Ek Ladki - 12 books and stories free download online pdf in Hindi

एक लड़की - 12

हर्ष के घर छोड़ने के बाद पंछी अपने रुम में जाती हैं वहाँ झील ने बिस्तर पर अपने कपड़े बिखेर रखे थे। और कुछ सोच रही थी। पंछी झील को देख कर पुछती है - दीदी, ये क्या कर रखा है। झील - कुछ नहीं रे, समझ नहीं आ रहा क्या पहनू।
पँछी - क्यों , आपको कहि जाना है क्या?
झील - हां , आज शाम को जतन के साथ डिनर पर जाना है ।
पंछी - अच्छा !!
झील - ओर तू भी मेरे साथ चलेगी। ऐसा बोलते हुए वो घूम कर पंछी की तरफ देखती हैं पंछी को देख कर कहती हैं - पंछी तू आज रोयी थी क्या। तेरी आँखों में सूजन है । पंछी को कुछ समझ नहीं आता है कि क्या बोले और वो अपने बिस्तर पर आकर बैठ जाती हैं। झील उसके पास आकर फिर पुछती है - क्या हुआ ?? पंछी कुछ छुपा नहीं पाती है और नील ने जो कहा वो सब बता देती है । झील उसकी बात सुन गुस्से में कहती हैं - ऐसा कहा उसने ?? उसकी प्रॉब्लम क्या है क्यों तेरे पीछे पड़ा हुआ है, जब भी मिलेगा छोडूगी नही उसे। झील की बात पर पंछी मुस्कुरा देती है। शाम होती है और वो दोनों तैयार हो कर जतन के साथ उसकी कार में किसी रेस्टॉरेंट की ओर जा रहे थे। रास्ते में वे उसी कैफ़े के सामने से गुजरते हैं जहाँ वे पिछली बार गए थे। जैसे ही कार उस कैफ़े के सामने से गुजरती है जतन की नज़र उस कैफ़े पर पड़ती है कैफ़े के गेट पर टॉमी ( कुत्ता ) बैठा हुआ अंदर की तरफ देख रहा था उसे देख जतन सोचता है कि आज ये अंदर क्यों देख रहा है और आज वो बंधा हुआ भी नहीं है ऐसा सोचते हुए वो कार को वही रोक देता है । झील पुछती हैं - क्या हुआ ?
जतन - कुछ हुआ है क्या टॉमी के साथ ?
झील - पता नहीं ।
जतन - चलो ,चल कर देखते हैं।
तीनो कार से निकल कर कैफ़े की और जाते है। जतन थोड़ा डर रहा था लेकिन उसके पास जाकर उसे एक तरफ धकेलते हुए कहता है - हटो ! यहाँ से । और ऐसा कर के वो थोड़ा दूर चला जाता हैं लेकिन इसका टॉमी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है और वो अभी भी उदास कैफ़े के अंदर देख रहा था तीनों उसे देख कर चौक जाते हैं की जो टॉमी जतन को देख काटने को दौड़ता था आज वो चुप चाप कैसे बैठा है। फिर तीनों अंदर जाते है और वेटर से पूछते हैं कि क्या हुआ। वेटर उन्हें देख पहचान जाता है कि ये पहले भी आये हुए हैं और वो उन्हें बताता है कि इस कैफ़े के मालिक का एक्सीडेंट हो गया है कुछ दिनों से वो हॉस्पिटल में ही है उनके बाद अभी उनकी वाइफ इस कैफ़े को संभालती है उन्हें टॉमी पसन्द नहीं है तो उन्होंने टॉमी को कहि दूर छुड़वा दिया था लेकिन ये वापिस आ गया तभी से बाहर ही है इनका ख्याल रखने वाला यहाँ उसके मालिक के अलावा कोई नहीं है। वेटर की बात सुन पंछी और झील की आंखे भर आती है दोनों जतन की ओर देखते हैं जतन की आंखों से आंसू आ रहे थे उन्हें विश्वास नहीं होता है कि जतन तो हमेशा टॉमी से चिढ़ता था तो आज ऐसा कैसे हो गया। तभी जतन वेटर से कहता है - इसके मालिक