Ek Ladki - 17 books and stories free download online pdf in Hindi

एक लड़की - 17

हर्ष की ख्वाईश का आज पहला दिन है और आज हर्ष पंछी के साथ होगा शायद इसी खुशी में इसे नींद भी नही आ रही थी रात में उठ उठ कर टाइम चेक कर रहा था कि कहि सुबह तो नही हो गयी उसे सुबह का बेसब्री से इंतज़ार था और उधर पंछी की नींद ही पूरी नहीं हो रही थी सुबह हो गयी थी लेकिन उसकी नींद ही नही उड़ रही थी तभी वहा झील आती है और उसे जगाते हुए कहती हैं - पंछी , उठो सुबह हो गयी है तुम्हारे कॉलेज का टाइम हो गया है
पंछी - हां दी , उठ रही हूं थोड़ी देर ओर बस ।
झील - तू बस थोड़ी थोड़ी देर किये जा और वहा हर्ष लेने आया है।
पंछी ये सुन जल्दी से उठ कर कहती है- क्या ! हर्ष आया है ।
झील - हां।
पंछी टाइम देखती हैं कॉलेज का टाइम होने में ही था थोड़ा सा टाइम रह गया था वो जल्दी से उठ कर तैयार होती हैं कुछ समय बाद झील वापिस कमरे में आती हैं पंछी बालों को सवार रही थी । झील कहती हैं ,- कल जो तूने बताया था वो सच है क्या ??
पंछी - हा दी, सच है।
झील - ऋषि ने कुछ कहा नही ?
पंछी - नहीं, हर्ष उनका बचपन का फ्रेंड है वो हर्ष को बहुत अच्छी तरह जानता है और रही बात हर्ष की ख्वाईश की तो आज हर्ष को उसकी जरूरत है तो ऋषी कैसे मना कर सकता था ऋषी ने कहा कि सिर्फ 2 दिन की ही तो बात है बाद में सब ठीक हो जाएगा और हर्ष भी खुश हो जाएगा।
झील - उनकी दोस्ती बहुत गहरी है ।
पंछी - ओय हेल्लो, हर्ष और मेरी दोस्ती भी बहुत गहरी है माना कि थोड़ा समय हुआ है तो इसका मतलब ये थोड़ी हैं कि हमारी दोस्ती कमजोर है।
झील - वा रे , मेरी माँ , अब तू जा लेट हो रही हैं हर्ष कब से बाहर वैट कर रहा है
पंछी - हां दी, 2 मिनट में जाती हूं ।
हर्ष और उसकी मम्मी सोफ़े पर बैठे हुए थे औऱ उसकी मम्मी हर्ष से पूछ रही थी - तुम पंछी के फ़्रेंड् हो ?
हर्ष - हां आंटी।
पंछी की मम्मी - एक ही कॉलेज में एक ही क्लास में पढ़ते हो ?
हर्ष - हां आंटी।
पंछी की मम्मी - तुम पंछी के फ्रेंड ही हो ना , क्योंकि पंछी आज तक किसी फ्रेंड को घर नही लेके आयी है।
हर्ष - हां आंटी, फ़्रेंड ही हू ।
पंछी की मम्मी - लगता है बहुत अच्छे दोस्त बन गए हो।
हर्ष - जी आंटी।
पंछी की मम्मी - तब तो तुम्हे पता ही होगा कि पंछी बहुत जल्दी फैसले ले लेती हैं ज्यादा सोचती समझती नही है अपनी अंदर की आवाज़ तो सुनती ही नही है इसलिए बहुत बार प्रॉब्लम में फंस जाती है तुम उसके अच्छे दोस्त हो इसलिए बता रही हो , उसका ध्यान रखना।
हर्ष को मम्मी की बाते सुनकर सोचता है - आप टेंशन मत लो आंटी, मैं कभी पंछी को अकेला नहीं छोड़ पाऊंगा।
पंछी की मम्मी - कहा खो गए ??
