथ फ़्लर्ट कर रहा था , वह पहले से ही मैरेड था . मैंने भी बहुत समझाया कि परेशान न हो , ज्यादा से ज्यादा एबॉर्शन कराना होगा . सब मैनेज हो जायेगा . उसने कभी सुसाइड की बात नहीं की थी . अचानक कल रात स्विमिंग पूल में कूद गयी . वो तो अच्छा हुआ वाचमैन ने देख लिया था . उसने सिमरन को पूल की गहराई के बचा कर निकाला . फिर उसके पेट से पानी निकाला तब कहीं जा कर उसकी जान बची . “


मैंने पूछा “ अच्छा हुआ बच गयी , अब ठीक है न ? “


“ ठीक है , सोसाइटी मैनेजर तो पुलिस केस करने जा रहा था . बहुत मुश्किल से हमलोगों ने उसे मनाया . थोड़ी देर में उसे लेकर डॉक्टर के यहाँ जा रही हूं . “


“ ठीक है , मैं शाम को बात करती हूं तब बताना डॉक्टर ने क्या कहा . “


मैंने शाम को अलका से बात की . उसने कहा “ समझो तो अच्छा ही हुआ . डॉक्टर बोली कि बच्चा तो अब रहा नहीं , और देर होने से सिमरन की जान को भी खतरा हो सकता था . कल सिमरन क्लिनिक से वापस आएगी . “

मुझे भी जान कर संतोष हुआ कि सिमरन की जान बच गयी और अबॉर्शन से एक तरह से उसकी इज्जत भी बच गयी . मैं एक सप्ताह बाद कोलकाता लौटी . सिमरन अभी तक छुट्टी में थी और अभी भी सदमे से उबर नहीं सकी थी . राजन को कंपनी ने नौकरी से निकाल दिया था .


सिमरन ने दो सप्ताह के बाद नौकरी ज्वाइन की . सिमरन अब घर से ऑफिस और ऑफिस से घर तक सिमट कर रह गयी थी , अगर बाहर जाना होता तो हम लोगों के साथ जाती . अलका का बॉयफ्रेंड आता तो घर में उसका व्यवहार मर्यादित दायरे के अंदर होता था .


लगभग छः महीने तक सब ठीक चल रहा था . अचानक एक दिन सिमरन ने कहा “ मैंने आज कंपनी को 15 दिनों की नोटिस दे दी है . मुझे नॉएडा की एक कंपनी से ऑफर मिल गया है . तुमलोग 15 दिन के बाद रूम शेयर करने के लिए नेट पर ऐड दे सकती हो . “


मैंने पूछा “ क्या वहां सैलरी ज्यादा मिल रही है ? “


“ नहीं , बात सैलरी की नहीं है . मेरा जी अब यहाँ रहना नहीं चाहता है . किसी तरह ये छः महीने मैंने काटे हैं . फिर वहां घर के पास रहूंगी . “


दो सप्ताह बाद फ्लैट में सिर्फ मैं और अलका रह गयी थीं . हमने फैसला लिया कि अब कोई तीसरी लड़की शेयर करने के लिए नहीं रखेंगे . वह स्पेयर रूम हमारा होमऑफिस कम गेस्ट रूम होगा हालांकि दोनों में किसी के गेस्ट आने की उम्मीद नहीं थी . दोनों के एक बड़े अनमैरेड भाई थे जो विदेश में नौकरी कर रहे थे , मां स्वर्ग में थीं और दोनों के पिता गाँव में पुश्तैनी सम्पत्ति की चौकीदारी कर रहे थे .