के ठीक होने तक क्या हम टॉमी का ख्याल रख सकते हैं ? जतन की बात सुन वेटर खुश होकर कहता है - क्यों नहीं, आप टॉमी को ले जा सकते हैं वैसे भी यहां ख्याल रखने वाला कोई नही है । वेटर की बात सुन जतन थोड़ा हिचकिचाता तो है लेकिन कहता है - चलो ठीक है तब तो मैं अपने साथ ले जाता हूँ। जतन की बात सुन पँछी बीच में ही बोलती है। - आप क्यों ले जाएंगे , हम ले जाएंगे वैसे भी टॉमी आपसे चिड़ता है क्या पता रात में सोते हुए आपको टॉमी काट लें ।
जतन -क्या पँछी, हमेशा मुझ पर चिड़ती क्यों हो।
पंछी - मैं चिड़ नहीं रही हूं , मैं तो बता रही हूं कि टॉमी हमारे साथ रहेगा वैसे भी आपके घर पर आपके सिवा ध्यान रखने वाला कोई नहीं है हमारे घर तो हम सब रख लेंगे।
पंछी की बात जतन को सही लगती हैं और वो कहता है - ठीक है ले जाओ। पंछी और झील बहुत खुश होते हैं तीनों टॉमी को लेकर डिनर करने जाते हैं और बाद में अपने अपने घर चले जाते हैं टॉमी भी पंछी के साथ आता है पंछी आते ही मम्मी पापा को बताती हैं मम्मी पापा भी कुछ नहीं कहते हैं और पंछी टॉमी को लेकर अपने रूम में जाती है और टॉमी के लिये एक जगह ढूढ़ते है वहीं झील और पंछी ने उस रूम के बीचों बीच लाइन खिंची हुई थी क्यों कि उन दोनों की कभी भी लड़ाई हो जाती थी झील कहती है - टॉमी मेरे साथ रहेगा। पँछी कहती हैं - नहीं टॉमी मेरे साथ रहेगा। और दोनों मिल कर दरवाजे के बिल्कुल सामने की खिड़की के पास एक लाइन खिंच कर एक जगह बन देती है और पास ही के एक शॉप से उसके लिए बिस्तर ले आती है। अब उस रूम में बराबर बराबर 3 भाग हो चुके थे। इसलिए अब तीनों का उस रूम में बराबर हक़ था। दोनों आज बहुत खुश थी। वही टॉमी अभी भी उदास लग रहा था शायद वो अपने मालिक को याद कर रहा था। अगले दिन सुबह पंछी तैयार होकर कॉलेज जाती है। आज पंछी लेट हो गयी थी और वही हर्ष कॉलेज की बिल्डिंग के बाहर खड़ा था और दिवार का सहारा लिए हुए फ़ोन चला रहा था सामने से मैन गेट से किसी के आने का अहसास होता है हर्ष सामने की और गेट पर देखता है वो पँछी थी ।पंछी को देख हर्ष के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती हैं कुछ पल बाद उसे अहसास होता है कि पँछी के आते ही उसे एक अजीब सी खुशी का अहसास हुआ था जिसे अभी उसने खुद नोटिस किया था अब वो समझ गया था कि वो पंछी को पसन्द करने लगा है। लेकिन दूसरे ही पल उसे याद आता है कि पंछी ऋषि के बचपन का प्यार है इसलिए खुद की फीलिंग को नजरअंदाज करते हुए पंछी से कहता है - पंछी, तुम आज इतनी लेट कैसे हो गयी।
पंछी हर्ष के पास आकर कहती है - तुम्हें क्लास अटेंड नहीं करनी क्या ? चलो लेट हो जाएंगे।
हर्ष मना करते हुए कहता है नहीं पंछी ! तुम जाओ, मेरा पढ़ने का मन नहीं है। पंछी ठीक है बोल कर क्लास की ओर चली जाती है। क्लास खत्म होने के बाद पंछी और स्माईली गार्डन में बैठे होते हैं ऋषी आता है और बताता है कि कल कॉलेज वाले स्टूडेंट्स को कैम्पिंग ले जा रहें हैं तुम दोनों भी चलोगे क्या ??