हर्ष - कहि नहीं आंटी, और आप चिंता मत कीजिये पंछी को कुछ नहीं होगा।
तभी वहां पंछी आती हैं और कहती है - सॉरी सॉरी हर्ष आज नींद ही नही उड़ रही थी । चलो , कॉलेज चलते हैं लेट हो रहे है।
हर्ष उठ कर जाने लगता है और पीछे से मम्मी कहती है - अरे पंछी कुछ खा कर तो जा।
पंछी - मम्मी लेट हो रहे हैं कॉलेज में ही कैन्टीन से कुछ ले लूंगी।
पंछी की मम्मी - ठीक है।
हर्ष और पंछी , हर्ष की कार में कॉलेज के लिए निकलते हैं। रास्ते में पंछी हर्ष से कहती है - तुम थोड़ा जल्दी नही आ सकते थे तुम्हारे वजह से मैं लेट हो गयी।
हर्ष - अरे! मेने क्या किया है, मैं तो 1 घण्टे से तुम्हारा वैट कर रहा था तुम ही आज लेट उठी थी ।
पंछी - तुम थोड़ा ओर जल्दी आते तो मैं थोड़ा और जल्दी उठती । हर्ष - तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे अगर मैं नही आता तो तुम उठती ही नही।
पंछी -तुम नही आते तो मै जल्दी उठ जाती।
हर्ष - तो फिर मैं आया इसलिये लेट तुम उठी ।
पंछी - बहस मत करो बस मान जाओ की तुम्हारी गलती थीं।
हर्ष -अजीब जबरदस्ती है, मेरी कैसे गलती थी, खुद लेट उठती हो और मुझे कह रही हो कि मेरी वजह से लेट उठी हो , कुछ भी हो खुद की गलती तो माननी ही नहीं है।
पंछी - बात तो सही कहि, वो क्या है ना कि हम लडकिया कभी गलती करती ही नहीं है अब चलो लेट हो रहे हैं।
हर्ष - मैं तो चल ही रहा हूँ तुम ही बातों में लगा रही हो।
पंछी - ठीक है, ठीक है।
थोड़ी देर बाद कॉलेज पहुचते है वहां पहुचने पर पता चलता है कि लेट हो गये है पंछी तिरछी नज़रो से हर्ष की तरफ देखती है पंछी को ऐसे देखता देख हर्ष कहता है - क्या, मुझे ऐसे क्यों देख रही हो जैसे खा जाओगी।
पंछी चिड़ते हुए - तुम्हारी वजह से हम फिर से लेट हो गए।
हर्ष - फिर से , फिर से मुझे दोष दे रही हो, सही कहते हैं तुम लड़कियों का कुछ नहीं हो सकता।
पंछी खुश होते हुए -अब चले यहाँ से, अब क्लास तो ले नही सकते क्यों ना आज शहर घूमने चलते हैं मज़ा आएगा ।
हर्ष पंछी का अचानक से बदलते हुए व्यवहार को देख कर कहता है- तुम्हे क्या हो गया ,पहले तो चीड़ रही थी और अब घूमने की बाते कर रही हो।
पंछी - हां , अब वैसे भी क्लास तो स्टार्ट हो गयी हम कुछ नहीं कर सकते तो क्यों ना आज फूल मज़े लिए जाये।
हर्ष पंछी के बात को मान जाता है और पंछी की हरकतों और बातों पर मुस्कुराने लगता है और पंछी को देखता ही रह जाता है तभी पंछी उसे उसका हाथ पकड कर कार की ओर ले जाती है। आज पहली बार पंछी ने हर्ष का हाथ पकड़ा था इसलिये ये पल हर्ष को बहुत अच्छा लगा था , दोनो कार तक पहुँचते है और कार में बैठ कर कॉलेज से बाहर निकल जाते हैं रास्ते में पंछी को कचौरी खाने की इच्छा होती है वो हर्ष से कहती है - हर्ष , मुझे कचौरी खानी है तुम......।