एक शाम अलका का बॉयफ्रेंड कमल आया और उसने अलका को अपने रूम में आने को कहा क्योंकि उसे कुछ प्राइवेट बातें करनी थी . दोनों ने कमरे में जा कर दरवाजा भिड़का दिया . कुछ देर बाद दोनों की तेज आवजें आने लगीं , उनमें किसी विषय पर बहस चल रही थी . एक घंटे बाद कमल जब बाहर आया तो उसका चेहरा तमतमाया था .मेरी अनदेखी करते हुए वह चला गया . कुछ मिनटों के बाद अलका भी अपने रूम से निकली . वह काफी गंभीर दिख रही थी . मैंने पूछा “ सब ठीक तो है तुम दोनों के बीच ? “


“ खाक ठीक है , आज फाइनली हमारा ब्रेकअप हो गया . “


“ क्यों ? अचानक ऐसा क्या हुआ ? “


“ अचानक नहीं था , मैं तो एक्सपेक्ट कर रही थी . कुछ दिनों से कमल लिव इन के लिए दबाव दे रहा था .उसका कहना था एक दो साल साथ रहने के बाद हम सोचेंगे कि शादी किया जाए या नहीं . मुझे यह कतई मंजूर नहीं था .”


“ तुम कहो तो मैं उससे बात करूं ? “


“ क्या बात करोगी ? मेरे भाई ने कहा था कि अगर कमल मुझे पसंद है तो शादी के लिए वे और पापा तैयार हैं . पर कमल ने साफ़ मना कर दिया है . दो साल मौज मस्ती कर कहीं बाद में उसका इरादा बदल गया तब क्या होगा ? सिमरन का क्या हाल हुआ , हमने देखा है न . अगर कमल पसंद नहीं है तो भैया ने मेरे लिए मैट्रीमोनिअल इश्तेहार देने के लिए मुझसे पूछा था . पर मैंने फ़िलहाल उन्हें मना कर दिया है . “


मैं और अलका अच्छे से रह रहे थे .दोनों अब पहले से कहीं ज्यादा फ्री और फ्रैंक हो गए थे . हम दोनों ने एक दूसरे की शादी के लिए यानि मैंने अलका के लिए और अलका ने मेरे लिए , इंटरनेट पर इश्तेहार देने की सोची . यह सिर्फ मजाक के लिए था . मुख्य शर्तें थीं कि वार्षिक सैलरी 10 लाख हो , एडजस्टेबल नेचर की सास हो और एन आर आई को प्राथमिकता दी जाएगी . नाम , पता गुप्त रख कर ऐड दिया और जबाब पोस्ट बॉक्स नंबर पर माँगा गया .


हमारे मैट्रिमोनिअल के जबाब आने लगे . देश विदेश से अलग अलग जाति और धर्म के लड़कों के फोटो और बायो डाटा आते . जैसे जैसे लिफ़ाफ़े आते मैं एक एक कर के उन्हें खोलती लड़कों के फोटो और डिटेल्स पहले मैं देखती फिर अलका को देती . दोनों बीच बीच में उनपर मजाकिया टिप्पणी भी करती .मेरे लिए आये लिफाफों पर अलका भी वैसा ही करती . एक दिन एक लिफाफा देख कर मैंने अलका को देने से मना कर दिया . अलका के कारण पूछने पर मैंने कहा “ यह एक अनपढ़ रईस नीग्रो का है , तेरे लायक नहीं है . “


कुछ दिनों के बाद अलका ने भी एक लिफाफा खोल कर देखा पर मुझे देने से इंकार कर दिया था . वजह पूछने पर बोली “ यह एक हाई स्कूल पास साउथ इंडियन बिजनेसमैन का है , इसे मैं ही रिजेक्ट कर रही हूँ .


लड़कों ने भी हमारे डिटेल्स और फोटो की मांग की थी . तीन महीनों तक लिफाफे आते रहे और हम वैसा ही करते रहे . इसके बाद लिफाफे आने बंद हो गए . ज्यादातर लिफाफों और उनके साथ आये डिटेल्स को हमने नष्ट कर दिया था . हम दोनों में कोई भी अभी शादी के लिए सीरियस नहीं था . फिलहाल बात आयी गयी हो गयी .

कुछ दिनों के बाद मैंने जो लिफाफा अलका को नहीं दिया था , चुपचाप जा कर उसकी मेज पर रख दिया .