पंछी - पता नहीं, मम्मी मान जाये तब देखूंगी।
ऋषि- मेरा भी मन नही है शायद ही जाऊ।
पंछी - मैं घर पर पूछ कर बताती हु।
ऋषि - ओके ! मेरा मूड बन गया तो मैं भी चलूंगा ।
पंछी - स्माईली तुम भी चलोगी ना ?
स्माईली - मैं भी घर पर पूछुंगी शायद घर पर मना कर देंगे।
पंछी - तुम नही जाओगी तो मैं अकेले वहाँ क्या करूँगी मैं भी नही जाऊंगी।
ऋषि - तुम क्यों नहीं जाओगी ,स्माईली भी जाएगी ये तो ऐसे ही मज़ाक कर रही हैं। और ऋषि स्माईली को ऐसी नज़रो से देखता है जैसे कह रहा हो कि तुम भी चलोगी कैसे भी करके। स्माईली ऋषि को देख डर जाती है और अचानक से कह देती है - पँछी, मैं भी चलूंगी घर वालो को मैं मना लुंगी।
पंछी - ठीक है तब तो मैं भी चलूंगी।
ऋषि - मैं भी सोच रहा हु यहाँ रहकर भी क्या करूँगा ,मैं भी चलूंगा।
पंछी - ठीक है।
पंछी घर जाकर मम्मी पापा को बताती है और वो मान जाते हैं। अगले दिन सभी कॉलेज के बाहर ऋषि हर्ष और राज ,पंछी का इंतज़ार कर रहे थे उनके साथ मिली भी थी पंछी को सामने से आता देख ऋषि उसे देखता ही रह जाता हैं। पंछी ने आज लोंग स्कर्ट और फिटिंग टी शर्ट पहन रखी थी जिसमे वो बहुत क्यूट लग रही थी। हर्ष , मिली और राज बातें कर रहे थे हर्ष की नज़र अचानक से पंछी पर पड़ती हैं हर्ष भी एक पल के लिए सब कुछ भूल जाता है फिर उसकी नज़र ऋषि पर जाती हैं ऋषि को देख वो पंछी पर से नज़रे हटा कर फिर से राज़ और मिली से बातें करने लगता है। पंछी उनके पास आती है और कहती हैं - चले ?
ऋषि - हा चलते हैं।
सभी बस में बैठ जाते है पंछी खिड़की के पास और स्माईली के साथ बैठी थी पंछी के ठीक पीछे हर्ष और उसके साथ ऋषि बैठा हुआ था मिली अपनी फ़्रेंड्स के साथ बैठती है।
रास्ते में पंछी खिड़की के बाहर देख रही थीं और अपने साथ लायी हुई केरी खा रही थी उसे केरीयां बहुत पसंद है। हर्ष खिड़की से बाहर की तरफ देखता हुआ और पंछी के साथ कि पुरानी बातें याद करके मुस्कुरा रहा था इतने में उसकी नज़र आगे की खिड़की के कांच पर पड़ती है जिसमे पंछी दिख रही थी पंछी केरी खा रही थी और खट्टास की वजह से मुंह बना रही थी पंछी को देख हर्ष मुस्कुरा रहा था वो पंछी की हर एक बाईट पर मुँह को बिगाड़ते हुए देख कर मुस्कुरा रहा था ऋषि की नज़र हर्ष पर पड़ती है ऋषि पूछता है क्या हुआ ? तुम मुस्कुरा रहे हो ?
हर्ष - कुछ नहीं मैं तो बस ऐसे ही मुस्कुरा रहा हूं।
ऋषी - तुम्हें प्यार हुआ है क्या ??