हर्ष - ठीक है हुकुम सा, मैं समझ गया।
पंछी - मैने तो पूरा बोला ही नहीं।
हर्ष - हमें पता है हुकुम सा की आपको कचौरी खानी है हम आपको वहाँ ले चलेंगे।
पंछी - तुम कैसे बातें कर रहे हो।
हर्ष - हम नार्मल ही बातें कर रहे हैं हुकुम सा, आपकी सारी इच्छा पूरी होगी।
पंछी - तुम कैसे बोल रहे हो पर जो भी हो मस्त लग रहा है अब मैं भी ऐसे ही बात करूँगी।
हर्ष - जैसी आपकी इच्छा हुकुम सा। पंछी हर्ष की बातों में हंसने लगती है पंछी को हंसता देख हर्ष भी हँसने लगता है। और आगे बढ़ते हैं कुछ दूरी पर कचौरी सेंटर आता हैं वहां से कचौरी लेकर वापिस कार में आ जाते हैं थोड़ी दूरी जाने पर एक झील आती है पंछी कार को वही रुकवाते हुए कहती है - हम यही कचौरी खाएंगे।
हर्ष - पंछी घर चलते हैं , वही खा लेना।
पंछी - मुझे तो यही खानी हैं ।
हर्ष - जैसी आपकी इच्छा हुकुम सा। चलिए कहा चलना है ।
पंछी खुश हो जाती है और कहती हैं - ये हुई ना बात, चलो वहा चलते हैं।
दोनो किनारे पर खड़े होते हैं और दोनों झील की तरफ दिखने लगते हैं पंछी कहती है - कितना अच्छा लग रहा है ना।
हर्ष पंछी की तरफ देखता है वो इस पल को खूब एंजॉय कर रही थी झील की तरफ देखते समय उसका चेहरा बहुत प्यारा लग रहा था हर्ष एक बार फिर पंछी को देखता रह गया और कहि खो से गया और बड़े ही प्यार से कहता है- बहुत प्यारी लग रही है।
पंछी- मुझे ये झील बहुत पसंद है।
हर्ष पंछी को देखते हुए - मुझे भी बहुत पसंद है।
पंछी - यहाँ पर आकर सुकून मिलता है वापिस जाने का मन ही नही करता।
हर्ष - सही कहा तुमने एक बार देख लो तो कुछ और देखने का मन ही नही करता ।
पंछी - मैं हमेसा यहाँ आती हु और ऐसा लगता है कि हमेसा यही रह लू , मुझे ये जगह बहुत पसंद है ।
हर्ष - मुझे भी तुम बहुत पसंद हो। मन करता है कि अपनी हमेशा के लिए अपनी आखों में रख लू। एक पल के लिए भी ओजल न होने दु , वो क्या है ना कि तुमसे दूर जाने का जी ही नहीं करता ।
पंछी अचानक से हर्ष की तरफ देखती है हर्ष घबरा जाता है और झील की तरफ देख हिचकिचाते हुए कहता है - अच्छी है ना झील ???
पंछी को समझ आ गया था कि इतनी देर जो हर्ष कह रहा था वो उसके लिए ही कह रहा था लेकिन लास्ट में हर्ष ने बात को घुमा दी। हर्ष को देख पंछी को बहुत बुरा लग रहा था क्योंकि उसे समझ आ गया था कि हर्ष के दिल की पंछी के लिए एक खास जगह बन चुकी है जिसे हर्ष खुद भी मिटाना नही चाहता था फिर वो सोचती हैं - अगर ऐसा ही चलता रहा तो हर्ष मुझे कैसे भूल पायेगा।
हर्ष पंछी को कहता है - कहा खो गयी , जवाब ही नही दे रही हो।
पंछी - हा, सच में झील बहुत खूबसूरत है ।
हर्ष - 2 मिनट रुको, मैं कार में से कचौरी ले कर आता हु।
पंछी - ठीक है ।
थोड़ी देर बाद हर्ष कचौरी ले कर आता है और दोनों खाने लगते हैं।