लिफाफा देखने के बाद उसने पूछा “ यह कब आया ? “


“ यह वही नीग्रो वाला लिफाफा है . “


“ नहीं , देखने से रंग थोड़ा सांवला लगता है पर अदरवाईज बड़ा हैंडसम बंदा है , बायोडाटा भी इम्प्रेससिव है . “


“ तुझे पसंद है ? “


“ क्यों नहीं , इसे कोई भी लड़की पसंद करेगी . पर ये लड़का तुम्हारे प्रान्त का है . तुम चाहो तो इसके बारे में सोच सकती हो . “


“ हां , इसके बारे में मैं रोज ही सोचती हूं और हर साल इसे राखी बांधती या भेजती हूँ . यह मेरा अपना भाई श्रेयस है . “


“ फिर तुमने लिफाफा उसी दिन क्यों नहीं दिया ? “


“ मैंने सोचा झारखंड का है , तुम्हें पसंद आये या नहीं . वैसे भी मुंबई वाले मुंबई से हमलोगों को मारपीट कर भगा रहे हैं . “


“ अरे यार , दोस्ती और रिश्ते में पॉलिटिक्स न लाओ . “


“ तब इस से तुम्हारा रिश्ता पक्का हो गया क्या ? “


“ मेरा मतलब यह नहीं था . पर इस पर सोचा जा सकता है . पापा से बात करूंगी . इतना नजदीक से जाना पहचाना लड़का मिलना आसान भी नहीं है . “ बोल कर हंसते हुए अलका मेरे गले से लिपट पड़ी .


अगले दिन मेरे टेबल पर भी एक लिफाफा पड़ा था . मैंने अलका से पूछा तो वह बोली “ यह वही लिफाफा था जिसे शुरू में मैंने तुम्हें नहीं दिया था . “


“ इसे तुमने क्यों छिपाया था ? “


“ क्योंकि यह मेरा कजन रितेश है . कॉलेज के दिनों में बड़ा रंगीन मिजाज का था , मैं इसे फ़्लर्टबाज समझती थी पर ऐसा कुछ नहीं था . मैंने पापा और अंकल से बात की तो पता चला वह बहुत ही शरीफ लड़का है . कॉलेज में लड़का या लड़की किसी से फटाफट दोस्ती करने में माहिर था पर अंदर से साफ़ दिल का है . भरोसा करने लायक है . तब तुम्हारा क्या इरादा है ? “


“ इरादा तो नेक है , पापा और भैया से बात करती हूँ . “


इस घटना के बाद हम दोनों की जिंदगी फ़ास्ट फॉरवर्ड रफ्तार से चलने लगी थी . एक साल के अंदर मेरी शादी अलका के कजन रितेश से और अलका की शादी मेरे भाई श्रेयस से हो गयी . दोनों की शादी जानबूझ कर एक ही दिन रखी गयी ताकि अमेरिका से उन्हें बार बार आना न पड़े . हमारी शादी में सिमरन भी अपने पति सुरिंदर के साथ आयी थी . उसके पति की अमेरिका में सॉफ्टवेयर की स्टार्ट अप कंपनी थी यानि अब शादी के बाद तीनों देवियां फिर जल्द ही एक साथ अमेरिका में होंगीं . मैं और अलका दोनों कैलिफ़ोर्निया के लॉस एंजेलेस पहुंचे और सिमरन एरिज़ोना प्रान्त के फीनिक्स शहर में . हमारी हवाई दूरी एक घंटे से भी कम थी और सड़क के रास्ते करीब 5 घंटे .


हम तीनों सखियां आपस में महीने दो महीने के अंदर एक साथ मिलती थीं , कभी अपने अपने पति के साथ और कभी अपने बच्चों के साथ या कभी सिर्फ हम तीनों होतीं . हम तीनों को एक एक बेटे थे , सबसे बड़ा सिमरन का बेटा कपिल , उसके बाद स्वयं मेरा बेटा विनोद और सबसे छोटा अलका का बेटा आलोक . तीनों बच्चों में बस

दो तीन साल का अंतर था . हम इतने घुलमिल गए थे कि एक ही परिवार के सदस्य जैसे थे और कभी अहसास नहीं हुआ कि हम सात समंदर पार अमेरिका में हैं . हमारे दिन मजे में कट रहे थे .