हर्ष चौकते हुए ऋषि की देख कर बोलता है - नही तो, तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है।
ऋषि - तुम्हें पता है जैसी तुम्हारे चहरे पर मुस्कान है ना वैसी मुस्कान तब आती है जब हम अपने प्यार की बातों को याद करते हैं आज तुम्हारी मुस्कान कुछ अलग है ।
हर्ष - ऐसा कुछ नहीं है, तुम कुछ ज्यादा ही सोच रहे हो।
ऋषि - ठीक है तुम नहीं बताना चाहते हो तो।
और फिर ऋषि अपना फ़ोन चलाने लगता है बात खत्म हो ने पर हर्ष की नज़र एक बार फिर पंछी पर पड़ती है वो अभी भी बड़े चाव से केरी खा रही थी। लेकिन हर्ष अपनी नज़र घुमा कर खिड़की से बाहर देखने लगता है। कुछ समय बाद में वे एक जंगल में से गुजरते हैं वहीं रास्ते में उनकी बस खराब हो जाती है। कुछ देर इंतज़ार करने के बाद भी बस ठीक नहीं होती है तो टीचर बताते हैं कि बस ठीक होने में बहुत टाइम लग जायेगा इसलिए आज हम यही कैम्पिंग करेंगे आज की रात हम यही रुकेंगी। सभी बच्चे टीचर की बात सुन बहुत खुश होते हैं। होना भी बनता था क्योंकि किसी जंगल में रूकने का मज़ा ही कुछ ओर होता हैं। पंछी थोड़ा डर जाती है लेकिन कर भी क्या सकती है। सभी बच्चे बाहर निकल कर टेंट लगाने लगते हैं स्माईली और पंछी भी टेंट लगाने की कोशिश करती हैं लेकिन उनसे लग नहीं रहा था पंछी को हर्ष दिखाई देता है पंछी हर्ष को आवाज़ लगाते हुए कहती है - हर्ष , हमारी मदद करो ना, हमसे हो नही रहा है। हर्ष उनकी मदद करता है पंछी हर्ष से थैंक यू बोलती है जिस पर हर्ष कहता है - इतनी सी बात पर थैंक यू बोलोगी क्या ? इसकी कोई जरूरत नहीं है वैसे भी फ़्रेंड्स के लिए इतना तो चलता है । पंछी मुस्कुरा जाती हैं और उसे छेड़ते उसके हुए कहती हैं - अच्छा......लेकिन तुम मेरी हेल्प करोगे ओर तुम्हारी गर्लफ्रैंड मिली देख लेगी तो गुस्सा करेंगी और मैं पहले ही बता देती हूं मैं तब तुम्हारी कोई हेल्प नही कर पाऊंगी। पंछी की बात पर हर्ष पंछी से कहता है - ठीक है मत करना फिर वो मुझे मारेगी तो तुम दूर से देख देख कर मज़े लेना ठीक है ?
पंछी मुस्कुराते हुए कहती है - हा यार , तुम्हें पिटता हुआ देख कर बहुत मज़ा आएगा ।
हर्ष - हा , तुम दूर से ही मज़े लेना , हेल्प तो करना नहीं है अपने फ्रेंड की। और ऐसा बोलते हुए पंछी को दिखाने के लिए मुँह बिगाड़ते हुए दूसरी तरफ देखने लगता है।
पंछी - क्यों नहीं करूंगी , हेल्प तो करूँगी ना ।
हर्ष उत्साहित होते हुए - कैसे ??
पंछी - मैं ना.....
हर्ष मुस्कुराते हुए - हा तुम ना......
पंछी - मैं ना, मिली को बहुत मजबूत और लंबा डंडा दूंगी। औऱ वो जोर जोर से चिड़ाते हुए हँसने लगती हैं। हर्ष उसकी बात सुन कहता है - वा, वा .....तुमसे तो यहीं उम्मीद थी कुछ भी हो अपने दोस्त की मदद नही करनी है बस।
पंछी मज़ाक में - नहीं करनी, बिल्कुल मदद नहीं करनी ।
हर्ष - सही बात है दोस्त तो होते ही इसीलिए है ताकि उनके मज़े ले सको।
पंछी - तुम चिडा मत, मैं तो मज़ाक कर रही थी। दोस्ती की है तो दोस्त को अकेला थोड़ी छोडूंगी।
तब वो इतने प्यारे अंदाज़ में बोलती है कि हर्ष बस उसे देखता ही रह जाता है। तभी मिली उसे आवाज़ लगाते हुए कहती है - हर्ष , मेरी टेंट लगाने में हेल्प करो ना। पंछी मिली कि बात सुन हर्ष से कहती है- जाओ जाओ.... वरना सच में गुस्सा करने लग जाएगी।
हर्ष जाते हुए - पंछी, तुम भी ना......।
और हर्ष मुस्कुराते हुए चला जाता हैं।