पर अच्छे या बुरे दिन सदा नहीं रहते . अमेरिका में 2001 का डॉटकॉम बब्बल क्रैश हुआ और फिर दोनों वर्ल्ड टावर्स पर आतंकी हमला , तब मंदी का दौर आया . सबसे पहले सिमरन के पति सुरिंदर की स्टार्टअप डूब गयी . उसके ऊपर बहुत कर्ज था . उसने अपना घर और एक कार बेच दिया . फिर भी निजी खर्चों के लिए कुछ मदद मैंने और अलका ने की . पर इतने से सिमरन का अमेरिका में रहना मुश्किल था . वह सपरिवार इंडिया लौट आयी .


इधर मेरी और अलका की कंपनी भी मंदी के चलते खस्ते हालत में थी . हम दोनों के भी जॉब जाते रहे . एक साल तक किसी तरह एक आदमी की सैलरी से घर चल रहा था . 2003 में मैं और अलका दोनों अपने अपने बेटे के साथ इंडिया आ गए . मैं रांची आयी और अलका पुणे . करीब दो साल तक रांची में बेकार बैठने के बाद अलका की मदद से मुझे भी पुणे में जॉब मिल गया . मैं बेटे के साथ पुणे शिफ्ट कर गयी .


सिमरन उन दिनों मोहाली में थी . उसके पति ने यहाँ भी कर्ज ले कर अपनी कंपनी खोली थी पर वह भी फ्लॉप हो गयी . सिमरन के बुरे दिन चल रहे थे . उसके पति ने सुसाइड कर लिया था . मैं और अलका उससे मिलने गयी . सिमरन को मोहाली की एक आईटी कंपनी में जब मिल गयी थी . वह बेटे के साथ रहने लगी और हालात से समझौता कर जीना सीख लिया था .


पुणे में मैं और अलका अपने बच्चों के साथ ठीक से रह रही थीं . फिर एक बार 2007 में अमेरिका में बुरी तरह मंदी के दिन थे . हम दोनों के पति को अमेरिका छोड़ कर इंडिया आना पड़ा . कुछ महीनों के बाद दोनों को भी पुणे में जॉब मिल गया . अब हमारी गृहस्थी पुणे में पटरी पर आ गयी थी . हम दोनों परिवार फिर से इकठ्ठे हो गए . पर सिमरन की कमी खलती थी . उससे अब सम्पर्क भी बहुत कम रह गया था . एक बार फिर लाइफ खुशहाल और फ़ास्ट फॉरवर्ड स्पीड से चलने लगी थी .


इस बीच करीब 20 वर्ष बीत गए . पिछले एक साल के अंदर मेरे और अलका दोनों के पति न रहे . आज मेरा बेटा विनोद अमेरिका जा रहा था . उसने कहा कि एक साल के अंदर मुझे भी अमेरिका बुला लेगा . मैं वहां गयी भी पर मन नहीं लगने के कारण दो महीने में वापस अपने देश आ गयी . यहाँ आने के एक साल के अंदर मेरी तबियत अचानक बिगड़ी , सीने में रह रह कर दर्द होता था . एंजिओग्राफी से पता चला ब्लॉकेज था . खैर स्टेंट लगने पर कुछ दिनों में नार्मल हो गयी . मेरा बेटा आया और वह मुझे अपने साथ अमेरिका ले जाना चाहता था . मुझे अब अमेरिका जाने का मन नहीं था . बेटे ने काफी बड़ी रकम डिपोजिट दे कर सीनियर होम में मेरे लिए एक डीलक्स रूम बुक कर दिया .


मैं सीनियर होम के A ब्लॉक में आ गयी थी . यहाँ सभी प्रकार की सुविधा थी , रहने , खाने पीने , मनोरंजन और मेडिकल आदि की पर्याप्त सुविधा थी . यहाँ आसपास के कमरों में बुजुर्ग थे कोई सिंगल तो कोई कपल . आने के तीन चार दिनों के बाद मैं घूमते घामते B ब्लॉक में गयी . वहां दूर से बरामदे में एक जाने पहचाने

चेहरे को बैठे देखा . नजदीक गयी तो देखा वह सिमरन थी . बड़ी गर्मजोशी से उसके गले से लिपट गयी . दोनों की आँखों से आंसू निकल रहे थे . कुछ सहज होने पर वह बोली “ चलो , रूम में बैठ कर इत्मिनान से बातें करते हैं . “


सिमरन एक वाकिंग स्टिक के सहारे उठ कर कमरे में गयी और उसके पीछे मैं . मैंने पूछा “ तुमसे बहुत दिनों से सम्पर्क नहीं रहा था . तुम्हार पुराना फोन नंबर काम नहीं करता था . तुम यहाँ कब और कैसे आयी ? “


“ सुरिंदर के जाने के बाद मैं बेटे कपिल की परवरिश और पढ़ाई लिखाई में उलझी रही . कपिल दो साल से इंग्लैंड में है . एक साल हुआ मुझे पार्शियल पैरलिसिस हुआ , मैं जल्द ही रिकवर कर चलने फिरने लायक हो गयी . कपिल तो इंग्लैंड ले जाना चाहता था . एक तो वहां मेरा मन भी नहीं लगता दूसरे वहां की ठंढक और कपिल भी मुझे ले कर परेशान होता . इसलिए मैंने खुद सीनियर होम आने का फैसला किया . लंदन ज्यादा दूर भी नहीं है , कपिल तीन चार महीने में आकर मिल लेता है . “


अलका भी अक्सर हम दोनों से फोन पर बात किया करती थी . मैं अब रोज सिमरन से मिलती , खाना पीना साथ होता और फिर दोनों देर तक बातें करतीं . दोनों के बेटे भी खुश कि हम एक से दो भले . इसी तरह साल भर भी नहीं बीता था कि अचानक एक दिन अलका हमारे यहाँ आ धमकी . अलका अपने बेटे आलोक के साथ आयी थी . पहले तो वह हम दोनों से गले मिली फिर बोली “ देख रही हूँ तुम दोनों की तो मस्ती से कट रही है . “


सिमरन बोली “ वो तो है , तू कैसे आयी है , बता ? “


“ अरे पुरानी सखियों से मिलने को जी चाहा , सो चली आयी . “


अलका ने मेंरे साथ चल कर पूरे सीनियर होम का निरीक्षण किया , तब बोली “ जगह तो अच्छी है . पहाड़ी , झील और हरियाली के बीच बसा तुमलोगों का होम काफी अच्छा लगा , ऊपर से सभी सुविधाएं , सफाई और मेंटेनेन्स .”


“ मम्मा , अब मुद्दे पर आओ . “ आलोक ने कहा


मैंने पूछा “ इसमें मुद्दा क्या है ? “


आलोक ने कहा “ ऑन्टी , मम्मा भी आपलोग के साथ रहना चाहती है . वह भी आपकी तरह अपने बेटे के साथ विदेश जाने को तैयार नहीं है . समझाइये न मम्मा को . “


अलका बोली “ मैंने सब सोच समझ कर यह फैसला लिया है . अब किसी के समझाने की कोई गुंजाइश नहीं है . तुम भी मुझे प्रेस न करो फॉरेन जाने के लिए . “

इस बार सिमरन बोली “ अलका अमेरिका नहीं जाना चाहती तो क्या हुआ ? कुछ दिन यहाँ रह कर देख ले , उसे अच्छा नहीं लगे तो हम खुद उसे भेज देंगे . “


“ ऑन्टी लोग , आपलोग . . . .”


“ अरे मैं ऑन्टी कब से हो गयी ? अलका ने बेटे से हंस कर पूछा


“ ठीक है मम्मा एंड आंटीज ! कृपया मेरी बात भी ध्यान से सुनें .मैंने विनोद और कपिल से भी बात की है .सब का कहना है कि अगर आप तीनों फिर से एक जगह रहें तो ठीक ही है .मगर भविष्य में जो कोई अकेला पड़ेगा उसे अपने बच्चे के साथ जाना होगा . मंजूर है न ?


तीनों एक साथ बोल उठीं “ तब की तब देखेंगे . मरने से पहले तीनों देवियों को एक बार फिर कुछ दिन साथ में जीने दो .”

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कहानी पूर्णतः काल्पनिक है